बांग्लादेश, नेपाल के बाद अब फ़्रांस जलना शुरू; नेपाल में GenZ प्रदर्शन के पीछे दो किरदार, सुदन गुरुंग- प्लानर, बालेन शाह- प्रमोटर: NGO की आड़ में बड़ा खेल तो नहीं हो गया?


फ्रांस के संसदीय चुनावों में वामपंथी गठबंधन की बढ़त का संकेत देने वाले एग्जिट पोल के बाद राजधानी पेरिस समेत पूरे देश में हिंसा भड़क उठी है। रविवार को हुए दूसरे दौर के चुनावों के बाद फ्रांस की पहली कट्टर-दक्षिणपंथी सरकार बनने की कोशिशों को झटका लगा, जब एग्जिट पोल में वामपंथी गठबंधन को सबसे ज्यादा सीटें जीतने का अनुमान लगाया गया। पहले दौर में बढ़त बनाने वाली मरीन ले पेन की मुस्लिम विरोधी नेशनल रैली पार्टी को रविवार को हुए चुनाव के बाद तीसरे नंबर पर बताया गया है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पार्टी को एग्जिट पोल में दूसरे नंबर पर बताया गया है। एग्जिट पोल के नतीजे आने के बाद प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए और हिंसा शुरू कर दी।

देशभर में भेजी गई दंगा विरोधी पुलिस

वीडियो फुटेज में नकाबपोश प्रदर्शनकारियों को सड़कों पर आग जलाते और उपद्रव करते हुए देखा गया है। हिंसा को देखते हुए देश भर में दंगा पुलिस पुलिस को भेजा गया है। फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, फ्रांसीसी चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल में वामपंथी गठबंधन की जीत की संभावना के बाद पेरिस में जश्न और हिंसा दोनों का माहौल बन गया। धुर-वामपंथी गठबंधन के अप्रत्याशित रूप से आगे निकलने की खबर पर हजारों लोग जश्न मनाने के लिए पेरिस के प्लेस डे ला रिपप्लिक में जमा हो गए। वहीं, इस खबर से सत्ता हासिल करने की उम्मीद कर रहे मरीन ले पेन की नेशनल रैली के समर्थन हैरान रह गए।

पुलिस ने किया आंसू गैस का इस्तेमाल

इस बीच फ्रांस के विभिन्न शहरों से हिंसा की खबरें आने लगीं। जगह-जगह पर प्रदर्शनकारियों की हिंसा के वीडियो सामने आए हैं। वहीं, दंगा विरोधी पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश करती नजर आई। झड़पों के बीच कई जगह पर पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया है। ब्रिटिश टैबलायड द सन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह पता नहीं चल पाया है कि बढ़ते तनाव के बीच सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी किस दल के समर्थक है। इसके पहले यह आशंका जताई गई थी कि अगर दक्षिणपंथी जीत जाते हैं तो हिंसा भड़क सकती है।

पहले से तीसरे स्थान पर पहुंची नेशनल रैली

इसके पूर्व हुए पहले दौर के मतदान में एक तिहाई वोट के साथ जीत हासिल करने के बाद नेशनल रैली से संसदीय चुनाव में जीत की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन 7 जुलाई को हुए चुनाव के बाद एग्जिट पोल ने संकेत दिया कि न्यू पॉपुलर फ्रंट के बैनर तले वामपंथी दल 172 सीटें जीतेगा जबकि इमैनुएल मैक्रों की अगुवाई वाला एनसेंबल के 150 सीट जीतने का अनुमान लगाया गया। नेशनल रैली लगभग 132 के साथ तीसरे स्थान पर दिख रही थी।

प्रधानमंत्री ने दिया इस्तीफा

लेफ्ट फ्रंट की जीत की संभावना के बाद फ्रांस के प्रधानमंत्री गेब्रियल अटाल ने रविवार को खुलासा किया कि वह सोमवार सुबह राष्ट्रपि मैक्रों को अपना इस्तीफा सौंप देंगे। अटाल ने कहा, 'आज रात एनसेंबल ने अनुमानित सीटों की संख्या से तीन गुना सीटें जीती हैं, लेकिन हमारे पास बहुमत नहीं है। इसलिए मैं अपना इस्तीफा गणराज्य के राष्ट्रपति को सौंप दूंगा।'

नेपाल में GenZ प्रदर्शन के पीछे दो किरदार, सुदन गुरुंग- प्लानर, बालेन शाह- प्रमोटर

