आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
बॉलीवुड से टुकड़े टुकड़े गिरोह फिर निकला है बेनकाब होने -पहले गायों की लिंचिंग और हिन्दू बच्चियों के बलात्कार बंद कराओ वामपंथी सुपर टुकड़े टुकड़े गैंग बॉलीवुड से फिर निकला है अपना पुराना "असहिष्णुता" का वही घिसा पिटा राग अलापते हुए। सुप्रीम कोर्ट के जज, डी वाई चंद्रचूड़ का वही तराना छेड़ा है इन वामपंथी ने जिसमे फिर कहा है --बिना असहमति के लोकतंत्र बेमानी है और असहमति के आधार पर किसी को देश-विरोधी, अर्बन नक्सल कहना और उन्हें जेल में रखना ठीक नहीं है।
बड़ी सोंची-समझी सियासत में यह खेल उस समय खेला जा रहा है, जब पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान ने अमेरिका में कबूला कि "पाकिस्तान में 40 आतंकी संगठन और 40000 आतंकी है", अब लोग पाकिस्तान का समर्थन और कश्मीर में आतंकियों के विरुद्ध हो रही सैनिक कार्यवाही न किये जाने पर प्रश्न न करे, अच्छा है मोब्लिंकिंग का मुद्दा उछाल दो। ये ही गैंग है जो पाकिस्तान से बातचीत और कश्मीर में पत्थरबाजों और आतंकियों पर होती सैनिक कार्यवाही का विरोध कर रहे थे।
इस टुकड़े टुकड़े गैंग का कहना है कि जय श्री राम का नारा भड़काऊ बन गया और कई कौम इससे भयभीत हैं। जय श्री राम के नाम पर लोगों की लिंचिंग हो रही है। मोदी जी को इन्होने कहा है कि आपने संसद में लिंचिंग की निंदा की मगर वो काफी नहीं है, अपराधियों को सजा भी मिले। मुसलमानों और दलितों को डराया जा रहा है। इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले कौन कौन है प्रमुख, देखिये - वामपंथी इतिहासकार रामचंद्र गुहा, नक्सली आंदोलन को बढ़ावा देने वाला बिनायक सेन, अनुराग कश्यप, मनि रत्नम, श्याम बेनेगल और अनेक बंगाली कलाकार --पूरे नाम नहीं मिले।
बॉलीवुड से लेकर टॉलीवुड तक की कई बड़ी हस्तियों ने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को ओपन लेटर लिखा है।सेलेब्स ने पीएम मोदी से डिमांड की है कि वो देश में राम के नाम पर हो रहे क्राइम को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएं. इस मुद्दों के बाद फिल्ममेकर विवेक अग्निहोत्री ने सेलेब्स पर कमेंट करते हुए कहा है कि असहिष्णुता गैंग 'रिटर्न्स'. बता दें कि फिल्ममेकर, आर्टिस्ट, समाज सेवी सभी ने मिलकर पीएम मोदी के नाम ये ओपन लेटर लिखा है. इस लिस्ट में श्याम बेनेगल, अनुराग कश्यप, बिनायक सेन, सोमित्र चटर्जी, कोंकणा सेन शर्मा, शुभा मुद्गल, अनुपम रॉय जैसे बड़े नाम शामिल हैं.
असहिष्णुता गैंग 'रिटर्न्स'--विवेक अग्निहोत्री
विवेक अग्निहोत्री ने आगे कहा कि इतने सालों से सब लोग शांत बैठे हुए थे, 2014 से अहिष्णुता दिखने लगी. 1984 का दंगा लोग भूल गए जब कश्मीरी पंडित मारे गए थे तो किसी को अहिष्णुता नहीं दिखी. पीएम मोदी ने आम आदमी को सशक्त किया है तो इन लोगों की दुकाने बंद हो रही है, इसलिए ये ऐसा कर रहे हैं.
कौन किसे डरा रहा है; अरे प्रधानमंत्री मोदी ने लिंचिंग की निंदा तो की मगर साथ में बंगाल और केरल में हो रही हत्याओं की भी निंदा की थी, उसके लिए तुम्हारी जुबान कर क्यों ताला लग गया? तुम्हारी जुबान पर संगठित अपराध के तौर पर 3 से 10 साल की हिन्दू बच्चियों का बलात्कार कर रहे मुसलमानों का नाम लेते हुए ताला क्यों लग गया है? मोदी लिंचिंग की निंदा करता है, वो तुम्हे काफी नहीं लगता मगर तुम तो उनके अपराध की निंदा भी नहीं करते जो वो हिन्दू समाज के खिलाफ कर रहे हैं। एक बात ये बॉलीवुड का टुकड़े टुकड़े गैंग याद रखे कि मासूम गायों की लिंचिंग अपनी भूख मिटाने के लिए बंद नहीं करोगे तो हालात बेकाबू होंगे और उसके लिए आप जिम्मेदार होंगे --तुम कहते हो जय श्री राम से डराया जा रहा है जबकि तुम्हारी आँखे बंद हैं ये देखने के लिए कि जय श्री राम कहने पर ममता बनर्जी लोगों को जेल में डाल रही है।वो सड़कों पर नमाज पढ़ने को सही मानती है और हनुमान चालीसा पढ़ने पर हिन्दुओं को डरा रही है और तुम सब चुप हो। अब तुम ये कहने की हिम्मत कर रहे हो, कि देश में राम का नाम भी लेना गुनाह है।
