अमानतुल्लाह की शिकायत पर दिल्ली पुलिस हरकत में; लेकिन योगी जी दिल्ली विधायक अमानतुल्लाह पर कार्यवाही कब?

                                      यति नरसिंहानंद सरस्वती (बाएँ), अमानतुल्लाह खान (दाएँ)
आम आदमी पार्टी (AAP) विधायक अमानतुल्लाह खान ने पैगंबर मोहम्मद पर कथित आलोचनात्मक टिप्पणियों के लिए डासना देवी मंदिर के प्रमुख पुजारी यति नरसिंहानंद सरस्वती की जुबान और गर्दन काटने की माँग की।
‘नरसिंहानंद की जुबान और गर्दन काट कर सजा देनी चाहिए…’: पैगंबर मोहम्मद की आलोचना पर AAP नेता अमानतुल्लाह
गाजियाबाद के डासना मंदिर के महंत स्वामी यति नरसिंहानंद सरस्वती के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार महेंद्र सिंह मनराल के अनुसार दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कथित तौर पर पैंगबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी कर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के आरोप में यह कार्रवाई की गई है।
दिल्ली पुलिस ने बताया कि इस वीडियो पर संज्ञान लेते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 153-A और 295-A के तहत पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यति नरसिंहानंद की टिप्पणी वाला यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल है।
इससे पहले आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक अमानतुल्लाह खान ने इस वीडियो को लेकर दिल्ली के जामिया नगर थाने में महंत के खिलाफ शिकायत की थी। अमानतुल्लाह खान ने ट्विटर पर वीडियो शेयर कर कहा था कि नरसिंहानंद की गुस्ताखी के लिए उनके ख़िलाफ़ जामिया नगर में लिखित शिकायत दर्ज कराई गई है।
ऐसे में ज्वलंत प्रश्न यह है कि आखिर दिल्ली पुलिस ने एक तरफ़ा कार्यवाही क्यों की? क्यों नहीं अमानतुल्लाह के विरुद्ध भड़काऊ बयान का संज्ञान लिया? खैर, क्या न्यायालय मुस्लिम लेखक अनवर शेख की पुस्तकों और मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट जे एस लोहत द्वारा 31 जुलाई 1986 को दिल्ली की एक कोर्ट द्वारा इसी विवाद पर दिए निर्णय का संज्ञान लेगी? 
http://indiafacts.org/court-ruling-ayats-quran-cause.../
Court Ruling: Some Ayats in the Quran cause Communal Riots | IndiaFacts
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Court Ruling: Some Ayats in the Quran cause Communal Riots | IndiaFacts
अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हिन्दू स्वयंसेवी संस्थानों आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद और हिन्दू महासभा आदि को भी दिल्ली विधायक के विरुद्ध एक हिन्दू नेता को धमकी देने के आरोप में कार्यवाही करनी चाहिए। 

अमानतुल्लाह खान ने यति नरसिंहानंद सरस्वती का इस्लाम की निंदा करता हुआ वीडियो शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा, “हमारे नबी की शान में गुस्ताखी हमें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं, इस नफ़रती कीड़े की ज़ुबान और गर्दन दोनों काट कर इसे सख़्त से सख़्त सजा देनी चाहिए। लेकिन हिंदुस्तान का कानून हमें इसकी इजाज़त नहीं देता, हमें देश के संविधान पर भरोसा है और मैं चाहता हूँ कि दिल्ली पुलिस इसका संज्ञान ले।”

