बरेली में ‘डेंटिंग-पेंटिंग’ होते ही दर्द से छटपटाने लगी ‘डिजिटल पत्थरबाज’ आरफा खानम-राणा अय्यूब; अब भूल जाओ दंगाइयों के सामने सजदा वाला दौर…

                                      योगी आदित्यनाथ, राणा अय्यूब और आरफा खानम शेरवानी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कड़वी दवाई से कट्टरपंथी बिलबिला रहे हैं। बरेली की हिंसा पर जो बिल में जाकर बैठ गए थे, वे सीएम योगी के आक्रामक बयानों के बाद जुबानी हमलों पर उतर आए हैं। उन्हें कट्टरपंथियों और दंगाइयों के लिए भी ऐसी भाषा की अपेक्षा है कि जिसमें फूल बरसते हों।

आरफा खानम शेरवानी और राणा अय्यूब जैसी कथित पत्रकार जो पत्रकारिता की आड़ में इस्लामी प्रोपेगेंडा फैलाती हैं, वो सीएम योगी के डेंटिंग-पेंटिग वाले तीखे बयानों से खफा है। हालाँकि, यह पूरी जमात बरेली में इस्लामिक कट्टरपंथियों के बवाल पर खामोश बैठी थी।

बरेली में ‘I Love Muhammad’ को लेकर इस्लामी भीड़ ने खूब बवाल किया। इस भीड़ को मौलाना तौकीर रजा उकसा रहा था। वो चाहता था कि बवाल मचे चाहे इसके लिए पुलिसकर्मियों की हत्या ही क्यों ना करनी पड़े। पेट्रोल बम, बंदूक, पत्थर, डंडों से लैस इस भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया। खूब पत्थर चलाए, फायरिंग की और फिर… फिर पुलिस ने इस कट्टरपंथियों की ठीक से खबर ली।

पुलिस ने हंगामा कर रहे लोगों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इस हमले के मुख्य साजिशकर्ता तौकीर रजा को गिरफ्तार कर लिया, उसके अलावा भी दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 2000 से अधिक लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है।

इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने उपद्रवियों को साफ संदेश दिया की उत्तर प्रदेश में यह दंगा-फसाद नहीं चलेगा। सीएम योगी ने रजा को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “बरेली में एक मौलाना भूल गया कि राज्य में सत्ता किसकी है। हमने जो सबक सिखाया है, उससे आने वाली पीढ़ियाँ दंगे करने से पहले दो बार सोचेंगी।”

योगी दंगाइयों को चेताने में यही नहीं रुके, उन्होंने कहा, “जब भी कोई हिंदू पर्व और त्यौहार आता है, उनको गर्मी आने लगती है और उनकी गर्मी को शांत करने के लिए हमें डेंटिंग-पेंटिंग का सहारा लेना पड़ता है।” साथ ही, उन्होंने भारत में गजवा-ए-हिंद का ख्वाब देखने वालों का जहन्नुम का टिकट काटने की बात भी कहीं।

 अब यही खरी-खरी बात कुछ कट्टरपंथियो को नागवार गुजरी, तो वो राशन-पानी लेकर ज्ञान देने चले आए। राणा अय्यूब ने X पर सीएम योगी का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “ये भारत के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने अल्पसंख्यकों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया है।” अय्यूब ने लिखा, “मुसलमानों के खिलाफ नफरत के इस खुले मौसम में न्यायपालिका, संस्थाओं, मीडिया और हमारे बुद्धिजीवियों की खामोशी ही इसे सामान्य बना रही है।”

अब, एक और कट्टरपंथियो को देखिए, आरफा खानम शेरवानी भी योगी की तल्ख बयानी से बिलबिला गई हैं। आरफा ने लिखा, “आदित्यनाथ को मुसलमानों के खिलाफ खुलेआम ‘नाजी’ भाषा का प्रयोग करते हुए सुनकर, यह सवाल उठता है, क्या भारत का संविधान अब भी उत्तर प्रदेश में लागू होता है?”

एक कट्टरपंथी है मारिया खान, उसकी बौखलाहट इन दोनों से भी ज्यादा है। वो X पर लिखती है, “मुसलमानों को ऐसे ‘डेंटिंग-पेंटिंग’ करने की बात करता है जैसे वे इंसान न होकर कोई कबाड़ हों। सत्ता ने उसे बेशर्म बना दिया है और खामोशी ने खतरनाक।”

ये सारे डिजिटल पत्थरबाज, बरेली की हिंसा पर तौकीर रजा और उस कट्टरपंथी भीड़ की हिंसा पर खामोश बैठे तमाशा देख रहे थे। इन्हें अब लगता है कि दंगाइयों का इलाज डंडा ना हो, ये चाहते हैं कि कोई दंगाइयों के सामने जाकर सजदा करे और वो ‘बेचारे’ सुधर जाएँ।

इन दंगाइयों और उनके प्रेमियों को उन तुष्टिकरण करने वाली सरकारों की आदत लग गई है जो इनके बवाल के बाद भी वोट के लिए इन दंगाइयों को छूने की हिम्मत नहीं करते थे। इसी उत्तर प्रदेश में दंगे के आरोपियों को लेने के लिए पिछली सपा सरकार में विशेष विमान भेजा जाता था। अब इन दंगाइयों पर कार्रवाई हो रही है तो ये बिलबिला उठे हैं।

अब दंगाइयों को मिठाइयाँ खिलाकर या फूल माला पहनाकर या कोई दोहे सुनाकर तो नहीं सुधारा जा सकता है। दंगाइयों का इलाज तो डंडा ही होना चाहिए और ऐसे दंगाई जो देश और उत्तर प्रदेश में पाकिस्तान और बांग्लादेश हालात बनाना चाहते हैं, उन पर किसी भी तरह का रहम क्यों ही किया जाए?

योगी राज में पुलिस पर पथराव का जवाब सजदा से देने की परंपरा खत्म हो गई है। ऐसे दंगाइयों से समाज की सुरक्षा फूलों की थाल से नहीं बल्कि कानून के डंडे से ही होती है। अगर इन पत्थरबाजों और उनके हिमयातियों को इस साफ-साफ लेकिन कठोर भाषा से दिक्कत है तो बेहतर है कि दंगाई और पत्थरबाज कानून को हाथ में लेने के बजाय जो समाज की अपेक्षा है वैसा काम करें।

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