तुम किसके डरने की बात कर रहे हो, उस मुस्लिम कौम की जिसके लोग अल्लाह-हु-अकबर बोल कर मंदिरों को तोड़ जाते हैं -- वो डरने वाली कौम नहीं है, वो तो हिन्दुओं को डराने का काम कर रही है, इतना ही नहीं ऐसे सिरफिरे लोग मुस्लिम समाज को भी कलंकित कर रहे हैं। आप लोग ऐजाज खान की हिन्दुओं को क़त्ल करने की धमकी पर चुप हो और अकबरुद्दीन ओवैसी की 100 करोड़ हिन्दुओं को 15 मिनट में पुलिस हटा कर ख़त्म करने की धमकी पर चुप रहते हो। तुम काहे बात के सेलेब्स हो, तुम लोग तो समाज के वो शत्रु हो जो कोढ़ बन कर समाज को खा रहे हो। अरे मुस्लिम कौम डरी हुई है, ये राग अलापना बंद कर रोहिंग्या मुसलमानों को इस डर के माहौल से बाहर जाने के लिए कहो और उन्हें चीन भेजने के लिए बंदोबस्त करो-सभी लोग एक ही अभियान चलायें --चाहे फेसबुक पर या ट्विटर पर -
बॉलीवुड से टुकड़े टुकड़े गिरोह फिर निकला है बेनकाब होने -पहले गायों की लिंचिंग और हिन्दू बच्चियों के बलात्कार बंद कराओ वामपंथी सुपर टुकड़े टुकड़े गैंग बॉलीवुड से फिर निकला है अपना पुराना "असहिष्णुता" का वही घिसा पिटा राग अलापते हुए। सुप्रीम कोर्ट के जज, डी वाई चंद्रचूड़ का वही तराना छेड़ा है इन वामपंथी ने जिसमे फिर कहा है --बिना असहमति के लोकतंत्र बेमानी है और असहमति के आधार पर किसी को देश-विरोधी, अर्बन नक्सल कहना और उन्हें जेल में रखना ठीक नहीं है।
बड़ी सोंची-समझी सियासत में यह खेल उस समय खेला जा रहा है, जब पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान ने अमेरिका में कबूला कि "पाकिस्तान में 40 आतंकी संगठन और 40000 आतंकी है", अब लोग पाकिस्तान का समर्थन और कश्मीर में आतंकियों के विरुद्ध हो रही सैनिक कार्यवाही न किये जाने पर प्रश्न न करे, अच्छा है मोब्लिंकिंग का मुद्दा उछाल दो। ये ही गैंग है जो पाकिस्तान से बातचीत और कश्मीर में पत्थरबाजों और आतंकियों पर होती सैनिक कार्यवाही का विरोध कर रहे थे।
इस टुकड़े टुकड़े गैंग का कहना है कि जय श्री राम का नारा भड़काऊ बन गया और कई कौम इससे भयभीत हैं। जय श्री राम के नाम पर लोगों की लिंचिंग हो रही है। मोदी जी को इन्होने कहा है कि आपने संसद में लिंचिंग की निंदा की मगर वो काफी नहीं है, अपराधियों को सजा भी मिले। मुसलमानों और दलितों को डराया जा रहा है। इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले कौन कौन है प्रमुख, देखिये - वामपंथी इतिहासकार रामचंद्र गुहा, नक्सली आंदोलन को बढ़ावा देने वाला बिनायक सेन, अनुराग कश्यप, मनि रत्नम, श्याम बेनेगल और अनेक बंगाली कलाकार --पूरे नाम नहीं मिले।
बॉलीवुड से लेकर टॉलीवुड तक की कई बड़ी हस्तियों ने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को ओपन लेटर लिखा है।सेलेब्स ने पीएम मोदी से डिमांड की है कि वो देश में राम के नाम पर हो रहे क्राइम को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएं. इस मुद्दों के बाद फिल्ममेकर विवेक अग्निहोत्री ने सेलेब्स पर कमेंट करते हुए कहा है कि असहिष्णुता गैंग 'रिटर्न्स'. बता दें कि फिल्ममेकर, आर्टिस्ट, समाज सेवी सभी ने मिलकर पीएम मोदी के नाम ये ओपन लेटर लिखा है. इस लिस्ट में श्याम बेनेगल, अनुराग कश्यप, बिनायक सेन, सोमित्र चटर्जी, कोंकणा सेन शर्मा, शुभा मुद्गल, अनुपम रॉय जैसे बड़े नाम शामिल हैं.
विवेक अग्निहोत्री |
विवेक अग्निहोत्री ने आगे कहा कि इतने सालों से सब लोग शांत बैठे हुए थे, 2014 से अहिष्णुता दिखने लगी. 1984 का दंगा लोग भूल गए जब कश्मीरी पंडित मारे गए थे तो किसी को अहिष्णुता नहीं दिखी. पीएम मोदी ने आम आदमी को सशक्त किया है तो इन लोगों की दुकाने बंद हो रही है, इसलिए ये ऐसा कर रहे हैं.
