दिल्ली भाजपा के संकल्प में PM Modi का सबका साथ सबका विकास का विजन, हरियाणा-महाराष्ट्र की तरह नारीशक्ति और ‘दस का दम’ बनेगा जीत का आधार


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश-विदेश में दूरदर्शी और विजनरी राजनेता माने जाते हैं। पिछले एक दशक में उनकी दूरगामी नीतियों और सोच के चलते जहां एक ओर पूरी दुनिया भारत की ओर उम्मीदभरी नजरों से देख रही है, वहीं दूसरी ओर भाजपा को उन्होंने जीत का अचूक फार्मूला दे दिया है। दरअसल, पीएम मोदी जिन्हें भारत के चार प्रमुख स्तंभ मानते हैं उनमें से सबसे अग्रणी है- नारीशक्ति। यह नारीशक्ति भाजपा की जीत का आधार बन गई है। उन्हें इस शक्ति की ताकत का पता है, इसीलिए मोदी सरकार की नीति और निर्णयों के केंद्र में देश की माताएं-बहनें और बेटियां रही हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने जिन संकल्पों की बात की है, उसके पीछे भी पीएम मोदी का विजन यानी नारीशक्ति है। भाजपा ने सुनिश्चित किया है कि दिल्ली में उनकी सरकार बनने के बाद यहां पर महिला समृद्धि योजना के तहत महिलाओं को प्रति माह 2,500 रुपये दिए जाएंगे। इतना ही नहीं दिल्ली में लागू जनकल्याण की योजनाओं को भी जारी रखा जाएगा। वहीं, गरीब परिवारों की महिलाओं की दिक्कत को दूर करने के लिए उनको एलपीजी सिलेंडर पर 500 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी जबकि होली और दिवाली में एक-एक गैस सिलेंडर फ्री दिया जाएगा।

मोदी, भाजपा और नारीशक्ति की त्रिवेणी बन रही जीत का आधार

पीएम मोदी, भाजपा और नारीशक्ति की त्रिवेणी जीत का आधार बन रही है। हरियाणा की धरती से पीएम मोदी ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का शानदार अभियान शुरू किया, वहां की नारी शक्ति ने भाजपा को भरपूर आशीर्वाद दिया। इसके बाद पीएम मोदी ने हरियाणा से ही पूरे देश के लिए बीमा सखी योजना भी शुरू की है। नारीशक्ति को महत्ता देने के इस अचूक फार्मूले का ही परिमाण है कि एक साल, यानी नवंबर 2023 से नवंबर 2024 के बीच 13 राज्यों में चुनाव हुए हैं। इनमें 9 में नारीशक्ति को बढ़ावा देने वाली ‘लाडली बहना’ जैसी योजनाएं लागू की गई या वादा किया गया। इनमें से 8 राज्यों में योजना कारगर रही। इन आठ में भी ज्यादातर में भाजपा को जीत मिली है। महाराष्ट्र में भी माझी लाडकी बहना का असर भाजपा को ऐतिहासिक सीटें दिलाने का सबब बना। अब बारी राजधानी दिल्ली की है।

 महिला समृद्धि योजना में दिल्ली की नारीशक्ति को प्रति माह 2500 रुपए

भाजपा ने तय किया है कि महिला समृद्धि योजना के तहत बीजेपी दिल्ली की महिलाओं को प्रति माह 2,500 रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। इसके साथ ही दिल्ली में बिजली-पानी और महिलाओं के लिए बस यात्रा फ्री रहेगी। दिल्लीवासियों के लिए आयुष्मान भारत योजना की राशि में 5 लाख रुपये और जोड़ा जाएगा। इसी तरह, प्रधानमंत्री वय वंदन योजना की राशि को बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया जाएगा। बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में यह वादा किया है। बीजेपी ने केजरीवाल के इस झूठ की पोल खोलते हुए कहा कि दिल्ली में उनकी पार्टी की सरकार बनने के बाद यहां जन कल्याण की सारी योजनाओं को बरकरार रखा जाएगा।
भाजपा दिल्ली विधानसभा चुनाव भी प्रचंड बहुमत से जीतेगी
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संकल्प पत्र के प्रमुख बिंदुओं की जानकारी देते हुए बताया कि बीजेपी ने दिल्ली के बुजुर्ग मतदाताओं का भी खास ध्यान रखा है। नड्डा ने कहा कि 60 से 70 वर्ष के बुजुर्गों के लिए पेंशन की राशि 2,000 रुपये से बढ़ाकर, 2,500 रुपये की जाएगी। वहीं, 70 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों, विधवाओं, दिव्यांगों आदि की पेंशन 2,500 से बढ़ाकर 3,000 रुपये की जाएगी। जेपी नड्डा ने कहा कि यह संकल्प पत्र ‘विकसित दिल्ली की नींव’ है। उन्होंने विश्वास जताया कि भारतीय जनता पार्टी दिल्ली चुनाव प्रचंड बहुमत से जीतेगी। उन्होंने बताया कि यह संकल्प पत्र जनता से मिले सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है। हजारों छोटी-बड़ी बैठकें हुईं, 41 एलईडी वैन के माध्यम से लोगों के विचार एकत्र किए गए। लगभग 1 लाख 80 हजार लोगों से फीडबैक लिया गया। सभी से मिले सुझावों के आधार पर पार्टी ने ये संकल्प पत्र तैयार किया है।
महिलाओं से लेकर हर वर्ग के मतदाताओं पर पूरा फोकस
राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि दिल्ली में सरकार बनने के बाद, हम पहली कैबिनेट बैठक में ही केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना को 51 लाख लोगों के लिए लागू करेंगे। इसके अलावा, दिल्ली सरकार इसमें 5 लाख रुपये का अतिरिक्त कवर प्रदान करेगी। नड्डा ने आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी सरकार ‘आप’ के कथित भ्रष्टाचार की जांच करेगी। AAP के मोहल्ला क्लीनिक भ्रष्टाचार का अड्डा हैं और लोगों को छलने का एक कार्यक्रम है। उनके मोहल्ला क्लीनिक में फर्जी लैब टेस्ट किए गए हैं और ₹300 करोड़ का घोटाला हुआ है।

दिल्ली चुनाव में भाजपा के ‘दस का दम’ पर एक नजर

  1. दिल्ली में भाजपा सरकार आने के बाद हर गर्भवती महिला को मिलेगी 21,000 रुपये की आर्थिक मदद मिलेगी और 6 पोषण किट दी जाएंगी।
  2. दिल्ली में हर गरीब महिला को प्रतिमाह दी जाएगी 2,500 रुपये की आर्थिक मदद।
  3. वरिष्ठ नागरिकों की पेंशन 2,000 रुपये से बढ़ाकर हर महीने 2,500 रुपये की जाएगी।
  4. सत्तर+ वर्ष के वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं, बेसहारा और परित्यक्त महिलाओं की पेंशन 2,500 रुपये से बढ़ाकर प्रतिमाह 3,000 रुपये की जाएगी।
  5. हर गरीब परिवार की महिला को 500 रुपये में दिया जाएगा गैस सिलेंडर। इसके अतिरिक्त होली और दीपावली पर एक-एक सिलेंडर मुफ्त दिया जाएगा।
  6. पहली कैबिनेट में आयुष्मान भारत योजना लागू करेंगे। साथ ही 5 लाख रुपये तक का अतिरिक्त मुफ्त इलाज राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराया जाएगा।
  7. दस लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज, सभी वरिष्ठ नागरिकों को फ्री OPD मेडिकल और diagnostics सेवा।
  8. जे.जे. क्लस्टरों में अटल कैंटीन स्थापित कर मात्र 5 रुपये में पौष्टिक भोजन की सुविधा।
  9. दिल्ली में अभी जो जन-कल्याण योजनाएं चल रही हैं, वो सारी योजनाएं बीजेपी सरकार बनने पर भी जारी रहेंगी। उनका ज्यादा कारगर तरीके से सुदृढ़ीकरण किया जाएगा।
  10. बीजेपी सरकार ‘आम आदमी पार्टी’ के कथित भ्रष्टाचार की जांच करेगी।
महिलाओं के लिए बजट में 3 लाख करोड़ से ज्यादा की योजनाओं का ऐलान
दिल्ली से पहले बीजेपी ने महाराष्ट्र में पीएम मोदी के विजन पर चलते हुए  ‘माझी लाडकी बहिन’ योजना लागू की। भाजपा गठबंधन ने विधानसभा चुनाव में 288 में से 230, यानी 80% सीटें जीत लीं। इसमें भी भाजपा ने सबसे ज्यादा सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। बीते एक साल में जिन 9 राज्यों में ‘लाडली बहना’ जैसा फैक्टर था, उनमें से 7 राज्यों में बीजेपी या NDA को फायदा मिला। दरअसल पीएम मोदी के दिशा-निर्देशन में केंद्र से लेकर राज्यों तक बीजेपी ने महिलाओं को पहचान देने के कई कदम उठाए हैं। मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2024 में अपने बजट में महिलाओं और बच्चियों की मदद करने वाली योजनाओं के लिए 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा देने का ऐलान किया। मोदी सरकार 3.0 ने पहले 100 दिनों में 11 लाख नई ‘लखपति दीदियों’ को सर्टिफिकेट दिए। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, एक करोड़ से ज्यादा ‘लखपति दीदियां’ अब हर साल एक लाख रुपए से ज्यादा कमा रही हैं।

देश के विरुद्ध युद्ध की धमकी ने राहुल गांधी को सांसद पद के लिए अयोग्य कर दिया; लोकसभा अध्यक्ष को इसका संज्ञान लेकर कार्यवाही करनी चाहिए। करने दो विपक्ष को हंगामा, करने दो walk out, करने दो भूख हड़ताल

सुभाष चन्द्र

पिछले दिनों सरसंघचालक भागवत जी ने कहा था कि राम मंदिर के निर्माण के बाद ही सच्ची आज़ादी मिली। 

“राहुल गांधी ने इस टिप्पणी को देशद्रोह के समान बताया। भागवत का बयान प्रत्येक भारतीय के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में सब कुछ न्योछावर करने वाले सेनानियों का भी अपमान है। यह दर्शाता है वे स्वतंत्रता और संविधान के प्रति क्या सोच रखते हैं, यही नहीं, भाजपा -संघ ने देश की तमाम संवैधानिक संस्थाओं पर कब्ज़ा कर रखा है”

राहुल को यह भी बताना चाहिए कि कांग्रेस के कार्यकाल में किसी को कांग्रेस के खिलाफ बोलने की आज़ादी तक नहीं थी। एक फोन पर स्टेट बैंक से 60,000 रूपए तक निकाल लिए जाते थे। नागरवाला कांड को भी याद कर लेते। दादी इंदिरा गाँधी को कोर्ट द्वारा असदस्य घोषित कर 6 साल तक चुनाव न लड़ने का फैसला आने के बाद देश को क्या मिली इमरजेंसी। राहुल तो क्या पूरी कांग्रेस ये सब भूल जाती है, क्यों?  