नेपाल में GenZ प्रदर्शन के दो किरदार बालेन शाह और सुदन गुरुंग
नेपाल में सबसे बड़े नागरिक आंदोलन ने सरकार को गिरा दिया है। देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति इस्तीफा दे चुके हैं। अब नेपाल को चलाने के लिए अपने अगले लीडर की जरूरत है। इस पूरे GenZ प्रदर्शन के पीछे दो किरदार सामने आ रहे हैं। पहला है काठमांडू का मेयर बालेन शाह, जिसे प्रदर्शनकारी अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। वहीं, दूसरा नाम प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले हामी नेपाल का फाउंडर सुदन गुरुंग का है।

ये दोनों नाम नेपाल में GenZ प्रदर्शनकारियों के समर्थन में सामने आए हैं। सुदन गुरुंग, जिसने पूरे प्रदर्शन का आयोजित किया। वहीं बालेन शाह, जिसने इन प्रदर्शनकारियों को भड़काया। तो आइए जानते हैं आखिर कौन है बालेन शाह और सुदन गुरुंग।

बालेन शाह की GenZ प्रदर्शन में भूमिका

बालेन शाह एक रैपर और काठमांडू का मेयर है। शाह ने ही नेपाल के युवाओं को बरगलाया और देश में सरकार के विरोध में खड़ा करने का काम किया। यह उसकी सोशल मीडिया पर सक्रियता से साफ नजर आता है। जहाँ युवा उसे अगला प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।

तो ये शुरू होता हे रविवार (07 सितंबर 2025) से जब बालेन शाह ने फेसबुक पर एक पोस्ट के जरिए GenZ प्रदर्शन का समर्थन किया। पोस्ट में लिखा, “कल स्पष्ट रूप से GenZ का स्वतःस्फूर्त आयोजन है, वे 28 वर्ष से कम आयु के हैं, जिसके कारण मैं अभी भी बड़ा दिखता हूँ। मैं उनकी इच्छाशक्ति, उद्देश्य और सोच को भी समझना चाहता हूँ।”

                                                          बालेन शाह के फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट

आगे लिखा, “कल होने वाली इस स्वतःस्फूर्त रैली में किसी भी दल, नेता, कार्यकर्ता, सांसद, बहुला, इंजीनियर को अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए होशियार नहीं होना चाहिए। मैं आयु सीमा के कारण नहीं जा सकता लेकिन उन्हें समझना जरूरी है, मेरा पूरा समर्थन है। प्रिय GenZ, मुझे बताइए कि आप कैसा देश देखना चाहते हैं?”

इसके बाद सोमवार (08 सितंबर 2025) को नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत 7 से अधिक शहरों में 13 से 28 साल की उम्र के युवा सोशल मीडिया ऐप के बैन के खिलाफ सड़कों पर उतरते हैं। सोशल मीडिया ऐप के खिलाफ शुरू हुआ प्रदर्शन अब पीएम केपी ओली के इस्तीफे की माँग तक पहुँच जाता है। इस हिंसक प्रदर्शन में 19 लोगों की मौत और 300 से ज्यादा लोग घायल हो जाते हैं।

लेकिन यह प्रदर्शन तब भी नहीं थमता बल्कि और अधिक हिंसा की ओर बढ़ जाता है। प्रदर्शन के दूसरे दिन मंगलवार (09 सितंबर 2025) को प्रधानमंत्री केपी ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल तक इस्तीफा दे देते हैं। अब बारी आती है बालेन शाह की। अब बालेन को प्रधानमंत्री बनाने की माँग बढ़ती चली जाती है।

बालेन शाह के फेसबुक पोस्ट पर ‘We want you as PM’ और ‘Please take Lead Balen’ जैसे कमेंट बढ़ने लगते हैं।

                                                        बालेन शाह की फेसबुक पोस्ट पर नेपाली युवाओं के कमेंट

इसके बाद नेपाल की स्थानीय मीडिया में भी बालेन शाह को नेपाल का अगला प्रधानमंत्री बनाने की माँग तेज होने लगती हैं। वहीं बालेन शाह भी GenZ प्रदर्शनकारियों को देश की संपत्ति को नुकसान ना पहुँचाने की अपील करते हैं।

                                          बालेन शाह के फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट

बालेन शाह ने लिखा, “प्लीज GenZ, देश तुम्हारे हाथ में है। तुम लोग इसे संभाल लोगे। अब, चाहे कितना भी नुकसान हो, तुम हमारे ही रहोगे। अब घर वापस जाओ।”

बालेन शाह के अमेरिका से कनेक्शन

बालेन शाह यूँ तो काठमांडू के मेयर हैं लेकिन अधिकांश मेयर से विपरीत उनकी पहुँच राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैली है। बालेन शाह के अमेरिका से सीधे कनेक्शन सामने आए हैं। टाइम मैगजीन 2023 के टॉप-100 लोगों में बालेन शाह का नाम है। इसके अलावा द न्यूयॉर्क टाइम्स में मीडिया कवरेज भी मिल चुकी है।