कौन किसे डरा रहा है; अरे प्रधानमंत्री मोदी ने लिंचिंग की निंदा तो की मगर साथ में बंगाल और केरल में हो रही हत्याओं की भी निंदा की थी, उसके लिए तुम्हारी जुबान कर क्यों ताला लग गया? तुम्हारी जुबान पर संगठित अपराध के तौर पर 3 से 10 साल की हिन्दू बच्चियों का बलात्कार कर रहे मुसलमानों का नाम लेते हुए ताला क्यों लग गया है? मोदी लिंचिंग की निंदा करता है, वो तुम्हे काफी नहीं लगता मगर तुम तो उनके अपराध की निंदा भी नहीं करते जो वो हिन्दू समाज के खिलाफ कर रहे हैं। एक बात ये बॉलीवुड का टुकड़े टुकड़े गैंग याद रखे कि मासूम गायों की लिंचिंग अपनी भूख मिटाने के लिए बंद नहीं करोगे तो हालात बेकाबू होंगे और उसके लिए आप जिम्मेदार होंगे --तुम कहते हो जय श्री राम से डराया जा रहा है जबकि तुम्हारी आँखे बंद हैं ये देखने के लिए कि जय श्री राम कहने पर ममता बनर्जी लोगों को जेल में डाल रही है।वो सड़कों पर नमाज पढ़ने को सही मानती है और हनुमान चालीसा पढ़ने पर हिन्दुओं को डरा रही है और तुम सब चुप हो। अब तुम ये कहने की हिम्मत कर रहे हो, कि देश में राम का नाम भी लेना गुनाह है।
जब मायावती ने ये बयान दिया था, कहाँ थे ये गैंग? |
सोशल मीडिया की इस सूचना पर गौर फरमाएं:-
गोपालगंज, बिहार।
मॉब-लिंचिंग आज भारत में सबसे बड़ा मीडियाई मुद्दा बना हुआ है। हर चैनल इस मुद्दे पर डिबेट-डिबेट खेल रहा है। खेलना भी चाहिए, कुल मिला कर इस देश में खेल ही तो हो रहा है।
छपरा की घटना में तीन लोगों की मृत्यु हुई है, जिनमें दो नट हैं। बिहार के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले हर व्यक्ति को पता है कि नटों का पेशा आज भी चोरी, डकैती, लूट, हत्या आदि ही है। आज भी बिहार में होने वाली सत्तर से अस्सी प्रतिशत चोरियाँ यही नट करते हैं। जिस नट की पत्नी की मेहन्दी दिखा कर टीवी चैनलों पर आँसू बेचे जा रहे हैं, मेरा दावा है कि उसने अब तक दस से अधिक महिलाओं का सिंदूर पोंछा होगा। यह केवल मैं नहीं कह रहा, घटना स्थल से पाँच किलोमीटर के क्षेत्र के किसी गाँव में पूछ लीजिये, लोग जरूर बताएंगे। यही सत्य है...
पिछले दो वर्षों से बिहार में चोरी/लूट की बाढ़ आई हुई है। प्रतिदिन के समाचार पत्र में हर जिले में कम से कम दस लूट की घटनाएं दिख जाती हैं। हिसाब लगाएँ तो प्रतिवर्ष लाखों घटनाएं घटती हैं लूट की। बैंक से बेटी की शादी के लिए पैसा ले कर आते बुजुर्ग से... पेंशन निकाल कर लाते व्यक्ति से... माँ के ऑपरेशन के लिए पैसा लाते बेटे से... व्यपारी से... किसान से... सबसे। इन सारी घटनाओं में एक समानता यह है कि वर्ष भर में हुई कुल घटनाओं में किसी एक पीड़ित का भी धन वापस नहीं मिलता। केस होता है, जाँच होती है, गिरफ्तारी भी होती है, पर धन वापस नहीं मिलता।
इन प्रतिवर्ष के लाखों पीड़ितों के लिए कोई ख़बरबाज आगे नहीं आता, किसी चैनल पर उनके लिए डिबेट नहीं होती। ऐसे पीड़ित लोगों में प्रतिवर्ष हजारों लोग दुःख, चिन्ता, हाय से मर जाते हैं, और कोई जानता तक नहीं।
फिर क्या करे आम आदमी? लुटता रहे? मरता रहे? या गब्बर सिंह की तरह चोरों का हफ्ता बाँध दे? चोरी-डकैती-लूट समाप्त हो नहीं रही, पुलिस भी जब कभी ऊब कर इन लुटेरों का एनकाउंटर करती है तो मानवाधिकार के नाम पर उसका विरोध होने लगता है। फिर क्या किया जाय?
आप कहते हैं इसके लिए कानून है? क्या सचमुच कानून है? यदि है तो कितने पीड़ितों को उनका धन वापस मिलता है? और यदि पीड़ित को उसका धन वापस नहीं मिलता तो क्या मूल्य है उस कानून का?
कल ही सुना, किसी चैनल की सेल्स-गर्ल गरज रही थी, " गाय के लिए हत्या हो गयी? कितने बर्बर हो गए लोग?"
गाँव का व्यक्ति जानता है, अच्छी नश्ल की एक गाय कम से कम पचास हजार में मिलती है, दो गायों का मूल्य कम से कम एक लाख। चैनल पर एक डिबेट करा देने के लिए लाखों वसूलने वाले यह जान कर भी नहीं जानना चाहते कि एक किसान के लिए "एक लाख" कितने होते हैं। श्रीमान! इस देश के सत्तर प्रतिशत असली किसानों ने कभी एक साथ एक लाख रुपया नहीं देखा है। उन्हीं चैनलों पर दिखाया जाता रहा है न कि पचास हजार के कर्ज के कारण फलाँ किसान ने आत्महत्या कर ली? तो जो किसान पचास हजार के कर्ज के भय से आत्महत्या कर लेता है, वह एक लाख की चोरी पर क्या नहीं करेगा?
