नाथूराम गोडसे पर महेश मांजरेकर द्वारा नाथूराम गोडसे पर फिल्म निर्मित करने का बहुत ही साहसिक निर्णय लिया है। उनके इस निर्णय से तुष्टिकरण पुजारियों, छद्दम धर्म-निरपेक्षों और सेक्युलरिस्ट्स के पेटों में मरोड़ होना स्वाभाविक है। नाथूराम गोडसे को आतंकवादी या हत्यारा कहने से पहले किसी ने कोर्ट में दर्ज 150 बयान पढ़ने की हिम्मत नहीं दिखाई। शायद विश्व में गोडसे का ही ऐसा इतिहास है कि उन्हें माइक से अपने 150 बयान पढ़कर सुनाने की कोर्ट ने इजाजत दी थी। उनका कोर्ट में कहना कि कोर्ट या कोर्ट से बाहर जमा इन हजारों की भीड़ को क्या मालूम कि "मैंने गाँधी को क्यों मारा?" जिन्हें सुन जस्टिस खोसला ने कहा था कि "अगर जनता को जज बना दिया जाये तो सब ये ही कहेंगे कि नाथूराम गोडसे निर्दोष हैं।" मांजरेकर को गोडसे पर फिल्म कई दशक पूर्व ही निर्मित कर सच्चाई को जनता के सम्मुख रख देना चाहिए था। गोडसे की आलोचना करने वालों को अदिति शर्मा के ट्वीट में दिए नक़्शे को गंभीरता से देखना होगा। नागरिकत संशोधक कानून के विरोध में लगे शाहीन बागों के याद है, भारत का चिकेन नैक अलग की बात। वह गाँधी के अरमानों को धीरे-धीरे पूरा करने की योजना थी।
![]() |
| गोडसे के पक्ष में लिखित श्रृंखला का एक पृष्ठ |
गोडसे को हत्यारा कहने वालों को शायद नहीं मालूम कि गाँधी की जीवन लीला समाप्त कर पाकिस्तान के बाद भारत का एक और टुकड़ा होने से रोका था। गोडसे के बयानों को पढ़ने उपरांत शायद ही कोई नाथूराम गोडसे को हत्यारा कहेगा। गाँधी की जीवनलीला समाप्त कर गोडसे का कद गाँधी से कहीं ज्यादा ऊँचा हो गया, लेकिन कुर्सी के भूखे नेताओं ने वास्तविकता को जनता के सामने नहीं आने दिया। दूसरे, गोडसे को हत्यारा कहने वालों को कांग्रेस से पूछना चाहिए कि जब गोलियां लगने के 40 मिनट तक गाँधी के जीवित रहते किसी हस्पताल में क्यों नहीं ले जाया गया? क्या तत्कालीन कांग्रेस नेता भी गाँधी की हरकतों से परेशान होकर छुटकारा पाना चाहते थे? फिर सच्चाई उजागर होने के डर से क्यों इन तुष्टिकरण पुजारियों, छद्दम धर्म-निरपेक्षों-सेक्युलरिस्ट्स ने क्यों 150 बयानों के सार्वजनिक होने पर प्रतिबन्ध लगाया?
आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता संजय सिंह ने 3 अक्टूबर, 2021 को पीएम मोदी से सवाल किया कि क्या उन्होंने नाथूराम गोडसे पर बायोपिक बनाने की इजाजत दे दी है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “मोदी जी के जीवन पर फ़िल्म बनाने वाले फ़िल्म निर्माता अब बापू की हत्या करने वाले आतंकवादी गोडसे को महिमामंडित करने की होशियार कोशिश के तहत ‘गोडसे’ पर फ़िल्म बनाने जा रहे हैं। ये फ़िल्म का पोस्टर है। मोदी जी क्या आपने ये फ़िल्म बनाने की इजाज़त दी है?”