अगर भागवत जी ने देशद्रोह किया है तो राहुल गांधी को कौन रोकता है उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दायर करने से

राहुल ने कहा कि “आरएसएस की विचारधारा की तरह हमारी विचारधारा भी हज़ारों साल पुरानी है, हज़ारों साल से आरएसएस की विचारधारा से लड़ रही है कांग्रेस। आज कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल सिर्फ भाजपा से ही नहीं बल्कि भारतीय राज्य से भी लड़ रहे हैं”।

लेखक 
चर्चित YouTuber 

अभी तक किसी विपक्षी दल ने भारतीय राज्य के खिलाफ लड़ने की बात नहीं की है। राहुल तो इसके लिए संसद से बर्खास्त होना ही चाहिए और यदि कोई विपक्षी दल भी साथ है तो कांग्रेस के साथ उसकी भी मान्यता रद्द होनी चाहिए। 

राहुल गांधी ने कांग्रेस की हज़ारों साल की विचारधारा की बात कह कर साबित कर दिया कि कांग्रेस की सोच “बाबर” की सोच है क्योंकि बाबर का काल 1526 से 1530 का है और आज 2025 चल रहा है जिसका मतलब पूरे 1000 साल से कांग्रेस ने बाबर की सोच को हिंदुओं के दमन के लिए संजो कर रखा है। इसी बाबर की कब्र पर नेहरू गए 1959 में इंदिरा गांधी 1968 में और खुद राहुल गांधी 2005 में मनमोहन सिंह के साथ। इसलिए कांग्रेस का Origin तो बाबर ही है 

संघ तो सनातन धर्म में विश्वास रखता है और इसलिए उसकी सोच तो पुरातन है

स्वतंत्रता सेनानियों ने कब चाहा था कि धर्म के आधार पर भारत के टुकड़े किये जाएं लेकिन गांधी नेहरू ने मुस्लिमों को पाकिस्तान दिया लेकिन हिंदुओं के लिए हिंदू देश नहीं दिया और इसलिए उन्हें तो आज़ादी अभी तक मिली ही नहीं

कांग्रेस ने तो मुस्लिमों को 2 आज़ादी दे दी- पहली उन्हें पाकिस्तान देकर और दूसरी, उन्हें  आज़ादी के बाद भारत में रख कर

राहुल गांधी तो सांसद रहने के लिए भी अयोग्य है क्योंकि उसने एक सांसद की शपथ का उल्लंघन किया है। एक सांसद की शपथ होती है -

"मैं, ए.बी., राज्यसभा (या लोकसभा) में एक सीट भरने के लिए उम्मीदवार के रूप में नामित होकर, ईश्वर के नाम पर शपथ लेता/लेती हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता/करती हूं कि मैं भारत के संविधान के प्रति, जैसा कि विधि द्वारा स्थापित है, सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा/रखूंगी और भारत की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखूंगा/रखूंगी

देश की एकता और संप्रभुता की रक्षा की शपथ लेने वाला किसी भी परिस्थिति में देश के विरुद्ध युद्ध की बात नहीं कर सकता और करता है तो वह सांसद नहीं रह सकता क्योंकि वह देशद्रोही माना जायेगा। लोकसभा अध्यक्ष को इसका संज्ञान लेकर कार्यवाही करनी चाहिए। करने दो विपक्ष को हंगामा, करने दो walk out, करने दो भूख हड़ताल।  

कांग्रेस ने कब स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान किया है। वीर सावरकर का रोज अपमान किया राहुल गांधी ने। एक भी कांग्रेसी को सावरकर की तरह 2 बार कालापानी की सजा नहीं हुई, फिर भी राहुल हर समय उनका अपमान करता है। 

राहुल गांधी को याद नहीं कि राम मंदिर के लिए 500 वर्ष में 76 युद्ध लड़े गए और हजारों ने अपना बलिदान दिया लेकिन कांग्रेस ने भगवान राम को काल्पनिक कह कर उन सभी बलिदानियों का अपमान किया

कांग्रेस ने मुस्लिमों के लिए संविधान का भी मखौल बना दिया। देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुस्लिमों को कैसे दे दिया जबकि यह संविधान नहीं लिखा। 

मुसलमानों के लिए संविधान में article 25 से 30 घुसा दिए लेकिन हिंदुओं के अधिकार छीन लिए। संविधान में बदलाव करके शरीयत के मुताबिक करने का दुस्साहस करने वाली कांग्रेस है, कोई और नहीं। लेकिन बेशर्म पार्टियां भी सनातन को दरकिनार कर कांग्रेस का साथ दे रही है। राहुल परेशान मत हो, संविधान बहुत जल्दी अपने उस असली रूप में आने वाला है जैसा संविधान निर्माताओं ने देश को।     

बंगाल : सियालदह में अवैध रूप से घुसे 3 रोहिंग्या मुसलमान, 20-20 हजार रूपए देकर बनवाए फर्जी दस्तावेज

                                            रोहिंग्या मुस्लिम (साभार: वीडियो स्क्रीनशॉट)
पश्चिम बंगाल बांग्लादेशी और म्यांमार के रोहिंग्या घुसपैठियों का जंक्शन बन गया है। पुलिस ने कोलकाता के सियालदह रेलवे स्टेशन से तीन रोहिंग्या मुस्लिमों को गिरफ्तार किया है। ये तीनों अवैध रूप से घुसे हैं और वे जम्मू-कश्मीर या नई दिल्ली में अपने परिचितों के पास जा रहे थे। इसके पहले वे बांग्लादेश के शरणार्थी कैंप में रह रहे थे। भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने मामले की जाँच NIA से कराने की माँग की है।

गिरफ्तार लोगों में 2 महिलाएँ और एक पुरुष हैं। घुसपैठियों की पहचान नूर फातिमा, सबू पानेकर और अब्दुल रहमान के रूप में हुई है। दोनों महिलाओं की उम्र 18 साल से कम बताई जा रही है। दरअसल, सियालदह पुलिस स्टेशन के कर्मियों को स्टेशन परिसर में तीनों की गतिविधियों पर संदेह हुआ। इसके बाद उनके पहचान दस्तावेज माँगे तो उनकी असली पहचान उजागर हुई।

तीनों घुसपैठिए आपस में रिश्तेदार हैं और म्यांमार के रखाइन प्रांत के निवासी हैं। ये सभी बिना वीजा और वैध दस्तावेजों के अवैध रूप से भारत में घुसे हैं। उसने बताया कि पश्चिम बंगाल की एक खुली सीमा से से तीनों भारत में घुसे थे। इसके बाद वे शनिवार (18 जनवरी 2025) की सुबह ट्रेन से सियालदह स्टेशन पहुँचे थे और यहाँ से वे दिल्ली या जम्मू-कश्मीर जाने वाले थे। यहाँ उन्हें पकड़ लिया गया।

म्यांमार में हिंदुओं एवं बौद्धों के खिलाफ हिंसा करने वाले इस्लामी आतंकी समूहों के खिलाफ वहाँ की सेेना की कार्रवाई के बाद मुस्लिम वहाँ से भाग रहे हैं। इस दरम्यां ये तीनों भी भागकर बांग्लादेश के शरणार्थी शिविर में ठहरे। इसके बाद वहाँ एक एजेंट को प्रति व्यक्ति 20,000 देकर बिना दस्तावेज के अवैध रूप से भारत की सीमा में घुस आए।

जाँच अधिकारी पता कर रहे हैं कि वे भारत में किन संपर्कों के जरिए घुसे और किसके पास जाने वाले थे। पुलिस ने उनका भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि किनकी मदद से वे अवैध रूप से भारत की सीमा पार करने में कामयाब रहे थे। जाँच अधिकारी महिला तस्करी और आतंकवाद के ऐंगल से भी इस मामले की जाँच कर रही है।

भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस मामले में NIA जाँच की माँग की है। भाजपा ने सोशल मीडिया साइट X पर लिखा, “ये अवैध अप्रवासी पहले म्यांमार से भागकर बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में बालूखाली कैंप में रह रहे थे। वे किसी एजेंट को कुछ रकम देकर भारत में घुस आए। वे कोलकाता से नई दिल्ली जाकर बसने की योजना बना रहे थे। उन्होंने कैमरे पर स्वीकार किया है कि वे नई दिल्ली में बसे कई रोहिंग्याओं को जानते हैं।”

उन्होंने आगे कहा, मैं दिल्ली के माननीय उपराज्यपाल से आग्रह करता हूँ कि वे वहाँ रोहिंग्याओं के बसने के मामले की जाँच NIA और दिल्ली पुलिस से करवाएँ कि पश्चिम बंगाल दिल्ली की ओर जाने वाले ऐसे लोगों के लिए सुरक्षित मार्ग कैसे बन गया है। ED को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत अवैध भुगतान और प्राप्तियों के मामले की भी जाँच करनी चाहिए, जो इस तरह के अवैध सीमा अतिक्रमण को सुविधाजनक बना रहे हैं।”

सुवेंदु अधिकारी ने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश सीमा पर 600 किलोमीटर के क्षेत्र में बाड़ नहीं लगाई गई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को ज़मीन उपलब्ध नहीं कराई है। उन्होंने एक सोशल मीडिया यूजर को जवाब देते हुए कहा, “ममता बनर्जी से पूछिए कि वह यहाँ 600 किलोमीटर क्षेत्र में बाड़ लगाने के लिए BSF को ज़मीन क्यों नहीं दे रही हैं।”

बिहार चुनाव : राहुल ने जातीय जनगणना को क्यों बताया फेक या किया सेल्फ गोल या लालटेन की लौ हुई कम? केजरीवाल से गुप्त समझौता दिल्ली चुनाव कांग्रेस के लिए आगे कुआँ पीछे खाई बनने वाला है

कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गाँधी शनिवार (18 जनवरी 2025) को एकदिवसीय दौरे पर बिहार की राजधानी पहुँचे। यहाँ उन्होंने एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और बिहार के महागठबंधन के सबसे बड़े सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के मुखिया लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनके बेटे तेजस्वी यादव से मुलाकात की। इस दौरान राहुल गाँधी ने एक कार्यक्रम में कुछ ऐसा बोल दिया कि बिहार की राजनीति का तापमान बढ़ गया।

‘संविधान सुरक्षा सम्मेलन’ में बोलते हुए राहुल गाँधी ने कहा कि बिहार की जातीय जनगणना फेक है और लोगों को बेवकूफ बनाने वाला है। इससे सच्ची स्थिति का आकलन नहीं हो पाया है और ना ही इसका लाभ राज्य के लोगों को मिला है। राहुल गाँधी ने कहा कि वह पूरे देश में जाति गणना कराने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में कानून पास कराएँगे। उन्होंने इसे देश का एक्स-रे और एमआरआइ जैसा बताया।

राहुल गाँधी ने कहा कि इसके आधार पर राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक भागीदारी तय की जाएगी। वर्तमान में किसकी कितनी भागीदारी है, इसका आकलन होने के बाद ही देश का सही तरीके से विकास संभव है। उन्होंने आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी देने का समर्थन किया। राहुल गाँधी ने आरक्षण की सीमा को भी 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने की बात कही और कहा कि वे ऐसा जरूर करेंगे।

राहुल गाँधी ने बिहार की जातीय गणना को फेक बताकर बिहार की राजनीति में दबाव बना दिया है। दरअसल, राहुल गाँधी ने पटना में तय कार्यक्रम को उलट दिया। वे पहले बापू सभागार में आयोजित ‘संविधान सुरक्षा सम्मेलन’ में बोलने वाले थे। उसके बाद राजद के नेताओं से मिलने वाले थे, लेकिन एयरपोर्ट से वे सीधे मौर्या होटल पहुँचे और वहाँ राजद के कार्यकारिणी की बैठक के बीच तेजस्वी यादव से काफी देर तक बंद कमरे में बातचीत की। 

हालाँकि, यह मुलाकात और वो भी इतनी जल्दी में करने की क्या वजह थी, इसको लेकर स्पष्ट रूख नहीं है। लेकिन सियासत के बाजार में चर्चा है कि केजरीवाल ने तेजस्वी को बिचौलिया बनाकर कांग्रेस से सौदा किया है। यही रुझान इस बात से मिलता है कि नई दिल्ली विधानसभा में अपने प्रत्याशी संदीप दीक्षित के होने वाली रैली को बीमारी का बहाना बनाकर कैंसिल कर देना। इस गुप्त मीटिंग में दोनों ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। 

हालाँकि, राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि राहुल गाँधी की यह मुलाकात कुछ दिन पहले तेजस्वी यादव द्वारा INDI गठबंधन को लेकर दिए बयान के संदर्भ में थी। दरअसल, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कुछ दिन पहले कह दिया था कि इस चुनाव में कोई ‘खेला’ नहीं होगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि लोकसभा चुनाव के लिए बने ‘INDI’ गठबंधन का अब अस्तित्व नहीं है। हालाँकि, बिहार में ‘महागठबंधन’ की प्राथमिकता पर उन्होंने बल दिया।

INDI गठबंधन के खत्म होने के लेकर पहले भी बयानबाजी होती रही है। राजद सुप्रीमो बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस बयान का समर्थन कर चुके हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि राहुल गाँधी से INDI गठबंधन नहीं संभल रहा है और वे इसका नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं। तब लालू यादव ने खुलेआम ममता बनर्जी की तरफदारी की थी और कहा था कि उन्हें मौका दिया जाना चाहिए।

ऐसे में राहुल गाँधी की पटना यात्रा के दौरान माना जाता है कि उनकी तेजस्वी यादव के साथ इसी मुद्दे पर लंबी चर्चा हुई। इसमें INDI गठबंधन के अस्तित्व को नकारने और जरूरत पड़ने की गठबंधन का नेतृत्व ममता बनर्जी को देने को लेकर भी चर्चा है। जानकारों का कहना है कि तेजस्वी यादव अपने बयान पर अडिग रहे और उन्होंने राहुल गाँधी को कोई स्पष्ट भरोसा नहीं दिया और पूरा फोकस बिहार विधानसभा चुनाव पर रखने की बात कही।

यह बात राहुल गाँधी को नहीं जँची। वहाँ से निकल राहुल गाँधी संविधान सुरक्षा सम्मेलन में पहुँचे और तेजस्वी यादव के जाति जनगणना के दावे की हवा निकाल दी। राहुल गाँधी ने बिहार की जातीय सर्वे को फेक बता दिया। इस जातीय गणना का पूरा श्रेय लेने की कोशिश तेजस्वी यादव करते रहे हैं। ये कई मौकों पर कह चुके हैं कि उनके दबाव में ही तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में जातीय जनगणना कराई थी।

बिहार की जातीय गणना को फेक बताकर राहुल गाँधी ने एक तीर से दो शिकार करने की कोशिश की है। एक तरफ वो दलित एवं पिछड़ों में ये संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि नीतीश कुमार और तेजस्वी द्वारा कराया गया जातीय सर्वे में आँकड़े सही नहीं हैं और दूसरा तेजस्वी यादव द्वारा इस गणना का श्रेय लेने की कोशिश पर भी पानी फेर दिया है। वहीं, नीतीश कुमार के हाथ से भी इस मुद्दे को छीन लिया है।

दरअसल, जिस वक्त नीतीश कुमार की जदयू और तेजस्वी का राजद की गठबंधन वाली सरकार ने यह जातीय गणना कराया था, उस सरकार में राहुल गाँधी की कॉन्ग्रेस भी सहयोगी थी। इसके बावजूद उन्होंने इस पर सवाल उठा दिया है। दरअसल, इसके पीछे राहुल गाँधी की कॉन्ग्रेस के कभी समर्पित वोटर रहे दलितों में पार्टी की स्वीकार्यता बढ़ाने की कोशिश के तौर पर बनाई गई रणनीति भी माना जा रहा है।

ऐसे में अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करके इनके दो प्रमुख नेतृत्वों पर निशाना साध रहे हैं। इनमें पहला निशाना नीतीश कुमार हैं और दूसरा तेजस्वी यादव। एक अन्य कारण अगले कुछ महीनों में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में टिकट बँटवारे को लेकर दबाव बनाने की राजनीति भी है। पिछले कुछ समय से मीडिया में लगातार खबर आ रही है कि कॉन्ग्रेस बिहार चुनाव में उसे अधिक सीटें देने का दबाव बना रही है।

शायद INDI गठबंधन को नकार कर तेजस्वी यादव यही संदेश देने की कोशिश कर रहे थे कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का कोई सहयोगी नहीं, लेकिन बिहार में वहीं उसकी नैया पार कराने वाली पार्टी है। इसलिए जो सीटें दी जा रही हैं वे उसे स्वीकार कर लें। हालाँकि, राहुल गाँधी ने अपने बयान में तेजस्वी यादव के मुख्य मुद्दे पर प्रहार करके उन्हें राजनीति के मैदान में शस्त्रविहीन कर दिया है। कांग्रेस को अपना दबदबा बनाने के लिए दिल्ली चुनाव है। अगर कांग्रेस 10 सीट भी निकाल लेती है, उससे केजरीवाल की हवा तो निकलेगी ही, कांग्रेस भी अपना जनाधार बनाने में सफल होगी। अन्यथा जिसकी केजरीवाल पार्टी साफ लफ्जों में कांग्रेस के लिए कह रही है न 3 में न 13 में वाली बात सच साबित हो जाएगी। अगर केजरीवाल से गुप्त समझौता किया तो दिल्ली चुनाव कांग्रेस के लिए आगे कुआँ पीछे खाई बन जायेगा।    

तेजस्वी ने जातीय गणना को ही बिहार चुनावों में मुख्य मुद्दे के रूप में पेश करने की बात कही थी। तेजस्वी यादव नेे कहा था, “हमने विकास के साथ-साथ जाति आधारित गणना कराई और आरक्षण की सीमा भी बढ़ाई। हमने जो कहा, वह किया।” दरअसल, जल्दबाजी में पिछली सरकार ने बिहार में आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया था, जिस पर पटना हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है।

बिहार में जातीय गणना की बात राहुल गाँधी ने बहुत सोच-समझ कर की है। उन्हें पता है कि बिहार में चुनाव का मुख्य केंद्र जाति ही होती है। जातीय गोलबंदी के आधार पर ही यहाँ टिकट के बँटवारे से लेकर गठबंधन तक की राजनीति होती है। ऐसे में तेजस्वी यादव पर एक तरह महागठबंधन को सम्मानजनक तरीके से बनाए नैतिक भार डाल दिया है।

हलाल के ठप्पे से लाखों करोड़ की कमाई, आटा, सरिया-सीमेंट को भी दिया सर्टिफिकेट: मुस्लिम कट्टरपंथियों ने क्या मजाक बनाया हुआ है ? केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- इसके चलते महँगे हुए सामान

    सीमेंट और पानी तक के हलाल सर्टिफाइड होने पर केंद्र सरकार ने प्रश्न उठाए हैं (प्रतीकात्मक फोटो साभार: Grok AI)
भारत में पिछले कुछ सालों से हला 
उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इस गोरख धंधे पर नकेल डालते ही कट्टरपंथी सुप्रीम कोर्ट पहुँच गए। सुप्रीम कोर्ट के रवैये से अब पूरा देश परिचित हो चूका है। इस गोरख धंधे से जो अवैध कमाई हो रही है कहाँ खर्च हो रही है किसी को नहीं मालूम। खैर, योगी द्वारा हलाल के विरुद्ध उठाये कदम उत्तर प्रदेश से बाहर भी हिन्दुओं को जागृत होते देखा गया है। किसी भी चीज खरीदते वक्त हलाल मार्का देख तुरंत दुकानकार को बिना हलाल मार्का देने को कहा जाता है। बस दुकानदारों को भी होशियार होने की जरुरत है। जब भारत का fssai संस्थान है फिर हलाल मार्का कहाँ से पैदा हो गया? जब कट्टरपंथी सुप्रीम कोर्ट पहुँच ही गए है तो कोर्ट को बिना किसी देरी के हलाल के नाम पर की अब तक की करोड़ो-अरबों की कमाई को सरकारी खाते में जमा करने का आदेश दे।    