इतना ही नहीं बालेन का नेपाल में अमेरिकी दूतावास में आना-जाना लगा रहता है। साल 2022 में पहली बार अमेरिकी राजदूत आर थॉम्पसन से मुलाकात की, जिनकी तस्वीरें खुद राजदूत ने अपने एक्स अकाउंट पर शेयर की।

इसके बाद साल 2024 में भी बालेन शाह की अमेरिकी राजदूत आर थॉम्पसन से मिलने की खबरें सामने आईं। इस बैठक में अमेरिकी राजदूत ने बालेन शाह को अमेरिका आने का भी न्यौता दिया था।

ओली सरकार के विरोध में बालेन शाह के गाने

बालेन शाह को राजनीति में आने से पहले रैपर के तौर पर जाना जाता था। उनके गाने के बोल अक्सर नेपाल की ओली सरकार की आलोचना को लेकर लिखे जाते रहे हैं। बालेन शाह के ही एक गाने के बोल हैं- “देश की रक्षा करने वाले सब मूर्ख हैं। सारे नेता चोर हैं, देश को लूटकर खा रहे हैं।”

बालेन शाह के गानों ने ही नेपाल के GenZ को सरकार के खिलाफ खड़ा करने का काम किया। खासकर बालेन का गाना ‘बलिदान’ से नेपाल के युवा देश की राजनीति के विरोध में खड़े हुए है। हालिया GenZ प्रदर्शन में भी बालने ने इस गाने को फेसबुक पर शेयर किया।

इस गाने को फेसबुक पर शेयर करते हुए बालेन शाह ने लिखा, “सरकार मुझे बोलने दे।”

मेयर का चुनाव लड़ते हुए बालेन शाह का विवादों में रहा, जब शाह ने काले ब्लेजर पर नेपाल का झंडा लगाते हुए चुनावी अभियान शुरू किया। इस मामले में बालेन के खिलाफ चुनाव आयोग से शिकायत की गई थी। इसके बावजूद शाह की लोकप्रियता युवाओं में बढ़ती गई। युवा भी शाह के सरकार विरोधी एजेंडे में फँसते चले गए, जिसका नतीजा आज नेपाल की सरकार गिराकर सामने आया है।

बालेन शाह भी भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने में आगे रहे हैं। याद हो कि आदिपुरुष फिल्म की रिलीज के समय बालेन शाह ने न सिर्फ इस फिल्म का विरोध किया, बल्कि काठमांडू के सिनेमाघरों में भारतीय फिल्मों की रिलीज तक पर रोक लगा दी थी। हालाँकि नेपाल के सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद बालेन को पीछे हटना पड़ा था। अब इस समय GenZ के प्रदर्शनों को भी बालेन शाह खूब भुना रहे हैं।

‘हामी नेपाल’ के सुदन गुरुंग ने ही GenZ प्रदर्शन किया प्लान

नेपाल में GenZ प्रदर्शन में दूसरा नाम 36 साल के सुदन गुरुंग का है। इस पूरे प्रदर्शन का आयोजनकर्ता। खुद को NGO ‘हामी नेपाल’ का फाउंडर बताने वाले सुदन गुरुंग ने ही देश के 28 साल से कम उम्र के युवाओं को प्रदर्शन के लिए एकत्रित किया। यहाँ तक कि युवाओं को प्रदर्शन करना भी गुरुंग ने ही सिखाया।

इंस्टाग्राम पर ‘How to Protest’ वीडियो शेयर कर नेपाल के युवाओं को भड़काया। वीडियो में गुरुंग ‘शांतिप्रिय’ प्रदर्शन की बात कहता है लेकिन साथ में यह भी कहता है कि अगर जरूरत पड़े तो उग्र होना जरूरी है।  

नेपाल में प्रदर्शनकारियों ने जो पोस्टर लिए थे उनपर भी हामी नेपाल का ही नाम था। हामी नेपाल ने ही सोशल मीडिया से लेकर जमीन तक मोबाइलाइजेशन करवाया। हामी नेपाल ने भीड़ इकट्ठा करने के लिए डिस्कोर्ड एप का इस्तेमाल किया जहाँ ग्रुप चैट में प्रदर्शन के सारे निर्देश दिए जा रहे थे। प्रदर्शनकारियों को स्कूल की यूनिफॉर्म पहनकर आने के लिए कहा गया।

