दिल्ली की सीमाओं पर बैठे लोग नहीं हैं किसान : आन्दोलनजीवी योगेंद्र यादव का खुलासा

"सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं", यानि जब कृषि कानूनों की आड़ में मोदी विरोधियों द्वारा हुए जमावड़े पर प्रश्नचिन्ह लग रहे थे, तब उन्हें मोदी का अंधभक्त कहकर सम्बोधित किया जा रहा था। जनवरी 26 को जो हंगामा किया, मोदी विरोधी मोदी सरकार को आरोपित करते रहे, अब देखिए धीरे-धीरे सच्चाई सामने आनी शुरू हो गयी है। अब समय आ गया है कि मोदी को आरोपित करने वाले इन तथाकथित किसान आन्दोलनजीवियों से पूछो कि "बताओं इस आंदोलन में असली किसान कितने हैं? और किसान का चोला ओढ़े बहरूपिये कितने?
दिल्ली में पिछले कई महीनों से चल रहे किसान आंदोलन को लेकर सनसनीखेज खुलासा हुआ है। पता चला है कि दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे लोग किसान नहीं है, बल्कि किसान के भेष में विपक्षी दलों के लोग है। इसका खुलासा किसी और ने नहीं, बल्कि खुद को किसान नेता बताने वाले योगेंद्र यादव ने किया है।

दरअसल दिल्ली सिंघु बॉर्डर पर धरना देने वाले मेजर खान नाम के एक शख्स की मौत हो गई है। फर्जी किसान नेता योगेंद्र यादव ने ट्वीट कर कृषि कानूनों के विरोध में धरना देने वाले मेजर खान के निधन पर शोक जताया है। मेजर खान आंदोलन की शुरुआत से ही दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

लेकिन योगेंद्र यादव ने अपने ट्वीट में बताया है कि सिर पर पगड़ी पहनने वाले मेजर खान कोई सरदार नहीं थे, बल्कि मुसलमान थे और सबसे बड़ी बात उनके पास जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं था। मतलब साफ है कि वो किसान भी नहीं थे। योगेंद्र यादव के इस ट्वीट से स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली की सीमाओं पर जो लोग कृषि कानून के विरोध में जाम लगाकर बैठे हैं वे किसान ही नहीं है।

जाहिर है कि पहले भी इसके सुबूत सामने आ चुके हैं कि दिल्ली की सीमाओं पर जो धरना दे रहे हैं वो किसान नहीं बल्कि बिचौलिये, आढ़तिए और विपक्षी दलों के कार्यकर्ता हैं। क्योंकि जो असली किसान होगा, वो महीनों तक अपने खेत छोड़कर कहीं आंदोलन कर ही नहीं सकता। यानि दिल्ली की सीमाओं पर जो प्रदर्शन कर रहे है, वो किसान नहीं है। और तो और जो पगड़ी पहने सरदार दिखाई दे रहे हैं वो सिख नहीं है, बल्कि मुसलमान हैं

इस सच्चाई की पुष्टि अब इस आंदोलन की अगुवाई करने वाले योगेंद्र यादव ने भी कर दी है। अब आप समझ सकते हैं कि कृषि कानून के विरोध को लेकर कितनी गरही साजिश रची गई है।

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