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि हलाल सर्टिफिकेट का दायरा मांस से आगे बढ़ कर सरिया और सीमेंट जैसे घर बनाने के सामान तक पहुँच गया है। केंद्र सरकार ने बताया है कि हलाल सर्टिफिकेट देने के नाम पर कई एजेंसियों ने लाखों करोड़ों रूपए बनाए हैं।

केंद्र सरकार ने यह दलीलें सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ दायर याचिकाओं के मामले में दी है। योगी सरकार ने 2023 में उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पादों की बिक्री पर रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ कुछ संगठन सुप्रीम कोर्ट पहुँच गए थे।

आटा-बेसन भी हलाल

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं की सोमवार (20 जनवरी, 2025) को सुनवाई की। इस दौरान केंद्र की तरफ से हलाल मामले में जवाब दाखिल करने के लिए सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने बताया कि सरिया और सीमेंट, यहाँ तक कि बेसन पर भी हलाल का प्रमाण पत्र लगा हुआ था।
SG तुषार मेहता ने कहा, “जहाँ तक हलाल मीट का सवाल है, किसी को इसमें कोई आपत्ति नहीं हो सकती। लेकिन कोर्ट को यह आश्चर्य होगा, जैसा कि कल मुझे हुआ, सीमेंट तक का भी हलाल-सर्टिफाइड होना ज़रूरी है। सरिया का भी हलाल-सर्टिफाइड होना ज़रूरी है। यहाँ तक कि पानी की भी हलाल-सर्टिफाइड होना ज़रूरी है।”
SG तुषार मेहता ने कहा कि बेसन और आटा तक का हलाल सर्टिफाइड होना जरूरी किया गया था। उन्होंने प्रश्न उठाया कि इसकी क्या जरूरत है। SG मेहता ने कहा कि इस हलाल सर्टिफिकेट के धंधे में कई एजेंसियों ने लाखो करोड़ रूपए बना लिए हैं।

कीमत बढ़ा रहा हलाल का ठप्पा

SG मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि हलाल के चलते कई उत्पाद महंगे दामों पर बिक रहे हैं क्योंकि हलाल का ठप्पा लगाने के लिए फीस देनी पड़ती है। उन्होंने प्रश्न उठाया कि जो गैर मुस्लिम लोग हलाल नहीं खाना चाहते, उनके लिए महंगे उत्पाद लेने की मज़बूरी क्यों हो।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई अब मार्च तक के लिए टाल दी है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा इस मामले में दाखिल जवाब की कॉपी भी हलाल को बचाने के लिए पहुँचे संगठनों को देने को कहा है। इस मामले में कोर्ट ने इन एजेंसियों पर एक्शन को लेकर पहले ही रोक लगा दी थी।

योगी सरकार ने लगाई थी रोक

उत्तर प्रदेश सरकार ने नवम्बर, 2023 में राज्य में हलाल सर्टिफाइड उत्पादों पर बैन लगा दिया गया था। यूपी सरकार ने तय किया था कि राज्य की सीमा के भीतर हलाल उत्पादों के उत्पादन, वितरण, भण्डारण पर संपूर्ण बैन लागू हो। इसके लिए आधिकारिक तौर पर आदेश भी जारी किया गया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा था हलाल सर्टिफिकेट किसी उत्पाद की गुणवत्ता से संबंधित नहीं है। ऐसे निशान गुणवत्ता को लेकर भ्रम की स्थिति ही पैदा करते हैं। जिन उत्पादों पर इस तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनका उल्लेख राज्य सरकार द्वारा जारी पत्र में साफ तौर पर किया गया था। यूपी में हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट बैन होने के बाद हलाल ट्रस्ट ने कोर्ट का रास्ता पकड़ा था।

 

हो गया खेला :कांग्रेस का केजरीवाल को गुप्त समर्थन ; ‘केजरीवाल भ$वा है… 100 कमीने मरने पर एक पैदा होता है’: आखिर केजरीवाल को शीशे में अपनी शक्ल देख क्यों डर लग रहा है?

भारत में राजनीति में गालियों का सिलसिला शुरू हुआ गुजरात 2002 दंगों के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को "मौत का सौदागर" कहकर सोनिया गाँधी ने। लेकिन बेशर्म नेता में आज तक यह बताने की हिम्मत नहीं कि दंगे क्यों हुए? किसने अयोध्या से लौट रहे 56  कारसेवकों को साबरमती ट्रेन में जिन्दा जलाया? जिस दिन मुसलमान victim card खेलने की बजाए असलियत जान लेगा, और दंगों में मोदी की भूमिका को जितने भी मुस्लिम कट्टरपंथी, सेकुलरिज्म के नाम से गुमराह करने वाले किसी को शक्ल दिखाने लायक नहीं होंगे। मुसलमान मोदी के पैर धो-धोकर पियेगा। कांग्रेस की राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकारों ने मदद करने से मना कर दिया, लेकिन हिम्मत खोये बिना दिन-रात किसी पागल की तरह दंगे शांत करने सड़क पर रहने वाले मोदी ने पिछले दंगों की तरह बेगुनाहों को मौत का शिकार नहीं होने दिया। 

खैर अब बात दिल्ली चुनाव की। दिल्ली के गाँधी नगर में एक चुनावी रैली के दौरान आम आदमी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर तीखा हमला बोलने की कोशिश की। उन्होंने अपने भाषण में भाजपा के आरोपों का ज़िक्र करते हुए कहा, “केजरीवाल भ*वा है, केजरीवाल आतंकी है, 100 कमीने मरे तब एक केजरीवाल पैदा हुआ।” केजरीवाल ने भाजपा पर उन्हें बदनाम करने और उनके खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

आखिर केजरीवाल को शीशे में अपनी शक्ल देख क्यों डर लग रहा है? Hit and run की छिछोरी सियासत शुरू करने पर सच्चाई से घबड़ा रहे हो? ये तो दिल्ली और पंजाब की अपनी इज्जत गँवा चुकी जनता का कसूर है कि तुम्हे सिरमौर बना रखा है। वरना अन्य राज्यों में आम आदमी पार्टी के अधिकतर उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने के साथ-साथ कर बूथों पर NOTA से कम वोट मिलते हैं। जबकि फ्री की रेवड़ियों वहां भी घोषित किया जाता था।     

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का यह बयान आगामी विधानसभा चुनाव से पहले आया है, जो अगले महीने दिल्ली की 70 सीटों पर होंगे। दिल्ली में मतदान 5 फरवरी को और नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। केजरीवाल ने भाजपा के खिलाफ जनता से समर्थन माँगते हुए कहा कि यह चुनाव दिल्ली की पहचान बचाने का चुनाव है। 

कांग्रेस का केजरीवाल को गुप्त समर्थन 

2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी 11 साल बाद दिल्ली में बीजेपी के खिलाफ औपचारिक तौर पर एकजुट हो गई थी। लेकिन यह दोस्ती 6 महीने भी ठीक से नहीं चली और विधानसभा चुनावों के लिए दोनों ने अलग-अलग होने का फैसला किया। शुरू में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी पर ताबड़तोड़ हमले शुरू किए। लेकिन, बीजेपी के लिए यह स्थिति चार दिन की चांदनी साबित हुई।

अब कांग्रेस के कुछ नेताओं को छोड़कर बाकी पार्टी अपने ऐक्शन से पूरी तरह से इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी की मदद करती नजर आ रही है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की ओर से जो संकेत मिल रहे हैं, उससे साफ है कि इस चुनाव में भी उनकी असली लड़ाई बीजेपी से ही है और वह भाजपा को अपना दुश्मन मानते हुए उतर रहे हैं। आप पर पार्टी के कुछ नेता हमले भी कर रहे हैं तो वह चुनावी नूरा कुश्ती की तरह ही लग रही है।

सियासत गरियारों में चर्चा गर्म है कि संदीप दीक्षित के नई दिल्ली क्षेत्र में राहुल गाँधी बीमारी का बहाना कर रैली नहीं करना संदेह नहीं इस बात को साबित करता है कि दिल्ली चुनाव छोड़ बिहार जाना बहुत बड़ा षड़यंत्र है। .शंका व्यक्त की जा रही है तेजस्वी के माध्यम से केजरीवाल और कांग्रेस में गुप्त समझौता हो गया है। बिहार से आकर बीमार होना बहुत कुछ बोल रहा है। अगर कांग्रेस ने समझौता किया मतलब राहुल ने कांग्रेस को ख़त्म करने की सुपारी ले चुके हैं। क्योकि अगर दिल्ली चुनाव कांग्रेस गंभीरता नहीं लड़ती इसका बोरिया बिस्तर कब बंध जाए कहा नहीं जा सकता। 
संदीप दीक्षित और अलका लांबा जैसे कांग्रेस नेता शुरू से आम आदमी पार्टी का व्यक्तिगत स्तर पर विरोध करते रहे हैं। संदीप दीक्षित की नाराजगी इस वजह से है कि केजरीवाल के कथित गलत आरोपों की वजह से उनकी मां और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की न सिर्फ बदनामी हुई, बल्कि उनकी सरकार चली गई। वहीं लांबा आप से विधायकी करने के बाद कांग्रेस का हाथ पकड़ी हैं और उनकी आप नेताओं से अपनी निजी खुन्नस रही है।
बाकी कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजय माकन ने शुरू में जिस तरह से आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला था, दो हफ्तों से वह पूरी तरह से चुनावी सीन से ही गायब लग रहे हैं।
केजरीवाल के खिलाफ एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर वह जिस तरह से चुप हुए हैं, उसके बाद से अटकलें हैं कि उन्हें आप और उसके नेताओं के खिलाफ मुंह न खोलने की हिदायत दे दी गई है। उनके आरोपों के बाद आप ने उनपर कार्रवाई करने की मांग भी की थी और ऐसा नहीं होने की सूरत में कांग्रेस को इंडिया ब्लॉक से हटवाने की चेतावनी भी दे चुकी है। इस तरह से कांग्रेस के पीछे हटने के स्टैंड से आखिरकार आप को ही सहायता मिलने की संभावना पैदा हुई है।

कर्नाटक : कांग्रेस राज में गाय का सर काटा, पेट फाड़ बछड़ा निकाला: माँस निकाल कर फेंका; 10 दिनों में गायों पर तीसरा क्रूर हमला

