मायावती ने मुझ पर लगाया था यौन शोषण का आरोप : शिवपाल यादव

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राजनीति ने रंग बदलने में गिरगिट को भी मात दे दी। मोदी विरोधी माया और अखिलेश के बीच हुए गठबन्धन पर जितने अधिक खुश हो रहे हैं, उससे कहीं अधिक खुश मायावती हैं। उसका कारण भी है, गेस्ट हाउस काण्ड का बदला लेने के लिए, इस गठबन्धन की आड़ में मायावती ने मुलायम सिंह वंश में फूट डाल, समाजवादी पार्टी के भविष्य को अंधकार में ढकेल दिया है।मायावती को तो संघी ब्रह्मदत्त ने बचा लिया, लेकिन अखिलेश को कौन बचाएगा, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है?  
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी (SP-BSP Alliance) के बीच हुए लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन  हो गया है। अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने 1995 लखनऊ गेस्ट हाउस कांड को लेकर बड़ा बयान दिया है। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने मायावती पर लखनऊ गेस्ट कांड को लेकर हमला करते हुए कहा कि बहन जी ने मुझ पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। बुधवार को चंदौली के सकलडीहा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए शिवपाल सिंह यादव ने कहा, 'बहन जी ने मुझ पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। मैंने कहा था कि मैं जांच के लिए तैयार हूं, मैं नार्को टेस्ट के लिए तैयार हूं, मेरी शर्त यह है कि नार्को टेस्ट बहन जी का भी होना चाहिए, मेरा भी होना चाहिए।' View image on Twitter




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Shivpal Singh Yadav, PSP(L) on 1995 Lucknow guest house case: Behenji ne mujh par yaun shoshan ka aarop lagaya tha. Maine kaha tha mai jaanch ke liye taiyaar hu, mai narco test ke liye taiyaar hu, meri shart yeh hai ki narco test behenji ka bhi hona chahiye, mera bhi hona chahiye
12 जनवरी को जब अखिलेश और मायावती ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गठबंधन का ऐलान किया था तो तब मायावती ने कहा था कि नई राजनीति के लिए वह गेस्ट हाउस कांड को भी भूलकर सपा के साथ हाथ मिलाने के लिए तैयार हुई हैं। इस दौरान मायावती ने शिवपाल सिंह यादव पर निशाना साधना साधते हुए कहा था कि वो (शिवपाल सिंह) को भाजपा की बी-टीम हैं।
क्या है गेस्ट हाउस कांड: साल 1993 में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। दिसंबर 1993 में गठबंधन की सरकार बनी थी लेकिन इसके बाद जून 1995 में मायावती ने गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया।  बाद में मायावती गेस्ट हाउस में बसपा विधायकों और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रही थीं। बसपा के समर्थन वापस लेते ही मुलायम सिंह यादव की पार्टी कम मतों की स्थिति में आ गई।

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