संविधान की मूल प्रति पर भगवान राम-सीता का चित्र

अयोध्या में भव्य राममंदिर के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आधारशिला रखे जाने से संविधान और लोकतंत्र की दुहाई देने वालों की निकलने वाली चीख-चिल्लाट का मुख्य कारण है कि इतने वर्षों से अपने आपको जनसेवक कहलवाने वाले दंगे आदि करवाकर देश में साम्प्रदायिकता फैलाकर मासूम जनता को गुमराह करते रहे, लेकिन अब निकट भविष्य में अपनी दुकान बंद होते देख रहे हैं। इन्हे जनता से कोई सरोकार नहीं विपरीत इसके दंगे करवाकर लाशों पर अपनी तिजोरियां भरना ही इनकी जनसेवा है।   
अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण से पहले केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संविधान की मूल प्रति में छपे एक स्केच को शेयर किया है। यह स्केच यानी तस्वीर भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या वापस लौटते समय की है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संविधान के मूल पन्नों की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, ‘भारत के संविधान की मूल प्रति में मौलिक अधिकारों से जुड़े अध्याय के आरम्भ में एक स्केच है जो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या वापसी का है।


रविशंकर प्रसाद इलाहाबाद हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक राम जन्मभूमि न्यास का पक्ष अदालत में पेश करते रहे है। संविधान की मूल प्रति में मौजूद ये स्केच छद्म सेकुलरों के मुंह पर तमाचा है। संविधान तैयार करते समय इसमें भारत की हजारों साल पुरानी संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए कई स्केच शामिल किए गए हैं। इस स्केच को नंदलाल बोस ने बनाया था। संविधान की मूल कॉपी में भगवान राम के साथ भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीर भी है।

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