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मीम और भीम जुगलबंदी की असलियत |
लेकिन पैगम्बर पर हुई टिप्पणी का कारण सामने आना शुरू ही हुआ है, लेकिन हिन्दुओं में आक्रोश न हो इस कारण पत्रकारिता के नियमों का पालन करते उसे प्रकाशित नहीं किया जा रहा। परन्तु किसी कारण असली कारण जगजाहिर होने के डर से लिबरल्स का एक बड़ा समूह फेसबुक को अलविदा कह रहा है। अब फेसबुक पर ही इस घटना की प्रतिक्रिया भी नज़र आ रही है। मीम-भीम का मिलाप, #not in my name, #mob lynching, #intolerance, #award vapasi, #freedom of speech और गंगा-जमुनी तहजीब आदि गैंग चलाने वाला यही लिबरल गैंग फेसबुक से भागने की कहानी गढ़ क्या अब कोई और तरीका अपनाएगा? इतना बड़ा दर्दनाक हादसा होने पर भी ये गैंग बिल्कुल खामोश है, क्यों? क्यों, अब इनके मुंह जमा दही जम गया? ये लिबरल इतनी जल्दी मैदान छोड़कर भागने वाले हैं, लगता नहीं। सरकार को अब इनकी गतिविधियों पर गिद्ध की नज़र रखनी पड़ेगी।
लगता है, कोई नया षड़यंत्र रचा जा रहा हो? शंका इसलिए हो रही है कि कल तक जो विधायक FIR दर्ज करने की बजाए कहता हो कि "भगवान देगा फल", और अब वही विधायक FIR दर्ज करवाने के साथ सीबीआई जाँच तक की कहे, कांग्रेस, लिबरल्स, मीम और भीम गैंग के बीच कुछ पक रहा है। दूसरे, शंका यह भी व्यक्त की जा रही है कि इस हादसे को इतना दर्दनाक बनाने में रोहिंग्यों का हाथ हो। ऐसे में प्रश्न यह खड़ा होता है कि उन्हें पेट्रोल बम, हथियार किसने मोइय्या करवाए? यह जाँच का विषय है, अन्यथा विधायक मूर्ति द्वारा अपनी, अपने परिवार की सुरक्षा और सीबीआई जाँच की मांग नहीं होती।
बेंगलुरु में हुए दंगों के बाद कई लिबरल्स ने ऐलान किया है कि वह अपना फेसबुक एकाउंट बंद कर देंगे। इस कड़ी में एनडीटीवी की पूर्व पत्रकार निधि राजदान ने अपना फेसबुक एकाउंट बंद करने का ऐलान किया। निधि ऐसा करने वाले शुरुआती लोगों में एक हैं।
Deleted Facebook— Nidhi Razdan (@Nidhi) August 15, 2020
I did it too, then came back briefly a few months ago. But have had enough. Sadly I can’t delete WA yet since too many family and friends are on it. That’s next on my list— Nidhi Razdan (@Nidhi) August 15, 2020
Sad Day and great Loss For mark Zuckerberg.— Lalit Singh Chauhan 💡🎥🎬 (@L0ST_IN_CINEMA) August 15, 2020
I wonder why was it important to announce this on Twitter?— Mansi Koul🌿 (@mansikoul) August 15, 2020
Listen erdogan new daddy... Modi is fasist...— Madhav Desai (@Madhav_Desaii) August 16, 2020
She had too, hate speech pe FB ki policy dekh li... pic.twitter.com/GpwyJXyk2W— Sunil Verma (@sunilverma_ce) August 15, 2020
I left @Facebook & deleted my account years ago.— Swati Chaturvedi (@bainjal) August 15, 2020
Ab Twitter se fursat mile toe FB chalaye naa. Haan ab waise bhi FB pe rakha kya hai.. 🙏 due respect— shaAns (@shaAns15) August 15, 2020
Could not understand why people not deleting there twitter account— Saurabh Singh (@wontedtrader) August 15, 2020
Me too. The average age on facebook is now 40 or 40+. It's sabotaged by boomers and is generally boring too.— hit me up (@hitasha98) August 15, 2020
Nidhi Razdan followed you on this today...— Kishor Agrawal (@kishoragrawal22) August 15, 2020
वहीं स्वाति चतुर्वेदी ने ट्वीट करते हुए इस बात की जानकारी दी कि उन्होंने सालों पहले फेसबुक एकाउंट बंद कर दिया था।
Just deleted Facebook App. Let’s face it, they have been lax on transparency & accountability.— K. C. Singh (@ambkcsingh) August 15, 2020
You can do the same with some of your tweets too sir.— Rishi Saxena (@Rishi_saxena21) August 15, 2020
I mean,
I respect your thoughts generally.
But sometimes they seem to have some rage in them.