ख़बरबाज महोदय! यह हारी हुई जनता है। इसका भरोसा हर ओर से उठ गया है। कोई आम आदमी नहीं चाहता कि वह लफड़ा कर के केस में फंसे। हत्या तो छोड़िए, लोग झगड़ा तक करना नहीं चाहते। सड़क पर खून होते देख कर भी लोग बगल से निकल जाते हैं आजकल। ऐसे समय में यदि कोई आम आदमी किसी को पीट-पीट कर मार रहा है न, तो समझ लीजिए कि वह अब ऊब चुका है। वह हर ओर से हार कर मरने-मारने पर उतारू हुआ है। दुनिया का कोई कानून, कोई शक्ति उसे रोक नहीं सकती। जब तक लूट होती रहेगी, कहीं न कहीं लुटेरे मारे जाते रहेंगे।
आम आदमी जान बूझ कर खलनायक नहीं बनता महाराज। चोरों और उनके हितैषियों की मिलीभगत उसे 'खलनायक' बनाती है।
कोई सन्त नहीं मरा है, कोई स्वतंत्रता सेनानी नहीं मरा है, चोर मरे हैं। हत्यारे,लुटेरे मरे हैं। कोई सम्वेदना नहीं इनके लिए। चोरों के लिए आँसू बहाने से जिनकी रोजी-रोटी चलती हो वे रोयें।
एक बात और! हर बात में जाति और धर्म खोजने वाले महानुभावों! एक काम कीजिये। किसी एक दिन का समाचारपत्र निकाल कर उसमें छपे सभी अपराधों के अपराधियों का नाम पढ़ कर जाति-धर्म का आँकड़ा निकाल लीजिए। आपके मुह में दही न जम जाय तो कहियेगा।
छपरा की घटना में तीन लोगों की मृत्यु हुई है, जिनमें दो नट हैं। बिहार के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले हर व्यक्ति को पता है कि नटों का पेशा आज भी चोरी, डकैती, लूट, हत्या आदि ही है। आज भी बिहार में होने वाली सत्तर से अस्सी प्रतिशत चोरियाँ यही नट करते हैं। जिस नट की पत्नी की मेहन्दी दिखा कर टीवी चैनलों पर आँसू बेचे जा रहे हैं, मेरा दावा है कि उसने अब तक दस से अधिक महिलाओं का सिंदूर पोंछा होगा। यह केवल मैं नहीं कह रहा, घटना स्थल से पाँच किलोमीटर के क्षेत्र के किसी गाँव में पूछ लीजिये, लोग जरूर बताएंगे। यही सत्य है...
पिछले दो वर्षों से बिहार में चोरी/लूट की बाढ़ आई हुई है। प्रतिदिन के समाचार पत्र में हर जिले में कम से कम दस लूट की घटनाएं दिख जाती हैं। हिसाब लगाएँ तो प्रतिवर्ष लाखों घटनाएं घटती हैं लूट की। बैंक से बेटी की शादी के लिए पैसा ले कर आते बुजुर्ग से... पेंशन निकाल कर लाते व्यक्ति से... माँ के ऑपरेशन के लिए पैसा लाते बेटे से... व्यपारी से... किसान से... सबसे। इन सारी घटनाओं में एक समानता यह है कि वर्ष भर में हुई कुल घटनाओं में किसी एक पीड़ित का भी धन वापस नहीं मिलता। केस होता है, जाँच होती है, गिरफ्तारी भी होती है, पर धन वापस नहीं मिलता।
इन प्रतिवर्ष के लाखों पीड़ितों के लिए कोई ख़बरबाज आगे नहीं आता, किसी चैनल पर उनके लिए डिबेट नहीं होती। ऐसे पीड़ित लोगों में प्रतिवर्ष हजारों लोग दुःख, चिन्ता, हाय से मर जाते हैं, और कोई जानता तक नहीं।
फिर क्या करे आम आदमी? लुटता रहे? मरता रहे? या गब्बर सिंह की तरह चोरों का हफ्ता बाँध दे? चोरी-डकैती-लूट समाप्त हो नहीं रही, पुलिस भी जब कभी ऊब कर इन लुटेरों का एनकाउंटर करती है तो मानवाधिकार के नाम पर उसका विरोध होने लगता है। फिर क्या किया जाय?
आप कहते हैं इसके लिए कानून है? क्या सचमुच कानून है? यदि है तो कितने पीड़ितों को उनका धन वापस मिलता है? और यदि पीड़ित को उसका धन वापस नहीं मिलता तो क्या मूल्य है उस कानून का?
कल ही सुना, किसी चैनल की सेल्स-गर्ल गरज रही थी, " गाय के लिए हत्या हो गयी? कितने बर्बर हो गए लोग?"
गाँव का व्यक्ति जानता है, अच्छी नश्ल की एक गाय कम से कम पचास हजार में मिलती है, दो गायों का मूल्य कम से कम एक लाख। चैनल पर एक डिबेट करा देने के लिए लाखों वसूलने वाले यह जान कर भी नहीं जानना चाहते कि एक किसान के लिए "एक लाख" कितने होते हैं। श्रीमान! इस देश के सत्तर प्रतिशत असली किसानों ने कभी एक साथ एक लाख रुपया नहीं देखा है। उन्हीं चैनलों पर दिखाया जाता रहा है न कि पचास हजार के कर्ज के कारण फलाँ किसान ने आत्महत्या कर ली? तो जो किसान पचास हजार के कर्ज के भय से आत्महत्या कर लेता है, वह एक लाख की चोरी पर क्या नहीं करेगा?
