
जी न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, हैदर ने जाँचकर्ताओं को बताया है कि जामिया हिंसा के बाद पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों की योजना बनाई गई थी। उसने पुलिस को बताया कि केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 हटाने, सुप्रीम कोर्ट द्वारा बाबरी मस्जिद के फैसले और फिर CAA के लागू होने से उसके मन में गुस्सा और नफरत भर गया था और उसने सरकार के खिलाफ मुसलमानों को एकजुट करने के बारे में सोचा।
अनुच्छेद 370, CAA और बाबरी का गुस्सा
जरूरत पड़ने पर उसने केंद्र के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों के लिए तैयार रहने का भी आह्वान किया। आरोपित मीरान हैदर ने पुलिस को बताया कि वह खुद सभी राज्यों में सहायता जुटाने और सीएए-एनआरसी के खिलाफ लोगों को उकसाने के लिए गया था।
मीरान हैदर के अनुसार, दिसंबर 15, 2019 को JCC (जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी) का गठन किया गया। फिर इसी JCC के नाम से ही व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया गया, जिस पर आगे की प्लानिंग होने लगी। इसी ग्रुप में AAJMI ( Allumani Association of Jamia Milliya islamaiya) और कई छात्र संगठन भी शामिल थे।
मीरान हैदर ने दिल्ली पुलिस को बताया था कि जामिया विश्वविद्यालय के परिसर में भड़की हिंसा के बाद दंगों को लेकर साजिश रची गई थी। मीरान को दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन और दंगों के लिए भीड़ इकट्ठा करने के साथ ही अन्य व्यवस्थाओं की देखरेख करने का काम सौंपा गया था।
मुस्लिम बहुल क्षेत्र को चुना
उसने खुलासा किया कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों के लिए फंड उपलब्ध कराया था। हैदर ने खुद दंगों के लिए लगभग 5 लाख रूपए इकट्ठा किए थे। हैदर ने दिल्ली पुलिस को बताया कि दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों जाफराबाद और सीलमपुर को पहले दंगों के लिए चुना गया था, जिसके लिए मीरान और अन्य लोगों ने चाकू, पेट्रोल और पत्थर आदि इकट्ठा किए थे।
मीरान हैदर, जिसे UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था और न्यायिक हिरासत में है, ने दंगों से पहले एक रजिस्टर तैयार किया था, जिसमें उसने इस उद्देश्य के लिए एकत्रित किए जा रहे सभी फंड्स का रिकॉर्ड रखा था।
मीरान हैदर के मुताबिक दिल्ली में दंगा करवाने के लिए सबसे पहले दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट सीलमपुर और जाफराबाद को ही चुना गया था, क्योंकि मुस्लिम बाहुल्य इलाके में ऐसी गतिविधियाँ चलाना उन्हे ज्यादा आसान लगा। खुद हैदर ने लोगों से चाकू, पेट्रोल और पत्थर इकठ्टा करने के लिए कहा था।
जकात के धन से किए दिल्ली में दंगे
फंड्स की मदद से उसके निर्देश पर गैजेट्स खरीदे गए। हैदर ने बताया कि ‘ज़कात’ के रूप में जुटाए गए धन का उपयोग उसने पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगों के लिए किया गया था।
जकात से इकट्ठे किए धन से उपद्रव मचाने से एक बात उजागर हो रही है कि 'जकात सुंनते थे कि गरीब, असहाय और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को दिया है, लेकिन अब यह भ्र्म भी दूर हो गया और मालूम हुआ कि इसका उपयोग देश में अराजकता फ़ैलाने के लिए भी होता है।' इसका मतलब है कि गरीब और मजलूम कहे जाने वालों का दिमाग कितना शातिर है। आरोप सिद्ध हो रहे हैं मीरान हैदर के बयान से। अब देखना यह भी होगा कि जकात देने वालों ने तो जकात दे दी, और जेबों में कितना गया, यह जकात जमा करने वालों का ईमान। क्योकि ऐसे लोग बिना स्वार्थ के पत्ता भी नहीं छूने वाले।
रिपोर्ट्स के अनुसार, मीरान हैदर ने खुलासा किया कि दंगे की स्क्रिप्ट को 3 हिस्सो में बाँटा गया था- पहला प्रोटेस्ट, दूसरा रोड ब्लॉक और आखिर में भयानक दंगे। दिल्ली पुलिस को दिए अपने बयान में आरोपित मीरान हैदर ने बताया की वो दंगों के पहले से ही जेनयू (JNU) के पूर्व छात्र उमर खालिद और खालिद सैफी को जानता था।
मीरान हैदर ने दिल्ली पुलिस को बताया कि वह भी 2014 से 2017 तक आम आदमी पार्टी में था, लेकिन नगर निगम चुनाव लड़ने के लिए टिकट ना मिलने पर उसने 2017 में पार्टी छोड़ दी और राजद में शामिल हो गया।
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