पंजाब :केजरीवाल ने शुरू किए मुख्यमंत्री भगवंत मान के पर कतरने, स्वाति मालीवाल के आरोपी बिभव कुमार को बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी; आतिशी के शपथ समारोह में भी नहीं बुलाया

                                                                                                                                   साभार 
दिल्ली के शराब घोटाले में जेल से जमानत पर रिहा हुए अरविंद केजरीवाल अब नए खेल में जुट गए हैं। केजरीवाल की कभी पहली पसंद नहीं रहे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के वे पर कतरने की तैयारी कर रहे हैं। इसके अलावा उनके जेल में रहते जिस बिभव कुमार ने आप नेता स्वाति मालीवाल से मारपीट की थी, उसको पुरस्कार स्वरूप प्रमोट करने की तैयारी केजरीवाल ने कर ली है। दरअसल, वो एक तीर से दो निशाने साधने की फिराक में हैं। आप संयोजक केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री पर नजदीक से नजर रखने के लिए अपने दो खासमखास को मान के इर्द-गिर्द नियुक्त करने की फिराक में हैं। इनमें से एक बिभव कुमार हो सकते हैं। केजरीवाल और भगवंत मान के रिश्ते काफी समय से ठीक नहीं चल रहे हैं। खासकर केजरीवाल के जेल जाने, लोकसभा चुनाव के लिए फंड न मिल पाने और लोकसभा चुनाव में पंजाब में आप के खराब प्रदर्शन ने इन दोनों के रिश्तों में और कड़वाहट घोल दी है।

भगवंत को हटाना पंजाब से केजरीवाल पार्टी पर उल्टा पड़ने की संभावनाएं की जा रही है। यह भी संभावनाएं की जा रही है कि भगवंत केजरीवाल के खालिस्तान सम्बन्धों को बेनकाब कर केजरीवाल को मुसीबत में डाल सकते हैं। क्योकि पंजाब में केजरीवाल सरकार ही आतंकवादियों के समर्थन से बनी है। 

आप की राज्यसभा सांसद मालीवाल को केजरीवाल के करीबी ने कूटा था
पहले बात स्वाति मालीवाल की। इसी साल 13 मई को यह जानकारी आई कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार ने सीएम आवास पर आम आदमी पार्टी (आप) के संस्थापक सदस्यों में से एक और वर्तमान में आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट की। यह सवाल तभी से दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में गूंज रहा है कि आखिर इस शर्मनाक घटना के पीछे कारण क्या रहा होगा? मारपीट और अपमानित करने वाली यह घटना इसलिए और जटिल लगी, क्योंकि बिभव कुमार तो केजरीवाल के एनजीओ के दिनों से ही करीबी सहयोगी के रूप में काम कर रहा है। दूसरी ओर स्वाति मालीवाल का भी उस सेटअप में लंबे समय तक अपना कद रहा। बाद में वो राज्यसभा सांसद बनी। मालीवाल की एफआईआर में रोंगटे खड़े कर देने वाले विवरण हैं कि कैसे बिभव कुमार ने उनकी छाती, पेट पर निर्ममता से पिटाई की।

केजरीवाल ने अपने वकील को राज्यसभा में भेजने के लिए चली चालें
मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि मालीवाल द्वारा आप के राज्यसभा सांसद के रूप में पद छोड़ने के लिए पूर्व-मसौदा त्याग पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने के कारण केजरीवाल के करीबी सहयोगी ने उन पर हमला किया। दरअसल, पार्टी नेतृत्व यानि केजरीवाल जेल से ही खेल करने में व्यस्त थे। वो मालीवाल की सीट को एक वरिष्ठ वकील को देना चाहते थे, जो अदालतों में उनके मुकदमे देख रहे हैं। मालीवाल को दिल्ली से आप के राज्यसभा सदस्य के रूप में चुना गया था। उनके पद छोड़ने पर राज्यसभा सीट के लिए होने वाले उप-चुनाव (अगर ऐसी स्थिति बनी तो) के लिए आप जिसे भी टिकट देगी, उसका जीतना लगभग तय है। जब केजरीवाल को (आबकारी नीति मामले में) गिरफ्तार किया गया, तो मालीवाल विदेश में थीं।