ख़बरबाज महोदय! यह हारी हुई जनता है। इसका भरोसा हर ओर से उठ गया है। कोई आम आदमी नहीं चाहता कि वह लफड़ा कर के केस में फंसे। हत्या तो छोड़िए, लोग झगड़ा तक करना नहीं चाहते। सड़क पर खून होते देख कर भी लोग बगल से निकल जाते हैं आजकल। ऐसे समय में यदि कोई आम आदमी किसी को पीट-पीट कर मार रहा है न, तो समझ लीजिए कि वह अब ऊब चुका है। वह हर ओर से हार कर मरने-मारने पर उतारू हुआ है। दुनिया का कोई कानून, कोई शक्ति उसे रोक नहीं सकती। जब तक लूट होती रहेगी, कहीं न कहीं लुटेरे मारे जाते रहेंगे।
आम आदमी जान बूझ कर खलनायक नहीं बनता महाराज। चोरों और उनके हितैषियों की मिलीभगत उसे 'खलनायक' बनाती है।
कोई सन्त नहीं मरा है, कोई स्वतंत्रता सेनानी नहीं मरा है, चोर मरे हैं। हत्यारे,लुटेरे मरे हैं। कोई सम्वेदना नहीं इनके लिए। चोरों के लिए आँसू बहाने से जिनकी रोजी-रोटी चलती हो वे रोयें।
एक बात और! हर बात में जाति और धर्म खोजने वाले महानुभावों! एक काम कीजिये। किसी एक दिन का समाचारपत्र निकाल कर उसमें छपे सभी अपराधों के अपराधियों का नाम पढ़ कर जाति-धर्म का आँकड़ा निकाल लीजिए। आपके मुह में दही न जम जाय तो कहियेगा।
#सर्वेश_तिवारी_श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।
*पलिया तहसील के ग्राम बड़ा गाँव मे पूजा के फूल तोड़ने के लिए एक लड़के को मदरसे के मौलाना ने मारी लाठियां,*
*मदरसे के मौलाना नसीब उल्लाह पुत्र मसीह उल्ला बड़ागांव अतरिया ने फूल तोड़ते लड़के निहाल शर्मा पुत्र श्रीकृष्ण शर्मा बड़ागांव अतरिया को सिर्फ फूल तोड़ने को लेकर मारा,*
*लड़के के परिजनों ने लिखाया मुकदमा,*
*मौलाना हुए गिरफ्तार,*
*फूल तोड़ने जैसे छोटे मामले में मौलाना की दबंगई से परिजनों व ग्रामीणों में भारी रोष।#अब भाईचारे वाले और गंगा जमुनी तहजीब वाले कहां गए?
देश को बदनाम करने की साज़िश
आखिर ये गैंग देश को किस दिशा में लेकर जाना चाहता है? ये वही गैंग है जो अपनी फिल्मों के हिन्दुओं के विरुद्ध मीठा जहर फैलाकर इस्लाम और ईसाई को दयावान और परोपकारी दर्शाते रहे। भारत के स्वर्णमयी इतिहास को धूमिल कर मुगलों का गुणगान करते रहे। ये गैंग शिक्षित होकर अपने ही देश के स्वर्णमयी इतिहास को धूमिल कर, कौन-सी शिक्षा का ज्ञान फैला रहा है। यदि ये ही गैंग किसी विदेशी धरती पर ऐसा करते, न जाने कबके जेलों में अपना जीवन-निर्वाह कर रहे होते। ये भारत ही है, जहाँ इस तरह के गैंग सक्रीय रह सकते हैं। ये जितने भी #metoo, #intolerance, #not in my name, #mob lynching, #award vapsi आदि जितने भी गैंग हैं, इनकी गम्भीर जाँच-पड़ताल जरुरी है। इन्हें कश्मीर में सुरक्षाकर्मियों पर होते हमले नज़र नहीं आते।
देश में इस तरह का माहौल बनाया जा रहा है कि मुसलमानों का रहना मुश्किल हो गया है। मीडिया के एक धड़ा और धर्मनिरपेक्षता का ढोंग करने वाले लोग जहर फैला रहे हैं कि हिन्दुवादी संगठनों ने देश भर में मुसलमानों के लिए विकट हालात पैदा कर दिए हैं और मुसलमानों से जबरन जय श्रीराम कहवाया जा रहा है। यदि कोई मुसलमान ऐसा नहीं करता है, तो उसे मारा-पीटा जाता है। जबकि सच्चाई इसके उलट है। जय श्रीराम कहलवाने को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार का बदनाम करने वाले लोग साजिशन ऐसा कर रहे हैं। हिन्दुओं द्वारा मामूली झगड़े को सांप्रदायिक रंग देने वाले ये छद्म धर्मनिरपेक्ष लोग मुसलमानों द्वारा फैलाई जा रही हिंसा पर चुप्पी साध लेते हैं। इन लोगों को हिन्दुओं के साथ की जा रही मॉब लिंचिंग दिखाई नहीं देती है। देश में हिन्दुओं, दलितों, आदिवासियों के साथ मॉब लिंचिंग की घटनाएं आम हैं, लेकिन हिन्दु विरोधी ताकतों को ये दिखाई नहीं देता है।
इमाम से नहीं बुलवाया गया ‘जय श्री राम‘, मामले में सांप्रदायिक एंगल नहीं है : SP ने मीडिया रिपोर्ट्स का किया खंडन
कई मीडिया संस्थानों ने खबर चलाई कि इमाम इमलाकुर रहमान नामक व्यक्ति को प्रताडित किया गया और उसे ‘जय श्री राम’ बोलने को मजबूर किया गया। रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया था कि आरोपितों ने उसकी दाढी खींची और इस मामले में कुल 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। अब पता चला है कि यह भी एक फेक ‘हेट क्राइम’ था क्योंकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। बागपत के एसपी ने ऐसी किसी भी रिपोर्ट को गलत ठहराया है और साफ-साफ कहा है कि इमलाकुर रहमान को किसी ने भी ‘जय श्री राम’ बोलने को बाध्य नहीं किया।
