कर्नाटक : इस्लामी कट्टरपंथियों की जिस हिंसा में घायल हुए 12 पुलिसकर्मी, अस्पताल और मंदिर पर किया था हमला उस केस को वापस क्यों वापस ले रही कांग्रेस सरकार? क्या कांग्रेस वास्तव में हिन्दू विरोधी है?


कर्नाटक में 2022 में हुए हुबली हिंसा के मामले को कांग्रेस सरकार ने वापस लेने का निर्णय लिया है। इस मामले में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लीमीन के नेता समेत कई लोग आरोपित बनाए गए थे। उनके ऊपर इस्लामी कट्टरपंथियों की भीड़ इकट्ठा करके हुबली पुलिस थाने पर धावा बोलने और पुलिसकर्मियों पर हमला करने का आरोप था। उस हिंसा के दौरान न केवल पुलिस स्टेशन और पुलिस वाहनों पर पथराव किया गया था, बल्कि पास के एक हनुमान मंदिर और अस्पताल को भी निशाना बनाया गया था, जिससे काफी नुकसान हुआ था। इसके अलावा इस हिंसा में 12 पुलिसकर्मी घायल हुए थे।

घटना 16 अप्रैल 2022 को हुई थी। भीड़ काबू होने के बाद पुलिस ने इस केस को दर्ज किया था। हालाँकि बाद में राज्य में कांग्रेस सरकार आई और इस केस को वापस लेने के लिए डिप्टी चीफ मिनिस्टर डीके शिवकुमार ने एक पत्र लिखा। ये पत्र अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को 4 अक्टूबर 2023 को लिखा गया था। इसमें उप मुख्यमंत्री ने आग्रह किया था कि केस वापस ले लिया जाए रिपोर्ट्स बताती हैं कि उसी अनुरोध के बाद राज्य के गृह विभाग को वो पत्र भेजा गया और निर्णय को मंजूरी दी गई।

कर्नाटक में साल 2022 में हनुमान जयंती के बाद हुबली में एक सोशल मीडिया पर बवाल हुआ था। इस्लामी कट्टरपंथियों की भीड़ ने सड़कों पर उतरकर पुलिस को निशाना बनाया था और सड़कों पर उपद्रव किया था। बाद में इस मामले में पुलिस ने 100+ से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया था। जाँच में सामने आया था कि भीड़ को उकसाने में एआईएमआईएम नेता मौलाना वसीम शामिल था। उसी ने दरगाह पर उन्मादी भाषण दिया था और पुलिस स्टेशन के बाहर भी भीड़ के साथ वही था। उसके अलावा इस केस में हुबली-धारवाड़ नगर निगम पार्षद नजीर अहमद को कर्नाटक पुलिस ने पकड़ा था। वह भी AIMIM पार्टी नेता था जिसके तार 16 अप्रैल 2022 को पुलिस थाने पर हुई पत्थरबाजी से जुड़े मिले थे।

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