सिद्धारमैया को UK की जिस ‘लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ से मिला सर्टिफिकेट वो पहले से बंद, कर्नाटक सरकार ने खुद ही किया था आवेदन

                                                                      (साभार: Deccan Herald, एक्स @Siddaramiah)
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार (16 अक्टूबर 2025) को घोषणा की कि उनकी सरकार की ‘शक्ति योजना’, जो राज्य की महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा की सुविधा देती है, को लंदन  बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (LBWR) ने दुनिया में सबसे अधिक महिलाओं द्वारा ली गई मुफ्त बस यात्राओं के लिए प्रमाणित किया है। इसके साथ ही, कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) को भी LBWR ने मान्यता दी है।

हालाँकि, इस घोषणा के बाद लोगों में यह चर्चा शुरू हो गई कि क्या यह ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड’ वास्तव में किसी विश्वसनीय संस्था द्वारा दिया गया है या सिर्फ एक प्रचार अभियान है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने X पर लिखा, “कर्नाटक ने दो ऐतिहासिक विश्व रिकॉर्ड के साथ वैश्विक मंच पर प्रवेश किया है, जिन्हें लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा प्रमाणित किया गया है। शक्ति योजना: महिलाओं द्वारा सबसे ज्यादा मुफ्त बस यात्राओं का लाभ उठाया गया, 564.10 करोड़ यात्राएँ, रोजमर्रा की गतिशीलता को सशक्त बनाया।”

उन्होंने आगे कहा, “KSRTC: दुनिया का सबसे अधिक पुरस्कार विजेता सड़क परिवहन निगम, 1997 से अब तक 464 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त कर चुका है। हमारी शासन दृष्टि सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण और विश्वस्तरीय जनसेवा पर आधारित है। ये मान्यताएँ इस बात का प्रतिबिंब हैं कि समावेशी और संवेदनशील नीति-निर्माण से क्या हासिल किया जा सकता है।”

मुख्यमंत्री द्वारा जारी एक्स पोस्ट में शक्ति योजना और केएसआरटीसी के लिए जारी किए गए ‘प्रमाण-पत्र’ भी शामिल हैं।

LBWR के प्रमाण-पत्र के अनुसार, “कर्नाटक में 11 जून 2023 को शुरू हुई ‘शक्ति योजना’ के तहत 30 सितंबर 2025 तक महिलाओं ने कुल 564.10 करोड़ मुफ्त बस यात्राएँ कीं। महिलाओं को मुफ्त सार्वजनिक परिवहन की सुविधा देकर सशक्त बनाने की इस पहल को लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स सामाजिक कल्याण और लैंगिक समानता में एक महत्वपूर्ण योगदान के रूप में मान्यता देती है।”

दूसरे प्रमाण-पत्र में कहा गया, “कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) ने 1997 से लेकर 3 अक्टूबर 2025 तक कुल 464 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार हासिल किए हैं। सार्वजनिक सड़क परिवहन सेवा में उत्कृष्टता और नवाचार के लिए यह उपलब्धि वैश्विक मानक स्थापित करती है।”

दोनों प्रमाणपत्रों पर डॉ अविनाश डी सकुंडे (LBWR के इंटरनेशनल चेयरमैन, भारत) और डॉ इवान गाचीना (यूरोपीय संघ प्रमुख, क्रोएशिया) के हस्ताक्षर हैं। हालाँकि, मुख्यमंत्री की इस घोषणा पर विपक्ष ने आलोचना की है।

विपक्ष का कहना है कि कॉन्ग्रेस सरकार मुफ्त योजनाओं जैसे ‘शक्ति योजना’ पर अधिक खर्च कर रही है, जबकि राज्य की परिवहन कंपनियाँ गंभीर वित्तीय संकट झेल रही हैं। कर्नाटक की चार परिवहन कंपनियाँ — KSRTC, BMTC, NWKRTC और KKRTC पर कुल 6,330.25 करोड़ रुपए का कर्ज है।

कौन है अविनाश सकुंडे और बाल्कनोफैंटास्टिका के अध्यक्ष इवान गैसीना?

मुख्यधारा की मीडिया ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के उस ऐलान को खूब कवर किया जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (London  Book of World Records – LBWR) से प्रमाणपत्र मिला है। लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि यह संस्था असल में है क्या और इसे चलाता कौन है।

OpIndia की जाँच में पता चला कि लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स वास्तव में एक निजी कंपनी थी, जिसे 15 जुलाई 2025 को यूके सरकार के रिकॉर्ड्स में भंग (dissolved) दिखाया गया है। कंपनी के कामकाज में इवेंट कैटरिंग, न्यूज एजेंसी गतिविधियाँ, किताबें प्रकाशित करना और मीडिया प्रतिनिधित्व सेवाएँ शामिल थीं।

दस्तावेजों के अनुसार, अविनाश धनंजय सकुंडे को 28 जून 2024 को इस कंपनी का डायरेक्टर नियुक्त किया गया था।

जब उनकी सोशल मीडिया इंस्टाग्राम और लिंक्डइन पर प्रोफाइल देखी गईं, तो पता चला कि अविनाश खुद को दिल्ली सरकार के Delhi Minorities Commission (DMC) की एक एडवाइजरी कमेटी के सदस्य बताते हैं। लेकिन DMC की आधिकारिक वेबसाइट पर उनका नाम कहीं दर्ज नहीं है।

अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर सकुंडे ने कई वीडियो पोस्ट किए हैं, जिनमें वे अलग-अलग लोगों को ‘लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ के सर्टिफिकेट देते हुए दिखते हैं। एक वीडियो में वे अभिनेता सोनू सूद को भी ऐसा सर्टिफिकेट देते नजर आए हैं और यह कार्यक्रम जयपुर (राजस्थान) में हुआ था।

अब बात करते हैं डॉ इवान गाचीना (Ivan Gacina) की, गाचीना का नाम मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के प्रमाणपत्र पर ‘European Union Head’ के रूप में लिखा था।

जाँच में पता चला कि उनके इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर वे खुद को ‘HRHHE Pangeran Prince Love YM Dato Rdo Sri Academician Amb Prof Dr Kt Exp LM GM Genius’ बताते हैं। उनके एक पोस्ट के अनुसार, वे ‘President of Balkanofantastika’ भी हैं।

दिलचस्प बात यह है कि ‘Pangeran’ शब्द मलेशिया और इंडोनेशिया की भाषा में राजा और रानी के पुत्र के लिए प्रयोग होता है। उनका लिंक्डइन रिज्यूमे बताता है कि वे जादार (Zadar), क्रोएशिया के रहने वाले हैं।

उनके कामकाजी अनुभव में कंप्यूटर इंजीनियरिंग टीचर, फिजिक्स टीचर, एडल्ट एजुकेशन में गणित शिक्षक, कैशियर, और वेटर जैसी भूमिकाएँ शामिल हैं। वे खुद को कवि भी बताते हैं। उनकी ऑनलाइन मौजूदगी काफी अजीब है। ढेरों उपाधियाँ और सर्टिफिकेट्स लेकिन इंटरनेट पर उनकी कुछ ही असली तस्वीरें मिलती हैं।

इन संदिग्ध व्यक्तियों के अलावा, लंदन  बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के बारे में एक और बात ध्यान देने योग्य है। यह खुद को ‘UK-based’ बताता है, लेकिन इसका मुख्य कार्यालय (Head Office) दिल्ली के पहाड़ गंज में स्थित है।

इसकी वेबसाइट पर पता लिखा है: Hotel Superb, तिलक गली, चूना मंडी, पहाड़गंज, नई दिल्ली। इसके अलावा वेबसाइट पर यह भी लिखा है कि इसका ‘International Office (UK Branch)’ — 71–75 Shelton Street, London, United Kingdom, और ‘Registered Office (USA)’ — 30 N Gould St Ste R, Sheridan, WY 82801 बताया गया है।

अविनाश सकुंडे ने ऑपइंडिया को बताया: कर्नाटक सरकार ने प्रमाणपत्र के लिए किया आवेदन

OpIndia ने ‘London Book of World Records’ (LBWR) से संपर्क किया और इसके कामकाज को लेकर कई सवाल पूछे। वेबसाइट पर दिए संपर्क नंबर से बात करते हुए अविनाश सकुंडे ने बताया कि LBWR अलग-अलग क्षेत्रों, जैसे खेल, कला और मनोरंजन, सामाजिक सेवा आदि में काम करने वाले व्यक्तियों, समूहों या संस्थानों को उनके कार्यों के आधार पर सर्टिफिकेट देता है।

जब उनसे पूछा गया कि कर्नाटक सरकार और KRSTC को यह ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड’ सर्टिफिकेट कैसे मिला, तो उन्होंने कहा कि सरकार ने खुद आवेदन किया था। सकुंदे ने बताया, “हमने कर्नाटक सरकार द्वारा भेजे गए दस्तावेज़ों के विश्लेषण के आधार पर उन्हें प्रशंसा पत्र दिया। यह उनके अच्छे कार्य की सराहना के रूप में था। हाल ही में हमने अभिनेता सोनू सूद को भी ऐसा सर्टिफिकेट दिया है।”

OpIndia ने उनसे इवान गाचिना (Ivan Gacina) की भूमिका के बारे में भी पूछा। इस पर सकुंदे ने कहा, “वो सिर्फ नाम के लिए हैं। असल में मैं ही सब कुछ सँभालता हूँ, प्रशासन मेरे नाम से चलता है।”

जब उनसे पूछा गया कि LBWR भारत में किस रूप में पंजीकृत है, NGO या निजी कंपनी और यूके में इसकी स्थिति क्या है, तो उन्होंने कहा, “हम भारत में NGO के रूप में रजिस्टर्ड हैं और यूके में यह एक प्राइवेट बुक पब्लिशिंग कंपनी के रूप में पंजीकृत है।”

यह जानना दिलचस्प है कि एक ‘बुक पब्लिशिंग’ कंपनी, जो भारत में NGO होने का दावा करती है, ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड’ जैसे प्रमाणपत्र बाँट रही है। सबसे अहम बात, बातचीत के दौरान अविनाश सकुंडे ने एक बार भी यह नहीं बताया कि उनकी कंपनी लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स यूके में इस साल जुलाई में आधिकारिक रूप से बंद (dissolved) हो चुकी है।

OpIndia की जाँच कई सवाल खड़े करती है। जैसे- आखिर कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार ने एक यूके-आधारित निजी कंपनी से ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड’ सर्टिफिकेट के लिए आवेदन क्यों किया? (साभार) 

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