राजस्थान में पुजारी बाबूलाल वैष्णव की हत्या के बाद भाजपा सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने गाँव में दिया धरना
भाजपा शासित उत्तर प्रदेश के हाथरस को आसमान को सिर उठाने वाले कांग्रेस शासित राजस्थान में हो रहे बलात्कार और हत्याओं पर क्यों खामोश हैं? आखिर ये दोगली सियासत क्यों? क्यों इस बेसिर-पैर की सियासत से जनता को भटकाया जा रहा है? महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं की हत्या पर भी ये ही ढोंगी समाज सेवक यानि सियासतखोर खामोश थे। इन कांग्रेस शासित राज्यों में हो रहे बलात्कार और हत्याएं न राहुल गाँधी को दिखाई देती हैं, न प्रियंका वाड्रा, न आम आदमी पार्टी को और न ही किसी भीम आर्मी को। जो पार्टी देख पार्टी देख न्याय की बात करे, वह जनहितैषी नहीं, बल्कि अराजक पार्टी है, जिसका प्रमाण सबके सम्मुख है।
राजस्थान के करौली स्थित बूकना गाँव में जमीन विवाद को लेकर एक पुजारी को ज़िंदा जला कर मार डाला गया था। अब राधा-गोविन्द मंदिर के मृतक पुजारी बाबूलाल वैष्णव के परिजनों ने विरोध में शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि जब तक राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार उनकी माँगें नहीं मानती, तब तक अंतिम संस्कार नहीं होगा। राजस्थान में पुजारी बाबूलाल की हत्या के मामले में प्रमुख अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया गया है।
इस घटना को लेकर बीजेपी की राज्य यूनिट भी पद्रेश सरकार पर हमलावर है। राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी के सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने बूकना पहुँच कर गाँव के सैकड़ों लोगों के साथ धरना दिया और राज्य की बिगड़ती क़ानून-व्यवस्था को लेकर अशोक गहलोत सरकार पर निशाना साधा। मृतक पुजारी के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा 6 बेटियाँ और एक बेटा है।
जिंदा जलाकर मार डाले गए पुजारी के परिजनों का अंतिम संस्कार से इनकार
मृतक पुजारी बाबूलाल की पत्नी विमला देवी ने राजस्थान सरकार से माँग की है कि सभी अभियुक्तों को फाँसी की सज़ा दी जाए, तभी इस मामले में न्याय हो पाएगा। परिजनों के एक रिश्तेदार ने परिवार के 5लिए 0 लाख रुपए और साथ ही बेटे के लिए सरकारी नौकरी की माँग की है। पुजारी बाबूलाल वैष्णव की हत्या के बाद राजस्थान स्थित करौली के बूकना गाँव पहुँचे सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने कहा:
“मैं सपोटरा के बूकना गाँव में हूँ। गाँव के सभी जातियों के पंच-पटेलों के साथ वार्तानुसार यह निर्णय हुआ है कि मृतक परिवार को हर स्थिति में न्याय मिलना चाहिए। अपराधियों को सख्त सजा होनी चाहिए। मैंने मृतक पुजारी बाबूलाल वैष्णव के परिवार की एक लाख रुपए की आर्थिक सहायता की है। जिम्मेदार लोगों को पीड़ित परिवार के साथ खड़े रहना चाहिए, जिससे समाज में ऐसे कुकृत्यों की पुनरावृत्ति नहीं हो। मैं बूकना में मृतक बाबूलाल वैष्णव को न्याय दिलाने के लिए उनके परिवार व पंच-पटेलों के साथ धरने पर बैठ गया हूँ। अशोक गहलोत सरकार अपनी नींद तोड़े और न्याय करे।”
मैं #बूकना में पीड़ित पुजारी परिवार और आस-पास के गांवों के पंच-पटेलों के साथ धरने पर बैठा हूं। सबने तय किया है कि @ashokgehlot51 सरकार जब तक मांगें नहीं मानेगी, तब तक पार्थिव देह का अंत्येष्टि-संस्कार नहीं होगा। यदि सरकार ने हठधर्मिता नहीं छोड़ी तो हम सब #जयपुर की ओर कूच करेंगे। pic.twitter.com/5zWn9KYbE7
— Kirodi Lal Meena (@DrKirodilalBJP) October 10, 2020
सपोटरा की तरह ही एक और घटना रात चाकसू के तीतरिया ग्राम पंचायत मैं हुई हैं।
— Rishiraj Mandawat (@im_rishi18) October 10, 2020
एक लडकें पर तेजाब डाली गई हैं, लडका अभी SMS जयपुर मैं भर्ती हैं।
मुख्यमंत्री @ashokgehlot51
जी, से निवेदन हैं सपोटरा की तरह जल्दी आरोपियों गिरफ्तार करके कानूनी कार्यवाही करें।
pic.twitter.com/0i5q3CPDif
Rajasthan: Family members of priest Babulal, who was allegedly burnt alive by land encroachers in Karauli’s Bukna village, refuse to perform last rites of his body till all their demands are met by state govt.
