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कलीम पाशा (लाल घेरे में) साभार टाइम्स नाउ |
जन्माष्टमी के पर्व पर बंगलुरू के हिन्दू युवा श्रीकृष्ण के फोटो डालकर बधाई दे रहे है,,,
तभी एक मुस्लिम युवक ने कमेंट किया,,, कृष्ण की कितनी बीबियाँ थी ,
उस पर कांग्रेस विधायक के भतीजे ने पूछ लिया, पैगम्बर ने कितनी शादियां की थीं ?
बस,,,,,,
ये बात मुस्लिमों को बुरी लग गई ।
व्हाट्सएप ग्रुप में msg आने लगे, पैगम्बर का अपमान हुआ है, इकट्ठा हो जाओ,,,
हज़ारों लोगों की भीड़ कांग्रेस के दलित विधायक के घर पे हमला करती है,,
पेट्रोल बम, पत्थर, ईंटें, हथियार सब चलते हैं,
विधायक का परिवार घर के पीछे से कूद कर जान बचाकर भागता है,,,
फिर वो उग्र भीड़ घर, ऑफिस में आग लगा देती है,,, उस मोहल्ले में रखी 300 से ज्यादा हिंदुओं की गाड़ियां जला देती है ।
पुलिस आती है, तो पुलिस पर हमला होता है, 60 पुलिस कर्मी घायल हो जाते हैं ।
पूरे मोहल्ले के लोग छतों से कूद कर भाग जाते हैं, किसी के पास अपनी सुरक्षा का कोई साधन नहीं था ।
अब बात करते हैं, राजनीति की,,
जिनके घर पर इतना बड़ा हमला हुआ, वो कांग्रेस के विधायक हैं, अनुसूचित जाति के हैं,,,,, उनका घर , गाड़ियां सब जल गईं,,,,, मगर हैरान करने वाली बात है,,,कांग्रेस के किसी बड़े नेता का बयान नहीं आया,,, वाड्रा मैडम का ट्वीट नहीं आया,,,, किसी ने इस हमले की निंदा नहीं की,,, ऐसा क्यों ?
लेकिन जैसे-जैसे 11 अगस्त 2020 की रात बेंगलुरु में हुई हिंसा की जाँच आगे बढ़ रही है, बड़ी ख़बर सामने आ रही है। बेंगलुरु में हुए दंगों के मामले में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है। इसमें जिन लोगों को आरोपित बनाया गया है उसमें 7वां नाम कांग्रेस पार्षद इरशाद बेगम के शौहर कलीम पाशा का है। पुलिस के मुताबिक़ दंगों की साज़िश रचने वाले मुख्य आरोपितों में एक नाम कलीम पाशा का भी है।
इरशाद बेगम बेंगलुरु नगरपालिका के नगवाड़ा वार्ड से कांग्रेस पार्षद हैं। लेकिन क्षेत्र के ज़्यादातर काम उसका पति कलीम पाशा ही देखता है। टाइम्स नाउ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक़ जब पुलिस कलीम को गिरफ्तार करने गई तब वह अपने घर पर नहीं था। पुलिस को अभी तक कलीम की कोई जानकारी नहीं मिली है।
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पूर्व कांग्रेस मंत्री केजे जॉर्ज |
दंगों से संबंधित एफ़आईआर में और भी कई हैरान कर देने वाली बातें सामने आई हैं। एफ़आईआर में लिखा है कि 5 लोगों ने लगभग 200 से 300 लोगों की भीड़ का नेतृत्व किया। उनके पास मशाल से लेकर पेट्रोल बम जैसे ख़तरनाक हथियार मौजूद थे। साथ ही उन्हें इस बात के आदेश मिले हुए थे कि रास्ते में आने वाले हर पुलिसकर्मी को जान से मार देना है। बीते दिन पुलिस ने SDPI के 2 नेताओं को दंगों के मामले में गिरफ्तार किया था। वहीं SDPI के ज़िला सचिव का कहना था कि उनकी पार्टी के सदस्यों का दंगों से कोई लेना देना नहीं है। उनकी पार्टी से जुड़े लोगों पर झूठे आरोप लगा जा रहे हैं।
