कांग्रेस के इतिहास को खंखालने पर एक बात साफ हो जाती है कि कांग्रेस के DNA में ही हिन्दू विरोध और इस्लाम प्रेम है। और इस्लाम प्रेम को निभाने कांग्रेस किसी भी निचले स्तर पर जाने को रहती है। कांग्रेस ने जितने बदलाव हिन्दू धर्म में किए हैं इस्लाम या ईसाई मजहबों में करने की हिम्मत नहीं। हिन्दू धर्म में होते बदलावों को अशिक्षित बने शिक्षित हिन्दू कांग्रेस को बहुत उदारवादी मान इसके पांव चूमती रही। जबकि अन्य मजहबों में इतनी कमियां है उन्हें दूर करने की हिम्मत नहीं। इतना खुलकर अगर कोई हिन्दू इस मजहबी कांग्रेस को वोट देता है उसके हिन्दू होने पर शक होना स्वाभाविक है।
इस्लाम मजहब में कितनी कमियां है इनको जगजाहिर कर रहे इस्लाम छोड़ चुके Ex-Muslim, जिस तरह इस्लाम छोड़ चुके ये Ex-Muslim इस्लाम पर हमले कर रहे हैं उनका किसी भी सुरमा भोपाली बन घूम रहे इस्लाम के ठेकेदारों के पास कोई जवाब नहीं। जो ज्वलंत सवाल ये पूछते हैं उसका 1/10 हिस्सा भी किसी हिन्दू पूछ लिया होता कट्टरपंथियों ने अपने "सिर तन से जुदा" गुंडा गैंग को सडकों पर उतार दिया होता और हमारी अदालतें भी हिन्दू को ही कसूरवार बताते। कहते हैं न लोहा ही लोहे को काटता है यानि इस्लाम को आईना दिखा रहे हैं ये Ex-Muslim। इनके सोशल मीडिया पर वीडियो देख नतीजा निकाला जा सकता है कि जिस दिन इनकी संख्या कम से कम 50% हो गयी तब मुस्लिम कट्टरपंथी और तुष्टिकरण करने वाले दिखाई नहीं पड़ेंगे।
देखिए वीडियो:-
आजादी के बाद से ही कांग्रेस देश में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करती आई हैं। कांग्रेस ने अपने 60 साल के शासनकाल में मुस्लिम तुष्टिकरण का ऐसा बीज बोया जो आज देश की एकता और सामाजिक संतुलन के लिए चुनौती बन चुका है। देश के पहले प्रधानमंत्री ने जहां अल्पसंख्यकों की विशेष देखभाल की बात कही, वहीं आगे चलकर कांग्रेस नेताओं ने इसे वोट बैंक की राजनीति में बदल दिया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तो यहां तक कह दिया था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुस्लिमों का है। इतना ही नहीं इंदिरा गांधी के पोते राहुल गांधी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ एक ‘सीक्रेट मीटिंग’ में कहा था कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है। उसी सोच की ताजा झलक अब तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के बयान में दिख रही है।
कांग्रेस है तो मुसलमानों की इज्जत है- रेवंत रेड्डीतेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने पार्टी की उसी लाइन पर चलते हुए जुबली हिल्स उपचुनाव में कहा कि कांग्रेस है तो मुसलमानों की इज्जत है, कांग्रेस नहीं तो आप कुछ नहीं हैं। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कांग्रेस की कथित ‘मुस्लिम वोट बैंक’ नीति पर फिर से सवाल उठने लगे हैं।
कांग्रेस मतलब मुसलमान- रेवंत रेड्डी‘Congress hai toh Musalman hai, Congress nahi toh aap Kuch nahi’ 🚨
— Nayini Anurag Reddy (@NAR_Handle) November 4, 2025
So the Congress CM now believes the worth & ijjat of Muslims exists only through Congress? How insulting is that!
A community’s dignity, faith & existence don’t depend on any political party. This isn’t… pic.twitter.com/l9i06qZDPP
कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति और मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति को आगे बढ़ाते हुए सीएम रेड्डी ने यह भी कहा कि कांग्रेस मतलब मुसलमान और मुसलमान मतलब कांग्रेस।
Very big admission by Telangana CM, He says - "Muslims means Congress, Congress means Muslims".
— Mr Sinha (@MrSinha_) November 6, 2025
When we say the same thing, Congress ecosystem abuses us but now their own leader accepts it.
