सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले फैयाज मंसूरी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया है। याचिकाकर्ता मंसूरी के वकील ने कोर्ट में दावा किया कि उसकी पोस्ट में कोई अश्लीलता नहीं था इसलिए आपराधिक केस को रद्द कर दिया जाए।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, मंसूरी द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर की गई पोस्ट में कहा गया था कि बाबरी मस्जिद एक दिन तुर्की की सोफिया मस्जिद की तरह फिर से बनाई जाएगी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की है।
गौरतलब यह है कि मस्जिद के लिए मिली जमीन पर आज तक नींव तक खुदी। सुना है धन भी जमा है यानि "अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर बुझि टके सेर खा जा", जबकि अयोध्या में राममंदिर बनकर तैयार भी हो गया। श्रद्धालु दर्शन करने जा रहे हैं। लेकिन मस्जिद का कोई अता पता नहीं। और अपने फायदे के लिए मुसलमानों के जज्बातों से खेल अपनी तिजोरियां भरते हैं।
वहीं, याचिकाकर्ता के वकील तल्हा अब्दुल रहमान का दावा है कि जिस पोस्ट में अश्लीलता और भड़काऊ टिप्पणी की गई थी वह किसी अन्य व्यक्ति का है। अब्दुल ने दावा किया कि उसकी जाँच नहीं की गई है।
जस्टिस कांत ने इससे सहमत ना होते हुए कहा कि कोर्ट ने याचिकाकर्ता की पोस्ट की जाँच की है। हालाँकि, जज ने चेतावनी देते हुए कहा, “हमसे कोई टिप्पणी ना माँगी जाए।” सुप्रीम कोर्ट ने अपराधिक मामले ना रद्द करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए सभी तर्कों पर ट्रायल कोर्ट द्वारा उनके गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाएगा।
क्या है मामला?
लखीमपुर खीरी के रहने वाले याचिकाकर्ता मंसूरी के खिलाफ 6 अगस्त 2020 को FIR दर्ज की गई थी। इसमें जिसमें दावा किया गया था कि मंसूरी ने फेसबुक अकाउंट पर अपमानजनक संदेश पोस्ट किया, जिस पर समरीन बानो नामक व्यक्ति ने हिंदू समुदाय के देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणी की थी।
मंसूरी के खिलाफ यह FIR भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा 153ए, 292, 505 (2), 506, 509 और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 (IT Act) की धारा 67 के तहत दर्ज की गई थी।
इसके बाद लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी ने याचिकाकर्ता के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 (NSA) के तहत निरोध आदेश पारित किया। हालाँकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सितंबर 2021 में इसे रद्द कर दिया।
इसके बाद मंसूरी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए यह तर्क दिया कि उसका अकाउंट हैक कर लिया गया था। मंसूरी ने दावा किया कि उस पोस्ट में कोई आपराधिकता या दुश्मनी/वैमनस्य बढ़ाने का इरादा नहीं था। सितंबर में हाईकोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी और इसके बाद मंसूरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
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