एसपी शैलेश कुमार पांडेय ने ऑपइंडिया से बातचीत करते हुए कहा कि इमलाकुर रहमान को जबरन ‘जय श्री राम’ बोलने को मजबूर नहीं किया गया, उसकी दाढी नहीं खींची गई और उसके साथ हुए दुर्व्यवहार में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है। यह कुछ लोगों और इमाम के बीच हुआ एक वाद-विवाद था, इसमें मजहब के आधार पर ‘हेट क्राइम’ जैसा कुछ भी नहीं था।
इमाम और सभी आरोपित मुजफ्फरनगर के हैं। एसपी पांडेय ने बताया कि इस झगडे के बाद इमाम अपने सहयोगियों के साथ मुजफ्फरनगर थाना पहुँचे और शिकायत दर्ज कराई। उस दौरान इमाम ने जबरन ‘जय श्री राम’ बुलवाने या फिर दाढी खींचे जाने का कोई उल्लेख नहीं किया। इमाम को बताया गया कि जहाँ घटना हुई, वह क्षेत्र बागपत पुलिस के अंतर्गत आता है। जब वह बागपत थाना पहुँचा, तब उसने अपनी शिकायत में ‘जय श्री राम’ वाली बात जोडी।
एसपी पांडेय ने मुजफ्फरनगर पुलिस से बात की तो उन्हें पता चला कि शुरुआती एफआईआर में कहीं भी जबरन ‘जय श्री राम’ बुलवाने का उल्लेख नहीं किया गया था। जब इमाम ने मुजफ्फरनगर पुलिस स्टेशन में अपनी आपबीती सुनाई, तब उसके पूरे बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई थी। एसपी पांडेय ने बताया कि उक्त वीडियो फुटेज देखने के बाद यह साफ हो गया कि उसने अपनी शिकायत में जबरन ‘जय श्री राम’ बोलने को मजबूर करने वाली बात नहीं कही थी। अर्थात, इसे बाद में मैनुफैक्चर किया गया।
जब बागपत एसपी से यह पूछा गया कि आखिर इमाम ने बाद में अपनी शिकायत में ‘जय श्री राम’ वाली बात क्यों जोडी, तो उन्होंने कहा कि अपने सहयोगियों के प्रभाव में आने के बाद उसने ऐसा किया। एसपी ने अंदेशा जताया कि उसके मित्रों ने उसे सलाह दी होगी कि जबरन ‘जय श्री राम’ बुलवाने वाली बात शिकायत में जोड देने के बाद मीडिया इस घटना को ज्यादा महत्त्व देगा और इसे फैलाया जाएगा। इसे सांप्रदायिक एंगल देने से ज्यादा गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी, ऐसा उसका सोचना था।
हिन्दुओं पर जुल्म की घटना नंबर-1
8 जनवरी, 2019 को मुंबई के मलाड मुसलमानों की टोली ने एक पेट्रोल पंप पर तोड़फोड़ की और स्टाफ को मारा, क्योंकि पेट्रोल पंप पर लंबी लाइन की वजह से उन्हें नमाज के लिए देर हो रही थी।
नंबर-2
15 मई, 2019 को उत्तर प्रदेश के गोंडा में मामूली विवाद के बाद चार मुसलमानों ने विष्णु कुमार गोस्वामी नाम के युवक को पेट्रोल डालकर जला दिया, लेकिन कहीं से इसके विरोध में कोई आवाज नहीं उठती है।नंबर-3
18 मई, 2019 को उत्तर प्रदेश के मथुरा में मुसलमानों की भीड़ ने एक हिन्दू युवक को सरेआम पीट-पीट कर मार डाला। भारत यादव और पंकज यादव नाम को दो भाई मथुरा में लस्सी की दुकान चलाते थे। 18 मई को कुछ मुस्लिम आए और 15 गिलास लस्सी पी। जब भाइयों ने पैसे मांगे तो मुसलमानों ने अपने साथियों को बुलाया और दोनों को काफिर कहते हुए मारा-पीटा। पिटाई से भरत यादव की मौत हो गई। इतनी बड़ी घटना को मीडिया ने भी दबा दिया और धर्मनिरपेक्षता का ढोंग करने वालों ने भी।
नंबर-4
7 जून, 2019 को उत्तर प्रदेश के शामली में मुसलमानों की भीड़ ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर हमला बोल दिया। इतना ही नहीं जब पुलिस आरोपियों को पकड़ने गई तो पुलिस टीम पर भी पथराव किया गया।
नंबर-5
10 जून, 2019 को बिहार में बेगूसराय के नूरपुर गांव में 10 जून की रात को कुछ मुस्लिम युवकों ने एक दलित महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। गांव छोड़ने की धमकी भी दी। लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए किसी ने आंदोलन नहीं चलाया।
नंबर-6
23 जून, 2019 को बिहार के जमुई में शमशुद्दीन अंसारी नाम का शख्स एक 8 वर्षीय हिन्दू बच्ची की रेप के बाद हत्या कर देता है, लेकिन इस घटना के खिलाफ किसी का मुंह नहीं खुलता है।
नंबर-7
24 जून, 2019 को मध्य प्रदेश के गुना में अपहरण के आरोपी इमरान के परिजनों ने पुलिस स्टेशन पर हमला बोल दिया और पुलिसवालों को जान से मारने की धमकी दी।
नंबर-8
1 जुलाई 2019 को दिल्ली के लाल कुआँ इलाके में सैकड़ों मुस्लिम युवकों की भीड़ पार्किंग विवाद में सौ साल पुराने मंदिर में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़ देती है। देश की राजधानी में हुई इस घटना के बाद मुसलमानों की इस करतूत के खिलाफ कहीं कोई आवाज नहीं उठी।
इन 8 घटनाओं से साफ है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने की साजिश रचने वालों को हिन्दुओं के खिलाफ मुसलमानों द्वारा की गई लिंचिंग की खबरों से कोई मतलब नहीं है। ऐसी घटनाओं पर ये लोग आंखें मूंद लेते हैं। लेकिन ऐसी राष्ट्रविरोधी ताकतों से सतर्क रहने की जरूरत है।
अवलोकन करें:-
*फूल तोड़ने जैसे छोटे मामले में मौलाना की दबंगई से परिजनों व ग्रामीणों में भारी रोष।#अब भाईचारे वाले और गंगा जमुनी तहजीब वाले कहां गए?