स्वाति मालीवाल से मारपीट का बिभव को ईनाम देना चाहते हैं केजरीवाल
आप संयोजक अरविंद केजरीवाल एक तरह से स्वाति मालीवाल से मारपीट के आरोपी बिभव कुमार को प्रमोशन देने की तैयारी में है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बिभव कुमार को पंजाब सरकार में अहम पद देने की तैयारी हो चुकी है। उन्हें मुख्यमंत्री भगवंत मान का चीफ एडवाइजर या फिर ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) बनाने की इंटरनल प्रोसेस लगभग पूरी हो चुकी है। दरअसल, बिभव कुमार, आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के भरोसेमंद लोगों में से एक हैं। केजरीवाल के घर स्वाति मालीवाल से बदसलूकी के आरोप में बिभव जेल गए थे। इसके बाद उन्होंने पूरे मामले में चुप्पी साधे रखी। उनका ये कदम केजरीवाल के पक्ष में गया। उन्हें दिल्ली सरकार में पीए रखने पर सवाल उठते और विपक्ष को मौका मिल जाता। इसलिए केजरीवाल ने उन्हें पंजाब में बड़ी जिम्मेदारी देने का फैसला लिया है।

केजरीवाल की आंख-कान है बिभव और पार्टी के फाउंडर मेंबर भी
बिभव की नियुक्ति से दो मकसद पूरे होंगे। पहला बिभव कुमार को दोबारा बड़ी जिम्मेदारी मिल जाएगी और दूसरा उनके जरिए सीएम भगवंत मान पर कंट्रोल किया जा सकेगा। बिभव कुमार पार्टी के फाउंडर मेंबर्स में से एक हैं। केजरीवाल के आंख कान की तरह हमेशा एक्टिव रहते थे। स्वाति मालीवाल केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिभव जब तक आरोपी हैं, तब तक वे दिल्ली के CM हाउस नहीं जा सकते। इसके अलावा PA के पद पर उनकी बहाली नहीं की जा सकती है। बिभव पद पर रहें या न रहें, केजरीवाल के आंख-कान बने रहेंगे। अब केजरीवाल भी मुख्यमंत्री नहीं हैं। बिभव सिर्फ केजरीवाल के पीए ही नहीं थे, बल्कि वे विधायकों और काउंसलर्स को सीधे निर्देश देते थे। अब पंजाब में वे यही काम करेंगे।

आतिशी के शपथ ग्रहण समारोह में भगवंत मान को नहीं मिला न्योता

अब बात पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की। केजरीवाल और मान के बीच मतभेद की खबरें आए दिन राजनीतिक हलकों में तैरने लगी हैं। हालांकि भगवंत मान सीएम के रूप में केजरीवाल की पहली पसंद कभी थे ही नहीं। दूसरी पसंद का राज्य में स्कोप नहीं था। इसलिए सीएम की कुर्सी भगवंत मान को सौंपने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। केजरीवाल के जेल जाने, लोकसभा चुनाव के लिए फंड न मिल पाने और लोकसभा चुनाव में पंजाब में आप के खराब प्रदर्शन ने इन दोनों के रिश्तों में और कड़वाहट घोल दी है। अब अरविंद केजरीवाल, सीएम भगवंत मान की ताकत कम करने में जुटे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद इसका असर दिखने भी लगा है। आतिशी के शपथ ग्रहण समारोह से भी पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान नहीं पहुंचे थे। उम्मीद की जा रही थी कि केजरीवाल उन्हें बुलाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भगवंत मान को न्योता तक न देना केजरीवाल का कड़ा मैसेज था। दरअसल, केजरीवाल और पार्टी के बड़े नेताओं की गिरफ्तारी का असर पंजाब में नहीं दिखा। गिरफ्तारी पर वहां न तो कोई बड़ा विरोध-प्रदर्शन हुआ, ना ही दिल्ली में विरोध जताने के लिए नेताओं का कोई बड़ा जत्था पहुंचा। लोकसभा चुनाव में पंजाब सरकार से फंड के तौर पर पार्टी को कोई खास मदद नहीं मिली।

