"सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं", यानि जब कृषि कानूनों की आड़ में मोदी विरोधियों द्वारा हुए जमावड़े पर प्रश्नचिन्ह लग रहे थे, तब उन्हें मोदी का अंधभक्त कहकर सम्बोधित किया जा रहा था। जनवरी 26 को जो हंगामा किया, मोदी विरोधी मोदी सरकार को आरोपित करते रहे, अब देखिए धीरे-धीरे सच्चाई सामने आनी शुरू हो गयी है। अब समय आ गया है कि मोदी को आरोपित करने वाले इन तथाकथित किसान आन्दोलनजीवियों से पूछो कि "बताओं इस आंदोलन में असली किसान कितने हैं? और किसान का चोला ओढ़े बहरूपिये कितने?
दिल्ली में पिछले कई महीनों से चल रहे किसान आंदोलन को लेकर सनसनीखेज खुलासा हुआ है। पता चला है कि दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे लोग किसान नहीं है, बल्कि किसान के भेष में विपक्षी दलों के लोग है। इसका खुलासा किसी और ने नहीं, बल्कि खुद को किसान नेता बताने वाले योगेंद्र यादव ने किया है।
माई नेम इज ख़ान, मेजर ख़ान: किसान आंदोलन ने अपना नायाब सूबेदार खो दिया
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) May 17, 2021
साथी तुम्हारे सपनों को
मंजिल तक पहुंचाएंगे... #FarmersProtest #MajorKhan pic.twitter.com/3pmeCBC07G
"मेजर खान" नहीं रहे।
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) May 17, 2021
लगते सरदार थे, लेकिन पैदाइशी मुसलमान थे।
अपनी जमीन नहीं थी, लेकिन पहले दिन से सिंघू बॉर्डर पर किसान मोर्चा में डटे थे।
आर्मी में 24 साल रहे, लेकिन कोई अकड़ नही।
चल बसे, लेकिन यकीन नहीं होता।
मेजर साहब, आपकी कड़क चाय का कर्ज कैसे उतारूं मैं? pic.twitter.com/1Obs7ofZQE
मीठा खा खा कर मोटे हो गए फ्री का माल बहुत ज्यादा था मेवा किशमिश बादाम भी था
— 🇮🇳🚩 Ajay 🚩 (@SnghAP) May 18, 2021
दरअसल दिल्ली सिंघु बॉर्डर पर धरना देने वाले मेजर खान नाम के एक शख्स की मौत हो गई है। फर्जी किसान नेता योगेंद्र यादव ने ट्वीट कर कृषि कानूनों के विरोध में धरना देने वाले मेजर खान के निधन पर शोक जताया है। मेजर खान आंदोलन की शुरुआत से ही दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
किसान आंदोलन में पर्दे के पीछे बड़ी भूमिका निभाने वाले रिटायर्ड नायब सूबेदार मेजर खान नहीं रहे।
— Kisan Ekta Morcha (@Kisanektamorcha) May 17, 2021
मेजर खान 26 नंवबर से सिंघु बॉर्डर पर थे, एक बार भी घर नहीं गए। एक जिंदादिल इंसान, जिन्होंने हर किसी का दिल जीता
हमारे संघर्ष की जीत मेजर खान समेत सभी शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी pic.twitter.com/czaAt9T6Ry
अब भी पर्दे के पीछे ही रहने देते क्यु बेचारे को पर्दे के आगे करदिया
— sanjeev yadav (@sanjeev59908560) May 18, 2021
आखिर खुद ही खोल दिया राज। सरदार की पगड़ी में खान। ये भी बिल्कुल वैसा ही है जैसे किसान की भेस में योगेंद्र।
— T N (@tawde_1) May 17, 2021
लेकिन योगेंद्र यादव ने अपने ट्वीट में बताया है कि सिर पर पगड़ी पहनने वाले मेजर खान कोई सरदार नहीं थे, बल्कि मुसलमान थे और सबसे बड़ी बात उनके पास जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं था। मतलब साफ है कि वो किसान भी नहीं थे। योगेंद्र यादव के इस ट्वीट से स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली की सीमाओं पर जो लोग कृषि कानून के विरोध में जाम लगाकर बैठे हैं वे किसान ही नहीं है।
जाहिर है कि पहले भी इसके सुबूत सामने आ चुके हैं कि दिल्ली की सीमाओं पर जो धरना दे रहे हैं वो किसान नहीं बल्कि बिचौलिये, आढ़तिए और विपक्षी दलों के कार्यकर्ता हैं। क्योंकि जो असली किसान होगा, वो महीनों तक अपने खेत छोड़कर कहीं आंदोलन कर ही नहीं सकता। यानि दिल्ली की सीमाओं पर जो प्रदर्शन कर रहे है, वो किसान नहीं है। और तो और जो पगड़ी पहने सरदार दिखाई दे रहे हैं वो सिख नहीं है, बल्कि मुसलमान हैं
इस सच्चाई की पुष्टि अब इस आंदोलन की अगुवाई करने वाले योगेंद्र यादव ने भी कर दी है। अब आप समझ सकते हैं कि कृषि कानून के विरोध को लेकर कितनी गरही साजिश रची गई है।
No comments:
Post a Comment