बेंगलुरु दंगा : ‘गर्दन उड़ाओ उस मादर** की’: कमलेश तिवारी की ही तरह नवीन को भी मिल रही जान से मारने की धमकी

दंगा
सोशल मीडिया पर अभी तक भी नवीन को लेकर मुस्लिम समुदाय के युवकों में गुस्सा देखा जा रहा है और उसे जान से मारने की बातें कही जा रहीं हैं। इन्हीं में से एक ‘ज्वाइन AIMIM’ नाम के फेसबुक ग्रुप में नवीन की तस्वीर शेयर की गई हैं, जिसके कमेंट्स में नवीन को लेकर बेहद भयावह टिप्पणियाँ की जा रही हैं।
मजे की बात यह है कि जिस कांग्रेस पार्टी से यह नवीन है, वही कांग्रेस अपनी तुष्टिकरण नीति पर चलते दंगाइयों के बचाव में सोशल मीडिया के जरिए उतर आयी है, यानि दलितों का रोना-रोने वाले बेनकाब। 
हैरानी, इस बात पर भी हो रही अख़लाक़ की मौत पर सियापा करने वाले अरविन्द केजरीवाल, मायावती, अखिलेश यादव, शरद यादव, राहुल गाँधी और एक नए दलित नेता बने चंद्रशेखर रावण एवं सारे वामपंथी तक खामोश है, जो इस बात को प्रमाणित करता है कि वोट के लालची नेता और पार्टियां मजहब देखकर सियासत करते हैं, और बिकाऊ इनकी बातों में आकर एक-दूसरे के खून से होली खेलते हैं। इन नेताओं की इस हरकत से केवल दलित ही नहीं, समस्त देश को आंखें खोल हर चुनाव में इनका बहिष्कार करें। हाँ, अगर यही काम किसी भाजपा, संघ या इनसे सम्बंधित किसी संगठन ने किया होता, इन्हीं लोगों से अब तक आसमान सिर पर उठा लिया होता, लेकिन अब सब चुप्पी साधे हुए हैं, अरे वाह, बहुत बढ़िया है तुम्हारा दलित प्रेम। 
जब 31 जुलाई 1986 को दिल्ली की एक अदालत ने कुरान की आयतों (....case under IPC sections 153-A and 295-A   filed by Delhi police against two Hindus, Indra Sain Sharma and Rajkumar Arya, for publishing and circulating  a poster in Hindi citing 24 ayats of the Quran under the caption, ‘Why Riots Take Place in the Country’....) के विरुद्ध निर्णय दिया था, जिस पर किसी मुसलमान ने अपील तक नहीं की। यही वो केस है, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने निरस्त कर, अयोध्या में राममंदिर का हिन्दुओं से सौदा किया था। Click the link to read in detail 
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A short commentary on a Delhi court ruling that concluded that some ayats in the Quran have the potential to cause communal riots.
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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार भारत में हुए पिछले चुनावों तक #metoo, #intolerance, #mob-lynching, #not in my name, #award wapsi आदि गैंग...
क्या आपको कमलेश तिवारी याद हैं? साल 2015 में पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद से उनका जीवन खतरे में पड़ गया था। जेल में महीनों बिताने और अपनी जिंदगी पर लगातार खतरों का सामना करने के बाद, अक्टूबर 2019 में उनकी हत्या हो गई थी।
नवीन बेंगलुरु दंगा
कमलेश तिवारी की कहानी को एक बार फिर दोहराया जा रहा है क्योंकि कर्नाटक में एक कॉन्ग्रेस विधायक के भतीजे नवीन के खिलाफ इसी तरह से आक्रामक भीड़ द्वारा हमला हुआ है। बेंगलुरु के शांतिपूर्ण शहर को हिलाकर रख देने वाले दंगों ने इसी तरह का असर दिखाना शुरू कर दिया है, जिस प्रकार कमलेश तिवारी की टिप्पणी के बाद सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया था।
फेसबुक और ट्विटर, दोनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नवीन के खिलाफ किए गए पोस्ट और टिप्पणियों से भरे हुए हैं। ‘शांतिपूर्ण समुदाय’ के लोग उत्तेजक और आक्रामक भाषा में उनके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। इसके साथ वे यह भी पूछ रहे कि अभी तक उसकी हत्या क्यों नहीं हुई?
फेसबुक पर एक ‘ज़ून गैश’ नाम के एकाउंट से कुछ टिप्पणियाँ पोस्ट की गई हैं। कमलेश तिवारी के मामले में जैसा उन्होंने किया, कुछ वैसे ही नवीन को मारने की भी खुली धमकी दी जा रही है।
शाहिद नाम का यूजर पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ बोलने पर नवीन को जान से मारने की धमकी दे रहा है।

वहीं कामिल नाम का एक शख्स नवीन की गर्दन उड़ाने की बात कह रहा।

इम्तियाज़ एक कमेंट में नवीन की मौत की बात कर रहा है।

अहमद एक कुत्ते की तरह नवीन को मारना चाहता है।

अदनान ने दावा किया कि नवीन को जल्द ही मार दिया जाएगा।

शौकत कहता है कि नवीन को मारना भूलना मत।

अब तक इस दंगे में तीन लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। दंगों में 60 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। पुलिस ने अब तक 110 आगजनी करने वालों को गिरफ्तार किया है। पूरे बेंगलुरु शहर में धारा 144 लगा दी गई है।
जिस दलित विधायक के भतीजे नवीन ने टिप्पणी पोस्ट की, उसका घर जला दिया गया है। गौरतलब है कि हमेशा की तरह लिबरल्स गिरोह ‘शांतिपूर्ण समुदाय’ के लिए ‘दंगों का अधिकार’ को सही ठहराएँगे।




मालदा का वो दर्दनाक मंजर 
बेंगलुरु में कल हुए दंगों ने मालदा के दंगों की याद दिला दी ,जब 2 लाख से अधिक मुसलमान सड़कों पर निकले थे, जबकि कमलेश तिवारी उस वक्त जेल में थे। उन्होंने यह माँग रखी थी कि तिवारी को उनकी टिप्पणी के लिए मार दिया जाना चाहिए।
प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर करोड़ों का नुकसान पहुँचया था। इसके अलावा, बीएसएफ की एक वाहन को भी दंगों में झोंक दिया गया था। उन्होंने कालियाचक थाना क्षेत्र में कई घरों को जला दिया और दंगे करते हुए कई दुकानों को भी लूट लिया गया था।

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