                                                                                                                                प्रतीकात्मक 
कर्नाटक में गायों पर हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। गायों के थन काटने और मंदिर के बछड़े की पूँछ काटने के बाद अब एक गाय की हत्या कर दी गई। इस गर्भवती गाय का पेट फाड़ कर उसके गर्भ से बछड़ा निकाल दिया गया। इसके बाद उसके शरीर से माँस निकाल ले गए।

यह घटना कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में रविवार (19 जनवरी, 2025) को हुई। यहाँ के होनावर ताल्लुक में कृष्णा आचारी नाम के एक शख्स की गाय गाँव के बाहर घास खाने के लिए गई थी, जिस दौरान गोतस्करों ने इस घटना को अंजाम दिया। उन्होंने इस सूनसान इलाके में इस गर्भवती गाय का सर काटा, फिर उसका पेट फाड़ दिया।

उसके पेट से बछड़ा निकाला गया। उसके शरीर से माँस अलग कर हड्डियाँ और टाँगे वहीं छोड़ दी गईं। माँस लेकर गोतस्कर फरार हो गए। जब गोपालक यहाँ पहुँचा तो उसने अपनी गाय की क्षत-विक्षत देह देखी। इसके बाद उन्होंने बाकी गाँव वालों और पुलिस को इस घटना की सूचना दी।

कृष्णा आचारी ने बताया कि वह इस गाय को 10 वर्षों से पाल रहे थे और उसे अपने घर का सदस्य मानते थे। इस घटना के बाद हिन्दू संगठनों ने प्रदर्शन किया है। स्थानीय लोगो ने आरोप लगाया है कि इस इलाके में पिछले कुछ समय से गोतस्करी चरम पर है। मामले में पुलिस ने FIR दर्ज कर ली है।

मामले में स्थानीय भाजपा विधायक दिनाकर शेट्टी ने पहुँच कर राज्य की सिद्दारमैया सरकार पर गोवंश की लापरवाही करने का आरोप लगाया है। राज्य भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेन्द्र कहा कि गाय पर हमला करने वालों के लिए राज्य सरकार के मन में सहानुभूति है।

राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष R अशोक ने कांग्रेस सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, ” तुष्टीकरण और अराजकता के कारण दम तोड़ रही कांग्रेस  सरकार की कमजोरी का फायदा उठाते हुए कट्टरपंथी ताकतें गायों पर हमला करके हिंदुओं को चुनौती दे रही हैं।”

उन्होंने आगे कहा “मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, गायों पर बार-बार हो रहे इन हमलों को देखें तो लगता है कि इसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क है। ऐसा लगता है कि यह कट्टरपंथी ताकतों की कोई बड़ी जिहादी साजिश है। अगर सरकार इसे गंभीरता से नहीं लेती और इन अत्याचारों पर अंकुश नहीं लगाती तो पूरे राज्य में बड़ा आंदोलन होगा।”

कर्नाटक में 10 दिनों के भीतर गायों पर यह तीसरा क्रूर हमला है। इससे पहले बेंगलुरु में तीन गायों के थन काट दिए गए थे और उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया गया था। इस हमले में सैयद नसरू नाम का एक कट्टरपंथी पकड़ा गया था। इसके अलावा मैसुरु के नंजानगुड़ में मंदिर के एक बैल की पूँछ काट दी गई थी।

दिल्ली चुनाव का गणित : फ्री की रेवड़ी तो सबने बांट दी, उन रेवड़ियों का पहले इतिहास देख लें वोटर, फिर वोट दें; मतदाता अब मतदाता नहीं बिकाऊ माल बन गया, सबको डूब मरना चाहिए

सुभाष चन्द्र

देश में फ्री की रेवड़ियों की शुरुआत उत्तर प्रदेश से मुलायम सिंह ने की, जिसे अरविन्द केजरीवाल ने लपक कर दिल्ली के मतदाताओं को एक मतदाता नहीं बिकाऊ माल बना दिया। अपना महत्व कम करने के लिए दिल्ली का मतदाता खुद जिम्मेदार है। डूब मरना चाहिए, क्योकि दिल्लीवालों ने अपनी आत्मा और आत्मसम्मान का खुलेआम क़त्ल कर दिया। अपने आपको बिकाऊ माल साबित कर अपनी इज्जत की अर्थी निकाल खुद अपनी लाश को ढो रहे हैं। बुजुर्गों ने कोई गिल्ली-डंडा खेलकर कहावतें नहीं बनाई थीं, जैसा कि चोरी हुई कुछ नहीं गया, सेहत गयी कुछ गया और जब आत्मसम्मान(चरित्र) गया तो सबकुछ गया।        

इस बात से कोई राजनीतिक पार्टी नहीं सियासतखोर इंकार नहीं कर सकता कि वोटिंग से एक दिन पहले शराब और नोटों का खेल चलता है, जो अभी नहीं रुकेगा और इन्ही बिकाऊ लोगों के वोट से हार-जीत तय होती है। दूसरे, जनता चिल्लाती रहती है साफ पानी नहीं मिलता, टूटी सड़कें, भ्रष्टाचार फ़ैल रहा है, प्रदुषण, दीपावली पर आतिशबाज़ी पर रोक और छठ के शुभावसर पर यमुना गन्दी आदि शिकायतें नहीं करनी चाहिए क्योकि केजरीवाल सरकार खुलेआम वोट खरीदकर सत्ता में आयी। इसलिए अपनी अंतरात्मा को मार चुकी बिकाऊ जनता को शिकायत करने का कोई अधिकार नहीं, तुम हो ही इसी काबिल। सियासतखोरों ने तुम्हे तुम्हारी औकात दिखा दी। तुम्हारी कोई औकात नहीं। तुम बिकाऊ माल है।          

केजरीवाल के दिल्ली चुनाव में एंट्री 2013 में हुई थी, तब से अब तक के वोटों के आंकड़े देखने चाहिए। 

2013 विधानसभा चुनाव➖

भाजपा की सीट 32, वोट मिले 33% (पिछले 2008 चुनाव से 9 सीट ज्यादा और वोट 4.34% कम);

आप पार्टी - सीट 28, वोट मिले 29.5% (पहला चुनाव था);

कांग्रेस - सीट 8, वोट मिले 24.6% (पिछले चुनाव से 35 सीट कम और वोट 15.7% कम);

बसपा - सीट 2, वोट मिले 5.35% (पिछले चुनाव से 2 सीट कम और वोट 8.69% कम)

लेखक 
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भाजपा, कांग्रेस और बसपा का वोटों का पिछले चुनाव से कुल नुकसान 27.71% और आप पार्टी को वोट मिले 29.5% यानी कांग्रेस और बसपा का अधिकांश वोट केजरीवाल खा गया। 

2014 लोकसभा चुनाव में -

भाजपा के वोट 46.40% (2013 से 13.4% ज्यादा); सभी 7 सीट पर जीत;

आप के वोट 32.90% (2013 से मात्र 3.4% ज्यादा);और सीट ज़ीरो;

कांग्रेस के वोट 15.10% (2013 से 9.5% कम) सीट ज़ीरो 

2015 विधानसभा चुनाव -

भाजपा की सीट 3 और वोट मिले 32.31% (2013 से 29 सीट कम लेकिन वोट केवल 0.8% कम हुआ);

आप पार्टी की सीट 67 और वोट मिले 54.3% (2013 से 39 सीट ज्यादा और वोट 24.8% ज्यादा);

कांग्रेस की सीट ज़ीरो और वोट मिले 9.7% (2013 से 8 सीट कम और वोट 14.9% कम हुआ)

यानी भाजपा का वोट नहीं गिरा लेकिन आप पार्टी ने कांग्रेस और अन्य दलों का वोट खाया

2019 लोकसभा चुनाव -

भाजपा का वोट 56.86% (पिछले लोकसभा से 10.46% ज्यादा); सभी 7 सीट पर जीत;

आप पार्टी का वोट 18.11% (पिछले लोकसभा से 14.79% कम); और 

कांग्रेस का वोट 22.51% (पिछले लोकसभा से 7.41% कम)

2020 विधानसभा चुनाव -

भाजपा की सीट 8 और वोट मिला 38.51% (2015 से 5 सीट ज्यादा और वोट 6.21% ज्यादा);

आप पार्टी की सीट 62 और वोट मिला 53.57% (2015 से 5 सीट कम और वोट 0.73% कम);

कांग्रेस सीट ज़ीरो और वोट मिला 4.26% (2015 से सीट में कोई बदलाव नहीं और वोट 5.44% कम हुआ); यानि कांग्रेस का वोट भाजपा को गया

2024 लोकसभा चुनाव- (कांग्रेस और आप का गठबंधन था)

भाजपा का वोट 54.35% (2019 से 2.50% कम);

आप पार्टी का वोट 24.17% (2019 से 5.17% ज्यादा); और 

कांग्रेस का वोट 18.91% (2019 से 3.72% कम)

अब होने वाले चुनाव में आप, कांग्रेस और भाजपा ने रेवड़ियां बांट दी हैं किसी ने कम किसी ने ज्यादा मुख्य काम जनता को देखना है कि केजरीवाल ने पंजाब में महिलाओं को 1000 रुपए महीने देने का वादा करके और कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में 1500 रुपए महीने का वादा करके कितना निभाया बिलकुल नहीं निभाया जबकि भाजपा ने मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में ये काम किया है और महिलाओं को दिया हुआ वादा निभाया है 

केजरीवाल और कांग्रेस भ्रष्टाचार के मामले में एक ही सिक्के के दो पहलू हैं जो सरकार बनते ही माल खाने के पहले से बनाए हुए कार्यक्रम शुरू कर देते हैं 

केजरीवाल ने ना तो यमुना साफ़ की और ना यूरोप जैसी सड़कें बनाई और ना लोगों को टूटी से साफ़ पानी दिया जबकि मोदी ने गंगा सफाई की, आधुनिक सडकों का जाल बिछा दिया और पिछले 5 साल में 15 करोड़ घरों में नल से जल पंहुचा दिया

Choice जनता की है अब। काम करने वाले लाए या जाए घुइयाँ के खेत में 

मुल्ला अफरोज ने की थी संभल हिंसा में बिलाल-अयान की हत्या, दुबई में रहने वाले गाड़ी चोर शारिक साठा का है गुर्गा: पुलिस पर फायरिंग का आरोप लगाने वालों के मुँह सिले, 9 पत्थरबाज भी पकड़ाए

पुलिस की गिरफ्त में मुल्ला अफरोज (फोटो साभार: Amrit Vichar)

उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा पर सारे योगी विरोधी चील-कौओं की तरह चिल्ला-चुल्ली कर रहे थे, लेकिन दंगाइयों की पकड़-धकड़ में मुसलमानों के ही लपेटे में आने पर सारे योगी विरोधियों की बोलती बंद। बहुत हिन्दू-मुसलमान कर योगी पर कीजड़ फेंक रहे थे अब किसी की आवाज़ नहीं निकल रही, सबके मुंह में दही जम गया। यानि दंगा हुआ नहीं था करवाया गया था। सोंचा पुलिस पकड़ नहीं पायेगी। लेकिन अब वही उत्तर प्रदेश है और वही उत्तर प्रदेश पुलिस।     

संभल में नवम्बर में माह में हुई हिंसा में दो लोगों की हत्या करने के आरोपित मुल्ला अफरोज को पुलिस ने पकड़ा है। मुल्ला अफरोज ने पुलिस को निशाना बनाकर गोली चलाई थी लेकिन यह दो मुस्लिम युवकों के लगी, जिससे वह मारे गए। अफरोज शारिक साठा गैंग का गुर्गा है। पुलिस ने उसके पास से हथियार भी बरामद किए हैं।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने रविवार(19 नवम्बर, 2025) को मुल्ला अफरोज को पकड़ा है। वह संभल शहर का ही रहने वाला है। उसके पास से पुलिस को 32 बोर की एक पिस्टल और पुलिस से लूटे गए कारतूस भी बरामद हुए हैं। मुल्ला अफरोज दुबई में रहने वाले ऑटोलिफ्टर गैंग के सरगना शारिक साठा का गुर्गा है।

उसने पुलिस पूछताछ में बताया है कि शारिक साठा ने ही उन लोगों को हथियार मुहैया करवाए थे और हिंसा की साजिश रची थी। मुल्ला अफरोज ने बताया है कि शारिक साठा ने एक साथी के जरिए हिंसा का पूरा प्लान खींचा था और 24 नवम्बर, 2024 को मस्जिद के बाहर नेताओं द्वारा इकट्ठा भीड़ को निशाना बनाने की बात कही थी।

मुल्ला अफरोज ने बताया है कि इस साजिश के तहत 10-20 लोगों की हत्या की जानी थी, जिसमें आमलोगों और पुलिस को निशाना बनाया जाना था। मुल्ला अफरोज के अलावा और भी लोगों को इस काम के लिए हथियार मिले थे। जब 24 नवम्बर, 2024 को मस्जिद के बाहर मुस्लिम भीड़ ने हिंसा चालू की तो इसी में शामिल अफरोज फायरिंग करने लगा।

अफरोज ने पुलिस को निशाना बनाया लेकिन भगदड़ मचने के कारण यह गोली बिलाल और अयान को लग गई और वह मौके पर ही मारे गए। इस हत्या के लिए उसने 32 बोर का एक हथियार उपयोग किया था। इसके बाद वह छिप गया था। पुलिस ने अब उसे ढूंढ निकाला है।

मुल्ला अफरोज की गिरफ्तारी के बाद इस हिंसा में हुई मौतों के लिए पुलिस को जिम्मेदार बताने वालों के भी मुँह सिल गए हैं। पुलिस पहले ही बता चुकी है कि आपसी फायरिंग में ही इस हिंसा में 4 लोग मारे गए थे। हालाँकि, मृतकों के परिवार समेत बाकी कॉन्ग्रेस के नेताओं ने पुलिस वालों पर ही मुकदमा दर्ज करने की बात कही थी।

पुलिस शारिक साठा गैंग की भी संलिप्तता भी बता चुकी है। शारिक साठा संभल का रहने वाला है और देश के कुख्यात ऑटोलिफ्टर में से एक है। वह भारत से लक्ज़री गाड़ियाँ चुरा कर नेपाल और बाकी जगह भेजता था। उसे पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था लेकिन बाद में वह फर्जी पासपोर्ट के सहारे दुबई भाग गया था।

पुलिस ने संभल हिंसा मामले में मुल्ला अफरोज के अलावा 9 पत्थरबाज भी पकड़े हैं। इन सभी को पुलिस ने जेल भेज दिया है। पुलिस ने बताया है कि अब तक वह हिंसा मामले में 70 उपद्रवी पकड़ चुकी है। पुलिस इस हिंसा के बाकी आरोपितों की भी पहचान कर दबिश दे रही है।

उत्तर प्रदेश : मुलायम सरकार ने वापस लिए संभल दंगों से जुड़े केस? आदेश की कॉपी सोशल मीडिया में वायरल, पीड़ित बोले- दोबारा हो जाँच

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले राज्य में कब दंगा हो जाए कुछ पता नहीं होता था। राज्य में सरकार चाहे कांग्रेस की हो या समाजवादी पार्टी की, दंगों में पीड़ित हिन्दू ही होता था। मुसलमान और मुस्लिम कट्टरपंथी 2002 गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी को पानी पी-पीकर कोसते हैं। लेकिन दंगे की जड़ को भूल जाते हैं। दूसरे, 2002 से पहले गुजरात भी दंगों में उत्तर प्रदेश से पीछे नहीं था। लेकिन 2002 दंगों में नरेंद्र मोदी ने दंगाइयों को नहीं बख्शा, यही असली वजह है कि मुस्लिम कट्टरपंथी और छद्दम धर्म-निरपेक्ष की चादर ओढे ढोंगी मोदी को कोसते रहते हैं। दंगाइयों को ठिकाने की वही नीति योगी आदित्यनाथ ने अपनाई हुई है, जिसने गंगा-जमुना तहजीब और सेकुलरिज्म के नाम पर हिन्दुओं को प्रताड़ित करने वालों की नींद, रोटी और पानी पीना तक हराम हो गया है। हिन्दू खुलकर अपना कोई त्यौहार तक नहीं मना पाते थे। पास में मुसलमानों का मौहल्ला होने के कारण होली तक खेलना दुष्कर था। 

दूसरे, गुजरात दंगों पर मोदी को कोसने वाले अक्ल से पैदल मुसलमानों को कांग्रेस राज में हुए ईद-उल-फितर के दिन मलियाना दंगों को क्यों भूल जाते हैं? गुजरात दंगों को कट्टरपंथियों साबरमती ट्रेन में जिन्दा राम कारसेवकों को जिन्दा जलाये जाने पर हुए थे, लेकिन मलियाना में जो भयानक दंगा हुआ उसे अक्ल से पैदल नहीं भूलते। फिर भी ये कांग्रेस के तलवे चाटते रहते हैं।              
साल 1978 में उत्तर प्रदेश के संभल में हुए दंगों के मामले एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उस समय की मुलायम सिंह यादव सरकार ने कथित तौर पर दंगों से जुड़े आठ केस वापस ले लिए थे, जिसके बाद अब एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। 

2024 चुनावों में संविधान बचाने की दुहाई देने वालों जवाब दो कि "क्या दंगाइयों के केस वापस लेने की संविधान इजाजत देता है? संविधान की धज्जियाँ किसने उड़ाई? यानि चोर मचाये शोर।  

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह पत्र 1993 में तत्कालीन विशेष सचिव (जस्टिस) आरडी शुक्ला द्वारा मुरादाबाद डीएम को भेजा गया था, जिसमें 16 मामलों में से आठ को वापस लेने का आदेश था। हालाँकि, मुरादाबाद प्रशासन ने पत्र की पुष्टि नहीं की है।

                                     संभल 1978 दंगों से जुड़ा कथित पत्र वायरल (फोटो साभार: न्यूज18)

इन मामलों में रिजवान, मुनाजिर, मिंजार और इरफान जैसे लोग मुख्य आरोपित थे। इन दंगों में आरोप था कि मुस्लिम दंगाइयों ने हिंदू व्यापारियों को लूटा और कई हिंदुओं की हत्या की। मामले में मुआवजे को लेकर भी पीड़ितों में नाराजगी है, क्योंकि उन्हें जो मुआवजा मिला था, वह बहुत कम था।

अब दंगा पीड़ित हिंदू समुदाय के लोग मुलायम सिंह यादव सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगा रहे हैं और योगी सरकार से इन दंगों की फिर से जाँच करने की माँग कर रहे हैं। वे न्याय की उम्मीद में हैं कि दोषियों को सजा मिल सके।

सनातन विरोध में कितना नीचे गिरेगी कांग्रेस? सनातन विरोधी कांग्रेस-DMK नेताओं से क्यों नहीं हो रहा बर्दाश्त IIT मद्रास के डायरेक्टर द्वारा ‘गौमूत्र’ में औषधीय गुण बताया जाना? माफी मँगवाने पर अड़े, प्रदर्शन की भी धमकी

कांग्रेस मुस्लिम तुष्टिकरण करते कितना नीचे गिरेगी? एक सीमा होती है। 7 नवंबर 1966 को गौ हत्या का विरोध कर रहे निहत्ते साधु-संतों के खून की होली खेलने वाली तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी भी कालपात्रु जी महाराज के अभिशाप से बच नहीं पायी। जब से जो कांग्रेस का पतन शुरू हुआ आज तक नहीं रुक रहा। दूसरे, दिल्ली से गौ को निकालने वाली तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का क्या हुआ हाल? सबके सामने है कोई बताने की जरुरत नहीं। 
फिर जब स्कूल में पढ़ते थे तब माध्यमिक कक्षाओं में गाय का प्रस्ताव याद करवाया जाता था। परीक्षा में भी प्रस्ताव लिखने को आता था। प्रस्ताव में एक लाइन होती थी कि गौ मूत्र से दवाइयां बनती हैं। लेकिन सनातन विरोधियों को नहीं मालूम कि धरती पर एकमात्र गाय है जिसके मूत्र में बदबू नहीं होती, क्योकि गाय में 33 कोटि देवी-देवताओं में वास होता है। इतना ही नहीं पहले के समय घरों में फर्श की लिपाई गौ गोबर से होती थी, भैंस के गोबर से नहीं क्योकि इसके गोबर तक में बदबू नहीं होती। कोई कीड़ा तक नहीं होता था। यानी मूत्र तो क्या गोबर भी दवाई ही है। गौर करने की बात है कि गाय का बछड़ा हजार गऊओं के बीच अपनी अपनी माँ को पहचान जाता है, यह विशेषता किसी अन्य पशु या पक्षी में नहीं है। यही कारण है कि पहले के लोग भैंस के दूध की बजाए गौ दूध पीते और पिलाते थे। लेकिन जब से गौ दूध की बजाए भैंस के दूध का चलन हुआ परिवारों में दूरी बन गयी। मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते आयुर्वेद को दरकिनार कर यूनानी पद्धति को बढ़ावा दिया गया। लेकिन आज सनातन विरोधी कांग्रेस-DMK नेताओं को IIT मद्रास के डायरेक्टर प्रोफ़ेसर वी कामकोटी द्वारा ‘गौमूत्र’ में बताए औषधीय गुण बताए जाने पर मातम करना शुरू कर दिया। अपने आपको जनहितैषी बताने वाली कांग्रेस और DMK पार्टियां विरोध कर क्यों अपनी तिजोरी और कुर्सी की खातिर जनता को गुमराह कर रही है?   

प्रोफेसर कामकोटी ने देसी गायों के संरक्षण की बात कही (फोटो साभार: Freepik & IndiaAI)
 

IIT मद्रास के डायरेक्टर प्रोफ़ेसर वी कामकोटी ने गौमूत्र के औषधीय गुणों के की तारीफ़ की है। उन्होंने गौमूत्र से एक साधु का बुखार ठीक होने की घटना भी बताई है। उनके इस बयान के बाद कॉन्ग्रेस और DMK के नेता भड़क गए हैं। उनके इस बयान का तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने बचाव किया है।

प्रोफ़ेसर वी कामकोटी ने गौमूत्र की यह तारीफ़ चेन्नई में एक कार्यक्रम में की। यह कार्यक्रम पोंगल के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि गौमूत्र में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और पाचक गुण होते हैं। उन्होंने कहा कि गौमूत्र पेट की समस्याओं के लिए भी अच्छी दवा है। उन्होंने इसके बाकी औषधीय गुण भी बताए।

प्रोफ़ेसर कामकोटी ने गौमूत्र की विशेषता बताए हुए कहा इससे बुखार कम होने की बात कही। उन्होंने इस बीच एक सन्यासी का नाम भी लिया। प्रोफ़ेसर कामकोटी ने गौमूत्र के यह गुण आर्गेनिक फार्मिंग के फायदे बताते हुए गिनाए।

उन्होंने कहा, “अगर हम उर्वरकों का खाद का करेंगे तो हम भूमि माता को भूल जाएँगे। जितनी जल्दी हम जैविक, प्राकृतिक खेती की ओर रुख करेंगे, हमारे लिए उतना ही बेहतर होगा।” उन्होंने गोवंश की देशी नस्लों की वकालत भी की और। उन्होंने इसके अर्थव्यवस्था और खेती में महत्व पर भी बात की।

प्रोफ़ेसर कामकोटी के इस बयान पर DMK और कॉन्ग्रेस नेता भड़क गए। कॉन्ग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने इसे झूठा विज्ञान और गलत करार दिया। DMK के एक नेता ने इसे देश में शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने का प्रयास बताया। तमिलनाडु के बाकी पेरियार समर्थक संगठनों ने इस बयान पर माफी की माँग की। उन्होंने प्रदर्शन की भी धमकी दी।

प्रोफ़ेसर कामकोटी के बयान का तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने बचाव किया है और इसके राजनीतिकरण ना किए जाने की अपील की है। उन्होंने कहा, “IIT मद्रास के डायरेक्टर क्वांटम फिजिक्स के विशेषज्ञ हैं और वे शीर्ष सरकारी एजेंसियों के सदस्य भी रहे हैं। वह अपनी धार्मिक मान्यताओं और गाय के प्रति सम्मान में दृढ़ हैं, जो कहीं से गलत नहीं है।”

अन्नामलाई ने आगे कहा, “उन्होंने किसी को गाय का मूत्र पीने के लिए मजबूर नहीं किया और केवल अपनी मान्यताओं को व्यक्त किया। हमें ऐसे बयानों का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। IIT-M के डायरेक्टर तमिलनाडु से हैं, जो हमारे प्रदेश के लिए गर्व की बात है। मैं उन्हें जानता हूँ और मैं इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहता।”

जिस भारत की खाते हैं उसी से जंग की बात कर गए राहुल गाँधी, फिर भी क्लीनचिट दे रहा था ‘द लल्लनटॉप’; क्या राहुल को विपक्षी नेता बने रहने का अधिकार है? आखिर किस भारत विरोधी देश के लिए कांग्रेस राष्ट्र से लड़ाई लड़ रही है?

सौरभ द्विवेदी, राहुल गाँधी (फोटो साभार : Kalinga Literature Festival / ANI)
मोदी-योगी विरोध में राहुल गाँधी और समूचा विपक्ष समझबूझ भूल ऊलजलूल बोल रहे हैं। लोक सभा में विपक्ष नेता राहुल गाँधी ने कांग्रेस कार्यालय उदघाटन के अवसर पर राष्ट्र से लड़ाई लड़ने पर समूचा विपक्ष क्यों चुप है? अगर यही बात बीजेपी के किसी नेता ने बोल दी होती, इसी विपक्ष ने देश में कोहराम मचा दिया होता, लेकिन राहुल द्वारा राष्ट्र से लड़ाई पर चुप्पी साधे रखना साबित करता है कि किसी को देश नहीं अपनी तिजोरी और कुर्सी की चिंता है। अगर विपक्ष इस घोर आपत्तिजनक बयान पर कांग्रेस के साथ खड़ी रहती है कांग्रेस के साथ-साथ इनका भी बहुत जल्दी पाताललोक में जाना तय है। आखिर किस भारत विरोधी देश के लिए कांग्रेस राष्ट्र से लड़ाई लड़ रही है? देश में बढ़ती महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी आदि मुद्दों पर लड़ाई लड़ना अलग बात है लेकिन राष्ट्र से लड़ाई किसके लिए? 

द लल्लनटॉप के संपादक ‘पत्रकार’ सौरभ द्विवेदी ने 18 जनवरी को कांग्रेस नेता राहुल गाँधी के विवादित बयान का बचाव करने की कोशिश की, लेकिन उनका यह प्रयास उल्टा पड़ गया। दरअसल, राहुल गाँधी ने हाल ही में भारतीय राज्य (Indian State) के खिलाफ अपनी लड़ाई की बात कही थी, जिस पर विवाद हो गया था। इस मामले में लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी ने बीजेपी को ही घेरने की कोशिश की और राहुल गाँधी के बयान का बचाव किया। ये अलग बात है कि शो में मौजूद राजनीतिक विश्लेषक रजत सेठी ने उन्हें आईना दिखाने में देरी नहीं की, जिसके बाद सौरभ द्विवेदी अपने दावे से पीछे हटते नजर आए।

राहुल गाँधी के बयान और बीजेपी के हमलों के बीच सौरभ द्विवेदी ने 18 जनवरी को अपने शो ‘नेता नगरी’ में राजनीतिक विश्लेषक रजत सेठी के साथ बातचीत के दौरान राहुल गाँधी का बचाव किया। सौरभ ने कहा, “जेपी नड्डा कह रहे हैं कि राहुल गाँधी ने भारत के खिलाफ लड़ाई की बात की है। जबकि राहुल गाँधी ने अपने भाषण में भारतीय सरकार (Indian Government) के खिलाफ लड़ाई का जिक्र किया था। भाजपा उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है।” सौरभ ने दावा किया कि राहुल गाँधी ने ‘बीजेपी, आरएसएस और भारतीय सरकार के खिलाफ’ लड़ाई की बात कही।

हालाँकि, रजत सेठी ने सौरभ द्विवेदी की इस बात को तुरंत गलत ठहराया। उन्होंने कहा, “सौरभ जी, राहुल गाँधी ने भारतीय सरकार नहीं, बल्कि भारतीय राज्य (Indian State) का जिक्र किया था। उन्होंने यह बयान अंग्रेजी में दिया था और उनके शब्द साफ-साफ थे।”

रजत सेठी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “भारतीय राज्य का मतलब भारतीय संविधान, उसकी संस्थाएँ और उसकी संरचना से है। राहुल गाँधी ने जो कहा, वह एक बड़ी चूक हो सकती है, लेकिन इसके निहितार्थ गंभीर हैं। अगर कोई भारतीय राज्य के खिलाफ बोलता है, तो यह देशद्रोह के दायरे में आता है। राहुल गाँधी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि उनकी लड़ाई और युद्ध भारतीय राज्य के खिलाफ है। वो कोई आम आदमी नहीं, बल्कि लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं।”

सौरभ द्विवेदी ने आखिरकार रजत सेठी की बात मानते हुए कहा, “हाँ, राहुल गाँधी ने अपने बयान में भारतीय सरकार नहीं, बल्कि भारतीय राज्य कहा था। यह मेरे द्वारा दी गई जानकारी में गलती थी।”

14 जनवरी को नई दिल्ली में कांग्रेस के नए हेडक्वार्टर के उद्घाटन के अवसर पर राहुल गाँधी ने अपने संबोधन में कहा, “यह मत सोचिए कि हम एक निष्पक्ष लड़ाई लड़ रहे हैं। अगर आप यह मानते हैं कि हम भाजपा और आरएसएस जैसे एक राजनीतिक संगठन से लड़ाई लड़ रहे हैं, तो यह सही नहीं है। उन्होंने देश की लगभग हर संस्था पर कब्जा कर लिया है। अब हम सिर्फ भाजपा और आरएसएस से नहीं, बल्कि भारतीय राज्य (Indian State) से लड़ रहे हैं।”

राहुल गाँधी के इस बयान पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “राहुल गाँधी खुलकर देश के खिलाफ बोल रहे हैं। यह कांग्रेस की मानसिकता को दिखाता है, जो देश के खिलाफ षड्यंत्र कर रही है।”

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, “राहुल गाँधी का यह बयान देश के खिलाफ है। भारतीय राज्य का मतलब संविधान और उसकी संरचनाओं से है। ऐसे में राहुल गाँधी का यह बयान संविधान का अपमान है। कांग्रेस को इस पर तुरंत सफाई देनी चाहिए।”

बहरहाल, राहुल गाँधी के ‘भारतीय राज्य से लड़ाई’ वाले बयान ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। भाजपा इसे देशविरोधी बयान करार दे रही है, जबकि कांग्रेस इसे भाजपा और आरएसएस के खिलाफ लड़ाई का हिस्सा बता रही है। इस विवाद में सौरभ द्विवेदी का राहुल गाँधी का बचाव करना और फिर अपनी गलती मानना भी चर्चा का विषय बना हुआ है। अब देखना यह होगा कि इस बयान का आगामी चुनावों में कांग्रेसऔर राहुल गाँधी पर क्या असर पड़ता है।