अमानतुल्लाह के इस दो-मुखी बयान पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संज्ञान लेकर सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। अगर इन लोगों को अपने इस्लाम की बुराई पसंद नहीं, फिर किस आधार पर ये लोग हिन्दू देवी-देवताओं को अपमानित भाषा का प्रयोग करते हैं? दूसरे, शार्ली एब्डोलो द्वारा कार्टून पर शोर मचा सकते हैं, सलमान रश्दी और तस्लीमा के विरुद्ध हंगामा कर सकते हैं, लेकिन अनवर शेख के विरुद्ध बोलने अथवा फतवा देने का विश्व में किसी में साहस नहीं हुआ। जिनकी पुस्तकें इस्लाम और पैगम्बर को तार-तार किया है। दुनियां में हर धर्म के देवी-देवताओं पर शोध हुए हैं, जरुरी है इस्लाम पर भी शोध हुआ होगा, क्यों नहीं जगजाहिर किया जाता? यति नरसिंहानंद हो या कमलेश तिवारी इन्होंने उन्हीं तथ्यों को उजागर करने का प्रयास कर रहे हैं, जिस शोध को जनता से छुपाया जा रहा है। यदि अमानतुल्लाह के उकसाने पर किसी सिरफिरे ने यति का कमलेश तिवारी वाला हाल किया, इसका अंजाम इतनी दूर तक जाने की संभावनाएं हैं, कोई कल्पना भी नहीं कर पाएगा। केवल भारत ही नहीं विश्व में एक नयी बहस छिड़ जाएगी, जिसकी गूंज कट्टरपंथियों की रोटी ही नहीं रातों की नींद हराम कर देगा। (पढ़िए नीचे मीनाक्षीपुरम का कड़वा सच, जब कांग्रेस काल में हिन्दुओं का इस्लामीकरण किया गया था, लेकिन डॉ नसरुद्दीन कमाल परिवार सहित हिन्दू बन गया। )   

यति नरसिंहानंद सरस्वती प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। यहाँ उन्होंने पैगंबर मोहम्मद की असलियत को उजागर करने के लिए हिंदुओं से निडर होने का आग्रह किया। यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कहा:

“अगर इस्लाम की असलियत, जिसके लिए मौलाना कहते हैं कि अगर मोहम्मद के बारे बोला तो सिर काट देंगे… हिंदू ये भय अपने दिमाग से निकाल दें। हम हिंदू हैं। हम राम के चरित्र की मीमांसा कर सकते हैं, हम परशुराम के चरित्र की मीमांसा कर सकते हैं, तो हमारे लिए मोहम्मद क्या चीज है? हम मोहम्मद की मीमांसा क्यों नहीं करेंगे और क्यों सच नहीं बोलेंगे?”

उन्होंने आगे कहा, “अगर आज मोहम्मद का सच दुनिया के मुसलमान को चल जाए तो उसे अपने मुसलमान होने पर शर्म आएगी। क्योंकि भगवान हर इंसान के अंदर एक अंतरात्मा देता है, जिसे पता होता है कि क्या अच्छा है, क्या बुरा है और जब किसी इंसान को पता चलेगा कि वो केवल एक चोर, लुटेरे, बलात्कारी को, औरतों की सौदागरी करने वाले को फॉलो कर रहा था, तो उसे शर्म आएगी। ये तो हिंदुस्तान के घटिया नेता और नकली धर्मगुरु हैं, जिन्होंने इस्लाम जैसी गंदगी का महिमामंडन कर दिया। अगर इस्लाम के बारे में खुल कर बोला जाता तो आज हम मुसलमान को अपने मुसलमान होने पर शर्म आती। उसे शर्म आती कि वो हिंदुओं के खाने में थूक रहा है, उसे शर्म आती कि उसने अपने भाई जैस दोस्त की पत्नी और बेटी पर गंदी निगाह डाली।” 

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वैदेही और इस्लाम....

