‘The Kerala Story' फिल्म को प्रोपेगंडा फिल्म बताने वाले वामपंथियों की लड़कियों के Love Jehad का शिकार होने पर ले रहे चुपचाप एक्शन

                         लव जिहाद को लेकर वामपंथी नेता का विरोध (फोटो साभार: केरल कौमुदी)
केरल के एक कम्युनिस्ट नेता की बेटी मुस्लिम लड़के से शादी करना चाहती है और अब पिता लव जिहाद का रोना रो रहा है। ये सुनने में अजीब लगता है न? लेकिन यही हकीकत है।

Love Jehad की गाथा 1980 के लगभग केरल से ही शुरू हुई, लेकिन तुष्टिकरण के चलते धर्म-निरपेक्षता के नाम पर दबाया जाता रहा और हिन्दू स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा इस मुद्दे को उठाने पर इसे साम्प्रदायिकता का नाम देकर बदनाम किया जाता रहा। लेकिन जब आज वही आग इनके घरों में घुस गयी तब चुपचाप कार्यवाही की जा रही है। अब कोई 'Love is Love' कहने की हिम्मत नहीं। मामला घर में लगी आग का है। यह सच है कि वामपंथी किसी धर्म या मजहब को नहीं मानते, लेकिन दोगले अपने-अपने घरों में पूजा पाठ और नमाज तक पढ़ते हैं। 

   

केरल के कासरगोड में सीपीएम के एरिया कमिटी मेंबर पीवी भास्करन की बेटी संगीता ने एक वीडियो जारी किया है। इसमें वो बताती है कि उसके पिता ने उसे घर में कैद कर रखा है, बुरी तरह पीटा जा रहा है, मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं दे रहे। संगीता पैरालाइज्ड है, एक्सीडेंट के बाद कमर से नीचे लकवा मार गया। वो राशिद नाम के मुस्लिम लड़के से शादी करना चाहती है, बस इसी बात पर घर में हंगामा मच गया।

संगीता का कहना है कि तलाक के बाद मिले पैसे उसके पिता और भाई ने हड़प लिए। पिता ने धमकी दी कि ‘कम्युनिज्म यहाँ नहीं चलेगा, मार दूँगा और केस से बच जाऊँगा’। संगीता ने कोर्ट में हैबियस कॉर्पस की पिटीशन डाली, लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट में कहा कि वो माता-पिता के साथ है। लोकल पुलिस ने पिता के राजनीतिक प्रभाव से बात नहीं सुनी।

अब पिता भास्करन का दावा है कि राशिद पहले से शादीशुदा है और संगीता की 1.5 करोड़ की प्रॉपर्टी के लिए उसे फँसाया है। भास्करन वही नेता हैं, जो पहले ‘The Kerala Story' फिल्म को संघ परिवार का प्रोपगैंडा बताते थे। ये फिल्म लव जिहाद पर बेस्ड है, जो केरल में नॉन-मुस्लिम लड़कियों को टारगेट करने के नेटवर्क्स को दिखाती है। केरल में लेफ्ट और कांग्रेस दोनों ही लव जिहाद को फर्जी बताते हैं, वोट बैंक के चक्कर में। लेकिन अब जब खुद की बेटी का मामला आया, तो भास्करन को लव जिहाद याद आ गया। ये दोहरा चरित्र नहीं तो क्या है?

सोचिए कि जो वामपंथी नेता जनता को लेक्चर देते हैं कि धर्म के नाम पर कुछ नहीं होता, सब प्रोपगैंडा है। लेकिन जब घर की इज्जत दांव पर लगे, तो वही लव जिहाद का शोर मचाते हैं। ये सिर्फ भास्करन का मामला नहीं। केरल में ही एक और केस हुआ था, जहाँ एक क्रिश्चियन सीपीएम कैडर की बेटी या रिश्तेदार मुस्लिम लड़के से रिलेशनशिप में थी। कोर्ट ने कपल को साथ रहने की इजाजत दी, लेकिन कम्युनिस्टों का ग्रुप ने मुस्लिम लड़के को कोर्ट के सामने पीट दिया।

यही लोग बाहर से कहते हैं कि इंटरफेथ मैरिज फ्रीडम है, लेकिन जब अपना परिवार हो, तो असलियत सामने आ जाती है। वामपंथी खुद को सेकुलर बताते हैं, लेकिन अंदर से परिवार की रक्षा के लिए वही बातें करते हैं जो आम हिंदू या क्रिश्चियन परिवार करते हैं।

