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सेक्स गॉड की दी हुई सबसे खूबसूरत चीज, LGBT का स्वागत करें कैथोलिक चर्च: पोप फ्रांसिस

पोप फ्रांसिस  (फोटो साभार: WION)
ईसाइयों के गुरु पोप फ्रांसिस ने कहा है कि ईश्वर द्वारा मनुष्यों को दी गई सबसे खूबसूरत चीज सेक्स है। इसके अलावा उन्होंने हस्तमैथुन, चर्च में LGBT को अधिकार, पॉर्न इंडस्ट्री, गर्भपात और यौन शोषण समेत कई अन्य मुद्दों पर बात की है।

दरअसल, बुधवार (5 अप्रैल 2023) को डिज्नी प्लस प्रोडक्शन ने ‘द पोप आंसर्स’ (The Pope Answers) डॉक्यूमेंट्री रिलीज की है। यह डॉक्यूमेंट्री 20 साल की उम्र के 10 युवाओं के साथ हुई बातचीत पर आधारित है। इन युवाओं ने साल 2022 में पोप फ्रांसिस से कई मुद्दों पर सवाल किए थे।

इस बातचीत में पोप ने सेक्स को लेकर कहा है, “सेक्स गॉड द्वारा मनुष्य को दी गई खूबसूरत चीजों में से एक है।”

मास्टरबेशन यानि हस्तमैथुन को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए पोप ने कहा है कि खुद को सेक्शुअली यानी यौन रूप से व्यक्त करना एक समृद्धि है। इसलिए जो चीज आपको असल यौन अभिव्यक्ति से दूर करती है। वह इस समृद्धि को कम कर सकती है।

LGBT या थर्ड जेंडर को लेकर बात करते हुए पोप फ्रांसिस ने कहा है, “कैथोलिक चर्च को ऐसे लोगों का स्वागत करना चाहिए। सभी व्यक्ति ईश्वर की संतान हैं। ईश्वर किसी को भी अस्वीकार नहीं करता। ईश्वर एक पिता है। मेरे पास किसी को चर्च से निकालने का कोई अधिकार नहीं है।”

वहीं, गर्भपात को लेकर बोलते हुए उन्होंने कहा है कि चर्च के पादरियों को गर्भपात कराने वाली महिलाओं के प्रति दयालु होना चाहिए। लेकिन गर्भपात एक ऐसी प्रथा है जिसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।

डिज्नी प्लस की डॉक्यूमेंट्री ‘द पोप आंसर’ में पोप फ्रांसिस द्वारा की गई इस बातचीत को दुनिया के सबसे बड़े चर्च ‘वैटिकन चर्च’ के आधिकारिक अखबार L’Osservatore Romano में भी प्रकाशित किया गया। अखबार ने पोप फ्रांसिस की इस बातचीत को ‘खुली और ईमानदार बातचीत’ कहा है।

पादरियों के ‘सेक्स पर प्रतिबंध’ के नियम अस्थाई: पोप फ्रांसिस

इससे पहले पोप फ्रांसिस ने पादरियों के लिए बनाए गए नियम ‘सेक्स पर प्रतिबंध’ को अस्थाई बताया था। उन्होंने कहा था कि पादरियों को शादी करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। पोप ने कहा था कि पादरियों को सेक्स करने से रोकने वाले चर्च के पुराने हो चले नियमों की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने उन्होंने चर्चों से भी नियमों में बदलाव की चर्चा का स्वागत करने की अपील की थी।

 

अब पादरी कर सकेंगे सेक्स, अपने ही बयान से पलटे पोप फ्रांसिस, बोले- 1000 साल पुराने नियमों की समीक्षा करेंगे

ईसाइयों के पॉप फ्रांसिस ने पादरियों के लिए बनाए गए नियम ‘सेक्स पर प्रतिबंध’ को अस्थाई बताया है। उनके मुताबिक चर्च के पादरियों को शादी करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। पोप ने कहा कि पादरियों को सेक्स करने से रोकने वाले चर्च के पुराने हो चले नियमों की समीक्षा की जाएगी। 86 साल के पोप फ्रांसिस का यह बयान चर्च में होने वाली बाल शोषण जैसी घटनाओं पर पादरियों की हो रही आलोचना के बाद आया है। उन्होंने चर्चों से भी नियमों में बदलाव की चर्चा का स्वागत करने की अपील की है।

डेलीमेल के अनुसार पोप फ्रांसिस ने यह बयान अर्जेन्टीना के अख़बार इंफोबे से बातचीत के दौरान दिया। पत्रकार ने पोप से जर्मनी के कैथोलिक चर्च द्वारा समलैंगिक विवाहों को मिल रही मान्यताओं और चर्चों में हो रही बच्चों के यौन शोषण की घटनाओं के बारे में सवाल किया था। पोप के अनुसार 11वीं सदी में पादरियों के लिए बनाए गए नियम अनंत काल के लिए नहीं बने थे। उन नियमों को पसंद करने या न करना पोप ने लोगों की अपनी इच्छा पर छोड़ दिया।

इसी बातचीत में उन्होंने सेक्स पर प्रतिबंध को एक अनुशासन बताया। पोप फ्रांसिस के मुताबिक 11वीं सदी में रोमन कैथोलिक चर्चों ने जो भी नियम चर्च के पादरियों के लिए बनाए थे वो सब उस समय की आर्थिक जरूरतों को ध्यान में रख कर बने थे। उनका मानना था कि बिना बाल-बच्चों का पादरी चर्च की भलाई पर अधिक ध्यान देगा। 11 वीं शताब्दी में रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा ‘अविवाहित जीवन’ को केवल वित्तीय कारणों से एक आवश्यकता के रूप में पेश किया गया था, क्योंकि बच्चों के बिना पादरी चर्च को धन छोड़ने की अधिक संभावना रखते थे। उन्होंने आगे बताया कि पूर्वी चर्चों में अधिकतर पादरी विवाहित हैं। पोप के अनुसार दीक्षा से पहले भी विवाहित या कुँवारा रहने का विकल्प दिया जाता है।

