कल जिन कृषि कानूनों का वादा किया था, आज उसी का विरोध क्यों कर रही AAP?

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) का पहले कुछ और रुख था, वहीं अब यूटर्न के बाद उसका रुख कुछ और ही है। दिसंबर 17, 2020 को दिल्ली विधानसभा में ड्रामेबाजी हुई, जहाँ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीनों कृषि कानूनों की प्रतियाँ सदन में ही फाड़ डाली। साथ ही तीनों कृषि कानूनों को ख़त्म करने की माँग करते हुए प्रस्ताव भी पारित किया।

कृषि कानून को लेकर समस्त मोदी विरोधी अपने ही बुने जाल में फंस कर सांप और छछूंदर वाली स्थिति में हैं। किसी भी पार्टी का घोषणा-पत्र देख को, सब ने इन्हीं सब बातों को लागु करने की बात करते आ रहे हैं, फिर विरोध क्यों? विरोध केवल इसलिए हो रहा है कि नरेन्द्र मोदी ने लॉलीपॉप देने की बजाए कानून ही बना कर किसानों की समस्त अड़चनों को दूर करने से इन सबको परेशानी हो गयी। जबकि मोदी विरोधी केवल लॉलीपॉप देकर किसानों को बेवकूफ बनाते रहे। 2014 में सरकार बनने के बाद से मोदी सरकार ने जितने भी बिल पारित किये या फिर कानून बनाए, सभी मुद्दे सभी पार्टियों के घोषणा-पत्रों में होने के बावजूद आढ़तियों के दबाव में किसी ने कोई प्रयास नहीं किया गया। 

अभी बिहार में हुए चुनावों से आप क्यों दूर रही? इतना ही नहीं मुस्लिमों का दम भरने वाली यही आप अपने उम्मीदवारों को आज़ाद उम्मीदवार क्यों उतारा? कारण स्पष्ट है, क्योकि इस पार्टी ने दिल्ली की जो हालत है, फिर कोरोना में रोहिंग्यों को बचाने प्रवासी मजदूरों को दिल्ली छोड़ने को मजबूर करने के कारण चुनावों से दूर रखा और अब उत्तर प्रदेश से विधान सभा के सभी सीटों पर लड़ने की कवायत शुरू कर दी है, जहाँ पहले भी जमानत जब्त होती रही है और फिर जब्त होगी। वैसे जमानत जब्त होने में आम आदमी पार्टी का कोई सानी नहीं। दिल्ली और पंजाब के अलावा किसी राज्य में इस पार्टी को शायद ही कोई उम्मीदवार जमानत जब्त न करवा पाया हो, अन्यथा सभी की बुरी तरह से जमानत जब्त होती है। 

अरविंद केजरीवाल ने ऐसा करते हुए कहा कि वे दुःखी और उदास हैं। उन्होंने दावा किया कि वे ऐसा नहीं करना चाहते थे, लेकिन सड़क पर ठण्ड में ठिठुरते प्रदर्शनकारी किसानों को वे धोखा नहीं दे सकते। उन्होंने खुद को पहले एक भारतीय और फिर एक सीएम बताते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा तीनों कृषि कानूनों को नकारती है। लेकिन, दिल्ली सरकार के इस रुख से लगता है कि AAP लगातार यूटर्न पर यूटर्न लेने में माहिर है।

सच्चाई ये है कि दिल्ली सरकार ने इन कृषि कानूनों को नवंबर 2020 में ही प्रदेश में नोटिफाई कर दिया था और ‘दिल्ली राजपत्र’ के जरिए अधिसूचना जारी कर दी थी। दिल्ली की AAP सरकार ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा था कि कि ‘यह किसी भी राज्य की APMC अधिनियम या अन्य कानून के लागू होने के समय प्रवृत्त या प्रलेख के प्रभाव में आने वाले समय में लागू होगा।’ जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मुद्दे को बताया तो केजरीवाल ने उन पर निशाना साधते हुए उन्हें केंद्र का साथी बता दिया।

अब केजरीवाल सरकार का एक और यूटर्न देखिए। 2017 में पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान AAP ने अपने घोषणा-पत्र में इसी तरह के कृषि कानूनों को लागू करने की बात कही थी। पार्टी ने न सिर्फ APMC में संशोधन करने की बात कही थी, बल्कि कृषि बाजार में प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी की वकालत की थी। AAP का दावा था कि इससे आईटी स्टार्टअप्स और इंडस्ट्रीज से किसानों को फायदा होगा। 2016 में AAP के एक एडवर्टाइजमेंट में हर जिले में भारी प्राइवेट निवेश के जरिए कृषि उत्पाद बेचने की व्यवस्था का वादा किया गया था।