So it's clear for all now? pic.twitter.com/SXHTNVgZWp
राहुल गांधी से लेकर अब रेवंत रेड्डी तक कांग्रेस नेताओं का मुस्लिम प्रेम बार-बार उजागर होता रहा है। जब-जब चुनाव आता है, कांग्रेस को केवल मुस्लिम वोट बैंक की याद आती है, जबकि हिंदू समाज की भावनाओं को नजरअंदाज किया जाता है। इससे यह भी साफ है कि मंच पर संविधान का कॉपी लहराने वाली कांग्रेस खुलकर धर्म की राजनीति खेलती रही है।
एक नजर डालते हैं कांग्रेस के मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति पर…
इंदिरा ने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए बनाया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB)
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) बनाया था। जवाहर लाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी भारत को अपनी जागीर समझती थी, घटती लोकप्रियता और विपक्ष की बढ़ती लोकप्रियता से परेशान होकर, उन्होंने सेक्युलर भारत में मुसलमानों के तुष्टिकरण के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की 1973 में स्थापना की। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लिए इंदिरा गांधी ने विशेष नियम भी बनाया। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुसमानों के पक्ष में अपनी आवाज उठाता रहा। लेकिन यह भी आश्चर्य की बात है कि 95 प्रतिशत मुसलमानों को तो ये भी नहीं पता कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड असल में है क्या? ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने देश में मुसलमानों की इबादतगाहों को कथित रूप से निशाना बनाए जाने पर अपना विरोध दर्ज करता ही रहता है। लेकिन वह इतिहास पढ़ने और मुसलमानों को यह बताने को तैयार नहीं है कि जिन विवादित धार्मिक स्थलों को वह मुसलमानों के पवित्र इबादतगाह बता रहे हैं, दरअसल उसे मुगल शासकों ने हिन्दुओं के प्रमुख मंदिरों को तोड़कर इबादतगाह में बदला था, जो पूरी तरह से गैर इस्लामी कदम था। कायदे से बोर्ड को मुसलमानों को इस बात को लेकर शिक्षित करना चाहिए। बोर्ड अपनी स्थापना के बाद से हिंदू हित के कार्य में बाधा खड़ी करता रहा है। वर्ष 2019 में जब राममंदिर मामले में निर्णय आया तो सभी ने एक स्वर में इसे स्वीकार किया, लेकिन निर्णय के विरुद्ध AIMPLB कोर्ट पहुंच गया और हिंदू हित में बाधा खड़ी करने की कोशिश की।आतंकवादियों के लिए सोनिया गांधी के निकले आंसू
सितंबर 19, 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके में मुठभेड़ हुई। इंडियन मुजाहिदीन के दो आतंकवादी मारे गए। दो अन्य भाग गए, जबकि जीशान को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस निरीक्षक मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए। कांग्रेस ने इसे फर्जी बताने की पूरी कोशिश की। 2012 में यूपी चुनाव के दौरान सलमान खुर्शीद ने मुसलमानों से कहा, “आपके दर्द से वाकिफ हूं। जब बाटला हाउस कांड की तस्वीर सोनिया गांधी को दिखाई थी। तस्वीरें देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए थे।”
बालाकोट एयर स्ट्राइल पर सवाल, पाकिस्तान का बचाव
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी के करीबी सैम पित्रोदा ने कहा कि पुलवामा हमले के लिए पूरे पाकिस्तान को दोषी ठहराना ठीक नहीं है। बालाकोट एयर स्ट्राइल पर सवाल उठाते हुए इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पित्रोदा ने कहा कि हमले के लिए पूरा पाकिस्तान जिम्मेदार नहीं है। सैम पित्रोदा ने पुलवामा हमले के बारे में कहा, “हमले के बारे में मैं ज्यादा कुछ नहीं जानता। यह हर तरह के हमले की तरह है। मुंबई में भी ऐसा हुआ था। हमने इस बार रिएक्ट किया और कुछ जहाज भेज दिए, लेकिन यह सही तरीका नहीं है। मुंबई में (26/11 आतंकी हमला) 8 लोग आते हैं और हमला कर देते हैं। इसके लिए पूरे देश (पाकिस्तान) पर आरोप नहीं लगा सकते है।”