इन ग्रुप चैट की छानबीन में पता लगा कि कहीं बांग्लादेश जैसे सत्ता उखाड़ फेंकने की बात की तो कोई हिंसा की ज्यादा से ज्यादा तस्वीरें इंटरनेशनल मीडिया को भेजने की बात कहता दिखा। ग्रुप में पेट्रोल बम बनाने के तरीके भी बताए गए। लोगों से अनुरोध किया जा रहा है कि वो हत्यारा सरकार लिखा हुआ डीपी लगाए।

इन ग्रुप में नेपाल पुलिस और सैन्य बल की तस्वीरों को शार्प शूटर बताकर शेयर किया गया। इस ग्रुप चैट में लगातार हिंसा और नरसंहार तक की बातें हुईं। कुछ-कुछ वैसी ही जैसा बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के समय देखा गया था।

प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाला ‘हामी नेपाल’ का रजिस्ट्रेशन साल 2020 में हुआ, जिसमें सुदन गुरुंग को सोशल एक्टिविस्ट बताया गया। नेपाल में GenZ प्रदर्शन से पहले भी ‘हामी नेपाल’ का नाम बाढ़ राहत कार्य में ही सामने आया है। लेकिन सरकार के खिलाफ इतना बड़ा प्रदर्शन करने में ‘हामी नेपाल’ का हाथ आना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।

हामी नेपाल को विदेशी फंडिंग

सुदन गुरुंग के NGO ‘हामी नेपाल’ को कोका-कोला, वाइबर, गोल्डस्टार और मलबरी होटल्स जैसे ब्रांडों से 20 करोड़ नेपाली रुपए की वित्तीय सहायता मिली है। ये सभी विदेशी ब्रांड्स हैं। NGO ने अपनी वेबसाइट में इसकी जानकारी भी दी है।

ये वही NGO है, जिसने साल 2025 की शुरुआत में भारत के ओडिशा में एक इंजीनियरिंग कॉलेज में नेपाल की छात्रा की मौत के बाद जमकर बवाल काटा था। यहाँ तक कि नेपाल में भी भारत विरोधी भावनाओं को खूब भड़काया था। सुदन गुरुंग, जो खुद को सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में दुनिया के सामने दिखाता है। वो इस पूरे GenZ प्रदर्शन में युवाओं को भड़काने में सबसे आगे रहता है। यहाँ तक की युवाओं को बांग्लादेश और श्रीलंका का उदाहरण देते हुए देश-विरोधी गाइडेंस भी दी जाती है।

नेपाल में क्या खेल खेलने वाले हैं बालेन शाह और सुदन गुरुंग

कुल मिलाकर देखा जाए तो सुदन गुरुंग और बालेन शाह नेपाल में छिड़े हिंसक प्रदर्शन और सरकार गिराने में प्रमुख जिम्मेदार व्यक्तियों के रूप में सामने आए हैं। लेकिन इनकी प्रवृत्ति न सिर्फ भारत विरोधी है, बल्कि मूल रूप से नेपाल विरोधी भी है। सुदन गुरुंग विदेशी पैसों के दम पर नेपाल की सरकार, नेपाल के लोकतांत्रिक व्यवस्था को ध्वस्त कर चुका है, तो अब उसका संगठन पश्चिमी संबंधों के हिमायती बालेन शाह का नाम देश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री पद के लिए उछाल रहा है।

ऐसे में बालेन शाह और सुदन गुरुंग का ये गठबंधन कहीं न कहीं बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहा है। आपको याद हो कि कुछ समय पहले बांग्लादेश में भी इसी तरह लोकतांत्रिक रूप से देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता को उखाड़ दिया गया था। उनकी जगह पर पश्चिमी देशों के पपेट मोहम्मद यूनुस को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया था। वहाँ भी युवा खून का इस्तेमाल पश्चिमी देशों ने बांग्लादेश को अपनी जकड़ में लेने के लिए किया था। ठीक ऐसा ही काम नेपाल में भी पश्चिमी देश कर रहे हैं, जो NGO की आड़ में अंधाधुंध पैसा झोंक कर नेपाल की सत्ता को गिरा चुके हैं।

आने वाले समय में बालेन-गुरुंग की ये जोड़ी नेपाल को किस दिशा में लेकर जाती है, ये देखने वाली बात होगी। इस पर भारत और नेपाल के लोगों की ही नहीं, चीन-रूस जैसी महाशक्तियों की भी नजर है। चूँकि नेपाल भारत और चीन से सटा हुआ देश है। इस तरह नेपाल में कुछ भी बदलाव होता है, तो इससे प्रभावित भारत और चीन भी होंगे। ऐसे में ये 2 क्षेत्रीय महाशक्तियाँ क्या कदम उठाती हैं, इस पर भी दुनिया की नजर बनी रहेगी।

No comments: