आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली की जनता को सलाह दी है कि वह बिजली और पानी के बिल ना भरें। उन्होंने वादा किया कि वह जब चुनाव में जीतेंगे तो इन बिलों को माफ़ कर देंगे। केजरीवाल ने माना कि दिल्ली में अब लोगों को बढ़े हुए बिजली और पानी के बिल मिल रहे हैं। आखिर ये बिल किसने बढ़ाये? और क्यों? इन विभागों पर केंद्र का कोई हस्तक्षेप नहीं।
आखिर कब तक आम आदमी जनता को झूठ बोलकर पागल बनाती रहेगी? अरे, कभी सच बोल लिया करो। दिल्ली सरकार की सहमति के बिना बिजली और पानी के दाम नहीं बढ़ सकते हैं। 2013 में बिजली कंपनियों को 3577 करोड़ रूपए का लाभ होने पर कंपनियों ने दाम(tariff) कम करने का फैसला लिया लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने तुरंत अध्यक्ष को हटा कर उस लाभ को 3577+603=4180 करोड़ का घाटा दिखा कर बिजली के दाम बढ़ा दिए। (देखिए संग्लन पृष्ठ) आखिर केजरीवाल पार्टी क्यों और कब तक जनता को पागल बनाती रहेगी? गनीमत है दिल्ली इसलिए बची हुई है कई विभाग केंद्र सरकार के अधीन हैं जिनके खर्चों का भार दिल्ली सरकार पर नहीं पड़ता अन्यथा कर्नाटक, हिमाचल और पंजाब से भी बुरी हालत दिल्ली की हो गयी होती।
शनिवार (2 नवम्बर, 2024) को दिल्ली के संजय गाँधी ट्रांसपोर्ट नगर में केजरीवाल ने यह सलाह जनता को दी। वह यहाँ एक रैली को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “हाल ही में जब मैं जेल में था तो मैंने सुना कि तो उन्होंने मेरी पीठ पीछे कुछ गड़बड़ की और आपको फिर से भारी-भरकम पानी का बिल भेज दिया। कई लोगों को गलत और बढ़ा हुआ बिल मिला है।”
इसके बाद केजरीवाल ने कहा, “जिन लोगों को पानी के गलत बिल मिले हैं, उन्हें भरने की जरूरत नहीं है। बस फरवरी में मेरी सरकार एक बार फिर से बन जाए, मैं सबके पानी के बिल माफ कर दूँगा और आपको पहले की तरह ही पानी के बिल जीरो मिलने लगेंगे।”
जहाँ एक ओर केजरीवाल वादा कर रहे हैं कि वह पानी के बढ़े हुए बिल माफ़ कर देंगे, वहीं दूसरी तरफ यह बिल भेजे भी उन्हीं की सरकार ने ही हैं। यह समस्या लम्बे समय से चली आ रही है। वह अपनी ही सरकार द्वारा पैदा की गई समस्या से लड़ने को अब ‘मास्टरस्ट्रोक’ घोषित करना चाहते हैं।
केजरीवाल की यह घोषणा उनके पुराने क़दमों के भी विपरीत जा रही है। जहाँ अब वह बिल भरने से मना कर रहे हैं तो वहीं उनकी ही सरकार ने फरवरी, 2024 में बकाया बिल वसूलने को वन टाइम सेटलमेंट स्कीम की घोषणा की थी। इसके अंतर्गत बढ़े हुए बिल वसूले जाने थे।
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि दिल्ली के 10 लाख से अधिक परिवार बढ़े हुए पानी के बिल से परेशान हैं। यह बढ़ा हुआ बिल तब आया है जब केजरीवाल सरकार लोगों को मुफ्त पानी देने का दावा करती है और इसको हर बार चुनावी घोषणापत्र में भी जगह देती है।
केजरीवाल ने दिल्ली के भीतर पानी के बिल जीरो करने का वादा तो कर दिया है, लेकिन उन्होंने इस बीच यह नहीं बताया है कि इससे दिल्ली जल बोर्ड और भी घाटे में जाएगा। दिल्ली जल बोर्ड वर्तमान में ₹3000 करोड़ से अधिक के घाटे में हैं।
भाजपा ने केजरीवाल के इस वादे पर हमला बोला है। भाजपा ने पूछा है कि आखिर किसने यह बिल बढ़ाए हैं। भाजपा दिल्ली अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि AAP सरकार में दिल्ली की स्थित बदहाल है और लोग त्यौहार के दिन भी बिजली नहीं पा रहे हैं।
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