दिल्ली सरकार ने सरकारी योजनाओं में हो रही धाँधली से बचने के लिए यूनिफाइड डेटा हब (UDH) बनाने करने जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य लाभार्थियों का एक रिकॉर्ड बनाना है। इसमें तमाम विभागों से डेटा इकट्ठा किया जाएगा। इससे यह पता लग सकेगा कि केवल पात्र लोग ही योजनाओं का लाभ लें।
काफी समय से दिल्ली में यह मांग की जा रही है कि झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वालों के आधार कार्डों की गंभीरता से पुष्टि की जाए। इन लोगों ने सिर्फ दिल्ली ही नहीं दिल्ली से बाहर बंगाल और राजस्थान आदि राज्यों में भी आधार कार्ड बनवाकर सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। उदाहरण पूनम(काल्पनिक) ने दिल्ली में हिन्दू के नाम से आधार कार्ड और वोटर कार्ड बनवाया रखा है लेकिन दिल्ली से बाहर मुस्लिम नाम परवीन(काल्पनिक) के नाम से आधार कार्ड बनवा रखा है। ये बहुत बड़ा जाल है जिसका भंडाभोड़ होना बहुत जरुरी है।
दूसरे, BPL कार्ड धारकों की भी आर्थिक स्थिति की जाँच होनी चाहिए। ताकि जरूरतमंद लोगों को सरकारी सहायता का लाभ मिल सके। भीख मांगना कोई मजबूरी नहीं एक व्यापार है। यह आरोप नहीं कटु सत्य है। एक भिखारिन जो सिर्फ शाम को ही भीख मांगती थी उसकी 2 टैक्सियां किराये पर चल रही थी और जब उसका निकाह हुआ तो महावीर वाटिका दरिया गंज में शानदार दावत और कार दहेज़ में। इतना ही नहीं, बेरोजगारी के दिनों में रजिस्ट्री करने वाले बाबू से पूछा कि सुबह मनीऑर्डर की खिड़की पर भिखारियों की ही लम्बी लाइन देखता हूँ। इस पर बाबू ने जवाब दिया “बेटा जिसने एक महीने जामा मस्जिद पोस्ट ऑफिस ड्यूटी दे दी वह कभी किसी भिखारी को एक पैसा नहीं देगा, जिसका अनुभव सेवानिर्वित होने के लगभग 2 साल के बाद उपरोक्त भिखारिन से हुआ। वेतनभोगी और व्यापारी पर तो हर कोई हाथ डाल देता है लेकिन इन पर नहीं। आज एक रिक्शा चालक से लेकर ठेला चलाने वाला भी हर महीने 20 से लेकर 25/30,000 रूपए कमा रहा है।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बजट 2025-26 के भाषण में भी इसका जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि बीजेपी सरकार वेरिफिकेशन प्रकिया शुरु करेगी, जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र दिल्लीवासियों तक पहुँच सके। इस डाटा से फ्री बिजली या मुफ्त राशन जैसी चीजें भी घुसपैठियों को नहीं मिलेंगी।
उन्होंने यह भी कहा था इस बात को भी सुनिश्चित किया जाएगा कि दिल्ली से बाहर से आने वाले लोग या रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिए इस योजनाओं का लाभ न ले सकें। अधिकारियों के अनुसार, यह डेटा हब सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा विकसित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य नागरिक-केंद्रित शासन को बढ़ाने के लिए डिजिटल स्तर पर रिकॉर्ड एकत्र करना होगा।
बीजेपी सरकार जल्द ही ‘दिल्ली यूनिफाइड सिटीजन डेटा प्लेटफ़ॉर्म’ विकसित करने के लिए एक टेंडर भी जारी करेगी।
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