लव जिहाद क्या है, ये केरल तो जानता ही है। वहाँ सबसे बड़े नेटवर्क्स का खुलासा हो चुका है। ISIS जैसे वैश्विक आतंकवाद से जुड़े केस सामने आए। ‘The Kerala Story' ने इन्हीं हकीकतों को दिखाया, लेकिन वामपंथियों ने विरोध किया। फिल्म को बैन करने की माँग की, प्रोपगैंडा कहा। क्यों? क्योंकि अल्पसंख्यक वोट बैंक को नाराज नहीं करना।

केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट दोनों ही लव जिहाद को झूठ बताते हैं। लेकिन रियलिटी ये है कि मुस्लिम लड़के नॉन-मुस्लिम लड़कियों को टारगेट करते हैं। पहले दोस्ती, फिर लव, फिर कन्वर्जन और निकाह। संपत्ति, परिवार तोड़ना सब इन्वॉल्व। केरल स्टोरी जैसी फिल्में हकीकत बयान करती हैं, लेकिन पॉलिटिशियंस इसे दबाते हैं।

ऐसे मामले सिर्फ केरल तक सीमित नहीं। पूरे देश में फैले हैं। पश्चिम बंगाल में भी वामपंथी शासन के समय कई केस हुए, जहाँ हिंदू लड़कियाँ मुस्लिम लड़कों के जाल में फँसती रहीं। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने भी लव जिहाद को डिबेट ही नहीं होने दिया। लेकिन प्राइवेट में कई लेफ्ट फैमिलीज ने अपनी बेटियों को बचाने के लिए चुपके से एक्शन लिया।

एक उदाहरण लीजिए केरल के ही सीएम पिनारायी विजयन की बेटी वीणा का केस। वो DYFI के मुस्लिम प्रेसिडेंट मुहम्मद रियास से शादी कर ली। ये पॉजिटिव तरीके से पेश किया गया, लेकिन क्या ये असली लव था या पॉलिटिकल वैल्यू? वामपंथी इसे सेकुलरिज्म का प्रतीक बताते हैं, लेकिन अगर कोई आम लड़की ऐसा करे और बाद में परेशानी हो, तो वो प्रोपगैंडा। दोहरा मापदंड साफ दिखता है।

वामपंथियों का असली चेहरा ये केस खोलते हैं। वो खुद को धर्म-विरोधी बताते हैं, लेकिन घर में पूजा-पाठ करते हैं। कई नेता नमाज पढ़ते पकड़े गए। जनता को दिखाने के लिए कट्टर कम्युनिस्ट, लेकिन परिवार बचाने के लिए रिलिजन मैटर्स। ये फर्जीवाड़ा है। सेकुलरिज्म का मतलब ये नहीं कि अपनी बेटी को खतरे में डालो। लव जिहाद एक सिस्टम है- जहाँ लड़के ट्रेनिंग लेते हैं, लड़कियों को फँसाते हैं। केरल, यूपी, हरियाणा हर जगह केस सामने आए हैं। लेकिन वामपंथी मीडिया और पॉलिटिक्स इसे कवर-अप करते हैं। क्यों? वोट के लिए। अल्पसंख्यक वोट बैंक को खुश रखना।

संगीता का केस दुखद है। वो पैरालाइज्ड है, मदद की जरूरत है, लेकिन परिवार संपत्ति के चक्कर में उसे सताने लगा। राशिद का बैकग्राउंड संदिग्ध लगता है- पहले से शादी, प्रॉपर्टी का लालच। भास्करन ने सही कहा हो या गलत, लेकिन उनका डर जायज है। आम परिवारों में यही होता है। लेकिन वही लोग जो बाहर से कहते हैं ‘Love is Love', घर में डरते हैं। ये दिखाता है कि लव जिहाद रियल है, फिल्में झूठ नहीं बोलतीं। पुलिस का रोल भी शक के घेरे में है कि उसने पॉलिटिकल इन्फ्लुएंस से केस को दबा कर रखा। संगीता ने डीएसपी और कलेक्टर तक से शिकायत की, लेकिन अभी तक कोई एक्शन नहीं। ये केरल के पुलिसिया सिस्टम की भी नाकामी है।

भास्करन का केस एक आईना है। वामपंथी सेकुलरिज्म फेक है। असली सेकुलरिज्म परिवार की सुरक्षा है, न कि वोट बैंक की गुलामी। ऐसे लव जिहाद को नकारना बंद करें और असलियत को स्वीकार कर कार्रवाई के लिए सामने आएँ, वर्ना फर्जी वामपंथ के चक्कर में तमाम परिवार बर्बाद होते ही रहेंगे।

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