23 फरवरी 1981 का दिन था वह, जब तमिलनाडु के मीनाक्षीपुरम में डाँ० नसरुद्दीन कमाल अपने साथियों के साथ एक दलित परिवार को बंधक बनाए हुए थे। घर के सभी लोगों ने इस्लाम कबूल लिया था, घर के लोग ही क्यों लगभग एक हजार दलित धर्मांतरण करके जबरन मुस्लिम बनाए चुके थे। इसलिए मीनाक्षीपुरम का नाम बदलकर रहमतनगर रख दिया गया था।

यह दलित गिने के घर की कहानी है। उसकी 8 वर्ष की पोत्री थी वैदेही...वह किसी भी कीमत पर मुस्लिम बनने को तैयार नहीं हुई,

‘‘मै मर जाऊंगी लेकिन कलमा नहीं पढ़ूंगी,’’ उसने अपने दादा से कहा था, ‘‘बाबा आपने ही तो मुझे गायत्री मंत्र सिखाया था ना...आपने ही तो बताया था कि यह परमेश्वर की वाणी वेदों का सबसे सुंदर मंत्र है, इससे सब मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं, फिर मैं उन लोगों का कलमा कैसे पढ़ सकती हूं, जिन्होंने मेरे सहपाठियों का कत्ल कर दिया, क्योंकि वे भी मुस्लिम नहीं बनना चाहते थे।

हम ऐसे मजहब को कैसे अपना सकते हैं?, जिसे न अपनाने पर कत्ल का भय हो, मुझे तो गायत्री मंत्र प्रिय है जो मुझे निर्भय बनाता है।’’

''बेटी जीवन रहेगा तो ही धर्म रहेगा ना...जिद छोड दे और कबूल कर ले इस्लाम।'' बाबा ने अंतिम प्रयास किया था।

उसने बाबा से सवाल किया था, ''बाबा आपने एक दिन बताया था कि गुरु गोबिंद सिंह के दो बच्चे दीवार में जिंदा चिनवा दिए थे, लेकिन उन्होंने इस्लाम नहीं कबूला था, क्या मैं उन सिख भाइयो की छोटी बहन नहीं? जब वे धर्म से नहीं डिगे तो मैं कैसे डिग सकती हूं?''

‘‘दो टके की लड़की, कलमा पढ़ने से इंकार करती है,’ डाँ० नसरूद्दीन कमाल के साथ खड़े मौलाना नुरूद्दीन खान ने उसके बाल पकड़ते हुए चूल्हे पर गर्म हो रहे पानी के टब में उसका मुंह डूबा दिया था। पानी भभक रहा था, इतना गर्म था कि बनती भाप धुंए के समान नजर आ रही थी। बालिका के चेहरे की चमड़ी निकल गई थी एक बार ही डुबोते, चीख पड़ी थी, ‘‘भगवान मुझे बचा लो?’’

‘‘तेरा पत्थर का भगवान तुझे बचाने नहीं आएगा, अब तो इस्लाम कबूल ले लड़की, नहीं तो इस बार तुझे इस खोलते पानी में डुबा दिया जाएगा।’’ मौलवी ने कहा था, फिर उसके दादा ने भी कहा, ‘‘कबूल कर ले बेटी इस्लाम, हम भी सब मुसलमान बन चुके, तू जिंदा रहेगी तो तेरे सहारे मेरा भी बुढ़ापा भी कट जाएगा।’’

मौलवी ने चूल्हे के पास से मिर्च पाउडर उठाकर उसकी आंखों में भरते हुए और चेहरे पर मलते हुए कहा, ‘‘दूध के दांत टूटे नहीं, और इस्लाम नहीं कबूलेगी।’’

एक बार फिर तड़प उठी थी वह मासूम, पर इस बार भी यही कह रही थी, ‘‘नहीं मैं इस्लाम नहीं कबूल करूंगी।’’

मौलवी को भी क्रोध आ गया था, इस बार तो उसका सिर जलते हुए चूल्हें में ही दे डाला था। परंतु प्राण त्यागते हुए भी उस बालिका के मुख से यही निकल रहा था, ‘‘मैं इस्लाम नहीं कबूल करूंगी।’’

अंतिम बार डाॅक्टर नसरूद्दीन कमाल की ओर आशा भरी दृष्टि से देखा था, ‘‘मेरा धर्म बचा लो...डाॅक्टर साहब...पत्थर के भगवान नहीं आएंगे, आज से मैंने तुझे भगवान मान लिया...’’

