साभार: AI- Chatgpt
मुलायम सिंह ने निहत्ते रामभक्तों पर गोली चलवा दी और बेटा अखिलेश उर्फ़ ‘अखिलेशुद्दीन’ दीपावली पर दीये नहीं जलाने पर ज्ञान देकर लगता है अखिलेश ने इस्लाम या ईसाई मजहब कबूल लिया है? अगर क्रिसमस तुम्हारा आदर्श है तो क्या ईसाई मजहब कबूल कर लिया है? जिसका DNA ही हिन्दू विरोधी हो शंका होना स्वाभाविक है। राममन्दिर विरोध से लेकर अब दीपावली पर दीप जलाने का विरोध करने पर समाजवादी पार्टी में शामिल हिन्दुओं पर भी शंका होती है। आखिर इस राम विरोधी समाजवादी पार्टी को हिन्दू किस लालच में वोट देते हैं? क्या समाजवादी पार्टी को वोट देने वाले हिन्दू भी राम विरोधी हैं?
जहाँ देशभर में दीपावली पर खुशी का माहौल है, वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव को इससे चिढ़ हो रही है। उनकी ये चिढ़ इस बार दीपावली पर जलने वाले दीयों को लेकर है। इतना ही नहीं उनके बयान से यह भी साफ है कि ईसाइयों का त्योहार क्रिसमस उन्हें ज्यादा पसंद है लेकिन हिंदू त्योहार दीपावली पर दीया जलाना उनके लिए पैसों की बर्बादी है।
यह अखिलेश यादव ने खुद कहा है। लखनऊ में धनतेरस (18 अक्टूबर 2025) पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश यादव ने कहा, “मैं प्रभु राम के नाम पर एक सुझाव देना चाहता हूँ। क्रिसमस के समय कई महीनों तक शहर जगमगा जाते हैं। उन्हीं से सीख लो बस क्यों खर्चा करना बार-बार दीयों और मोमबत्ती का। इस सरकार से हम क्या उम्मीद कर सकते हैं? इसे तो हटा देना चाहिए। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यहाँ और भी खूबसूरत रोशनियाँ हों…”
#WATCH | Lucknow | SP Chief Akhilesh Yadav says, "... I dont want to give a suggestion. But I will give one suggestion on the name of Lord Ram. In the entire world, all the cities get illuminated during Christmas. And that goes on for months. We should learn from them. Why do we… pic.twitter.com/HAL47migCC
— ANI (@ANI) October 18, 2025
सोशल मीडिया पर अखिलेश के बयान का विरोध
दीपावली पर अखिलेश यादव का यह सुझाव हिंदू त्योहारों के प्रति घृणा को दर्शाता है। यहाँ तक कि सोशल मीडिया पर भी दीपावली मनाने वाले हिंदू लोगों ने अखिलेश के बयान का विरोध किया। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने कहा कि लगता है अखिलेश यादव हिंदू भी नहीं है।
वहीं कई लोगों ने अखिलेश यादव को ‘अखिलेशुद्दीन’ नाम दे दिया और कहा कि ‘अखिलेशुद्दीन’ से क्या ही आशा की जा सकती है।?
एक्स/ट्विटर पर एक यूजर ने लिखा, “अब अखिलेश यादव को दीयों और मोमबत्तियों से दिक्कत हो गई है। आज उत्तरप्रदेश वालों को सोचना है ये ईसाई है या मुस्लिम?”
@yadavakhilesh को अब दियों और मोमबत्ती से भी दिक्कत हो गई है …..अखिलेश यादव का बयान —: "पूरी दुनिया में क्रिसमस के दौरान सभी शहर रोशन हो जाते हैं। और यह महीनों तक चलता है। हमें उनसे सीखना चाहिए। हमें दीयों और मोमबत्तियों पर पैसा क्यों खर्च करना है और इसके लिए इतना सोचना क्यों… pic.twitter.com/tRiZa36psC
— जयक्रित सिंह⚔️ (@Aswal__JS__143) October 18, 2025
अन्य यूजर ने लिखा, “एक से बढ़कर एक नेता देखे पर इन के जैसा कोई नहीं जो खुद ही अपना स्टैंड क्लियर नहीं कर पाए। आखिर PDA के नाम पर लोगों को गुमराह कर झूठी तसल्ली दे अपना राजनीतिक करियर बनाने में माहिर नेता जी ब्राह्मणों, क्षत्रियों और सर्वणों का विरोध करते करते हिन्दुओं का अभी अपमान करने लगे। एक तरफ कुम्हार जाति के हमारे भाई बहन सालभर मेहनत कर दिवाली के उत्सव के लिए दीपक बनाते हैं तो दूसरी ओर यह महोदय क्रिसमस का उदाहरण देकर झालर लटकाने को बोलते हैं। अब सनातन धर्म के लोग क्रिसमस से सलाह लें… ?”