Main accused has been arrested since priest succumbed to his injuries pic.twitter.com/1hjPqxMCCQ
— ANI (@ANI) October 10, 2020
मौत से पहले बयान देते हुए पुजारी बाबूलाल ने बताया था कि मंदिर की जमीन पर कब्ज़ा करने की इच्छा रखने वाले अतिक्रमणकारियों ने पेट्रोल डाल कर उन्हें जला दिया। ये घटना बुधवार (अक्टूबर 7, 2020) की है। इस मामले में कैलाश, शंकर, रामलखन और नमो को आरोपित बनाया गया है, जो मंदिर की जमीन पर छप्पर डाल रहे थे। सपोटरा अस्पताल से जयपुर रेफर किए गए पुजारी की अक्टूबर 9 की शाम मौत हो गई।
मंदिर को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा था और इस मामले में हुई पंचायत में पंच पटेलों ने आरोपितों को अतिक्रमण न करने को कहा था। साथ ही मंदिर की भूमि से कब्ज़ा हटाने का भी आदेश दिया था। हालाँकि, आरोपितों ने बात नहीं मानी और कब्ज़ा करना जारी रखा। पुजारी ने जब रोका तो उनके ऊपर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दिया गया। ‘परशुराम सेना’ ने भी इस घटना पर आक्रोश जताया है।
7 सितम्बर 2020 को हुई पंचायत के बाद 100 ग्रामीणों ने पुजारी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए इससे सम्बंधित दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन आरोपितों ने उनकी एक न सुनी। भाजपा ने माँग की है कि सरकार को परिजनों की सहायता करनी चाहिए। साथ ही राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी को भी यहाँ आकर पीड़ित परिवार से मिलने को कहा है। इस मामले में 5 आरोपित अभी भी फरार चल रहे हैं।
स्थानीय लोगों ने ऑपइंडिया को बताया था कि इस इलाके में भीम आर्मी की हिन्दू-घृणा की मानसिकता को खूब फैलाया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप यह घटना हुई है। स्थानीय हिंदूवादी संगठन के लोगों ने ऑपइंडिया को बताया कि पंडित जी राधा-गोविन्द मंदिर की सेवा करते थे। पुजारी को मंदिर के नाम पर जमीन दान की गई थी और इसी जमीन पर 50 साल के पुजारी अपना घर बना रहे थे। भू-माफिया इस जमीन का अतिक्रमण करना चाहते थे।
पुजारी ने मरने से पहले बताया जलाने वाले का नाम, फिर भी आत्मदाह बताती रही पुलिस
राजस्थान के करौली जिला स्थित सपोटरा तहसील के बूकना गाँव में पुजारी बाबूलाल वैष्णव की मौत के मामले ने प्रदेश में हलचल मचा दी है। मामला वैसे तो सिर्फ एक जमीन से जुड़े विवाद का है, लेकिन यह मामला जिस जातीय विवाद की ओर जाता दिख रहा है, उसे रोका नहीं गया तो बात बिगड़ सकती है। जातीय विद्वेष की आग कई जगह फैलाने की कोशिशें चल रही है। ऐसे में यह मामला बाहरी तत्वों के हाथ में ना जाए- इसकी जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन और पुलिस की ही नहीं, वहाँ के स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भी है।
हालाँकि पूरे मामले में पुलिस-प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। ‘दैनिक भास्कर’ की खबर के अनुसार, प्रशासन इस मामले को शुरुआत में ‘आत्मदाह’ बताती रही। पुजारी ने मौत से पहले ही आरोपित कैलाश का नाम ले लिया था, बावजूद इसके उसे गिरफ्तार करने में पुलिस ने 24 घंटे का समय लगा दिया। लोगों की माँग है कि इस मामले के जाँच अधिकारी को भी हटाया जाए। शाम 6 बजे पुजारी का शव गाँव पहुँचा, जिसके बाद पीड़ित परिजनों ने दाह संस्कार से इनकार कर दिया।
तस्वीर भयावह है....लेकिन करौली में मंदिर के पुजारी के साथ कैसी दरिंदगी हुई यही सबसे बड़ा सबूत है..!!! pic.twitter.com/K5oSB5FtJF
— L.P. Pant (@pantlp) October 10, 2020
