पी चिदंबरम और नफरत की राजनीति की प्रतीकात्मक तस्वीर (साभार: ChatGPT)
कांग्रेस वो जहरीला सांप है जो कभी जहर उगलने से बाज नहीं आता। जनता को किसी न किसी बहाने उलझा कर रख देश की एकता का स्वांग रच अपनी कुर्सी को बचाए रखो। लेकिन कांग्रेस प्रारम्भ से लेकर अब तक जनता की नब्ज को पढ़ने में जीरो साबित हो रही है। 2014 में मोदी सरकार बनने से पहले जनता के पास कमजोर विपक्ष होने के कारण कोई विकल्प नहीं होने की वजह से कांग्रेस के चुंगल से बाहर नहीं निकल सकी। अब मजबूत विकल्प होने पर भी कांग्रेस वही अपनी पुरानी नफरत वाली खूंसट सियासत से बाहर नहीं आ रही। यही खूंसट सोंच कांग्रेस को नीचे धकेल रही है। बाकि कांग्रेस को धरती में धाँसने में राहुल और गाँधी परिवार कमर तोड़ मेहनत कर ही रहा है।
कांग्रेस के बड़े नेता और राज्यसभा सांसद पी. चिदंबरम ने एक ट्वीट करके तमिलनाडु में रहने वाले ‘बाहरियों’ खासकर बिहार के लोगों को नीचा दिखाने का काम किया है। उन्होंने तमिलनाडु में रहने वाले बिहारी प्रवासी मजदूरों को ‘बाहरी’ बताकर उनके वोटर बनने के हक पर सवाल उठाए। चिदंबरम ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग तमिलनाडु में 6.5 लाख प्रवासियों को वोटर लिस्ट में जोड़ रहा है, जो ‘गैरकानूनी और खतरनाक’ है।
चिदंबरम ने बिहार में 65 लाख वोटरों के नाम कटने का खतरा होने की बात कही। उनके ट्वीट का लहजा ऐसा है, जैसे बिहारी मजदूर तमिलनाडु में बसने या वोट देने के हकदार ही न हो।
चिदंबरम ने बिहारियों को ‘प्रवासी मजदूर’ कहकर और उनके ‘स्थाई घर’ को बिहार बताकर उनकी गरिमा को ठेस पहुँचाई। ये बातें सुनने में तो चुनावी नियमों की चिंता जैसी लगती हैं, लेकिन असल में ये बिहारियों को बाहरी और खतरे के रूप में दिखाने की कोशिश थी। वैसे भी, यह कोई नई बात नहीं है। इंडी गठबंधन पहले भी बिहारियों के खिलाफ नफरत भड़काकर वोट की राजनीति करता रहा है। चिदंबरम का ये बयान उसी पुरानी चाल का हिस्सा है, जिसे कांग्रेस और उसके सहयोगी चुपचाप बढ़ावा देते रहे हैं।
चिदंबरम ने की बिहारियों को नीचा दिखाने की कोशिश
चिदंबरम ने 3 अगस्त 2025 को X पर ट्वीट किया कि चुनाव आयोग तमिलनाडु में 6.5 लाख प्रवासियों को वोटर लिस्ट में जोड़ रहा है, जो ‘खतरनाक और गैरकानूनी’ है। उन्होंने सवाल उठाया कि बिहारी मजदूर तमिलनाडु में वोटर क्यों बन रहे हैं, जब उनका ‘स्थायी घर’ बिहार में है। उन्होंने छठ पूजा का जिक्र करते हुए कहा कि ये मजदूर बिहार लौटते हैं, तो फिर तमिलनाडु में वोटर बनने का क्या हक? चिदंबरम ने इसे चुनाव आयोग की साजिश बताकर तमिलनाडु के ‘चुनावी चरित्र’ को बदलने का आरोप लगाया।
The SIR exercise is getting curiouser and curiouser
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) August 3, 2025
While 65 lakh voters are in danger of being disenfranchised in Bihar, reports of "adding" 6.5 lakh persons as voters in Tamil Nadu is alarming and patently illegal
Calling them "permanently migrated" is an insult to the…
ये बातें सुनने में तो तकनीकी लगती हैं, लेकिन इनका असली मकसद बिहारियों को तमिलनाडु में बाहरी और अनचाहा दिखाना था। चिदंबरम ने बिहारियों को ‘प्रवासी मजदूर’ कहकर उनकी पहचान को सिर्फ मजदूरी तक सीमित कर दिया, जैसे वे तमिलनाडु में बसने या वोट देने के हकदार ही नहीं हैं। यह न सिर्फ बिहारियों का अपमान है, बल्कि भारत के संविधान का भी उल्लंघन है, जो हर नागरिक को देश में कहीं भी रहने, काम करने और वोट देने का हक देता है। चिदंबरम का ये बयान बिहारियों को दोयम दर्जे का नागरिक बताने की कोशिश है।
बिहारी क्यों नहीं, जब राहुल को हक है?