एक से बढ़कर एक नेता देखे पर इन के जैसा कोई नहीं जो खुद ही अपना स्टैंड क्लियर नहीं कर पाए.
— Himanshu Dwivedi(Legal Journalist)🇮🇳 (@Dwivedihd92) October 19, 2025
आखिर PDA के नाम पर लोगों को गुमराह कर झूठी तसल्ली दे अपना राजनीतिक कैरियर बनाने में माहिर नेता जी ब्राह्मणों,क्षत्रियों और सर्वणों का विरोध करते करते हिन्दुओं का अभी अपमान करने लगे।
एक तरफ… pic.twitter.com/tARAoamzWs
एक एक्स यूजर ने तर्क दिया, “उसी तरह हर साल ईद पर जानवरों की कुर्बानी क्यों दी जाती है? अगर आपने एक बार कर लिया तो क्या ये काफी नहीं है? पैसे बचाएँ और शायद एक मासूम जानवर भी। हर साल क्रिसमस पर पेड़ क्यों काटे जाते हैं?”
Akhilesh Yadav Says "Learn from Foreign countries, On Christmas they decorate for entire month. Why Purchase Candles, Diya and Crackers on Diwali?"
— Abhay (@KaunHaiAbhay) October 19, 2025
He is Right.
Same way why Sacrifice Animals every year on EID. If you have done once is it not enough? Save money and Perhaps a… pic.twitter.com/qAevPPCg3I
जाहिर है कि अखिलेश यादव के दीया जलाने पर पैसा बर्बाद करने वाले बयान से हिंदू धर्म के लोग नाखुश हैं। क्योंकि उन्हें दीपावली पर दीया जलाने का महत्व मालूम है। जो शायद सपा सुप्रीमो हिंदू होने के बावजूद नहीं जानते। तो अखिलेश यादव को जान लेना चाहिए कि दीपोत्सव का महत्व सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि आध्यात्मिक और सामाजिक स्तर पर भी जुड़ा है।
दीया जलाने का महत्व
दीपोत्सव की परंपरा सिर्फ एक धार्मिक रस्म नहीं बल्कि हमारी संस्कृति, आत्म-चेतना और सामाजिक आर्थिक जीवन से भी गहराई से जुड़ी हुई है।
बतौर प्रतीय यह दर्शाती है कि अंधकार पर प्रकाश, ज्ञान पर अज्ञान, असत्य परसत्य की विजय संभव है। धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो हिंदू परंपरा में दीपक को ‘आत्मा की ज्योति’ और ‘ईश्वर के दर्शन’ का माध्यम माना गया है। दीपक का उजाला न सिर्फ बाहरी बनाए हुए अंधकार को मिटाता है बल्कि भीतरी विचारों, भाव- निराशा और नकारात्मकता के अंधेरे को भी रोशन करता है।
इसके साथ ही सामाजिक और आर्थिक स्तर पर दीया उन हजारों परिवारों की आजीविका का आधार भी बन गया है जो दीपावली जैसे त्योहारों के समय इस काम में जुटते हैं। इसका उदाहरण अयोध्या में हर साल होने वाले दीपत्सव से भी समझा जा सकता है। दीपावली के लिए स्थानीय कुम्हार परिवारों को दीये बनाने के बड़े ऑर्डर्स मिलते हैं।
दीया बनाने से रोजगार
वहीं दीपावली पर अयोध्या दीपोत्सव में हर साल बनने वाला विश्व रिकॉर्ड इस साल 2025 में भी बरकरार रहेगा। पिछले साल 26 लाख से अधिक दीयों का रिकॉर्ड अब 29 लाख दीये जलकर टूटेगा। यह केवल दीपावली पर लोगों की आस्था नहीं बल्कि इससे रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, स्थानीय कुम्हारों का कहना है कि साल 2017 से दीपोत्सव के बाद से उनका जीवन बदल गया। जहाँ पहले कु्म्हार परिवार दीपावली पर केवल 20 हजार कमाते थे, उनकी आय अब लाखों में पहुँच गई है। देशभर में भी छोटे-छोटे गाँवों में सैंकड़ों परिवार दीया बनाने के कारण ही सहज आजीविका जुटा रहे हैं।
यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वदेशी उत्पाद पर जोर दे रहे हैं। दीपावली पर भी पीएम मोदी ने अपील की, “स्वदेशी अपनाएँ और इसे हर घर और बाजार का मंत्र बनाएँ।” पीएम मोदी की अपील से दीपावली के बाजार पर भी खासा असर देखने को मिला है। रंग-बिरंगे सजे बाजारों में दीपावली पर सारा सामान स्वदेशी है, जिसे खरीदने के लिए लोग भी उत्साहित नजर आ रहे हैं।
क्रिसमस पर पेड़ों का कटान
वहीं अखिलेश यादव के पसंदीदा त्योहार क्रिसमस पर लाखों पेड़ों को काटा जाता है, जो पर्यावरण और समाज पर कई नकारात्मक प्रभाव डालती है। हर साल क्रिसमस पर पेड़ों को सजाने का चलन है और ये पेड़ या तो असली होते हैं या फिर प्लास्टिक के। प्राकृतिक क्रिसमस ट्री उगाने के लिए बड़े पैमाने पर कैमिकल फर्टिलाइजर्स और कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है, जिससे इकोसिस्टम पर गहरा असर पड़ता है।
इसके अलावा, इन पेड़ों की कटाई से वन्यजीवों के घर नष्ट होते हैं, जिससे बायोडायवर्सिटी को नुकसान होता है। कटे हुए पेड़ जब लैंडफिल में जाते हैं तो वे कार्बड डाइऑक्साइड छोड़ते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन प्रभावित होता है। वहीं आर्टिफिशियल क्रिसमस ट्री भी पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं क्योंकि ये प्लास्टिक से बने होते हैं, जो नॉन-बायोडिग्रेडेबल होते हैं और लैंडफिल में वर्षों तक बने रहते हैं।
इसके साथ ही क्रिसमस पर आर्टिफिशयल लाइटों को दीपोत्सव से तुलना करने वाले अखिलेश यादव जान लें कि ये लाइट बिजली की खपत बढ़ाते हैं वहीं दीप जलाने से बिना बिजली का उपयोग करे संसार जगमग हो जाता है।
अखिलेश यादव का दोगलापन
शायद अब अखिलेश यादव को दीपावली पर दीपोत्सव का महत्व समझ आ जाए। या शायद वे यहाँ भी आँख मींच लें। क्योंकि अखिलेश यादव साल 2024 में दीपावली पर दी गई शुभकामनाओं से तो लगता है कि उन्हें दीपोत्सव को थोड़ा बहुत ज्ञान तो जरूर है।
या फिर पिछली बार जो ट्वीट किया थो वो सिर्फ दिखावा था अखिलेश यादव? और इस बार प्रेस कॉन्फ्रेंस में मन की बात निकाल दी। दीपावली पर अखिलेश यादव ने आसानी से दीपोत्सव न करने का सुझाव दे डाला। लेकिन ये सुझाव अखिलेश यादव को ईद, क्रिसमस या किसी अन्य धर्म के त्योहारों पर याद नहीं आते है क्या?
असल में उनका टारगेट अयोध्या में विश्व रिकॉर्ड दीपोत्सव है। उन्हें चिड़ है कि अयोध्या में बड़े संख्या में दीप जलाए जा रहे हैं, जिससे देश के नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी जुड़ रहे हैं। अखिलेश यादव ने दीपावली पर जहरीला बयान देकर साफ कर दिया है कि अगर उनकी सरकार आती है तो उनके लिए दीपोत्सव का कोई महत्व नहीं है। हिंदू त्योहार दीपावली को पश्चिमी देशों में मनाए जाने वाले क्रिसमस से तुलना करना अखिलेश यादव की एक भद्दी हिंदू-विरोधी राजनीति के अलावा कुछ और नहीं है।
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