तलाक के बढ़ रहे मामलों पर भी पोप फ्रांसिस ने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि ऐसा युवाओं द्वारा जल्दबाजी में शादी कर लेने वाले निर्णय के चलते होता है। पोप फ्रांसिस का यह बयान उनके खुद के साल 2019 में दिए गए बयान का विरोधाभास है। तब पोप ने अविवाहित जीवन को एक उपहार बताते हुए चर्च के पादरियों को इसका पालन करने की नसीहत दी थी।

PETA का दोगला चरित्र : माँसाहारी को दिया ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ का अवॉर्ड

PETA, पोप
जहाँ एक तरफ PETA हिन्दुओं को शाकाहार का पाठ पढ़ाता है और उनके पर्व-त्योहारों को बदनाम करने का प्रयास करता है, वहीं दूसरी तरफ वो ईसाईयों के सर्वोच्च धर्मगुरु वेटिकन के पोप फ्रांसिस को ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ का अवॉर्ड देता है। लेखिका शेफाली वैद्य ने PETA के इस दोहरे रवैए की ओर सबका ध्यान आकृष्ट कराया है। क्या PETA ईसाई मिशनरियों के एजेंडे को प्रमोट करता है?
आखिर PETA ने माँसाहारी पोप को ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ का अवॉर्ड क्यों दिया? उसका कहना है कि अस्सीसी (Assisi) के संत फ्रांसिस के योगदानों को याद किया, जिन्होंने जानवरो के प्रति दया को बढ़ावा दिया था। उसका कहना है कि पोप ने 120 करोड़ रोमन कैथोलिक को कहा है कि वो जानवरों के साथ हिंसा न करें, इसीलिए उन्हें ये अवॉर्ड दिया गया है। साथ ही पोप को पर्यावरणविद भी बताया गया है।


आपको बताते हैं कि पोप खाते क्या हैं? दरअसल, पोप के ही शेफ ने बताया था कि वो सुबह-सुबह नाश्ते में अन्य चीजों के साथ कोल्ड मीट लेते हैं। 12 साल की एक बच्ची ने जब पोप को शाकाहारी बनने की चुनौती दी थी तब पोप ने उसे ‘ब्लेसिंग’ भेज दिया था लेकिन शाकाहारी बनने का आश्वासन नहीं दिया। उन्होंने कहा कि वो बच्चों को अपनी प्रार्थनाओं में याद रखेंगे और धन्यवाद दिया।
लेकिन, यही PETA श्री श्री रविशंकर के ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के परिसर में एक कुत्ते की ‘हत्या का प्रयास’ का आरोप होने पर जाँच और कार्रवाई के लिए कर्नाटक पुलिस को पत्र लिखता है। आखिर PETA चाहता है कि सिर्फ एक ‘कुत्ते की हत्या के प्रयास का आरोप’ पर पूरे राज्य की पुलिस मशीनरी सक्रिय हो जाए? क्या ये सब श्री श्री रविशंकर को बदनाम करने के लिए नहीं किया गया क्योंकि वो हिन्दू संत हैं?
सद्गुरु ने भी एक बार कहा था कि PETA द्वारा जल्लिकट्टु का विरोध करना ठीक नहीं है। उन्होंने समझाया था कि ऐसी संस्थाएँ स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करना नहीं जानती हैं क्योंकि उन्हें स्थानीय मुद्दों और लोगों की समझ ही नहीं होती है। हालाँकि, PETA इंडिया खुद को PETA यूएस से अलग संस्था बता कर अक्सर पल्ला झाड़ लेता है लेकिन फिर दोनों का ‘लोगो’ एक क्यों है?
PETA के एक पूर्व-कर्मचारी ने बताया था कि वो ‘भारत में मुर्गों को ट्रांसपोर्ट के दौरान उनके साथ होने वाली क्रूरता को कैसे रोकें’ जैसे मुद्दों पर रणनीति बनाने के लिए बहस करते हैं। PETA के पूर्व कर्मचारी ने ये भी बताया कि JW Marriot जैसे बड़े पाँच सितारा होटलों में उनकी बैठकें होती हैं। बैठकों में मुर्गे, माँस और अन्य जानवरों के मीट ऑर्डर किए जाते हैं। बता दें कि जीवहत्या का विरोध करने वाले PETA के कर्मचारियों का 5 स्टार होटल में बैठ कर माँस खाना उनके दोहरे रवैए को उजागर करता है।
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शेफाली वैद्य ने PETA को लेकर उसके एक पूर्व एसोसिएट (कर्मचारी) के हवाले से बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने एक स्क्रीनशॉट श...
PETA की वेबसाइट पर जानवरों की हत्या को लेकर मुसलमानों को कई सलाह दी गई है। बताया गया है कि चाकू की धार को एकदम तेज़ कर के रखें। उसे बार-बार धार दें। उसकी लम्बाई ठीक रखें। इसकी लम्बाई 45 सेंटीमीटर होनी चाहिए। सलाह दी गई है कि काफी अच्छे तरीके से जानवर की हत्या करें, तीन से ज्यादा बार वार न करें और जानवर को हाथ-पाँव मारने दें, ताकि खून जल्दी-जल्दी निकल जाए।