क्या सनातन विरोध की जड़ में कांग्रेस? “बेलगाम” राम विरोधियों मत भूलो राम भक्त भी बेलगाम हो सकते हैं

 

सुभाष चन्द्र

सनातन धर्म की विरोध की जड़ में कांग्रेस और समूचा “सेकुलर” विपक्ष है और उसकी प्रेणास्त्रोत सोनिया गांधी है जिसका हिन्दू धर्म के विरुद्ध अभियान शुरू हुआ था “साम्प्रदायिकता हिंसा बिल, 2012” से।  

आज राहुल “कालनेमि” खुल कर हिन्दू और हिंदूवादियों को ख़त्म करने की बात करता है, भारत माता पर सवाल खड़ा करता है, हिन्दू धर्म का अपमान करने वाले ईसाई पादरी पोनैया से प्रवचन सुनता है। DMK खुल कर सनातन धर्म को मलेरिया डेंगू और कोढ़ बता कर उसे ख़त्म करने की बात करती है और कांग्रेस उसके साथ गठबंधन में है 

चाहे स्वामी प्रसाद मौर्य का सनातन धर्म के खिलाफ विषवमन हो या लालू यादव के पोस्टर में राम मंदिर को गुलामी का प्रतीक कहा जाए, सोनिया गांधी या कांग्रेस का कोई नेता मुंह से एक शब्द विरोध में नहीं बोलता। लालू यादव चुप है, अखिलेश यादव स्वामी प्रसाद के बयानों को निजी राय बता कर पल्ला झाड़ लेता है। 

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तेजस्वी यादव कहता है कि मन्दिर जाने से किसी भूखे का पेट नहीं भरता, कोई पंडित इलाज नहीं करता। 

इस तरह की सनातन विरोधी बकवास सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों को खुश कर उनकी वोट लेने की होड़ में दिए जा रहे हैं। लेकिन ये सनातन विरोधी भूल रहे हैं कि मुसलमान भी इन सनातन विरोधियों को ही नहीं बल्कि अपने ही मजहब में कट्टरपंथियों की दूषित मानसिकता को समझने लगी है। हालांकि उनका अनुपात लगभग शून्य ही है। और जिस दिन इनका अनुपात बढ़ गया, यही कौम इनके लिए जी का जंजाल बनने वाली है। हिन्दू से ज्यादा उग्र यही कौम होगी। राम मन्दिर बनने से मुसलमानों में यह बात घर कर रही है कि निर्णय देते समय मुसलमानों को भी मस्जिद के लिए जगह दी थी, हिन्दू तो अपना मंदिर बना रहे हैं, लेकिन मस्जिद का कोई अतापता नहीं।   

कल शरद पवार के प्यादे जीतेन्द्र आह्वाड ने सभी सीमाएं लांघ कर भगवान राम का मान मर्दन किया लेकिन शरद पवार चुप है। MVA का कोई भी नेता बोलने को तैयार नहीं है। हालांकि अब सनातन प्रेमियों दे बढ़ते विरोध के कारण माफ़ी मांग ली है। क्योकि जो विष उगलना था, उगल दिया।

बड़ा सीधा सा सवाल है कि आप यदि भगवान राम, सनातन धर्म और हिन्दुओं के अपमान करने के लिए “कानून हाथ में लेकर” आग उगल सकते हो तो जो राम भक्त आपकी बातों से आहत होते हैं, वो क्या कानून हाथ में लेकर आपका न्याय सड़कों पर नहीं कर सकते या उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। सनातन पर नितरोज हो रहे प्रहारों को पुलिस, सरकार और कोर्ट सभी चुप्पी साधे हुए हैं, क्यों? क्या ये सब सनातनियों के धैर्य के टूटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। 

एक किस्सा याद कीजिए जब 2015 में फ्रांस में चार्ली हेब्डो मैगज़ीन में इस्लाम के विरुद्ध एक कार्टून छप गया था तब किस तरह की प्रतिक्रिया हुई थी। और ऐसे ही मामले दुनिया और भारत में न जाने कितने हो चुके हैं। तस्लीमा नसरीन के नॉवल पर किस तरह आगजनी की गई थी, यह सबको याद होगा

परंतु हिन्दू विरोधी अपनी “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” की आड़ में हिन्दुओं के खिलाफ पूरी तरह बेलगाम हुए अनाप शनाप बकवास करते है। They are streching the limits of tolerance of Hindus लेकिन भूल जाते हैं कि यदि उनकी भी सहनशीलता की एक सीमा है और वे अगर उस सीमा को तोड़ कर सड़कों पर उतर आए तो क्या हो सकता है

सबसे बड़ी समस्या है कानूनी प्रक्रिया में लेटलतीफी की जिसकी वजह से ऐसे लोग बचे रहते हैं क्योंकि उन्हें पता है वर्षों तक कुछ नहीं होने वाला। जो लोग अपनी कौम के अपमान को सहन नहीं करते, वो हाथों हाथ हिसाब चुकता कर लेते हैं

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अब शायद समय आ गया है जब हिन्दुओं को भी अपने आराध्य और अपने धर्म का अपमान करने वालों को तुरंत जवाब देने के लिए तैयार होना होगा। Enough is Enough - सारा कलेश मुस्लिम वोट बैंक का है जिसका जवाब देने के लिए हिन्दुओं को और संगठित होना होगा

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