पीएम मोदी से सवाल करने के पीछे संजय सिंह का लॉजिक यह था कि फिल्म के निर्माताओं में से एक संदीप सिंह ने 2019 में पीएम मोदी की बायोपिक बनाई थी। उल्लेखनीय है कि किसी फीचर फिल्म या बायोपिक को बनाने के लिए किसी भी मेकर्स को प्रधानमंत्री से अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है, जब तक कि यह सीधे तौर पर उनकी जिंदगी से जुड़ा हुआ न हो। फिल्म रिलीज के लिए तैयार हो जाने के बाद निर्माता सेंसर बोर्ड से संपर्क करते हैं और सर्टिफिकेट लेते हैं, ताकि फिल्म भारत में रिलीज हो सके। मगर संजय सिंह इस बायोपिक के बारे में इसकी टीम से पूछने की बजाय पीएम मोदी से सवाल कर रहे हैं।
मोदी जी के जीवन पर फ़िल्म बनाने वाले फ़िल्म निर्माता अब बापू की हत्या करने वाले आतंकवादी गोडसे को महिमामण्डित करने की होशियार कोशिश के तहत “गोडसे” पर फ़िल्म बनाने जा रहे हैं।
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) October 3, 2021
ये फ़िल्म का पोस्टर है।
मोदी जी क्या आपने ये फ़िल्म बनाने की इजाज़त दी है? pic.twitter.com/FqzeEpdDJG
संजय के ट्वीट के बाद से लोगों ने लगा दी क्लास:-
ये टिकट ब्लेक करने को बेताब है @SanjayAzadSln की पार्टी चुनाव केसे लड़ेगी उत्तर प्रदेश में जब तक टिकट बेच कर पैसा ना होगें
— kuldeep vyas (@Kuldeep0968) October 3, 2021
इस भैंसे की सी शक्ल वाले से ये पूछो कि लाखों हिन्दूओं के हत्यारे बर्बर, रक्तपिपासु, जाहिल, डकैत, हिन्दू संस्कृति के विध्वंसक, अकबर, टीपू सुल्तान, खिलजी, नक्सली इसके बाप लगते हैं क्या, उन पर किसकी इजाजत से फिल्म बनी। आ गया पूछने मोदी जी किसके आदेश से फिल्म बन रही है।
— Aashutosh singh (@Aashutoshsing11) October 4, 2021
Kyu bhai ब्लैकिए agar अकबर पर बन सकती है खिलजी पर बन सकती है टीपू सुल्तान पर बन सकती है तो गोडसे पर क्यू नही बन सकती।क्या उन फ़िल्मों में इन मुगल शासकों को महिमा मंडन करके महान नही बताया गया था
— Yugaansh Tyagi (@Yugaansh1) October 3, 2021
दे दी हमें आजादी, बिना खडग बिना ढाल.. ये जुमला उतना ही सही है जितना 'आतंकवाद का कोई मजहब नही होता' वाला जुमला.
— Sunny Singh Hindusatani (@SunnySinghHind1) October 3, 2021
ये दोनों जुमले दोगले नेता देश के सनातनियों पर थोपना चाहते थे लेकिन जनता इन दोनों जुमलों की सच्चाई जान गई
भगत सिंह, सुभाष बाबू, उधमसिंह जैसे राष्ट्रवीरों को वारंवार नमन
नाथूराम गोडसे जी ने यदि मोहनदास गांधी को 25 वर्ष पहले ही मार दिया होता तो भारत का विभाजन ही नहीं होता । कड़वा है किंतु सत्य है
— अन्नू पांडेय (@hIPyinJNwNpgaTQ) October 3, 2021
अभिव्यक्ति की आजादी का नाम सुना है तूने? कहां से सुना होगा...तुझे तो टिकट......!!
— मनोज हूं... (@alochak_manoj) October 3, 2021
.
खैर...
.
अभिव्यक्ति आजाद है! जब हमारे देवी-देवताओं पर घटिया फिल्म बनती है तब कहां चला जाता है तूं? तब यही कहता है ना कि अभिव्यक्ति आज़ाद है?
.
वैसे, दूसरा पक्ष जानने का हक है सबको, बनने दें फिल्म!
गेंडा टिकट ब्लेकिया सुल्तानपुर का गुंडा इसने अपनी गुंडई संसद मे भी दिखाई इस हलाला की पैदाईश ने सिद्ध कर दिया ये कल भी गुंडा था आज भी और कल भी ये गुंडा ही रहेगा इन गुंडी की टीम का लीडर केजू
— avinash Kumar (@avinash28373987) October 3, 2021
संजय सिंह टिकट ब्लैक के आरोप का कोई जबाव क्यों नहीं देते?