Sam Pitroda,Indian Overseas Congress Chief on #PulwamaAttack:Don’t know much about attacks,it happens all the time,attack happened in Mumbai also,we could have then reacted and just sent our planes but that is not right approach.According to me that’s not how you deal with world. pic.twitter.com/QZ6yXSZXb2
— ANI (@ANI) March 22, 2019
राहुल गांधी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर खड़े किए सवाल
28-29 सितंबर, 2016 की रात पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सेना द्वारा किया गया सर्जिकल स्ट्राइक देश के लिए गौरव का विषय था, लेकिन देशद्रोह पर उतर आई कांग्रेसी नेताओं ने इस पर भी सवाल खड़े कर दिए।कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सवाल खड़े करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर ‘खून की दलाली’ करने का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रधानमंत्री मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा कि हमारे जिन जवानों ने जम्मू-कश्मीर में अपनी जान दी, सर्जिकल स्ट्राइक की। आप उनके खून की दलाली कर रहे हो, ये बिल्कुल गलत है।
कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है- राहुल गांधी
जम्मू कश्मीर में छपने वाले उर्दू दैनिक अखबार “इंकलाब” ने 12 जुलाई, 2018 को बहुत बड़ा खुलासा किया। फ्रंट पेज पर खबर छापी कि 11 जुलाई को राहुल गांधी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ ‘सीक्रेट मीटिंग’ में कहा कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है। इसके साथ यह खबर भी छपी है कि राहुल ने कहा कि उनका और उनकी मां का कमिटमेंट है कि मुसलमानों को उनका हक मिलना चाहिए और इससे वो कोई समझौता नहीं कर सकते।
गुजरात में मंदिर दर्शन के लिए राहुल ने मांगी माफी
12 तुगलक लेन स्थित अपने निवास पर राहुल गांधी ने लगभग 2 घंटे तक मुस्लिमों से बातचीत की। इस दौरान मुस्लिम नेताओं ने राहुल से आपत्त्ति दर्ज कराई और कहा कि आप तो सिर्फ मंदिर जा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने तो मुसलमानों को भुला ही दिया है। मुस्लिम नेताओं की बात सुनकर राहुल गांधी ने कहा कि मैं कर्नाटक में कई मस्जिदों में भी गया हूं। अब मस्जिदों में लगातार जा रहा हूं। खबर ये भी है कि उन्होंने कहा कि गुजरात में मंदिरों में गया था उसके लिए माफी मांगता हूं।
शरिया अदालत लागू करने का राहुल ने किया वादा
सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मांगें भी मान ली थी। बताया गया कि उस समय राहुल गांधी ने ये वादा किया था कि अगर वे 2019 में देश के प्रधानमंत्री बने तो देश के हर जिले में शरिया अदालत बनाने की मांग पूरी कर देंगे।
देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का- मनमोहन सिंह
कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश का संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह यह कहते सुनाई देते हैं कि ‘हमें यह सुनिश्चित करने के लिए इनोवेटिव योजनाएं बनानी होंगी जिससे अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यकों को विकास का समान लाभ मिले। संसाधनों पर पहला हक उनके पास होना चाहिए।’
"We will have to devise innovative plans to ensure that minorities, particularly the Muslim minority, are empowered to share equitably in the fruits of development. They must have the first claim on resources."
