बेंगलुरु में इस्लामी भीड़ ने थाने को निशाना बनाया था
भारत की जनता संसद के बर्बाद होते दिन शायद अपने होशोहवास में देख रही होगी। जो संसद से बाहर बहस की बात कर रहे अंदर क्यों मवालियों के चीखते चिल्लाते हैं। तमीज से बैठ बहस करने में क्या मुसीबत आ रही है। कहते हैं रोज 2.5 लाख रूपए एक मिनट का बर्बाद हो रहा है। इसीलिए विपक्ष को अपशब्दों से अलंकृत किया जा रहा है। जनता भी शायद धतूरे के नशे रहती है। जो उपद्रवी विपक्ष के मकड़जाल से बाहर नहीं आती। ये जो संविधान बचाने के लिए रो रहा है गलत नहीं रो रहा। क्योकि मोदी सरकार संविधान में उन सभी संशोधनों को हटाना चाहती है जो शरीयत के हिसाब से किये गए हैं। संविधान के मूल स्वरुप को बदल रखा है। मस्जिदों में मीटिंग की जा रही है, जमीअत की मीटिंगों में जा रहे हैं, क्यों? मुसलमानों के वोट जो चाहिए। सनातन के लिए अपशब्द निकालने वालों ने अगर माँ का दूध पिया है तो इस्लाम के खिलाफ बोलकर दिखाएं। गुफाओं में छिपकर बैठ जाएंगे। सेकुलरिज्म के नाम से हिन्दुओं को गुमराह किये हुए हैं और हिन्दू महापागल बन गुमराह हो रहा है।
बेंगलुरु की एक विशेष NIA अदालत ने अगस्त, 2020 में इस्लामी कट्टरपंथी भीड़ के दंगे पर सजा सुनाई है। बेंगलुरु की अदालत ने इस्लामी भीड़ के पुलिस थाने पर हमले के मामले में यह सजा सुनाई है। इस दंगे में इस्लामी भीड़ ने कांग्रेस विधायक के घर पर हमला बोला था और पुलिस थानों को भी जला दिया था। इस हमले में प्रतिबंधित संगठन PFI और उसकी राजनीतिक विंग SDPI के लोगों के शामिल होने के सबूत NIA को मिले थे। दंगे के बाद लिबरल-वामपंथी गैंग मुस्लिमों की ‘ह्यूमन चेन’ वाला नैरेटिव चलाया था।
NIA कोर्ट ने क्या सुनाया फैसला?
बेंगलुरु की एक विशेष NIA अदालत ने सैयद इकरामुद्दीन उर्फ सैयद नवीद, सैयद आतिफ और मोहम्मद आतिफ को सजा सुनाई है। उन्हें 7 वर्ष जेल की सजा सुनाई गई है। उन्होंने इस मामले में आरोप तय किए जाने के दौरान ही इस्लामी भीड़ वाले दंगे में शामिल होना कबूल कर लिया था।
इन तीनों को NIA कोर्ट ने UAPA, कर्नाटक सम्पत्ति एक्ट और भारतीय न्याय संहिता (IPC) की अलग-अलग धाराओं के तहत सजा सुनाई है। NIA कोर्ट को सरकारी वकील प्रसन्ना ने जनता में विश्वास वापस पैदा करने वाला बताया है।
उन्होंने कहा, “यह फैसला पुलिस बलों में जनता का विश्वास बहाल करता है और साथ ही PFI को गैरकानूनी घोषित करने के केंद्र के फैसले को वैध ठहराता है।” उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस पर हमले जनता का विश्वास डिगाते हैं।
उन्हें जहाँ इस मामले में सजा सुना दी गई है, बाकी आरोपितों के खिलाफ अभी मुकदमा चालू होना है। इस मामले में 199 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था जबकि 180 से अधिक लोग गिरफ्तार हुए थे। इनके खिलाफ अभी आरोप तय करके मुकदमा चालू किया जाना है और बहस होनी है।
इस्लामी भीड़ ने थाने-कांग्रेस MLA के घर पर किया था हमला
11 अगस्त 2020 की रात पूर्वी बेंगलुरु में दंगे और आगजनी का भीषण नज़ारा देखने को मिला था। केजी हल्ली, डीजे हल्ली और पुल्केशी नगर इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे। 1000 से भी अधिक की इस्लामी कट्टरपंथी भीड़ ने स्थानीय विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के घर को घेर लिया था और तोड़फोड़ शुरू कर दी थी।
इस्लामी भीड़ का कहना था कि विधायक के रिश्तेदार ने पैगम्बर मुहम्मद को लेकर आपत्तिजनक पोस्ट किया है। उन्होंने आसपास कड़ी हिन्दुओं की कई गाड़ियाँ जला दी थीं। घंटों तक यह दंगा फसाद चलता रहा था। उन्होंने विधायक की बहन के घर भी हमला किया था। इसके अलावा DJ हल्ली और HJ हल्ली पुलिस थानों को भी आग लगा दी थी।
इस मामले में बाद में हुई जाँच में सामने आया था कि इस्लामी भीड़ का यह दंगा पूर्व प्रायोजित था। पता चला था कि PFI से जुड़े मुजम्मिल पाशा और SDPI के लोगों को गिरफ्तार किया गया था। मामले की जाँच NIA को सौंपी गई थी, इसमें सामने आया था कि दंगा करने को पैसा भी बांटा गया था। तीन दंगाई मारे भी गए थे।
लिबरल-वामपंथी गैंग चला रहा था ‘ह्यूमन चेन’ वाली थ्योरी
जहाँ एक ओर इस्लामी कट्टरपंथी भीड़ आधे बेंगलुरु को जलाने पर तुली हुई थी तो वहीं लिबरल-वामपंथी गैंग इस दौरान उसे बचाने को अलग ही थ्योरी गढ़ रहा था। इस दौरान उन्होंने एक वीडियो वायरल किया था जिसमें एक मुस्लिम भीड़ एक मंदिर के बाहर खड़ी थी।
लिबरलों का दावा था कि यह मुस्लिम इस मंदिर को मानव शृंखला बना कर दंगाइयों से बचा रहे थे। इस वीडियो को राजदीप सरदेसाई जैसे लिबरल पत्रकारों से लेकर कांग्रेस नेताओं तक ने खूब प्रसारित किया था। हालाँकि, बाद में यह भी सामने आया था कि इस वीडियो को संभवतः स्क्रिप्ट करके बनाया गया था क्योंकि इसे जल्दी अपलोड किया जाना था।
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