अब पार्टी अपने ही वादों से पलट रही है, क्योंकि उसकी विरोधी पार्टी की सरकार ने किसानों के हित में इसे लागू कर दिया है। इससे पहले एंकर रुबिका लियाकत ने कृषि कानूनों को काला कानून बता रहे AAP नेता संजय सिंह से पूछा कि जब कृषि कानून किसान विरोधी है तो फिर दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में नवंबर 23, 2020 को नोटिफाई कर लागू क्यों किया? ये सवाल सुनते ही AAP नेता संजय सिंह बौखला गए और टीवी एंकर को जवाब देने के बजाय आक्रामक हो गए और उल्टा सवाल पूछने लगे कि क्या आप मोदी की पैरवी में बैठी हैं?

रुबिका लियाकत ने फिर से सवाल किया कि अगर यह काला कानून था तो फिर आखिर आम आदमी पार्टी ने इसे नोटिफाई क्यों किया? इस पर संजय सिंह ने टीवी एंकर को धमकाते हुए मोदी और अडानी तक का नाम बहस के बीच लेने लगे और ABP न्यूज़ चैनल को बिकाऊ कहने लगे। संजय सिंह ने रुबिका लियाकत पर आरोप लगा दिया कि वो मोदी के लिए काम कर रही हैं, मोदी का चैनल चला रही हैं और अडानी के साथ मिली हुई हैं। रुबिका ने भी जवाब दिया कि आप जिनकी गुलामी कर रहे हैं उनकी बात करिए, मैं देश की गुलामी कर रही हूँ, हिंदुस्तान की गुलामी कर रही हूँ।

कृषि कानून को लेकर अपने बयान पर आप नेता संजय सिंह हो रहे हैं ट्रोल

कृषि कानून को लेकर अपने बयान के कारण आप नेता संजय सिंह ट्रोल हो रहे हैं। राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कृषि कानून को लेकर कहा, ‘पूरा देश इस वक्त किसानों के आंदोलन के साथ है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा है कि हम सड़क से लेकर संसद तक किसानों के आंदोलन में उनका साथ देंगे। हमने इस बिल का सबसे पहले संसद के अंदर विरोध किया था।’ उन्होंने आगे कहा, ‘सरकार यह काला क़ानून अपने दो मालिकों के लिए लेकर आई है। एक का नाम है अडानी और दूसरे का नाम है अंबानी। यह क़ानून देश के किसानों के हित के लिए नहीं है।’

सोशल मीडिया पर इस बयान को लेकर संजय सिंह की किरकिरी हो रही है और यूजर्स लताड़ लगा रहे हैं।

जब जिसने बेशर्मी का चोला पहन रखा है, उससे क्या बात की जाए। दूसरे, जब लोग फिल्म देखने के लिए ब्लैकिये से टिकट खरीद उसको पैसे दे आगे बढ़ जाते हैं, उससे दोस्ती नहीं करते। वही स्थिति संजय सिंह के साथ अपनानी चाहिए, "आखिर संजय सिंह है तो टिकट ब्लैकिया।" और ब्लैकिया उस वक़्त ज्यादा परेशान होता है, जब जनता ब्लैक में टिकट खरीदने की बजाए घर वापस होती है। वास्तव में आम आदमी पार्टी ने ऐसे लोगों को पार्टी में रखकर यह प्रमाणित कर दिया है कि "आज समाज सेवा के नाम पर अपराधी राजनीति में राजशाही से रह रहे हैं। क्या सिनेमा पर टिकट ब्लैक करने वाले सम्मानित नागरिक कहा जाता है, क्योकि वह अपराधी होता है। उसकी मानसिकता अपराधी होती है।  

देखा जाए तो असली अपराधी अरविन्द केजरीवाल ही है, जो ऐसे अपराधी को राज्य सभा भेजा। क्या केजरीवाल को नहीं मालूम था कि संजय सिंह अपराधी है क्योकि टिकट ब्लैक करने वाला अपराधी होता है। उसकी बोली सम्मानित व्यक्ति की नहीं , एक अपराधी की होती है। जब अपराधी प्रवित्ति के लोग संसद एवं राज्य सभा में जाएंगे, विश्व में भारत की क्या छवि होगी, कभी सोंचा केजरीवाल ने? फिर वही बात आती है कि एक अराजक इतनी दूर की बात क्यों सोंचे?  

No comments: