राम मंदिर पर मुसलमानों ने दावा छोड़ा, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में दायर कर सकती है हलफनामा

राम मंदिरसुप्रीम कोर्ट में बुधवार(अक्टूबर 16) को अयोध्या विवाद की अंतिम दिन की सुनवाई होनी थी। उससे पहले तेजी से बदले घटनाक्रम में मुस्लिम पक्ष ने विवादित जमीन पर अपना दावा छोड़ दिया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस संबंध में हलफनामा शीर्ष अदालत में दायर कर दिया है। मध्यस्थता पैनल ने इसकी पुष्टि की है।
इससे पहले सोशल मीडिया पर बड़े पत्रकारों से लेकर कई अन्य लोगों ने भी इस समबन्ध में अपुष्ट सूचनाएँ दी थी , जिनके आधार पर कहा जा रहा था कि राम में आस्था रखने वालों के अच्छे दिन आ गए हैं और आक्रांता बाबर द्वारा की गई ऐतिहासिक भूल को सुधारने का क्षण आन खड़ा है। अपुष्ट ख़बरों में कहा जा रहा है कि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड विवादित स्थल पर अपने दावे से पीछे हट गया है और आज ही हलफनामा दायर कर अदालत को इस बात की सूचना दे दी जाएगी।
चर्चा है कि कई साधु-संतों के साथ सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के नेताओं की बैठक हुई, जिसमें काफ़ी सौहार्दपूर्ण वातावरण में बातचीत हुई। इस दौरान साधु-संतों ने सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के लोगों को मिठाई भी खिलाई। पत्रकार अमीर अब्बास ने बताया कि यह उन मुस्लिमों की भावनाओं के अनुरूप है, जो राम मंदिर पर भाईचारा कायम रखने के लिए विवादित जमीन हिन्दुओं को देने की बात कहते हैं। अगर यह सच है तो बहुत बड़ी ख़बर है। हालाँकि, अभी इन सूचनाओं की पुष्टि होनी बाकी है।

लेकिन इस बात पर कोई मुँह खोलने को तैयार नहीं है कि किन शर्तों पर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड राम मंदिर वाली भूमि पर दावा छोड़ने को तैयार हुआ है। बदले में उसकी क्या माँगे और शर्तें हैं? वैसे अपुष्ट ख़बरें आ रही हैं कि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने सशर्त रूप से ऐसा करने का फ़ैसला लिया है। वहीं, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के एक वकील ने इससे इनकार किया है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने साफ़ कर दिया है कि राम मंदिर मामले की अंतिम सुनवाई बुधवार (अक्टूबर 16, 2019) को होगी और उसके बाद अदालत फ़ैसला लिखने के लिए कुछ समय लेगी। भाजपा भी क़ानूनी तरीके से राम मंदिर बनवाने की बात अपने हर घोषणा-पत्र में शामिल करती रही है। अपुष्ट सूचनाओं का कहना है कि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड अयोध्या में 2.77 एकड़ ज़मीन पर अपने मालिकाना हक़ का दावा छोड़ देगा और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में आज ही हलफनामा दायर किया जाएगा। 
इससे पहले भी कई बार राम मंदिर पर मध्यस्थता की प्रक्रिया अपनाई गई लेकिन बात नहीं बनी। अंत में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की नियमित सुनवाई शुरू की और कहा जा रहा है कि सीजेआई रंजन गोगोई नवम्बर में अपने रिटायरमेंट से पहले इस मामले को निपटाने के इच्छुक हैं। जब सुनवाई के लिए दोनों पक्षों ने अतिरिक्त समय माँगा तो नाराज़ गोगोई ने अदालत में यहाँ तक कहा कि क्या आप दिवाली तक सुनवाई जारी रखना चाहते हैं? हालाँकि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के ह्रदय परिवर्तन (जैसा कि अपुष्ट सूत्रों का कहना है) का कारण अभी तक साफ़ नहीं हुआ है।
मंगलवार(अक्टूबर 15) को सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रामलला के वकील सीएस वैधनाथन से कहा कि वे बुधवार को 45 मिनट बहस कर सकते हैं. मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने पूछा कि क्या मोल्डिंग ऑफ रिलीफ़ पर भी बुधवार को ही बहस होगी? कोर्ट ने कहा बुधवार को एक घंटा मुस्लिम पक्षकार जवाब देंगे. चार पक्षकारों को 45-45 मिनट मिलेंगे. अयोध्या मामले की सुनवाई बुधवार को ही खत्म होने की उम्मीद है. मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर भी आज ही सुनवाई हो सकती है.
अयोध्या मामले पर सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि अब बहुत हो चुका, हम पांच बजे उठ जाएंगे
सुप्रीम कोर्ट ने कुछ अन्य अर्जियों पर सुनवाई से किया इनकार
मंगलवार को सुनवाई के दौरान एक हिन्दू पक्ष ने दलील दी कि भारत विजय के बाद मुगल शासक बाबर द्वारा करीब 433 साल पहले अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण कर ‘ऐतिहासिक भूल' की गयी थी और अब उसे सुधारने की आवश्यकता है.
पीठ के समक्ष एक हिन्दू पक्षकार की ओर से पेश पूर्व अटार्नी जनरल एवं वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरण ने कहा कि अयोध्या में कई मस्जिदें हैं जहां मुस्लिम इबादत कर सकते हैं लेकिन हिन्दू भगवान राम का जन्म स्थान नहीं बदल सकते. सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य द्वारा 1961 में दायर मामले में प्रतिवादी महंत सुरेश दास की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा कि विदेशी शासक बाबर द्वारा की गयी ऐतिहासिक भूल को सुधारने की जरूरत है. बाबर ने भगवान राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण कर ऐतिहासिक भूल की और कहा कि मैं बादशाह हूं और मेरा आदेश ही कानून है.

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