— BJP (@BJP4India) April 21, 2024
- Dr Manmohan Singh, 9th Dec, 2006
The Congress doesn’t trust their… https://t.co/MWAf8uP23N pic.twitter.com/EDAKfasXT8
कांग्रेस ने इस बयान से कन्नी काटने की पूरी कोशिश की लेकिन सोशल मीडिया पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आज एक और वीडियो वायरल हो गया। अप्रैल 2009 के इस वीडियो में मनमोहन सिंह अपने पुराने बयान पर कायम रहने की बात कर रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। इस वीडियो में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह अपने 2006 के बयान के बारे में कह रहे हैं कि मैंने कहा कि अल्पसंख्यक और विशेषकर मुस्लिम अल्पसंख्यक, अगर वह गरीब हैं तो उनका देश के संसाधनों पर पहला दावा बनता है, मैंने कहा कि सब तरह के अल्पसंख्यक और साथ में जोड़ा कि विशेषकर मुस्लिम अल्पसंख्यक का हक है, मैं अपने इस बयान पर कायम हूं।
एक और सबूत - पूर्व प्रधानमंत्री ने 2009 के लोकसभा चुनावों के समय फिर से दोहराया था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है, ये बात उन्होंने मुंबई में प्रेस कान्फ्रेंस में एक सवाल के जवाब में दोबारा कही थी. https://t.co/Nc6WP9Vfky
— Vikas Bhadauria (@vikasbha) April 26, 2024
मुस्लिम तुष्टिकरण को लेकर दिए गए इस बयान पर सीनियर जर्नलिस्ट दिलीप मंडल ने कहा था कि ‘मुसलमानों का देश के संसाधनों पर पहला हक वाला मनमोहन सिंह का बयान अचानक नहीं आया था। ठीक इसी दौरान कोशिश हो रही थी कि शिड्यूल्ड कास्ट की लिस्ट में मुसलमानों को भी घुसाया जाए। मुसलमानों को सरकारी नौकरियों में अलग से 15 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। ओबीसी आरक्षण को धर्म के आधार पर बांट कर मुसलमानों को 6 प्रतिशत अलग दिया जाए। धर्म परिवर्तन करने पर भी एससी का दर्जा सुरक्षित रहे।’ उन्होंने एक्स पर लिखा है कि कांग्रेस सरकार रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट के हवाले से दलितों का हक छीन कर मुस्लिमों को देना चाहती थी। उन्होंने यह भी लिखा है कि रंगनाथ मिश्रा धर्मांतरण का रास्ता साफ करने की कोशिश कर रहे थे और सरकार की शह उनको हासिल थी।
मुसलमानों का देश के संसाधनों पर पहला हक वाला मनमोहन सिंह का बयान अचानक नहीं आया था. ठीक इसी दौरान कोशिश हो रही थी कि:
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) April 22, 2024
1. शिड्यूल्ड कास्ट की लिस्ट में मुसलमानों को भी घुसाया जाए
2. मुसलमानों को सरकारी नौकरियों में अलग से 15% आरक्षण दिया जाए
3. ओबीसी आरक्षण को धर्म के आधार पर बांट… pic.twitter.com/zrxfSAe6xC
हिंदू विरोधी कांग्रेसी सरकार में कर्नाटक में मंदिरों से जजिया कर
कांग्रेस पार्टी कितनी हिंदू विरोधी है इसे देश ने कांग्रेस के 60 साल से अधिक के शासनकाल में झेला है। पिछले दिनों कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने एक और हिंदू विरोधी काम किया। कर्नाटक सरकार ने 21 फरवरी, 2024 को विधानसभा में हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक (Karnataka Hindu Religious Institutions and Charitable Endowments Bill 2024) पारित किया। इसके मुताबिक, जिन मंदिरों का राजस्व एक करोड़ रुपये से ज्यादा है, सरकार उनकी आय का 10 प्रतिशत टैक्स लेगी और मंदिर ट्रस्ट में गैर हिंदू भी शामिल हो सकेंगे। यानि जिस तरह मुगल काल में मुगल आक्रमणकारी हिंदुओं से जजिया वसूलते थे कांग्रेस भी उसी तरह हिंदुओं से जजिया टैक्स वसूल रही है।
मंदिरों से मिले 450 करोड़, मुस्लिम और ईसाई को दिए 330 करोड़
कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार कितनी हिंदू विरोधी है उसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 16 फरवरी, 2024 को राज्य का बजट पेश किया। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए राजस्व घाटे का बजट पेश करने के बावजूद सीएम सिद्धारमैया ने खुलकर अल्पसंख्यकों के धार्मिक कार्यों के लिए पैसा लुटाया। 3.71 लाख रुपये के इस बजट में वक्फ संपत्तियों के लिए 100 करोड़ रुपये और भव्य हज हाउस के लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। इसी तरह ईसाई समुदाय के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। यानि कांग्रेस सरकार ने अपने बजट में मुस्लिम और ईसाई समुदाय के लिए 330 करोड़ रुपये का प्रावधान किया। जबकि कर्नाटक के करीब 400 मंदिरों से हिंदू भक्तों द्वारा दिया जाने वाला सालाना औसतन दान 450 करोड़ रुपये सरकार के खजाने में जाता है। यानि हिंदुओं के 450 करोड़ में से 330 करोड़ रुपये मुस्लिम और ईसाई समुदाय को दे दिए गए।
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