पुणे में आषाढ़ी वारि जुलूस पर फेंका गया माँस का टुकड़ा (साभार- the free press journal)
जब तक केन्द्र और राज्य सरकारें इन जेहादियों को आतंकवादियों के बराबर मान कार्यवाही नहीं करेगी हिन्दुओं को अपने त्यौहार मनाने मुश्किल हो जाएंगे। मोदी सरकार ने पहलगाम का बदला इसलिए लिया था कि आतंकी पाकिस्तान से थे? लेकिन अपने घर में जो आतंकी पल रहे उन पर क्यों नहीं कार्यवाही की जाती? ये जेहादी मोदी सरकार को वोट नहीं देने वाले, मोदी सरकार इस ग़लतफ़हमी नहीं रहे कि इनके वोट मिल जाएंगे। कितने समय से हिन्दू त्योहारों पर अड़चने डाली जा रही है और सरकारें खामोश बैठी है। जो कार्यवाही होती है उसे कार्यवाही नहीं मुंह पोंछना कहते हैं। मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाला विपक्ष पता नहीं किस मातम में है। सब के सब अब सूरदास बने बैठे हैं। अगर स्थिति विपरीत देखों किस तरह कालनेमि सियापा कर रहे होते। सड़क से लेकर संसद तक चील-कौओं की तरह चीख-चीखकर विधवा विलाप कर रहे होते। अब सब बेशर्म हिन्दू विरोधियों के घरों में मातम हो रहा है क्या?
पुणे के कैंप इलाके में हिन्दुओं में काफी गुस्सा है। दरअसल 21 जून को साल में एक बार निकलने वाली आषाढ़ी वारी तीर्थयात्रा निकली थी। इस दौरान 57 साल की नसीम शेख ने तीर्थयात्रियों पर हड्डियाँ और माँस के टुकड़े फेंक दिए।
नसीम शेख सोलापुर रोड पर मम्मा देवी चौक के पास गैबीपीर दरगाह के पास अपनी झोपड़ी के बाहर खड़ी थी। सालाना आषाढ़ी वारि इस रास्ते से होकर गुजरता है जो पंढरपुर तक जाता है। इसे पंढरपुर आषाढ़ी वारि भी कहा जाता है। महाराष्ट्र में इस जुलूस का हिन्दुओं के लिए काफी महत्व है। सदियों पुरानी इस परंपरा में भक्त संत तुकाराम और संत ज्ञानेश्वर की पालकी लेकर जाते हैं। इसका समापन आषाढ़ी एकादशी के दिन भगवान विट्ठल मंदिर में होता है।
नसीम शेख के खिलाफ छत्रपति संभाजीनगर के रहने वाले अक्कलवंत राठौड ने एफआईआर दर्ज कराई है। एफआईआर के मुताबिक, ” ये घटना दिनदहाड़े हुई जब जुलूस इलाके से गुजर रहा था। राठौड़ ने बताया कि माया धूमल नाम की भक्त जुलूस में शामिल थी जिसे नसीम शेख की फेंकी गई एक पोटली से चोट लगी। इसमें हड्डियाँ और माँस के टुकड़े थे। जब राठौड़ ने शेख से बात की तो वह गालियाँ देने लगी और कहा, ” जो चाहो करो, मैं डरने वाली नहीं हूँ। ” इस घटना से भक्तों में काफी गुस्सा है।
महाराष्ट्र सरकार ने आषाढ़ी वारि जुलूस के लिए कई नियम लागू किए हैं। इस दौरान जुलूस के गुजरने वाले क्षेत्र में माँस और शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अलावा पंढरपुर में भी माँस-मदिरा की बिक्री बंद है।
वारि जुलूस में दूर-दूर से आकर लोग शामिल होते हैं। हर समुदाय में लोकप्रिय इस जुलूस पर सुरक्षा व्यवस्था का खास ख्याल रखा जाता है। लेकिन नसीम शेख के फेंके गए माँस और हड्डियों के टुकड़े ने लोगों को उकसाने का काम किया है।
पिछले कई सालों से इस तरह की घटनाएँ सामने आई हैं, जहाँ हिन्दू मंदिरों के बाहर या धार्मिक कार्यक्रम में माँस, हड्डियाँ, गाय के सिर फेंके गए। असम के धुबरी जिले में मुस्लिम कट्टरपंथियों ने इस साल बकरीद के दौरान दो बार हनुमान मंदिर के बाहर गाय के सिर फेंके गए। घटना के बाद राज्य सरकार ने देखते ही गोली मारने के आदेश देने पड़े। बदरपुर और लखीपुर के शिव मंदिरों के पास भी माँस के टुकड़े मिले थे। इसके बाद कई मुस्लिम कट्टरपंथियों को गिरफ्तार किया गया था।
यूपी के लखनऊ, प्रयागराज, अमेठी और सोनभद्र के मंदिरों के बाहर भी ऐसी ही घटनाएँ सामने आईं। इसके बाद इलाके में तनाव फैल गया। इस साल मार्च में भी महाकुंभ मेले के बाद हिन्दू घरों के बाहर गाय के कटे सिर मिले, जो सोची-समझी साजिश की ओर इशारा करती है।
ये पूरा पैटर्न यूपी से असम तक फैल गया है। राजस्थान, दिल्ली, मध्यप्रदेश और झारखंड के पास हिन्दू समारोह में माँस फेंकने की खबरें आई हैं। कई बार सीसीटीवी फुटेज में पुलिस ने आरोपियों को ऐसा कर बाइक या पैदल भागते हुए देखा गया।
दरअसल कुछ इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन लगातार हिन्दू धार्मिक स्थलों, समारोहों को अपवित्र करने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने की साजिश कर रहे हैं। बार-बार ऐसी होने वाली घटनाओं के बावजूद सख्ती बरतने में राजनीतिक हिचकिचाहट ऐसे तत्वों को बढ़ावा देता है।
No comments:
Post a Comment