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भूतपूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साथ पाशा |
जिस पर अधिकारियों ने साफ़ तौर पर कहा कि वह भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जो ज़रूरी समझें, वह करें। वीडियो में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा, “आपको जो सही लगे वह करिए! इस समय आपको कोई और नहीं बचा सकता है। आपको अपनी सुरक्षा खुद से ही करनी होगी।” टीवी 9 कर्नाटक द्वारा प्रसारित इस वीडियो में साफ़ तौर पर देखा जा सकता है कि कैसे उग्र कट्टरपंथी मुसलमानों की भीड़ ने पूरे बेंगलुरु शहर को आग में झोंक दिया। राज्य सरकार ने इस मामले में न्यायिक जाँच के आदेश जारी कर दिए हैं।
न्यायिक जाँच का फैसला कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदुराप्पा, गृहमंत्री बसवराज बोम्मई और पुलिस अधिकारियों की बैठक में लिया गया था। इस जाँच की अगुवाई मजिस्ट्रेट करेंगे। बेंगलुरु के पूर्वी और उत्तर पूर्वी इलाक़ों में हुए इन दंगों में 3 लोगों की जान जा चुकी है। साथ ही कई लोग घायल भी हुए हैं।
कर्नाटक के गृहमंत्री बोम्मई ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा, “बेंगलुरु में हुई दंगों की न्यायिक जाँच होगी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के तमाम नीति-निर्देशों को मद्देनज़र रखते हुए पूरे घटनाक्रम की जाँच मजिस्ट्रेट की निगरानी में होगी। इस जाँच के बाद षड्यंत्र रचने वाले असल आरोपित सामने आएँगे।”
इस आगजनी के पीछे अयोध्या में राममंदिर की पीड़ा है, जिसे छद्दम धर्म-निरपेक्ष बन रही पार्टियों के हाथ होने से इंकार भी नहीं किया जा सकता, क्योकि इसमें स्थानीय कांग्रेस के नाम आ रहे हैं, जिन्हें सोनिया गाँधी द्वारा अब तक पार्टी से निष्कासित करना तो दूर, कोई कार्यवाही तक नहीं की गयी। क्योकि इतने वर्षों तक अयोध्या मुद्दे को लंबित रखने में वामपंथी, कांग्रेस और इनकी समर्थक पार्टियों का रहा है। देश और कोर्ट से सच्चाई छुपाकर भाजपा, विहिप, हिन्दू महासभा और अन्य हिन्दू संगठनों को साम्प्रदायिक करार कर बदनाम कर रहे थे।
मुसलमानों को मोहरा बनाकर फिरकापरस्ती करती पार्टियां
आखिर सच्चाई को लम्बे समय तक छुपाया नहीं जा सकता। आज जनता को समझना होगा कि साम्प्रदायिक कौन? अयोध्या मुद्दे पर कांग्रेस मुसलमानों को मोहरा बना फिरकापरस्ती फैलाती रही और पहले दिल्ली में आम आदमी पार्टी द्वारा हिन्दू विरोधी दंगे के बाद अब बेंगलुरु में कांग्रेस, और दोनों ही दंगों में मुसलमानों के ही कन्धों का सहारा। अगर यही घिनौना खेल भाजपा या किसी हिन्दू संगठन ने खेला होता, ये जितने भी छद्दम धर्म-निरपेक्ष हैं, आसमान को सिर पर उठा रहे होते। इनके प्रायोजित #not in my name, #intolerance, #freedom of speech, #award vapasi और गंगा-जमुना तहजीब आदि गैंगस्टर भी बाहर आकर अराजकता फैला रहे होते, अब सब खामोश हैं। अगर अभी भी मुसलमान ने आंख नहीं खोल वास्तविकता से आमने-सामने का साहस नहीं कर सकता, फिर मुसलमान को क्या जाये, खुद फैसला करे?
गंगा-जमुना तहजीब का क्या है औचित्य?