देश को बदनाम करने की साज़िश
देश में इस तरह का माहौल बनाया जा रहा है कि मुसलमानों का रहना मुश्किल हो गया है। मीडिया के एक धड़ा और धर्मनिरपेक्षता का ढोंग करने वाले लोग जहर फैला रहे हैं कि हिन्दुवादी संगठनों ने देश भर में मुसलमानों के लिए विकट हालात पैदा कर दिए हैं और मुसलमानों से जबरन जय श्रीराम कहवाया जा रहा है। यदि कोई मुसलमान ऐसा नहीं करता है, तो उसे मारा-पीटा जाता है। जबकि सच्चाई इसके उलट है। जय श्रीराम कहलवाने को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार का बदनाम करने वाले लोग साजिशन ऐसा कर रहे हैं। हिन्दुओं द्वारा मामूली झगड़े को सांप्रदायिक रंग देने वाले ये छद्म धर्मनिरपेक्ष लोग मुसलमानों द्वारा फैलाई जा रही हिंसा पर चुप्पी साध लेते हैं। इन लोगों को हिन्दुओं के साथ की जा रही मॉब लिंचिंग दिखाई नहीं देती है। देश में हिन्दुओं, दलितों, आदिवासियों के साथ मॉब लिंचिंग की घटनाएं आम हैं, लेकिन हिन्दु विरोधी ताकतों को ये दिखाई नहीं देता है।
कई मीडिया संस्थानों ने खबर चलाई कि इमाम इमलाकुर रहमान नामक व्यक्ति को प्रताडित किया गया और उसे ‘जय श्री राम’ बोलने को मजबूर किया गया। रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया था कि आरोपितों ने उसकी दाढी खींची और इस मामले में कुल 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। अब पता चला है कि यह भी एक फेक ‘हेट क्राइम’ था क्योंकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। बागपत के एसपी ने ऐसी किसी भी रिपोर्ट को गलत ठहराया है और साफ-साफ कहा है कि इमलाकुर रहमान को किसी ने भी ‘जय श्री राम’ बोलने को बाध्य नहीं किया।
एसपी शैलेश कुमार पांडेय ने ऑपइंडिया से बातचीत करते हुए कहा कि इमलाकुर रहमान को जबरन ‘जय श्री राम’ बोलने को मजबूर नहीं किया गया, उसकी दाढी नहीं खींची गई और उसके साथ हुए दुर्व्यवहार में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है। यह कुछ लोगों और इमाम के बीच हुआ एक वाद-विवाद था, इसमें मजहब के आधार पर ‘हेट क्राइम’ जैसा कुछ भी नहीं था।
इमाम और सभी आरोपित मुजफ्फरनगर के हैं। एसपी पांडेय ने बताया कि इस झगडे के बाद इमाम अपने सहयोगियों के साथ मुजफ्फरनगर थाना पहुँचे और शिकायत दर्ज कराई। उस दौरान इमाम ने जबरन ‘जय श्री राम’ बुलवाने या फिर दाढी खींचे जाने का कोई उल्लेख नहीं किया। इमाम को बताया गया कि जहाँ घटना हुई, वह क्षेत्र बागपत पुलिस के अंतर्गत आता है। जब वह बागपत थाना पहुँचा, तब उसने अपनी शिकायत में ‘जय श्री राम’ वाली बात जोडी।
एसपी पांडेय ने मुजफ्फरनगर पुलिस से बात की तो उन्हें पता चला कि शुरुआती एफआईआर में कहीं भी जबरन ‘जय श्री राम’ बुलवाने का उल्लेख नहीं किया गया था। जब इमाम ने मुजफ्फरनगर पुलिस स्टेशन में अपनी आपबीती सुनाई, तब उसके पूरे बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई थी। एसपी पांडेय ने बताया कि उक्त वीडियो फुटेज देखने के बाद यह साफ हो गया कि उसने अपनी शिकायत में जबरन ‘जय श्री राम’ बोलने को मजबूर करने वाली बात नहीं कही थी। अर्थात, इसे बाद में मैनुफैक्चर किया गया।
जब बागपत एसपी से यह पूछा गया कि आखिर इमाम ने बाद में अपनी शिकायत में ‘जय श्री राम’ वाली बात क्यों जोडी, तो उन्होंने कहा कि अपने सहयोगियों के प्रभाव में आने के बाद उसने ऐसा किया। एसपी ने अंदेशा जताया कि उसके मित्रों ने उसे सलाह दी होगी कि जबरन ‘जय श्री राम’ बुलवाने वाली बात शिकायत में जोड देने के बाद मीडिया इस घटना को ज्यादा महत्त्व देगा और इसे फैलाया जाएगा। इसे सांप्रदायिक एंगल देने से ज्यादा गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी, ऐसा उसका सोचना था।
This hypocrite Aparna Sen must be thrown out of the country if she feels intolerance, @ArnabGoswamiRtv exposed her left & right. @republic @sampadscales @SouleFacts @SeemantiniBose @Aban__Ind @Priyanka_lol @Prima_She @vivekagnihotri#UrbanNaxals pic.twitter.com/zh1K6BubPf— Whispering -Tweets (@Angelic34881252) July 24, 2019
