ये बातें रह रह कर उठाई जाती रही हैं कि किसी तरह भी राम मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री मोदी को कोई श्रेय न मिल सके कि मंदिर निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश हो रहा है, फिर इसमें मोदी का क्या योगदान है क्योंकि मंदिर बनाने के आदेश देने में मोदी की तो कोई भूमिका है ही नहीं।
उन्होंने राहुल गाँधी को अपना बयान गलत सिद्ध करने की चुनौती दी है। उन्होंने कहा है कि राहुल गाँधी भाजपा और नरेन्द्र मोदी के विरोधी इसलिए हैं क्योंकि वह सनातन की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राहुल गाँधी की दुश्मनी राम से है और अयोध्या तथा हिंदुत्व से है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस भारत की संस्कृति के विरुद्ध है।
आचार्य प्रमोद कृष्णम कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक रहे हैं। उन्होंने 2019 में लखनऊ से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था। उनके कुछ दिनों पहले कांग्रेस से मतभेद हो गए थे। इसके बाद उन्होंने यह बड़ा आरोप राहुल गाँधी पर लगाया है। राम मंदिर निर्माण के सम्बन्ध में नवम्बर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया था जिसके बाद इसके निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ था।
आखिर कब तक फिरकापरस्त बाबरी के नाम पर मुसलमानों को उकसाते रहेंगे? अगर सच्चे मुसलमान है तो मुसलमानों को सच्चाई बताओ। दूसरे, जो बेपेंदी के हिन्दू क्यों सच्चाई से मुंह मोड़ रहे हैं? इन्हीं फिरकापरस्त लोगों द्वारा देश के असली इतिहास को छुपाकर गलत इतिहास हमें पढ़ा दिया। अगर यही काम किसी विदेश में हुआ होता, ये जितने भी हिन्दू धर्म स्थलों को विवादित बनाने के आरोप में जेलों में होते, ये भारत है जहाँ ये खुले सांड की तरह घूम रहे हैं।
इस संबंध में मैंने एक लेख में लिखा था कि कोर्ट ने बेशक आदेश देकर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया लेकिन यदि कांग्रेस सरकार होती तो मंदिर निर्माण किसी हाल में नहीं होने देती क्योंकि जो पार्टी भगवान राम के अस्तित्व को ही नहीं मानती, वह मंदिर निर्माण कैसे होने देती।
और यह बात अब खुल भी गई। कांग्रेस में 32 साल गुजार चुके और अब कांग्रेस छोड़ चुके वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने बताया है कि सैम पित्रोदा की सलाह पर अपने घनिष्ठ साथियों के साथ मीटिंग में राहुल गांधी ने कहा था कि अगर हम सत्ता में आए तो एक Superpower Commission बना कर राम मंदिर पर फैसले को पलट देंगे। जो सरकारी आदेश को फाड दे, कब किस कानून को फाड़ कर फेंक दे। ऐसे आदमी के लिए सुप्रीम कोर्ट आदेश कुछ नहीं।
यह बात यदि राहुल गांधी ने न भी कही होती तब भी कांग्रेस पर मुस्लिमों, कांग्रेस के मित्र देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य इस्लामिक देशों का इतना दबाव होता जो कांग्रेस के लिए झेलना असंभव होता और मंदिर की जगह मस्जिद का निर्माण करवा देती कांग्रेस और उसके लिए संसद से प्रस्ताव भी पास करवा लेती। लेखक
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लेकिन मोदी के रहते किसी की हिम्मत नहीं हुई कहने की कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में बदलाव कर दो। यह नरेंद्र मोदी का भगवान राम में अटूट विश्वास और निष्ठा है जो मंदिर निर्माण को प्राथमिकता देकर शीघ्रता से मंदिर निर्माण हुआ और अयोध्या जी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धार्मिक स्थलों में सुशोभित हुईं।
अब दूसरी बात और उठाई जाती है कि “मोदी जी हिंदुओं के लिए मंदिर बना कर भी उनसे झुक झुक कर वोट मांग रहे हैं लेकिन यदि वो मंदिर की जगह मुसलमानों को बाबरी मस्जिद बना कर दे देते तो मुसलमान बिना मांगे वोट देते”।
यह बिल्कुल एक “कपोल कल्पना” जिसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है। मुसलमान किसी हाल में मोदी को वोट नहीं देते, उनका वोट फिर भी कांग्रेस और “सेकुलर ढक्कनों” को ही जाता, साथ ही हिंदू मानस भी मोदी को उखाड़ फेंकता क्योंकि वह मंदिर न बनने से ज्यादा मुस्लिमों को मस्जिद देने से नाराज़ होता। यह मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मुसलमानों के दिमाग में मोदी और हिंदुओं के लिए इतना जहर भर दिया गया है कि किसी हाल में मोदी को हराना उनका पहला फ़र्ज़ है।
जिस कौम के लोगों को हर सुविधा बिना किसी भेदभाव मोदी दे रहा है, फिर उनके दिमाग में उसकी कोई वैल्यू नहीं है। गरीब मुसलमानों को पेट भरने को भोजन मिल रहा है जबकि मस्जिद मिलने के बाद कहते इससे हमारा क्या पेट भरेगा, हम तो गरीब हैं, क्या करेंगे मस्जिद जाकर। मुस्लिम औरतों को रात के अंधेरे में शौहर के 3 तलाक कह कर घर से निकालने का खतरा मोदी ने ख़त्म कर दिया लेकिन वोट फिर भी नहीं देती, फ्री गैस कनेक्शन मिले, घर मिले, शौचालय मिले और बीमारी में फ्री इलाज मिला।
यह सब मस्जिद से बढ़ कर था लेकिन फिर भी वोट नहीं मोदी को। मुसलमान को समझ ही नहीं है कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है उनके लिए। अनेक वीडियो बाजार में हैं जिनमे 10-12 साल के बच्चे कहते मिलेंगे कि “हम मोदी को मार देंगे” और “राम मंदिर को तोड़ देंगे” जबकि उनके साथ मोदी ने कुछ बुरा नहीं किया, लेकिन यह सब सिखाया जाता है मदरसों में। इसलिए यह सोचना बेमानी है कि मोदी बाबरी मस्जिद मुसलमानों को देते तो वोट मांगने की जरूरत न पड़ती।
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