श्रीनिवास आर्य
नई दिल्ली : श्री रामजन्मभूमि के केस को 1949 से ही लड़ कर उसमें सफलता का कीर्तिमान स्थापित करने वाली हिन्दू महासभा ने अब मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर अपना दावा करते हुए कहा है कि यह जन्मभूमि भी वैसे भी हिन्दू धर्म के पवित्र स्थलों में सम्मिलित है जैसे श्रीराम जन्मभूमि सम्मिलित रही है।इस संबंध में पार्टी की ओर से आहूत प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित बाबा नंदकिशोर मिश्र ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा हुआ प्रश्न है। जिसके ऐतिहासिक प्रमाण हिन्दू महासभा न्यायालय के समक्ष उचित समय पर प्रस्तुत करेगी। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि अयोध्या में श्रीराम जी के मंदिर के निर्माण के लिए बनाया गया ट्रस्ट पूर्णतया असंवैधानिक और अवैधानिक है। जिसकी बाबत प्रधानमंत्री श्री मोदी को भी अवगत करा दिया गया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि ट्रस्ट में पार्टी की ओर से कोई भी प्रतिनिधि न रखा जाना और उसके भूमि पूजन के समय पार्टी की ओर से किसी भी प्रतिनिधि को न बुलाया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
श्रीराम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को बताया अवैधानिक और असंवैधानिक , कहा – जाएंगे न्यायालय
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि श्रीराम मंदिर निर्माण ट्रस्ट में जिन संस्थाओं व संगठनों को स्थान दिया गया है उनका श्रीराम जन्मभूमि की मूल लड़ाई से कोई संबंध नहीं है । ऐसे में मूल पक्षकार को भूल जाना मोदी सरकार के लिए शूल के समान होगा।
पार्टी की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पार्टी के वरिष्ठ राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि के संबंध में अपील संख्या 236 (1921) एवं 276 (1920) में मथुरा के तत्कालीन जिला न्यायालय ने आदेश सुनाते हुए स्पष्ट किया था कि यह भूमि हिंदुओं की है। न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया था कि उक्त भूमि से ईदगाह का कोई लेना देना नहीं है। न्यायालय ने उस समय इस भूमि को राजा पत्नीमल के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी से खरीदी हुई भूमि होने के कारण हिंदुओं की भूमि सिद्ध किया था । 1928 में मुस्लिमों ने फिर इस भूमि पर ईदगाह की मरम्मत की कोशिश की तो उस समय फिर न्यायालय ने इस भूमि को राजा पत्नीमल के उत्तराधिकारीयों की भूमि माना और मुस्लिमों को ईदगाह की मरम्मत करने से रोक दिया।
श्री आर्य ने कहा कि 1944 में मालवीय जी की प्रेरणा से जुगल किशोर बिरला ने इस भूमि को ₹13400 में खरीद लिया था। 1946 में मामला फिर अदालत में गया तो फिर वही निर्णय आया और स्पष्ट किया गया कि यह भूमि अब ट्रस्ट की भूमि है। ऐसा ही निर्णय स्वतंत्र भारत में 1960 में भी दिया गया कि भूमि श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की है। श्री आर्य ने कहा कि ऐसे में अब यह आवश्यक हो जाता है कि 1944 में जितनी भूमि श्री जुगल किशोर बिरला जी द्वारा खरीदी गई थी सरकार उतनी ही भूमि पर हिन्दू समाज का कब्जा स्थापित कराए। श्री आर्य ने कहा कि अब तक कुल 6 बार न्यायालय ने हिंदुओं के पक्ष में आदेश दिए हैं।
इस अवसर पर पार्टी के राष्ट्रीय विधिक प्रभारी एवं वरिष्ठ अधिवक्ता इक्रांत शर्मा ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने सभी आवश्यक तथ्य , साक्ष्य व प्रमाणों को एकत्र कर लिया है और यदि आवश्यक हुआ तो उचित समय पर उन्हें न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर इस पवित्र भूमि को हिंदू समाज को दिलाने का कार्य पार्टी के दिशा निर्देश अनुसार करेंगे। इस अवसर पर पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय मंत्री विपिन खुराना ने पार्टी की इस संबंध में अब तक की गई कार्यवाही का ब्योरा दिया। उन्होंने बताया कि श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति के लिए राजेश मणि त्रिपाठी व वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन की ओर से भी कार्यवाही की गई है, जिसका हिंदू महासभा समर्थन करती है। पार्टी के विधिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष इक्रांत शर्मा ने पार्टी के विधिक कार्यों की जानकारी दी । जबकि राष्ट्रीय महामंत्री श्री एसडी विजयन ने पार्टी के सांगठनिक कार्यों के बारे में पत्रकारों को जानकारी दी। (फोटो अजय आर्य )
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