Rage not against the system and undertakings,
But against a particular pol. party.
A more neutral approach would be more welcoming.
deleting and exiting isn't the solution, staying and debating/fighting false/fake propaganda is important.— bulbul (@lambe_baal_wala) August 15, 2020
wo abhi inke favor me chal rha hai na islie. just ike facebook was staunch anti bjp or pro LW sometime back. These— @vick (@avik9119) August 16, 2020
" intellectuals " had kept maun brat then lol
wait till twitter is hammered like facebook. they will sing same song.
ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि लिबरल्स ने यह कदम बेंगलुरु में हुई हिंसा के बाद उठाया है। लेकिन अफ़सोस ऐसा नहीं है! लिबरल्स ने अपना फेसबुक एकाउंट इस वजह से नहीं बंद किया। बल्कि लिबरल्स ने अपना एकाउंट इसलिए बंद किया क्योंकि वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में कुछ दावा किया था। दावे के मुताबिक़ फेसबुक के एक (बेनाम) शीर्ष अधिकारी ने ऐसा कहा कि एंटी मुस्लिम (मुस्लिम विरोधी) पोस्ट को ‘हेट स्पीच’ के दायरे में नहीं रखा जाएगा।
लिबरल्स इस बात से निराश हैं कि फेसबुक की शीर्ष अधिकारी अंखी दास कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करती हैं। इसलिए लिबरल्स का मानना है कि फेसबुक मुस्लिम विरोधी पोस्ट को हेट स्पीच के दायरे में नहीं रखता है।
कुल मिला कर लिबरल्स ने बेनामी ‘पूर्व या वर्तमान’ फेसबुक कर्मचारी के आधार पर ऐसा अनुमान लगा लिया। साथ ही घोषित भी कर दिया कि अंखी दास मोदी समर्थक हो सकती हैं। वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम भीड़ ने जिस तरह शहर में दंगा भड़काया और आम लोगों को नुकसान पहुँचाया, वह कांग्रेस विधायक के भतीजे को कोसने का एक सटीक ज़रिया बन गया। वह जिसके कथित फेसबुक पोस्ट या कॉमेंट के कारण बेंगलुरु को दंगा देखना पड़ा।
इसके बाद भाजपा विधायक टी राजा सिंह को भी निशाने पर लिया गया, जिन्होंने रोहिंग्या और मुस्लिमों पर पोस्ट किया था। वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में इसका ज़िक्र है। रिपोर्ट में फेसबुक के एक कर्मचारी ने टी राजा को खतरनाक व्यक्ति बताया।
यह भी कहा गया कि अंखी दास ने टी राजा के मुस्लिम विरोधी पोस्ट हेट स्पीच के दायरे में रखने का विरोध किया। क्योंकि ऐसा करने से भारत में फेसबुक का व्यावसायिक प्रभाव कम होगा। रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि ऐसा सिर्फ टी राजा ही नहीं बल्कि 3 और हिंदूवादी नेताओं के मामले में किया गया है। उनके भड़काऊ भाषणों को हेट स्पीच के दायरे में नहीं रखा गया है।
वॉल स्ट्रीट की रिपोर्ट में इसके अलावा भी कई और दावे किए गए हैं। फेसबुक की कम्युनिकेशन एग्जीक्यूटिव एंडी स्टोन ने बताया कि अंखी दास ने सिर्फ अपने डर के आधार पर टी राजा का एकाउंट बंद नहीं किया। इसके अलावा फेसबुक ने ऐसे कई कदम उठाए हैं, जो कथित तौर पर भाजपा के हित में हैं।
फेसबुक ने 2019 के आम चुनावों के दौरान कॉन्ग्रेस पार्टी के तमाम पेज भी निष्क्रिय कर दिए थे। इसके अलावा फेसबुक पर यह आरोप भी लगाया गया कि समूह ने भाजपा विरोधी ख़बरों को प्रतिबंधित कर दिया था।
हैरानी की बात यह कि जब एक मुस्लिम व्यक्ति ने सितंबर में एक दलित लड़की के साथ बलात्कार किया था, तब फेसबुक ने उल्टा मुस्लिम व्यक्ति का बचाव किया था तब इनमें से किसी लिबरल ने अपना फेसबुक एकाउंट नहीं डिलीट किया था। बल्कि फेसबुक ने इस घटना से जुड़े लेख और ख़बरें ही हटा दी थीं।
