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अडानी पॉवर के 3744 करोड़ रूपए बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने लौटाए, बाक़ी पैसा भी जल्द चुकाने को कहा: पहले मंत्री बोला था- ऐसे ही चला लेंगे काम

                                                                                                                साभार-@oneindia.com
बांग्लादेश ने अडानी पावर को 437 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 3744 करोड़ रुपए का बकाया चुका दिया है। ये भुगतान 2017 के समझौते के तहत झारखंड के गोड्डा प्लांट से बिजली आपूर्ति के लिए किया गया है। द्विपक्षीय बिजली आपूर्ति समझौते के तहत किया गया ये सबसे बड़ा भुगतान है।

सूत्रों के मुताबिक भुगतान में बकाया बिल, वहन लागत और 2017 में बांग्लादेश और भारतीय समूह के बीच बिजली खरीद समझौते (पीपीए) से जुड़ी धनराशि भी शामिल हैं।

झारखंड में अडानी के 1,600 मेगावाट के गोड्डा बिजली संयंत्र से बिजली आपूर्ति में महीनों से अनियमितता रही है। भुगतान में देरी के कारण पिछले साल आपूर्ति कम हो गई थी। इस बीच रूस-यूक्रेन जंग और बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता की वजह से बांग्लादेश की वित्तीय स्थिति बिगड़ गई।

जानकारों के मुताबिक बांग्लादेश ने पिछले कुछ महीनों में अपने भुगतान को नियमित कर दिया है। ये भुगतान हर महीने 90-100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा है। बांग्लादेश ने वर्तमान भुगतान के अलावा दो महीने के बिलिंग के लिए लेटर्स ऑफ क्रेडिट (एलसी) लागू किया है और सभी बकाया राशि के लिए विस्तारित संप्रभु गारंटी दी है, जिससे अडानी पावर को अतिरिक्त सुरक्षा मिलेगी।

बांग्लादेश के ऊर्जा मंत्री मुहम्मद फ़ौजुल कबीर खान ने पिछले साल रॉयटर्स से कहा था कि बांग्लादेश अडानी की बिजली आपूर्ति के बिना भी चल सकता है। इस दौरान उन्होने घरेलू उत्पादन क्षमता में वृद्धि का हवाला दिया था। साथ ही माना भी था कि सभी घरेलू इकाइयाँ काम नहीं कर रही हैं।

मंत्री के दावे के बावजूद बांग्लादेश को अडानी पावर के बिजली की जरूरत पड़ी। कंपनी को बड़ा भुगतान करने के बाद बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (BPDB) ने कंपनी से शेड्यूल के अनुसार गोड्डा प्लांट की दोनों इकाइयों से पूरी बिजली आपूर्ति फिर से शुरू करने का अनुरोध किया है। यह प्लांट बांग्लादेश की बिजली की माँग का लगभग 10% पूरा करता है।

BPDB के डेटा से पता चलता है कि अडानी पावर की बिजली दूसरी कंपनियों से आपूर्ति की जाने वाली बिजली से थोड़ी सस्ती पड़ती है। आर्थिक विश्लेषकों का सुझाव है कि इन घटनाक्रमों से अडानी पावर की क्रेडिट रेटिंग में सुधार हो सकता है। कंपनी को उम्मीद है कि उसकी रेटिंग AA से AA+ तक अपग्रेड हो जाएगी। इससे कंपनी को कर्ज लेने में कम व्याज चुकाना पड़ेगा।

2017 का बिजली समझौता अक्सर राजनीतिक बहस का विषय रहा है। बांग्लादेश में तत्कालीन शेख हसीना सरकार के विरोधियों ने मूल्य निर्धारण, पारदर्शिता और आयातित कोयला-आधारित बिजली पर निर्भरता का विरोध किया था। लेकिन अब इसके आगे चलते रहने के आसार हैं। समझौते के समर्थकों का कहना है कि गोड्डा संयंत्र ने बांग्लादेश को विश्वसनीय और प्रतिस्पर्धी मूल्य पर बिजली प्रदान की है, जिससे देश में बिजली की कमी को दूर करने में मदद मिली है।

हाल ही में हुआ वित्तीय समझौता बांग्लादेश के अपने ऊर्जा क्षेत्र को स्थिर करने और अपने समझौते को पूरा करने की वचनबद्धता को दर्शाता है। भुगतान वापस पटरी पर आने और आपूर्ति पूरी तरह से बहाल होने के साथ दोनों पक्ष भविष्य को लेकर भी आशावादी हैं।

अयोध्या राम मंदिर : सरकार से लिया केवल 1 रूपया, लेकिन टैक्स में दे दिए 396 रूपए करोड़: अब तक 2150 करोड़ रूपए लगे; जामा मस्जिद, निजामुद्दीन दरगाह और अजमेर शरीफ से टैक्स कब वसूला जाएगा?


रामभक्तों के सदियों के आंदोलन के बाद अयोध्या में बना राम मंदिर जून, 2025 तक पूरी तरह से तैयार हो जाएगा। राम मंदिर का निर्माण हिन्दू समाज के सहयोग से हुआ है और इसमें सरकार से कोई मदद नहीं ली गई है। मंदिर ने इसके बावजूद सैकड़ों करोड़ का टैक्स भी सरकार को जमा किया है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की एक बैठक में महामंत्री चम्पत राय ने कई जानकारी दी हैं। उन्होंने बताया है कि मंदिर निर्माण का 96% काम पूरा हो चुका है। यह जून, 2025 तक पूरा होगा। मंदिर की दीवाल का काम 60% पूरा हो चुका है। इसके भी जल्द पूरा किए जाने की आशा है।

चम्पत राय ने जानकारी दी है कि मंदिर निर्माण के लिए अब तक 2150 करोड़ रूपए खर्च किए जा चुके हैं। यह पैसा हिन्दुओं ने जमा किया है। राम जन्मभूमि ट्रस्ट के लिए आगे लगने वाली लागत भी इसी फंड से लगाई जाएगी। राम मंदिर ट्रस्ट को हिन्दुओं ने निर्माण के लिए 3500 करोड़ रूपए से अधिक दान में दिए थे।

मंदिर निर्माण के लिए राज्य या केंद्र सरकार से कोई भी आर्थिक सहायता नहीं ली गई है। सरकार ने सांकेतिक रूप से मंदिर निर्माण के लिए 1 रूपया दिया था। यहाँ तक कि जन्मभूमि क्षेत्र के भीतर जो निर्माण कार्य सरकारी एजेंसियाँ कर रही हैं, उसका भी पैसा मंदिर ट्रस्ट ही दे रहा है।

मंदिर क्षेत्र में रामकथा संग्रहालय, विश्रामगृह और तीन प्रवेश द्वार बनाने के लिए उत्तर प्रदेश भवन निर्माण निगम को ट्रस्ट ने 200 करोड़ रूपए का भुगतान किया है। राम मंदिर निर्माण से हिन्दुओं का सदियों की प्रतीक्षा तो पूरी हुई ही है, सरकार के खजाने को भी मोटा फायदा हुआ है।

ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय के अनुसार, अभी तक वह 396 करोड़ रूपए का टैक्स सरकार को अलग-अलग मदों में दे चुके हैं। इसमें GST से लेकर स्टाम्प ड्यूटी तक शामिल है।

चम्पत राय ने बताया है कि 272 करोड़ रूपए GST, 39 करोड़ रूपए TDS, 5 करोड़ रूपए अयोध्या विकास प्राधिकरण को नक्शे पास के लिए, 29 करोड़ रूपए जमीन खरीद पर स्टांप ड्यूटी, 14 करोड़ रूपए  लेबर सेस, 7.4 करोड़ रूपए ESIC, 4 करोड़ रूपए बीमा, 10 करोड़ रूपए बिजली बिल और 14.9 करोड़ रुपए अलग-अलग राज्यों को रॉयल्टी के रूप में दिए गए हैं।

राम मंदिर में श्रद्धालु दान भी खूब कर रहे हैं। श्रद्धालु राम मंदिर को 944 किलोग्राम चाँदी भेंट कर चुके हैं। ट्रस्ट इन्हें चाँदी की ईंटों के रूप में बदल कर जमा कर रहा है। सोने के भी काफी आभूषण प्राप्त हुए हैं। श्रद्धालुओं ने मंदिर में मुकुट, कुंडल एवं बाकी कई आभूषण दिए हैं।

अयोध्या में राम मंदिर बनाने का निर्णय 9 नवम्बर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने राम जन्मभूमि ट्रस्ट का गठन किया था। राम मंदिर का नींव पूजन 5 अगस्त, 2020 को हुआ था। इसके बाद मंदिर बना चालू हुआ। 22 जनवरी, 2024 को मंदिर में श्रीराम की बाल प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। 

राम मंदिर द्वारा करोडो रूपए का टैक्स देने पर हिन्दुओं में चर्चा जोरों पर शुरू हो चुकी है कि दिल्ली की जामा मस्जिद और निजामुद्दीन दरगाह और अजमेर में चिश्ती की मजार पर आने वाले चढ़ावे पर कब टैक्स वसूला जाएगा? आखिर एकतरफा कानून कब तक?