मुजफ्फरनगर दंगा 2013: दो युवकों की हत्या मामले में सात आरोपियों को उम्रकैद की सजा


स्थानीय अदालत ने 2013 मुजफ्फरनगर दंगों (Muzaffarnagar Riot) की शुरुआत से पहले हुई दो युवकों की हत्या मामले में सात लोगों को दोषी करार दिया था आज (फरवरी 8)इन सातों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इनमें से एक आरोपी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश हुआ था। कहा जाता है कि 2013 में इन्हीं दोनों युवकों की हत्या के बाद मुजफ्फरनगर दंगे भड़के थे।
2013 का वो साल था और देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। अखिलेश यादव उस सरकार की अगुवाई कर रहे थे। लेकिन मुजफ्फरनगर की धरती पर एक ऐसे गुनाह की साजिश रची गई थी जिसमें 65 लोगों के लहू से वहां की जमीन लाल हो गई और करीब 50 हजार लोग अपनी ही जमीन पर अपने ही समाज में बेसहारा हो चुके थे। खौफ का वो आलम था जिसकी वजह से लोगों को अपनों पर से ऐतबार उठ चुका था। इन सबके बीच एक जगह जो सबसे ज्यादा चर्चा में रही उसका नाम कवाल था। सवाल उठता है कि क्या कवाल कांड की वजह से ही 65 लोगों की जान चली गई। जो लोग गंगा यमुना के दोआब में भाईचारे के साथ रह रहे थे वो एक दूसरे के खून के प्यासे हो चुके थे। अदालत ने फरवरी 6 को सात लोगों को गौरव और सचिन की हत्या का दोषी करार दिया।
जिले के सरकारी वकील राजीव शर्मा ने बताया कि अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश ने 27 अगस्त, 2013 को युवकों की हत्या और दंगों के मामले में मुजम्मिल, मुजस्सिम, फुरकान, नदीम, जनांगिर, अफजल और इकबाल को दोषी करार दिया था।
सरकारी वकील अंजुम खान के मुताबिक, बुलंदशहर जेल में बंद मुजम्मिल वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश हुआ। पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिल पाने के कारण मुजम्मिल को अदालत नहीं लाया जा सका था।
2013 Muzaffarnagar riots: The 7 convicts - Muzammil, Mujassim, Furkan, Nadeem, Jahangir, Afzal and Iqbal - are accused of killing 2 people - Gaurav and Sachin - and rioting in Kawal village.
इस हत्या के बाद ही 2013 में मुजफ्फरनगर दंगा भड़का था, जिसमें करीब 60 से अधिक लोग मारे गए थे। प्रथम सूचना रिपोर्ट के मुताबिक, जनसठ थाना अंतर्गत कवाल गांव के दो युवकों की हत्या कर दी गयी थी।
kawal riotआंकड़ों के मुताबिक 2013 के दंगे के बाद 6,000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए और दंगे में कथित भूमिका के लिए 1480 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था।
स्मरण हो यही वो दंगा था, जिसका दोष भाजपा पर लगाया गया था, यही वो दंगा था जिसमे समाजवादी पार्टी, तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह और इनके कद्दावर नेता आज़म खान ने नंगा नाच किया था। और इनकी हिन्दू विरोधी दंगे की मंशा को टक्कर दी थी, भाजपा विधायक हुकुम सिंह(अब स्वर्गीय) और संगीत सोम ने। 
कवाल गांव जानसठ तहसील में आता है। 27 अगस्त 2013 को कवाल गांव में दो ममेरे भाइयों सचिन और गौरव की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड के बाद दो समुदाए के बीच नफरत की चिंगारी ऐसी भड़की कि पिछले 72 साल से भाई-चारे और मुहब्बत के साथ रहते चले आ रहे दो समुदाए एक- दूसरे के खून के प्यासे हो गए थे। इस दोहरे हत्याकांड के बाद मुजफ्फरनगर और शामली की धरती लहू से लाल हो गई थी।
दरअसल कवाल के रहने वाले शाहनवाज और मुजस्सिम की बाइक से गौरव की साइकिल भिड़ गई थी। सचिन, गौरव और शाहनवाज-मुस्सिम के बीच की कहासुनी हत्याकांड तक पहुंच गई। इस मामले में आरोपी पक्ष के शाहनवाज की भी मौत हो गई थी।
इस घटना के  बाद मृतक गौरव के पिता रविंद्र सिंह की ओर से जानसठ कोतवाली में कवाल के मुजस्सिम व मुजम्मिल पुत्र नसीम, फुरकान पुत्र फजला, जहांगीर, नदीम, शाहनवाज (मृतक) पुत्रगण सलीम, अफजाल व इकबाल पुत्रगण बुंदू के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। मृतक शाहनवाज के पिता सलीम ने भी मृतक सचिन और गौरव के अलावा पांच परिजनों के खिलाफ जानसठ कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई थी। लेकिन स्पेशल इन्वेस्टिगेशन सेल ने जांच के बाद शाहनवाज हत्याकांड में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी।    

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