अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनने से पहले विपक्षी ये कहकर तंज कसते थे कि ‘मंदिर वहीं बनाएँगे, तारीख नहीं बताएँगे।’ रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हुए, तो विपक्षी दलों ने ये कहकर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार किया कि ये बीजेपी का मंदिर है। विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने तमाम घृणा भरे बयान दिए, फिर भी बीजेपी के प्रति आम जन का समर्थन बढ़ता ही चला गया।
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समूचा विपक्ष सनातन धर्म और भगवान राम का शत्रु बना हुआ है। जिस किसी के मुंह में जो आ रहा है बक रहा है। आज ममता की TMC के एक विधायक रामेंदु सिन्हा राय ने कह दिया कि श्रीराम मंदिर “अपवित्र” और कहा कि किसी हिन्दू को उस मंदिर में पूजा नहीं करनी चाहिए। DMK का A Raja खुलकर बोला है कि हम राम के शत्रु हैं और पहले उसी ने उदयनिधि स्टालिन के सुर में सुर मिलाते हुए सनातन धर्म की तुलना HIV और Leprosy से की थी जबकि उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को डेंगू मलेरिया और कोरोना कहते हुए कहा था कि इसका विरोध नहीं होना चाहिए बल्कि इसे ख़त्म कर देना चाहिए।
इसके अलावा भी स्वामी प्रसाद मौर्य और लालू की पार्टी और अन्य दलों के नेताओं ने सनातन धर्म, रामचरितमानस और भगवान राम के लिए अपमानजनक शब्द बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। राहुल “कालनेमि” या उसके “फर्जी गांधी” परिवार के किसी सदस्य ने किसी बात का विरोध नहीं किया बल्कि राहुल ने तो कुछ दिन पहले यहां तक कहा कि “भारत माता की जय” और “जय श्रीराम” का नारा लगाने वाले एक दिन भूखे मर जाएंगे।
अभी एक नया वीडियो सामने आया है जिसमें राहुल कालनेमि लोगों से पूछ रहा है कि “ये जो सोने की चिड़िया है, जिसे भारत माता कहते हैं और दुनिया भी इसे सोने की चिड़िया कहती है उसमे से मुझे कितना सोना मिला”।
यह अहसानफरामोश देश से केवल मांगना जानता है लेकिन कभी यह नहीं बताता कि इसने देश के लिए क्या किया। कितना सोना मिला यह जानने के लिए राहुल “कालनेमि” को पता होना चाहिए कि एक नाकाबिल निकम्मे आशिक व्यक्ति नेहरू की वजह से देश के टुकड़े हुए और वह प्रधानमंत्री बन गया और उसी वजह से आज यह आवारा सा फर्जी गांधी मौज कर रहा है।
राहुल “कालनेमि” बताएं कि पिछले चुनाव में उसने जो 15 करोड़ की संपत्ति घोषित की थी वह कहां से आई और जो सोनिया गांधी ने इस राज्यसभा के चुनाव में 12.80 करोड़ की संपत्ति घोषित की है वह कहां से आई। जीजा जी और बहन के पास करोड़ो की जमीन कहां से आई। समस्या यह है कि ये “फर्जी गांधी” खानदान देश को लूटना ही जानता है।
कल सुप्रीम कोर्ट में उदयनिधि स्टालिन की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने अपील करते हुए कहा कि स्टालिन के खिलाफ 6 राज्यों में दायर सभी मुकदमों को एक जगह कर दिया जाए और इसके लिए उसने अर्नब गोस्वामी और नूपुर शर्मा के cases का हवाला दिया जबकि सच्चाई यह है कि दोनों के खिलाफ अलग अलग राज्यों में cases कांग्रेस ने ही दर्ज कराए थे और अर्नब के cases club करने का विरोध खुद अभिषेक मनु सिंघवी ने किया था।
कल सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने उदयनिधि स्टालिन को बड़े संयमित अंदाज में कहा कि आप मंत्री हैं आपको पता होना चाहिए कि जो आपने कहा उसके परिणाम क्या हो सकते थे, बयान देते हुए सावधानी बरतनी चाहिए थी।
दूसरी तरफ यह शालीनता नूपुर शर्मा के लिए नहीं दिखाई गई, उसके लिए तो जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस सूर्यकांत ने अदालत के इतिहास की सबसे भयंकर “hate speech” देते हुए उसे देश को आग लगाने के लिए जिम्मेदार कह दिया था।
अब सवाल उठता है कि 22 सितंबर, 2023 को जो नोटिस बहुत हीलाहवाली के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन को दिया था, उसका जवाब देने की बजाय उसने cases को club करने की अपील की जिसका मतलब है वह अपने बयान को गलत नहीं बता रहा। इसलिए ऐसे में उस पर कहीं कोई case चलाने की बजाय सुप्रीम कोर्ट को सीधे सजा का ऐलान कर देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ऐसा करने में सक्षम है अगर इच्छा शक्ति हो।
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