भगवंत मान की जगह दूसरे नेता को CM नियुक्त करने की खबरें
पंजाब में भगवंत मान की जगह दूसरे CM को नियुक्त करने की खबर भी मीडिया में आई। सोर्स बताते हैं कि ये खबर भी आम आदमी पार्टी की दिल्ली की सोशल मीडिया टीम के जरिए बेहद सुनियोजित तरीके से प्लान की गईं थीं। ये खबरें तब उड़वाई गईं, जब भगवंत मान बीमारी के कारण हॉस्पिटल में एडमिट थे। केजरीवाल और मान के बीच मतभेद इससे भी जगजाहिर होते हैं कि एक साल में भगवंत मान के दो करीबी अधिकारियों की आप के दबाव में विदाई कर दी गई। भगवंत मान के OSD और उनके खास लोगों में से एक ओंकार सिंह को 23 अगस्त, 2024 को हटा दिया गया। ओंकार सिंह, भगवंत मान के बेहद करीबी माने जाते हैं। मान की सीट धुरी में वे बहुत एक्टिव थे। मान के CM बनने बाद उनकी सीट का सारा काम ओंकार के जिम्मे ही था। इसी तरह जनसंपर्क विभाग में ओएसडी रहे मंजीत सिंह सिद्धू को 2023 में हटाया गया था। वे भगवंत मान के बेहद करीबी बताए जाते हैं। हालांकि, मंजीत सिंह सिद्धू को केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले ही हटा दिया गया था। कहा जाता है कि सिद्धू भी दिल्ली के मुखिया और उनकी टीम को खटकते थे। इसके अलावा भी CM भगवंत मान के स्टाफ में लगातार बदलाव हो रहे हैं। इन्हीं दो पदों पर बिभव कुमार और विजय नायर बैठेंगे। इससे पंजाब की हर बात दिल्ली तक पहुंचती रहेगी।

विजय नायर को पंजाब के सीएम की टीम में संभालेंगे नई जिम्मेदारी!
केजरीवाल ने भगवंत मान पर लगाम कसनी शुरू कर दी है। इसके लिए दिल्ली से दो खास लोगों को बड़ी जिम्मेदारी देकर पंजाब भेजने की तैयारी है। इनमें एक तो बिभव कुमार हैं और दूसरा चौंकाने वाला नाम है विजय नायर का। नायर यूं तो पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के करीबी हैं। लेकिन उनका नाम भी दिल्ली शराब घोटाले में शामिल हैं और वे 23 महीने जेल की हवा भी खा आए हैं। मनीष सिसोदिया की ओर से विजय नायर का नाम पंजाब में खास पोजिशन के लिए प्रपोज किया गया था। ये प्रपोजल मंजूर भी कर लिया गया है। विजय नायर जेल जाने से पहले आम आदमी पार्टी में कम्युनिकेशन हेड थे। फिलहाल उनके पास कोई पद या जिम्मेदारी नहीं है। विजय नायर को 27 सितंबर, 2022 को दिल्ली शराब घोटाला केस में गिरफ्तार किया गया। इस केस में ये पहली गिरफ्तारी थी। जांच एजेंसी के हाथ शराब घोटाले की सबसे पहली कहानी नायर के जरिए ही सामने आई।

फंड रेजर और इवेंट मैनेजर रहे, दिल्ली चुनाव में मिलेगी मदद
विजय नायर AAP से 2014-15 से जुड़े हुए हैं। तब उनका प्रोफाइल सोशल मीडिया स्ट्रैटजिस्ट, फंड रेजर और पार्टी के लिए इवेंट मैनेजर का था। 2019 में नायर का प्रोफाइल बदला और उन्हें कैंपेनिंग का जिम्मा दिया गया। विजय नायर ने ठीक काम किया तो 2020 में उनका प्रमोशन हो गया। इसके बाद वे एडवाइजर के तौर पर भी पार्टी में स्थापित हो गए। पॉलिसी मैटर, चुनाव प्रचार और घोषणा पत्र में भी उनका दखल शुरू हो गया। अब दिल्ली में विधानसभा चुनाव को 3-4 महीने ही बचे हैं। ऐसे में विजय नायर पंजाब में अहम पद पर रहते हुए फंड रेजर, इलेक्शन स्ट्रैटजिस्ट और सोशल मीडिया कैंपेनिंग का मोर्चा संभालेंगे। दिल्ली में फरवरी तक विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। पार्टी के बड़े नेता कई महीनों तक जेल में रहे। विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के सामने चुनौती है कि वो एंटी इनकम्बेंसी खत्म करे, जो बेहद मुश्किल है। इसके अलावा चुनाव में फंड की जरूरत भी होगी। ऐसे में बिभव कुमार और विजय नायर को पंजाब भेजना पार्टी के लिए अहम हो जाता है।

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