यूएन रिपोर्ट में तुर्की को लेकर खुलासा ( x@tnt,nbt)
जाने-माने हबीब पेंटर की एक बहु-चर्चित कव्वाली है "जब खून ही बना दुश्मन ..." जो इजराइल और गाज़ा युद्ध में चरितार्थ हो रही है। यानि मुसलमान ही मुसलमान को निपटाने में लगा है और बदनाम इजराइल को किया जा रहा है। भारत मुस्लिम वोट के भूखे नेता और उनकी पार्टियां गाज़ा को लेकर मुसलमानों को मोदी सरकार के खिलाफ बयानबाज़ी कर रहे हैं। लोकसभा में फलीस्तीन का बैग लेकर जाने पर सुरमा भोपाली बनने वाली प्रियंका गाँधी UN की रिपोर्ट में खुलासा होने पर माफ़ी मांगेगी?
भारत में यूँ तो मुसलमान बड़ी-बड़ी बात करता है लेकिन भूल जाता है फिलिस्तीन को कोई भी मुस्लिम देश किसी भी कीमत पर पनाह देने को तैयार नहीं। एक बार सदर जिया-उल-हक़ के समय पाकिस्तान ने फिलिस्तीनियों को शरण देकर गलती की थी, हालत सामान्य होने पर जब वापस अपने मुल्क जाने से मना करने पर जिया-उल-हक़ ने क्या हश्र किया किसी से नहीं छुपा। लेकिन भारत में मुस्लिम कट्टरपंथी, मुस्लिम वोट की भूखी पार्टियां और मुसलमान फिलिस्तीन के लिए छाती पीट रहे हैं। फिलिस्तीन दंगाई में पाकिस्तान से कम नहीं।
क्या भारत में मुस्लिम कट्टरपंथी, मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाली पार्टियां और इनके इशारे पर नाचने वाले मुसलमान तुर्की के खिलाफ बोलेगा? क्या तुर्की दूतावास पर प्रदर्शन करने की हिम्मत है? मुसलमानों को इस ढोंगी गैंग को दरकिनार कर सच्चाई को जानने के बाद ही अगर कुछ बोलें तो उनके ही हित में होगा। आखिर तुर्की क्यों इजराइल की मदद कर रहा है इसकी सच्चाई सामने आने पर बेशर्म ढोंगी गैंग तो मालपुए खाने में मस्त रहेगा और आम मुसलमान बदनाम होता रहेगा। ये ही वजह है कि मुसलमान शक के दायरे में रहता है। ये तुष्टिकरण करने वाला गैंग मुसलमानों को उकसा कर अपनी तिजोरियां भरते हैं और बदनाम आम मुसलमान होता रहता है।
तुर्की इन दिनों भारत की मशहूर कंपनी टाटा ग्रुप पर गुस्सा निकाल रहा है। उसका ब्रॉडकास्टर टीआरटी कह रहा है कि टाटा ने इजरायल को गाजा युद्ध के लिए हथियारों के पार्ट्स दिए। लेकिन संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने तुर्की की पोल खोल दी। रिपोर्ट में साफ लिखा है कि तुर्की खुद इजरायल की मदद कर रहा था।
पत्रकार सिद्धांत सिब्बल ने यूएन की रिपोर्ट की कॉपी शेयर की है। सिद्धांत ने लिखा, “जिन बंदरगाहों ने एफ-35 के पुर्जों, हथियारों, जेट ईंधन, तेल और अन्य सामग्रियों को इजरायल तक पहुँचाने में मदद की है, उनमें तुर्की भी शामिल है।”
Turkish broadcaster TRT targets Indian company over Israel ties, but forgets to mention, a UN report this month said, "ports known to have facilitated trans-shipment to Israel of F-35 parts, weapons, jet fuel, oil and/or other materials include Türkiye" pic.twitter.com/EYlBxvMZel
— Sidhant Sibal (@sidhant) October 25, 2025
यूएन रिपोर्ट में तुर्की का आया नाम
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त 2025 में जब गाजा पर इजरायल का कब्जा कर लिया, उस वक्त भी मिस्र ने इजरायल के साथ 35 बिलियन यूएस डॉलर के गैस डील की। ये इजरायल के इतिहास में सबसे बड़ी गैस डील थी। यूरोपीय यूनियन और मिस्र लगातार गाजा से नजदीक से अवैध तरीके से होकर जाने वाले गैस पाइप लाइन से गैस मँगाते रहे हैं। ये तभी भी था जब फिलिस्तीन पर इजरायल ने ताबड़तोड़ हमला किया और अभी भी है, जब गाजा पर इजरायल का कब्जा हो चुका है।
इजरायल का व्यापार और सामानों की आवाजाही दूसरे देशों के परिवहन तंत्र पर ही निर्भर रही है। अमेरिका के अलावा तुर्की, फ्रांस, इटली, बेलजियम, नीदरलैंड,ग्रीस, मोरक्को आदि देशों के बंदरगाहों से एफ-35 के पुर्जों, हथियारों, जेट ईंधन, गैस और ऑयल समेत दूसरी सामग्रियों को इजरायल तक पहुँचाए गए।
टाटा समूह पर तुर्की के आरोप