जब भी देश में साम्प्रदायिक दंगों में आरोपितों को पकड़ने की नौबत आने पर तुरंत गंगा-जमुना तहजीब का ढोल पिटना शुरू हो जाता है, और मुर्ख इस भ्रमित नारे की गूंज असली मुद्दे को दबाते आए हैं। यह किसी पर कोई आरोप नहीं कटु सच्चाई है, जिसे हर मानव को--साम्प्रदायिक को नहीं--मनन करना होगा, आत्मचिंतन करना होगा कि अगर इस इस नारे में वाकई सच्चाई है, फिर किस कारण अयोध्या मुद्दे पर झूठ बोला जा रहा था? क्यों कोर्ट से खुदाई में मिले मंदिर के हज़ारों सबूतों को छुपाया गया? क्यों पुरुषोत्तम श्रीराम को काल्पनिक बता गया? अगर राम काल्पनिक थे, फिर क्यों दशहरे के दिन रामलीला मंचन स्थल पर जाते थे? जो पार्टियां अपने ही देश के गौरवमयी इतिहास को धूमिल कर मुग़ल आक्रांताओं को महान बताकर पढ़ने के मजबूर कर रही हों, क्या उनसे देशहित की कल्पना की जा सकती है? अगर आज देश के सम्मुख वास्तविक इतिहास होता अयोध्या तो क्या काशी, मथुरा और अन्य स्थल बिना किसी अड़चन के ना जाने कब के सुलझ गए होता।
गजब गजब के नरेटिव बनाते हो तुम लोग। क्योंकि हिन्दू मूर्ख हैं ना... नही समझता तुम्हारे अल तकिये... तुम्हारे षड्यंत्र... तुम्हारी वामपंथी चालें.. कोई समझाए भी गर तो हिन्दू शुतुरमुर्ग की भांति जमीन में सिर घुसाए All is well करता रहेगा।
पहले आपत्तिजनक पोस्ट के विरोध में पूरा शहर जला दिया। 3 लोगो की जान ले ली। 60 से अधिक पुलिसकर्मी घायल, थाना फूंक दिया। लेकिन जब विरोध हुआ तो खुद को पाक साफ बताने के लिए गंगा जमुनी तहजीब दरिया में डुबकी लगाने का खेल शुरू कर दिया। जबकि दूसरी ओर कांग्रेस विधायक के भतीजे नवीन को कुत्ते की मौत मारने के लिए सोशल मीडिया पर खेल, क्या है ये ड्रामा? जनमानस कब इस गंगा-जमुनी तहजीब की सच्चाई जानेगा?
एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा हैं, जिसमे कुछ मुस्लिम युवक मानव-चैन बनाकर मन्दिर जलने से बचा रहे हैं। कट्टरपंथियों की हिंसा की खबरें दबाकर दक्षिण से लेकर उत्तर तक के न्यूज चैनलों में यही वीडियो चलाया जा रहा हैं। मुस्लिम कट्टरपंथियों की दंगाई, असहिष्णुता छोड़कर भाईचारे की खबरें चलाई जा रही हैं। इसे कहते है इकोसिस्टम.. कार्यप्रणाली..
हिंसा भी कर ली, जान भी ले ली, सुरक्षा तंत्र भी कमजोर कर दिया, गैर-मुस्लिमों के भीतर डर, ख़ौफ़, भय भी भर दिया और फिर मन्दिर जलने से बचाकर "भाईचारा", सौहार्द, गंगा-जमुनी तहजीब भी कायम कर ली। अब इस गंगा-जमुनी तहजीब को भ्रमित और धूर्त न कहा जाए तो क्या कहा जाए?
अवलोकन करें:-
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हिन्दू सिर्फ मासूम होता तो चल भी जाता, समझाया जा सकता था, लेकिन यहाँ तो हिन्दुओं की याददाश्त ही कमजोर है। पिछले वर्ष दिल्ली के लाल कुआँ स्वाँग को इतना शीघ्र भूल गए.. घूम-फिरकर वही...
शिकारी आएगा दाने का लालच देगा, जाल फैलाएगा, जाल में मत फंसना.. जाल में फंसा कबूतरी राग...इतने वर्ष अयोध्या में राममंदिर के बीच दीवार बना इकबाल अंसारी "साहब" हो गए.. फैज "रामभक्त" हो गया.. अंधों की बस्ती में आईने बाँटने वाले हम कौन? (एजेंसीज इनपुट्स सहित)
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