कर्नाटक : चोरी की 10+ घटनाओं के नाबालिग अपराधी को सुधारने के लिए कर्नाटक पुलिस ने जमात के पास क्यों भेजा? 3 दिन में भाग गया

                                                                                                                 साभार: ABP & Justdial
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में पुलिस ने एक नाबालिग अपराधी को सुधरने के उद्देश्य से 30 दिनों के लिए जमात में भेजा। वह नाबालिग यहाँ सुधरने के बजाय तीन दिनों में ही जमात के पास से भाग गया। बताया जा रहा है कि यह नाबालिग आदतन अपराधी था और इसके 10 से अधिक मामलों में जुड़े होने की जानकारी है।

अब चर्चा यह है कि आदतन अपराधी को जमात में क्यों भेजा? अगर जमात में भेजने से अपराधी सुधरते हैं, फिर जेलों को बंद क्यों नहीं किया जाता? आखिर इस अनोखे निर्णय का असली खलनायक कौन? क्या अप्रत्यक्ष रूप से कर्नाटक सरकार शरीयत लागु कर रही है?  

डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ दिन पहले बेंगलुरु पुलिस ने इस लड़के को गिरफ्तार किया था। यह नाबालिग लगातार कई अपराध में संलिप्त रहा था। हमेशा नई तकनीक का सहारा लेने वाली बेंगलुरु पुलिस ने इस बार सुधार लाने के लिए इसे जमात के पास भेजा, ताकि वह वहाँ दीन से प्रभावित होकर अपराध छोड़ दे।

नाबालिग ने बीते वर्ष कर्नाटक के एक मंत्री से भी फोन छीन लिया था। मंत्री उस समय बनासवाड़ी पुलिस स्टेशन के तहत सुबह की सैर पर थे और यह दौड़ता हुआ आकर उनसे फ़ोन छीनकर फरार हो गया था। मंत्री द्वारा शिकायत दर्ज करवाने के बाद इसे गिरफ्तार कर लिया गया था। गिरफ्तारी के बाद उसका इतिहास देखकर पुलिस चौंक गई। वह कई अपराधों में संलिप्त पाया गया।

लड़का पूर्वी बेंगलुरु के बनासवाड़ी उपखंड का निवासी है। कुछ साल पहले उनके पिता के निधन के बाद उनकी मां ही परिवार में कमाने वाली एकमात्र सदस्य हैं। उसका एक छोटा भाई है। पुलिस ने बताया कि यह नाबालिग चोरी और डकैती के तीन-तीन मामलों को मात्र 10 दिनों के भीतर अंजाम दे चुका है।

लगभग 15 साल के इस नाबालिग ने यह सारा कारनामा उसने 2023 के अंत में किया है। पुलिस ने बताया कि नाबालिग ने ताले तोड़कर गाड़ियाँ चुराने में महारत हासिल कर ली है और वह बिना किसी समस्या के गाड़ियों का ताला तोड़कर उन्हें लेकर भाग जाता था। वह 10 गाड़ियाँ चोरी कर चुका था, जो कि उसके पकड़े जाने के बाद बरामद कर ली गई हैं।

इन सबके बाद उसे गिरफ्तार करके बाल सुधार गृह भेजा गया। वहाँ उसमें कोई बदलाव नहीं आया और बाहर आकर फिर से चोरी करने लगा। इसके बाद पुलिस ने उसे फिर से पकड़ा। इस बार पुलिस ने उसे बाल सुधार गृह भेजने के बजाय उसे एक मदरसे में दाखिल करवाने का निर्णय लिया, ताकि उसे दीन की तालीम मिल सके।

हालाँकि, बेंगलुरु पुलिस का यह निर्णय उलटा पड़ा और यह नाबालिग तीन दिनों के भीतर ही जमात की निगरानी में मदरसे से चम्पत हो गया। उधर बेंगलुरु के डिप्टी पुलिस कमिश्नर का कहना है कि नाबालिग पर जमात और मदरसे ने सकारात्मक प्रभाव डाला है, क्योंकि बीते 25 दिनों से उसके किसी चोरी में पकड़े जाने की खबर नहीं आई है।

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