— Sureshsrivastava (@Sureshs65998920) October 3, 2021
अब ये इसकी टिकट भी ब्लैक में बेचने आएगा😂😂😂😂
— शैतान बालक (@alexriley121212) October 3, 2021
गांधी जी लोकतंत्र समर्थक थे🤣
— BJP Voter. #FreeHinduTemples from govt control. (@brjkumar1) October 3, 2021
पर पार्टी अध्यक्ष के चुनाव पर जीते हुए सुभाष चन्द्र बोस के स्थान पर अपनी मर्जी वाला नेहरू बैठा देते थे
ओर प्रधानमंत्री के चुनाव में बहुमत से पास सरदार पटेल के स्थान पर अपनी मर्जी बाला नेहरू को बैठा देते थे
सच्चा बाला लोकतंत्र जो बापू को पसंद था😉 pic.twitter.com/PWOr4X0VY3
अबे!...एहसान किया है गोडसे जी ने भारत पर..नहीं तो
— अदिति शर्मा (@SHARMAIN_19) October 3, 2021
इस गांधी ने भारत की लुटिया पूरी तरह डुबो देनी थी.इतना ही राष्ट्रवादी था तो कह देता कि भारत के टुकड़े नहीं होने दूंगा..चाहे मुझे मार दो..भगतसिंह ने भी तो देश के लिए मौत चुन ली थी..टुकड़े करके बांट देते हैं देश को बाप का माल समझकर pic.twitter.com/hFrBpqKM82
मुद्दों और दिमाग़ की कमी बहुत ज़्यादा है ! केजरुद्दीन की पार्टी में ! pic.twitter.com/nLXgcyQTYe
— NARENDRA GAREWAL (@Being_HINDU108) October 3, 2021
संजय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता क्या केवल केजरीवाल और टीम के लिए है क्या?
— ADV. Sumit Singh (@adv_sumit_singh) October 3, 2021
PFI से पैसा लेकर दिल्ली में दंगा करवाओ दिल्ली को शाहीनबाग बनवाया अब दिल्ली को जो लोग फर्जी किसान बनकर आंदोलन कर उसके साथ वोट बैंक का गणित लगाओ, यह पब्लिक है सब जानती है, वैसे अन्ना हजारे जी को कहाँ छोड़ दिये
फिल्म की घोषणा फिल्म निर्माता महेश मांजेरकर ने गत गाँधी जयंती पर की थी। उन्होंने ट्वीट किया, “नाथूराम गोडसे की कहानी हमेशा मेरे दिल के करीब रही है।” गोडसे पर आने वाली फिल्म का निर्माण लीजेंड ग्लोबल स्टूडियो और थिंकइंक पिक्चर के बैनर तले किया जाएगा। फिलहाल, फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी जा रही है और इसके 2022 के सेकेंड हाफ में रिलीज होने की उम्मीद है।”
प्रेस रिलीज में मांजरेकर ने कहा, “इस तरह की फिल्म का समर्थन करने के लिए काफी साहस चाहिए। मैं हमेशा कठिन विषयों और बिना समझौता किए कहानी कहने में विश्वास करता हूँ। लोग गोडसे के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, सिवाय इसके कि वह गाँधी पर गोली चलाने वाले व्यक्ति थे। उनकी कहानी बताते हुए हम न तो किसी को संरक्षण देना चाहते हैं और न ही किसी के खिलाफ बोलना चाहते हैं। हम इसे दर्शकों पर छोड़ देंगे कि कौन सही है या गलत।” मांजरेकर ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में भी यह बातें लिखी।
वहीं संदीप सिंह ने कहा, “नाथूराम गोडसे की कहानी वह है जिसे मैं अपनी पहली फिल्म बनाने के बाद से बताना चाहता था। यह एक अनकही कहानी है, जिसे सिनेमा प्रेमियों के सामने पेश किया जाना चाहिए। गोडसे और गाँधीजी के बारे में कहानियों के विभिन्न संस्करण हैं। महेश, राज और मेरा इरादा तथ्यात्मक कहानी को सामने लाने का है और इस तरह आज की पीढ़ी के लिए भूले-बिसरे इतिहास के पात्रों की सिनेमाई कृति सामने लाना है।”
अवलोकन करें:-
राज शांडिल्य ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में नाथूराम गोडसे के बारे में जानने में एक नई दिलचस्पी पैदा हुई है। साथ ही, हम ऐसे समय में रह रहे हैं जहाँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विभिन्न दृष्टिकोणों और विचारों को प्रोत्साहित किया जाता है। इसलिए, हमें लगता है कि नाथूराम गोडसे पर फिल्म लाने का यह सही समय है।”
उल्लेखनीय है कि 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने मोहनदास करमचंद गाँधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। गोडसे को 15 नवंबर 1949 को फाँसी पर लटका दिया गया था।





No comments:
Post a Comment