फेसबुक ने ऐसे व्यक्ति को अब्यूजिव ट्रोल एज़ पॉलिसी हेड नियुक्त किया था, जो पहले प्रशांत किशोर के लिए काम करता था। इतना ही नहीं बेंगलुरु दंगों के मामले में भी लिबरल मीडिया ने भुक्तभोगी को ही आरोपित बना कर दिखाया। लिबरल मीडिया उन्हें ही भीड़ के सामने रख देना चाहता था, जिन्होंने इस घटना की सबसे महँगी कीमत चुकाई। यहाँ तक कि फेसबुक पर भी तमाम लोगों ने उनके (कांग्रेस विधायक और उसके भतीजे) को धमकियाँ दी। लेकिन फेसबुक ने इसे हेट स्पीच के दायरे में नहीं रखा।
मुस्लिम समुदाय के तमाम लोगों ने कांग्रेस विधायक के भतीजे को फेसबुक पर जान से मारने की धमकी तक दी। इस बात पर लिबरल्स ने गुस्सा नहीं जताया लेकिन एक ‘बेनाम फेसबुक कर्मचारी’ ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को कई बातें बताई, जिसके आधार पर उन्होंने फेसबुक पर भाजपा का समर्थन करने का आरोप लगा दिया। इससे लिबरल्स में गुस्सा और आक्रोश भर गया। जबकि फेसबुक पर खुद न जाने कितनी ऐसी ख़बरें और लेख मौजूद हैं, जो सीधे शब्दों में भाजपा की आलोचना करते हैं। इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने पर भी ऐसी ही बातें सामने आई थीं। जैसे ही दोनों चुनाव जीत कर आए थे उन पर तैयार की गई रिपोर्ट ऐसी नज़र आ रही थी जैसे लोगों के घावों पर नमक छिड़क दिया गया हो। अब उन्हें एक नियंत्रण के लिए कुछ कारणों की ज़रूरत पड़ सकती है।
इससे पहले आकार पटेल ने भी ब्राह्मणों पर होने वाली हिंसा को सामान्य बताया था। उनके हिसाब से यह बुद्धिजीवी है। लेकिन जैसे ही ब्राह्मण शब्द की जगह मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल होता है वैसे ही यह हेट स्पीच बन जाती है। यहाँ किसी भी तरह के सिद्धांत काम नहीं करते हैं।
कांग्रेस के दलित विधायक पर क़ातिलाना हमला हुआ, उनका घर फूंक दिया गया, बेंगलुरू को तबाह करने की कोशिश की गई, पर मजाल क्या कि प्रियंका - राहुल एक शब्द बोल दें, जेहादियों से रिश्तेदारी जो खटक जाएगी। #CongressAgainstDalits pic.twitter.com/KqsrENyeha— Shalabh Mani Tripathi (@shalabhmani) August 13, 2020
बात अगर मुस्लिम वोट बैंक की हो -— 🚩🇮🇳Mayank Bhadauria 🕉️🚩 (@Bhadauria231278) August 13, 2020
तो कांग्रेस अपने दलित विधायक तक से किनारा कर गई, उसे और उसके परिवार को अकेला जेहादियों के आगे मरने को छोड़ दिया ,
तो आम दलितों के साथ क्या खाक खड़ी होगी#CongressAgainstDalits#BangloreRiots#BangaloreViolence#CongressSupportsRiots
कम्युनल तुष्टिकरण की सतही सियासत के मोह से कांग्रेस बाहर निकल ही नहीं पाई है।— अमित पांडेय ( कपिल मिश्रा ) (@ISHUPANDEY) August 13, 2020
यही वजह है कि बंगलोर हिंसा में कांग्रेस के दलित MLA का घर दंगाइयों द्वारा जलाने पर भी @RahulGandhi मौन हैं।
दलितों से अन्याय पर चुप्पी साधने की कांग्रेस की आदत दशकों पुरानी है। #CongressAgainstDalits
जय मीम - जय भीम तो छलावा है। असलियत में कांग्रेस शुरू से ही धुर दलित विरोधी ही रही है। #CongressAgainstDalits— Kapil azad (@Kapilsh00058455) August 13, 2020
कांग्रेस की छोड़िए तथाकथित दलित चिंतक भी अपने अपने बिलों में छिप गए है !— 🕉️ कुलिश 2.0 🕉️ (@kumarsdilip) August 13, 2020
अवलोकन करें:-
एक फेसबुक पोस्ट के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शहर में आंतक का तांडव मचा दिया। मुस्लिम दंगाइयों ने दो थानों, कांग्रेसी विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के घर के साथ सैकड़ों गाड़ियों में आग लगा थी। आखिर क्यों अपने दलित विधायक के साथ इतनी बड़ी घटना हो जाने के बाद भी कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा चुप्पी साधे हुए हैं। कांग्रेसी आलाकमान की चुप्पी का मतलब कहीं कांग्रेस अपने दलित विधायक के साथ खड़े होने की जगह टोपी वाले उन्मादियों के साथ खुद को दिखाना चाहती है या फिर दंगों से पार्टी का कोई कनेक्शन है?
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