अब उसमें कुछ नहीं रहा था, वह तो मिट्टी बन चुकी थी, डाँ० नसरूद्दीन कमाल भी तो धर्मांतरण करने वाले लोगों की मंडली में ही शामिल था, लेकिन उस बालिका ने पता नहीं उसमें क्या देखा कि विधर्मी से ही धर्म बचाने की गुहार लगा बैठी थी, उस असहाय बालिका का धर्म के प्रति दृढ़ निश्चय देखकर हृदय चीत्कार कर उठा था नसरूद्दीन कमाल का, ‘‘या अल्लाह ऐसे इस्लाम के ठेकेदारों से तो मर जाना अच्छा है।’’ वह घर की ओर भाग लिया था और डाँ० नसरूद्दीन कमाल पूरे दस दिन अपने घर से नहीं निकला, कुछ खाया पीया नहीं, बस उस बालिका का ध्यान बराबर करता और आंखों में आंसू भर आते उसके...गायत्री मंत्र का अर्थ जानने के लिए उसने एक किताब खरीदी, गलती से वह नूरे हकीकत यानी सत्यार्थ प्रकाश थी। उसने उसका गहराई से अध्ययन किया और 11 नवंबर 1981 को एक जनसमूह के सामने विश्व हिन्दू परिषद और आर्य समाज के तत्वावधान में अपने पूरे परिवार के साथ वैदिक धर्म अंगीकार कर लिया।

डाँ० नसरूद्दीन ने अब अपना नाम रखा था आचार्य मित्रजीवन, पत्नी का नाम बेगम नुसरत जहां से श्रीमती श्रद्धादेवी और तीन पुत्रियों शमीम, शबनम और शीरीन का नाम क्रमशः आम्रपाली, अर्चना और अपराजिता रखा गया।

15 नवंबर 1981 को आर्य समाज सांताक्रुज, मुंबई में उनका जोरदार स्वागत हुआ, जहां उन्होंने केवल एक ही बात कही, ‘‘मैं वैदेही को तो वापस नहीं ला सकता, लेकिन हिन्दू समाज से मेरी विनती है, मेरी बेटियों को वह अपनाए, वे हिन्दू परिवारों की बहू बनेंगी तो समझूंगा कि उस पाप का प्रायश्चित कर लिया, जो मेरी आंखों के सामने हुआ। हालांकि वह मैंने नहीं किया, लेकिन मैं भी दोषी था, क्योंकि मेरी आंखों के सामने एक मासूम बालिका की निर्मम हत्या कर दी गई।’’

आचार्य मित्रजीवन ने अपना शेष जीवन वेदों के प्रचार-प्रसार में लगा दिया, इसलिए उन्हें आज बहुत से लोग जानते हैं, उनकी पुस्तकें पढ़ते हैं, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि वे जन्म से मुस्लिम थे और यह तो कोई जानता ही नहीं कि वैदेही कौन थी?

साभार ......

वेद वृक्ष की छाया तले, पुस्तक का एक अंश

लेखिका फरहाना ताज

स्रोत : वैदेही के संदर्भ के लिए देखें 24 फरवरी 1981 इंडियन एक्सप्रेस

वैदिक गर्जना, मासिक पत्रिका 1982

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लोगों ने लगा दी अमानतुल्लाह और केजरीवाल की क्लास:-

इससे पहले भी अमानतुल्लाह खान ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन का बचाव करने के लिए ’मुस्लिम कार्ड’ खेला था। उसने उसके खिलाफ ढेर सारे सबूतों को अनदेखा करते हुए दावा किया कि उसे सिर्फ इसलिए सजा दी जा रही है क्योंकि वह मुस्लिम है। बता दें कि खान पर खुद CAA विरोध प्रदर्शनों के दौरान 15 दिसंबर, 2019 को दिल्ली में हिंसा भड़काने का आरोप है।

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