चिदंबरम का बयान और कांग्रेस की नीति तब और हास्यास्पद हो जाती है, जब हम राहुल गाँधी की बात करते हैं। राहुल गाँधी दिल्ली के स्थाई निवासी हैं, लेकिन वे केरल के वायनाड और उत्तर प्रदेश के अमेठी और रायबरेली से चुनाव लड़ चुके हैं। अगर राहुल गाँधी दिल्ली में रहकर दूसरे राज्यों में वोटर बन सकते हैं और चुनाव लड़ सकते हैं, तो बिहारी मजदूर तमिलनाडु में वोटर क्यों नहीं बन सकते? क्या नियम सिर्फ बिहारियों के लिए अलग हैं?
भारत का कानून साफ कहता है कि कोई भी नागरिक, जो किसी जगह पर सामान्य रूप से रहता है, वहाँ वोटर बन सकता है। इसके लिए फॉर्म 6 भरना होता है, जिसमें निवास स्थान बदलने की अर्जी दी जाती है। और ये जरूरी नहीं कि आपके पास अपना मकान हो। किराए के घर में रहने वाला भी वोटर बन सकता है।
चिदंबरम और कांग्रेस ये बात अच्छे से जानते हैं, लेकिन फिर भी बिहारियों को ‘स्थायी रूप से बसे हुए’ कहकर उनका मजाक उड़ाते हैं। ये लोग भारी-भरकम अंग्रेजी शब्दों से बिहारियों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बिहारी इतने भोले नहीं हैं।
जेडीयू के प्रवक्ता और विधान परिषद के सदस्य नीरज कुमार ने चिदंबरम के ट्वीट पर तीखी प्रतिक्रिया दी। नीरज कुमार ने कहा, “कांग्रेस पार्टी का आज जो हश्र है, वो क्षेत्रीय भावनाओं का सम्मान न करने की वजह से है। क्षेत्रीय भावनाओं के उभार के साथ कांग्रेस का समर्थन कम होता गया। कांग्रेस ने अपने राज्य में असमान विकास किया। बिहार के साथ भेदभाव किया। अब इनकी स्थिति ये है कि ये देश में संविधान को खतरा बनाते हैं। ये चुनाव आयोग पर आरोप लगा रहे हैं।
उन्होंने कहा, “जो लोग तमिलनाडु या किसी भी अन्य राज्य में रहते हैं, वो वहाँ के वोटर बनते हैं। ये सामान्य है। बिहार में रहने वाली तमिलनाडु की नर्सें भी वोटर रही हैं, लेकिन किसी ने विरोध नहीं किया। ये तो इंडी गठबंधन सुविधा की बात हुई। राहुल गाँधी कहीं से भी चुनाव लड़ लें… आरजेडी किसी को हरियाणा से लाकर राज्यसभा भेज देती है। लेकिन बिहार का नाम आते ही ये लोग नाक-भौं सिकोड़ने लगते हैं।”
नीरज कुमार ने आगे कहा, “बिहार SIR में तेजस्वी यादव के नाम 2 EPIC नंबर मिले हैं। अब उन्होंने चुप्पी साध ली है। क्या राहुल गाँधी का यही परमाणु बम था, तेजस्वी यादव ने अपने सर पर फोड़ा?” उन्होंने कहा कि कांग्रेस का मूल चरित्र सुविधा के हिसाब से बदलने का है। बिहार बोझ किसी का नहीं है, वो बोझ उठाने वाले लोग हैं। चंपारण के सत्याग्रह से लेकर आजादी की लड़ाई में बिहार का योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि चिदंबरम जैसे लोग जो कह रहे हैं, वो बैकवर्ड राज्यों के लिए उनकी घृणा दिख रही है।
इंडी गठबंधन का बिहार विरोधी रवैया
चिदंबरम का बयान कोई नई बात नहीं है। इंडी गठबंधन पहले भी बिहारियों को निशाना बनाकर राजनीति करता रहा है। 2021 के पश्चिम बंगाल चुनाव में तृणमूल कांग्रेस(टीएमसी) ने बिहारी प्रवासियों को बीजेपी का समर्थक बताकर बंगाली अस्मिता के खिलाफ खड़ा किया। ममता बनर्जी ने हिंदी भाषी प्रवासियों खासकर बिहारियों को ‘बाहरी’ कहकर बंगाल की जनता को भड़काया। इस दौरान बिहारियों के योगदान को नजरअंदाज किया गया, जो कोलकाता से लेकर छोटे शहरों तक मेहनत करके बंगाल की अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं।
इसी तरह महाराष्ट्र में इंडी गठबंधन का हिस्सा शिवसेना ‘मराठी माणूस’ के नाम पर बिहारियों को निशाना बनाती रही है। 2000 के दशक में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने मुंबई और अन्य शहरों में बिहारी मजदूरों पर हमले किए, उन्हें नौकरियाँ छीनने वाला बताया। मारवाड़ी और गुजरातियों को भी निशाना बनाया गया, लेकिन बिहारी सबसे आसान शिकार थे। कांग्रेस ने इन हमलों पर चुप्पी साधे रखी। यह दिखाता है कि कांग्रेस और उसके सहयोगी बिहारियों के खिलाफ नफरत को चुपचाप बढ़ावा देते हैं।
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