तुर्की गाजा के विनाश के लिए भारतीय कंपनी ‘टाटा समूह’ पर आरोप लगा रहा है। टीआरटी का कहना है कि इजरायल को हार्ड वेयर और दूसरे साजो सामान टाटा ने उपलब्ध कराए। टाटा समूह की कंपनी टाटा मोटर्स की सहायक कंपनी जगुआर लैंड रोवर पर एमडीटी डेविड हल्के वाहनों के चेसिस की आपूर्ति करने का आरोप लगाया।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) पर इजरायल की वित्तीय और सरकारी प्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा प्रदान करने और प्रोजेक्ट निम्बस में भागीदारी करने का आरोप लगाया है। टीआरटी का कहना है कि इसका इस्तेमाल इजरायल ने गाजा की निगरानी में किया।
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) पर आरोप लगाया गया कि सभी नए F-16 लड़ाकू विमानों के लिए विंग और सभी AH-64 अपाचे हमलावर हेलीकॉप्टरों के लिए फ्यूज़लेज उपलब्ध कराया। जबकि इन विमानों के फ्यूल की व्यवस्था तुर्की के बंदरगाहों ने किया। इन बंदरगाहों से विमानों के कलपुर्जें और दूसरे सामान मँगाए गए। इनका इस्तेमाल गाजा युद्ध में इजरायल ने किया। तुर्की पहले अपने गिरेबान में झाँक ले। इजरायल को मदद करने के सबूत संयुक्त राष्ट्र के पास हैं।
इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध और गाजा में बमबारी के दौरान इजरायल द्वारा इस्तेमाल विस्फोटकों को पहुँचाने में तुर्की का हाथ रहा। जबकि भारत ने इस युद्ध से दूरी बनाई और मानवीय आधार पर इजरायल के साथ-साथ गाजा में रहने वाले लोगों की मदद की। तुर्की के दोगले रवैये का ये एक उदाहरण है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान का दिया था साथ
दरअसल ये वही तुर्की है, जिसने गाजा युद्ध के दौरान अपनी हवाई अड्डों को इजरायल के लिए बंद करने का ऐलान किया था। यहाँ तक कि अपने बंदरगाहों पर इजरायली जहाजों के आने पर पाबंदी लगा दी थी, लेकिन अब उसकी असलियत सामने आ गई है।
तुर्की उन चंद देशों में शामिल है, जिसकी नीति ‘भारत विरोध’ की रही है। तुर्की पर जब प्राकृतिक आपदा आई, तो उसकी मदद के लिए सबसे पहला हाथ भारत ने उठाया। लेकिन जब भारत पर पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया और भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया, तो तुर्की को ‘सार्वभौमिकता’ याद आ गई।
उसने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के वक्त भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के समर्थन में बयान दिए और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस्लामाबाद के पक्ष में खड़े दिखाई दिया था। अब साजिश के तहत भारतीय कंपनियों को टारगेट किया जा रहा है। दरअसल ये सभी सामने आया था कि तुर्की में भारतीय पर्यटकों की संख्या काफी कम हो गई है।
पहले भारतीयों की पसंदीदा जगहों में इस्तांबुल हुआ करता था। हिन्दी फिल्मों की शूटिंग भी काफी यहाँ होती थी, लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान तुर्की के स्टेंड की वजह से भारत में नाराजगी दिखाई दी। सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey हैशटैग ट्रेंड करने लगा। तुर्की की यात्रा रद्द करने की अपील की जाने लगी और पर्यटन एजेंसियों ने अपनी सेवाएँ रोक दी।
तुर्की के पर्यटन उद्योग पर काफी असर पड़ा। अनुमान के मुताबिक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद 33.3% भारतीय पर्यटकों की संख्या यहाँ कम हो गई। इसकी खीझ निकालने के लिए अब तुर्की भारतीय कंपनियों को टारगेट कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जिन देशों ने इजरायल को जरूरी सामानों यहाँ तक कि ऑयल और गैस के आवाजाही के लिए अपनी बंदरगाह का इस्तेमाल करने दिया, उनमें तुर्की, फ्रांस, इटली,मोरक्को भी शामिल हैं। अब तुर्की से पूछा जाना चाहिए कि उसने किस आधार पर टाटा समूह पर उँगली उठाई। इजरायल के साजो सामान के लिए अपने बंदरगाह के इस्तेमाल करने की इजाजत दी। न सिर्फ तुर्की बल्कि यूरोपियन देशों और मिस्र ने गैस डील की। ये गाजा पर आक्रमण करने से अब तक जारी है।
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