कई जगहों पर मुसलमानों की भीड़ ने हिन्दुओं पर जुल्म ढाए, लेकिन मोदी सरकार को बदनाम करने में लगे लोगों ने कभी अपनी जुबान नहीं खोली। ऐसी घटनाओं की संख्या सैकड़ों में है, लेकिन हम आपको 2019 में हिंदुओं के साथ हुई ज्यादती की कुछ ऐसी ही घटनाओं को दिखाते हैं, जिन पर धर्मनिरपेक्षता का चोला ओड़े लोगों ने चुप्पी साधे रखी। कोई #metoo, #mob lynching, #not in my name, #award vapsi, #intolerance आदि आदि गैंग पता नहीं कहाँ लुप्त हो जाते हैं? ये छद्दम धर्म-निरपेक्षों और तुष्टिकरण पुजारियों द्वारा पोषित गैंग है, जिनका काम देश में अराजकता फैलाना है, सौहार्द को ख़राब करना है। जब बंगाल के 24 परगना में हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहे थे, उनके मन्दिर तोड़े जाते थे, घरों में आग लगा दी जाती थी, उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर में हुए दंगों में मुसलमानों के पास से AK-47 आदि असला बरामद किया जा रहा था, तब कोई गैंग बाहर नहीं आया, क्यों?#BREAKING:— Adv. Abhishek Rajpoot🇮🇳 (@ImAbhisekRajput) July 24, 2019
Here is the preparation @KapilMishra_IND and @vivekagnihotri. #FlowChart of agenda of #UrbanNaxals pic.twitter.com/fsfporJD1Z
चलिए छोड़िए इन्हें, ये तो अब इतिहास बन गए हैं। अब 2019 को ही लेते हैं:-Mr. Jignesh Mewani, pl don’t tell me about lynching. When hundreds of your leftist friends lynched me in Jadhavpur Univ, you were celebrating.— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) July 24, 2019
You are a hypocrite and a liar who just wants to divide the country on religious and caste lines. So SHUT UP. https://t.co/V1VO71NfSh
हिन्दुओं पर जुल्म की घटना नंबर-1
8 जनवरी, 2019 को मुंबई के मलाड मुसलमानों की टोली ने एक पेट्रोल पंप पर तोड़फोड़ की और स्टाफ को मारा, क्योंकि पेट्रोल पंप पर लंबी लाइन की वजह से उन्हें नमाज के लिए देर हो रही थी।
नंबर-2
15 मई, 2019 को उत्तर प्रदेश के गोंडा में मामूली विवाद के बाद चार मुसलमानों ने विष्णु कुमार गोस्वामी नाम के युवक को पेट्रोल डालकर जला दिया, लेकिन कहीं से इसके विरोध में कोई आवाज नहीं उठती है।नंबर-3
18 मई, 2019 को उत्तर प्रदेश के मथुरा में मुसलमानों की भीड़ ने एक हिन्दू युवक को सरेआम पीट-पीट कर मार डाला। भारत यादव और पंकज यादव नाम को दो भाई मथुरा में लस्सी की दुकान चलाते थे। 18 मई को कुछ मुस्लिम आए और 15 गिलास लस्सी पी। जब भाइयों ने पैसे मांगे तो मुसलमानों ने अपने साथियों को बुलाया और दोनों को काफिर कहते हुए मारा-पीटा। पिटाई से भरत यादव की मौत हो गई। इतनी बड़ी घटना को मीडिया ने भी दबा दिया और धर्मनिरपेक्षता का ढोंग करने वालों ने भी।
नंबर-4
7 जून, 2019 को उत्तर प्रदेश के शामली में मुसलमानों की भीड़ ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर हमला बोल दिया। इतना ही नहीं जब पुलिस आरोपियों को पकड़ने गई तो पुलिस टीम पर भी पथराव किया गया।
नंबर-5
10 जून, 2019 को बिहार में बेगूसराय के नूरपुर गांव में 10 जून की रात को कुछ मुस्लिम युवकों ने एक दलित महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। गांव छोड़ने की धमकी भी दी। लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए किसी ने आंदोलन नहीं चलाया।
नंबर-6
23 जून, 2019 को बिहार के जमुई में शमशुद्दीन अंसारी नाम का शख्स एक 8 वर्षीय हिन्दू बच्ची की रेप के बाद हत्या कर देता है, लेकिन इस घटना के खिलाफ किसी का मुंह नहीं खुलता है।
नंबर-7
24 जून, 2019 को मध्य प्रदेश के गुना में अपहरण के आरोपी इमरान के परिजनों ने पुलिस स्टेशन पर हमला बोल दिया और पुलिसवालों को जान से मारने की धमकी दी।
नंबर-8
1 जुलाई 2019 को दिल्ली के लाल कुआँ इलाके में सैकड़ों मुस्लिम युवकों की भीड़ पार्किंग विवाद में सौ साल पुराने मंदिर में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़ देती है। देश की राजधानी में हुई इस घटना के बाद मुसलमानों की इस करतूत के खिलाफ कहीं कोई आवाज नहीं उठी।
इन 8 घटनाओं से साफ है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने की साजिश रचने वालों को हिन्दुओं के खिलाफ मुसलमानों द्वारा की गई लिंचिंग की खबरों से कोई मतलब नहीं है। ऐसी घटनाओं पर ये लोग आंखें मूंद लेते हैं। लेकिन ऐसी राष्ट्रविरोधी ताकतों से सतर्क रहने की जरूरत है।
अवलोकन करें:-
एक तरफ #intolerance, #award vapsi और #mob
lynching गैंग प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को प्रेम-पत्र लिखते हैं, जबकि
इसके विपरीत जो बयानबाज़ी हो रही है, सबने आंखें बंद कर मुँह में दही जमा
लिया है। क्या है किसी के पास इस बात का जवाब? ये गैंग चाहे जो बोले, दूसरा
बोले तो चीखने-चिल्लाने लगते हैं। ये दोगली निति किस लिए? हैरानी इस बात
से हो रही है कि अभी तक #not in my name गैंग बाहर नहीं आया, शायद ये गैंग कोई दूसरी रुपरेखा तैयार कर रहा हो? ये गैंग भूल रहा है कि जब तुम किसी पर एक ऊँगली
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