करौली की सपोटरा तहसील का बूकना गाँव करीब 5000 की आबादी वाला है। यहाँ एक राधाकृष्ण का मंदिर है, जो करीब 200 साल पुराना बताया जाता है। गाँव में 70 प्रतिशत लोग मीणा हैं। गाँव की पंचायत में भी इस इस समुदाय के कई लोग शामिल हैं। बूकना गाँव के इस मंदिर की सेवा पूजा काफी वर्षों से बाबूलाल वैष्णव ही करते आ रहे थे। यह मंदिर इस गाँव का ही नहीं, बल्कि आसपास के कई गाँवों की आस्था का केन्द्र है।
बूकना के पुजारी की गुजर-बसर के लिए गाँव के ही लोगों ने कुछ जमीन मंदिर के नाम कर रखी थी। इसी जमीन से सटती हुई कुछ जमीन और है, जो कुछ समय पहले तक एक पहाड़ी जैसी थी। मंदिर के पुजारी को वह जमीन उपयोगी लगी तो उन्होंने उसे समतल करवा लिया और गाँव की पंचायत बुला कर यह जमीन भी मंदिर के नाम कराने की सहमति ले ली। गाँव की पंचायत ने एकमत हो कर यह जमीन मंदिर के नाम करवा देने की सहमति दे दी।
पंचायत में कैलाश मीणा के परिवार ने इस फैसले का विरोध किया, लेकिन पंचों ने पुजारी के पक्ष में फैसला दिया। सात अक्टूबर को कैलाश मीणा और उसके परिवार के कुछ लोग जब इस समतल की हुई जमीन पर कब्जा करने पहुँचे तो पुजारी ने इसका विरोध किया और कहा कि पंचायत जमीन मंदिर को दे चुकी है तो अब तुम कब्जा क्यों कर रहे हो। इस बात को लेकर दोनो के बीच विवाद हुआ और गर्मागर्मी में ही कैलाश मीणा और इसके साथियों ने बाबूलाल वैष्णव पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी।
पुजारी के परिवार वालों और गाँव वालो ने उन्हें अस्पताल पहुँचाया, जहाँ से उन्हें जयपुर रेफर कर दिया गया और शुक्रवार यानी नौ अक्टूबर को उपचार के दौरान पुजारी की मौत हो गई। इस घटना के एक तथ्य में असमंजस है कि पुजारी ने स्वयं आत्मदाह किया अथवा कैलाश और उसके समर्थकों ने जलाया या कैलाश मीणा जो छप्पर बना रहे थे, बाबूलाल वैष्णव उसको आग लगाने गए और उसमें झुलस गए ।
गाँव से जुड़े लोग बताते हैं कि यह घटना सिर्फ एक जमीनी विवाद है और बिल्कुल अचानक हुई है। आरोपित कैलाश का परिवार भी गाँव का दबंग या रसूखदार परिवार नहीं है, बल्कि एक सामान्य परिवार है। परिवार या आरोपित का कोई अपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं बताया जाता है। आरोपित कैलाश मीणा पुलिस की गिरफ्त में आ भी गया है और जिले के पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा का कहना है कि पहले मामला धारा 307 में दर्ज किया गया था, लेकिन पीड़ित की मृत्यु के बाद धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया है। बाकी आरोपितों को पकड़ने के लिए पुलिस की छह टीमें लगाई गई हैं और वे भी जल्द ही पकड़ में आ जाएँगे।
स्थानीय विधायक रमेश मीणा ने भी इस घटना की निंदा की है और पीड़ित परिवार को सहायता देने की बात कही है। ऐसे में पुलिस और प्रशासन ही नहीं, बल्कि स्थानीय जनप्रतिनिधियो और स्वयं ग्रामीणों का इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि यह मामला ग्राम स्तर पर ही निपट जाए। मामले की निष्पक्ष जाँच हो और पीड़ित परिवार की सुरक्षा व मुआवजे की पूरी व्यवस्था कर दी जाए।
इस मामले में बाहरी तत्वों का हस्तक्षेप हो गया तो यह मामला गलत दिशा में चला जाएगा। प्रदेश जातीय विद्वेष की आग को हाल में डूंगरपुर में देख चुका है। ऐसे तत्व पूरे देश में इन मामलों अलग-अलग तरह से हवा दे रहे हैं। ऐसे में प्रशासन और स्थानीय समाज की सतर्कता बहुत जरूरी है। विशेषकर युवाओं के बीच ऐसे तत्व सक्रिय ना हों, इसका ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
इसमें कोई शक नहीं है कि पुजारी बाबूलाल वैष्णव की बहुत दुःखद मौत हुई है, इसलिए उनके परिवार की जो सहायता चाहिए, वह जरूर मिले, लेकिन यह मामला इससे आगे नहीं बढ़े, अन्यथा स्थितियाँ भविष्य के लिए गम्भीर हो सकती हैं।
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