
जिस तरह कुछ वर्षों से दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में वामपंथी और कांग्रेस समर्थित छात्रों द्वारा उपद्रव मचाया जा रहा है, विद्यार्थी एवं शोधकर्ताओं के लिए बहुत ही शर्मनाक है। जिस देश में रहे, खाएं और पिएं उसी को तोड़ने के नारों से आसमान सिर पर उठाने का साहस कर रहे हैं। और अब CAA के नाम पर हुए विरोध से पदभ्रष्ट हुए बिना सिर-पैर के मुद्दों पर देश में अराजकता फ़ैलाने का प्रयास कर रहे हैं।
जेएनयू में लगे देश तोड़ने नारे लगने पर पुलिस द्वारा देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया, परन्तु दुर्भाग्य से दिल्ली में इनके गुप्त समर्थक अरविन्द केजरीवाल की सरकार होने के कारण दिल्ली सरकार द्वारा इजाजत न देने के कारण वही गैंग आज़ाद घूम रहा है। काश ! आज लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री होते, स्थिति एकदम विपरीत होती। लाल बहादुर कद में जितने छोटे थे, देश से गद्दारी करने वालों के लिए अपने कद से 200 गुना सख्त थे, जिसका प्रमाण 1965 इंडो-पाक युद्ध के दौरान देखने को मिला था। जब पाकिस्तान स्लीपरों पर पहाड़ बन टूट पड़े थे। शास्त्री जी के बाद नरेन्द्र मोदी ने आर्मी और सुरक्षा कर्मियों को खुली छूट मिली जरूर है, लेकिन जेएनयू एवं यूनिवर्सीटियों में उठ रही देश-विरोधियों पर शिकंजा कसने में असमर्थ हैं।

जेएनयू में हुई हिंसा को लेकर जारी गहमागहमी के बीच भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इस विश्वविद्यालय को लेकर अपना प्लान सामने रखा है। बकौल स्वामी जेएनयू कैंपस में पुलिस स्टेशन बनना चाहिए। बीएसएसएफ और सीआरपीएफ जवाने की तैनाती होनी चाहिए। यूनिवर्सिटी को दो साल के लिए बंद कर जरूरी ‘सफाई अभियान’ चलाया जाए। साथ ही कहा है कि इसके बाद जब दोबारा जेएनयू को खोला जाए तो उसका नाम बदलकर सुभाष चंद्र बोस विश्वविद्यालय कर देना चाहिए।
स्वामी ने अहमदाबाद के थलतेज में एक निजी विश्वविद्यालय के कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से कहा कि सरकार को जेएनयू को लेकर बड़ा कदम उठाना चाहिए। इसकी सफाई के लिए इसे कम से कम दो साल के लिए बंद कर देना चाहिए और जब यह वापस से शुरू हो तो इसका नाम बदल कर सुभाष चंद्र बोस विश्वविद्यालय कर दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि बंद करने से पहले अच्छे छात्रों को दिल्ली विश्वविद्यालय और आंबेडकर विश्वविद्यालय में स्थानांतरित कर देना चाहिए एवं हुल्लड़बाजों को बाहर कर देना चाहिए। स्वामी ने कहा कि नेहरू के नाम पर पहले से ही कई संस्थान है, इसलिए जेएनयू का नाम बदल दिया जाना चाहिए। स्वामी ने दावा किया कि जेएनयू तथा अन्यत्र हो रहे नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के हिंसक विरोध के पीछे आतंकी और विदेशी तत्वों का भी हाथ है।
साथ ही स्वामी ने जेएनयू में पुलिस स्टेशन बनाए जाने की माँग की है। उन्होंने कहा कि जेएनयू में सिर्फ दिल्ली पुलिस से काम नहीं चलेगा। वहाँ पर बीएसएफ और सीआरपीएफ की तैनाती जाए। इसके बाद ही वहाँ के हालात सामान्य हो सकेंगे। स्वामी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “सुरक्षा का मतलब हरेक कैंपस के अंदर पुलिस स्टेशन बनाया जाना है। आज आपको पुलिस बुलाना पड़ता है जिसमें काफी समय लग जाता है। देश में विश्वविद्यालयों के अंदर पुलिस स्टेशन का होना बहुत जरूरी है। यह केवल जेएनयू के लिए नहीं है। लेकिन हमें इसकी शुरुआत जेएनयू से करनी चाहिए।”
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