दिल्ली के लिए BJP ने संकल्प पत्र किया जारी; महिलाओं को हर माह 2100 रूपए, गर्भवतियों को 21000रूपए : बुजुर्गों और गरीबों का भी रखा खास ख्याल; केजरीवाल की तरह बीजेपी ने बाँट दी रेवड़ियां यानि महंगाई का फूल बिछाकर स्वागत

जब से अरविन्द केजरीवाल ने सियासत में कदम रखा है जनता को बिकाऊ माल बना दिया और उसी रास्ते अपने आपको अलग बताने वाली बीजेपी भी चल पड़ी है। यानि पार्टियों ने साबित कर दिया कि जनता बिकाऊ माल है बस खरीदार चाहिए। मूर्ख पागल जनता को नहीं मालूम कि तेल तो तिल से निकलेगा। यानि जनता ने महंगाई को खुला निमंत्रण दे दिया है। फिर ये ही जनता महंगाई को लेकर रोएगी माथा पिटेगी। चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट भी वोटों की हो रही खुलेआम बिक्री पर आंख और कान बंद किये हुए है। 
दूसरे, करोना समय जो सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी बंद हुई, रेल और हवाई यात्रा में वरिष्ठों को मिलने वाली छूट बंद हुई, क्यों नहीं चालू हुई। ये केंद्र के ही हाथ में है किसी राज्य सरकार के हाथ नहीं।    

गौरतलब है, 1977 में, जनता पार्टी के कार्यकाल में सरकारी कर्मचारियों की यूनियन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के पास महंगाई भत्ता बढ़वाने गयी। तब मोरारजी देसाई ने जो जवाब दिया यूनियन की बोलती बंद। उन्होंने कहा कि आप लोग महंगाई कम करवाने के लिए बोलते उल्टे महंगाई भत्ता बढ़वाने के बहाने महंगाई को ही बड़वा रहे हो। सरकार जब महंगाई भत्ता बढ़ाएगी तो टैक्स आदि को बढ़ाकर वसूली करेगी यानि महगाई और बढ़ेगी। मेरी आयु के लोगो को याद होगा कि इमरजेंसी में 15/16 रूपए किलो बिकने वाला वनस्पति घी, तेल 10 रूपए किलो बिकना शुरू हो गया था। याद रखो, महंगाई पहले बढ़ती है भत्ता बाद में और भत्ता घोषित होने पर व्यापारी भी कीमतें बढ़ाने में पीछे नहीं रहता। जनता जितना फ्री की रेवड़ियों के लालच में आएगी उतनी ही महंगाई का फूल बिछाकर स्वागत करने जा रही है। इस कटु सच्चाई को जनता को खुले दिमाग से समझना होगा।      
दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शुक्रवार (17 जनवरी 2025) को अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। इसे ‘संकल्प पत्र’ नाम दिया गया है, जिसमें पार्टी ने महिलाओं, गरीबों, बुजुर्गों और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी कार्यालय में इस संकल्प पत्र का पहला भाग पेश किया।

बीजेपी ने इस बार महिलाओं को प्राथमिकता देते हुए महिला समृद्धि योजना का ऐलान किया है। इस योजना के तहत हर महिला को प्रतिमाह 2,500 रुपये दिए जाएँगे। इसके साथ ही हर गर्भवती महिला को 21,000 रुपये की आर्थिक मदद का वादा किया गया है। पार्टी का कहना है कि यह योजनाएँ सरकार बनने के बाद पहली ही कैबिनेट बैठक में लागू की जाएँगी। महिलाओं को एलपीजी सिलेंडर पर 500 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी, साथ ही होली और दिवाली के अवसर पर एक-एक सिलेंडर मुफ्त मिलेगा।

 बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में आयुष्मान भारत योजना को दिल्ली में लागू करने का वादा किया है। इसके तहत प्रत्येक दिल्लीवासी को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा मिलेगा। बुजुर्गों के लिए भी पार्टी ने विशेष प्रावधान किए हैं। 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को अतिरिक्त 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा दिया जाएगा, जिससे यह कुल बीमा कवर 10 लाख रुपये हो जाएगा। पेंशन योजनाओं में भी वृद्धि का ऐलान किया गया है। बुजुर्गों की पेंशन 2,000 रुपये से बढ़ाकर 2,500 रुपये की जाएगी, वहीं विधवाओं और दिव्यांगों को 3,000 रुपये की पेंशन दी जाएगी।

बीजेपी ने झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों के लिए अटल कैंटीन योजना शुरू करने की घोषणा की है। इस योजना के तहत पाँच रुपये में पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। नड्डा ने कहा कि यह योजना झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीबों को राहत पहुँचाएगी। पार्टी ने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार की मोहल्ला क्लीनिक योजना में भ्रष्टाचार की जाँच कराई जाएगी और दोषियों को सजा दी जाएगी।

जेपी नड्डा ने आम आदमी पार्टी और कॉन्ग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि अन्य पार्टियों ने केवल वादे किए, लेकिन बीजेपी ने हर राज्य में अपने वादों को पूरा किया है। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी के पास 99.9% वादे निभाने का रिकॉर्ड है। नड्डा ने कहा कि पार्टी दिल्ली को विकसित राजधानी के रूप में बदलने का संकल्प लेकर आई है।

दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों के लिए 5 फरवरी को मतदान होगा। नड्डा ने कहा कि यह संकल्प पत्र दिल्ली के हर वर्ग के कल्याण को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी सत्ता में आने के बाद दिल्ली में चल रही सभी मौजूदा जनकल्याण योजनाओं को जारी रखेगी।

बीजेपी के संकल्प पत्र (भाग-1) की बड़ी बातें

  • एलपीजी सिलेंडर पर 500 रुपये की सब्सिडी
  • महिला समृद्धि के तहत महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये
  • गर्भवती महिलाओं को 21000 रुपये दिए जाएँगे
  • होली-दिवाली पर एक-एक सिलेंडर मुफ्त दिया जाएगा
  • एलपीजी सब्सिडी 500 रुपये दी जाएगी
  • गर्भवती महिलाओं को न्यूट्रीशनल किट दिए जाएँगे
  • पाँच लाख रुपये तक का अतिरिक्त स्वास्थ्य बीमा दिया जाएगा
  • आयुष्मान भारत योजना को दिल्ली में लागू किया जाएगा
  • अटल कैंटीन योजना को लॉन्च करेंगे
  • झुग्गियों में पाँच रुपये में राशन दिया जाएगा
  • वरिष्ठ नागरिकों को 3000 रुपये तक की पेंशन दी जाएगी
बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में दिल्ली के विकास को प्राथमिकता दी है। इसमें महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने, गरीबों और बुजुर्गों के जीवन स्तर को सुधारने और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया है। पार्टी ने जनता से अपील की है कि वह इस बार बीजेपी को मौका दें और दिल्ली को नई दिशा में ले जाने में सहयोग करें।

उत्तर प्रदेश : 9 साल से बरेली में पाकिस्तानी महिला कर रही थी सरकारी टीचर की नौकरी, पोल खुलने पर बर्खास्त: जाँच में फर्जी निकले सारे प्रमाण-पत्र, 2021 में अम्मी भी ऐसे ही पकड़ी गई थी

                                  शुमायला खान की सेवाएँ समाप्त, कानूनी कार्रवाई शुरू (फोटो साभार: भास्कर)
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। शुमायला खान नाम की महिला ने खुद को भारतीय नागरिक बताकर फर्जी दस्तावेजों के सहारे सरकारी स्कूल में सहायक अध्यापक की नौकरी हासिल कर ली। यह नौकरी उन्होंने 2015 में शुरू की और 9 साल तक सरकारी वेतन भी लिया। मामला तब खुला जब एक शिकायत के बाद प्रशासन ने उनके निवास प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेजों की जाँच की। फिलहाल, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने 3 अक्तूबर, 2024 को शुमायला खान को निलंबित कर दिया। इसके बाद, उन्हें नियुक्ति की तिथि से ही पद से हटा दिया गया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुमायला ने रामपुर के एसडीएम कार्यालय से फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनवाया था। तहसीलदार की जाँच में पता चला कि यह प्रमाण पत्र गलत तथ्यों पर आधारित था। तहसीलदार की रिपोर्ट ने यह साफ किया कि शुमायला वास्तव में पाकिस्तान की नागरिक हैं। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने शुमायला को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया और उसके खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया।

 शुमायला ने अपनी अम्मी से प्रेरणा लेते हुए फर्जीवाड़ा किया। उन्होंने प्राथमिक विद्यालय माधौपुर में सहायक अध्यापक के पद पर नौकरी पाई। जाँच में पाया गया कि शुमायला के माता-पिता पाकिस्तानी नागरिक थे। रामपुर तहसील से निवास प्रमाण पत्र बनवाते समय उन्होंने यह तथ्य छिपाया।

फतेहगंज पश्चिमी के खंड शिक्षा अधिकारी भानु शंकर ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर फतेहगंज पश्चिमी थाने में शुमायला के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। अब उनके खिलाफ धोखाधड़ी और दस्तावेजों की हेराफेरी के आरोपों में कानूनी कार्रवाई हो रही है। पुलिस शुमायला की गिरफ्तारी की तैयारी कर रही है।

शुमायला की अम्मी माहिरा अख्तर को साल 2021 में बर्खास्त कर दिया गया था, जब वो रिटायरमेंट से सिर्फ 2 दिन दूर थी। 11 मार्च 2021 को रिटायर होने जा रही शुमायला की अम्मी माहिरा अख्तर को 9 मार्च 2021 को बर्खास्त किया गया था, जबकि शुमायरा को सस्पेंड किया गया था। माहिरा अख्तर ने भी खुद को भारतीय नागरिक बताया था, लेकिन जाँच में वे पाकिस्तानी पाई गईं। माहिरा का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुँचा और अभी हाईकोर्ट में लंबित है।

यह मामला शिक्षा विभाग और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरी पाना न केवल सिस्टम की खामियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे एक संगठित तरीके से सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग किया जा सकता है।

बहरहाल, शिक्षा विभाग ने इस घटना के बाद जाँच प्रक्रिया को और सख्त बनाने का निर्णय लिया है। यह घटना प्रशासनिक लापरवाही का बड़ा उदाहरण है और इस बात की ओर इशारा करती है कि सरकारी दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया में सुधार की कितनी जरूरत है।

प्रयागराज महाकुंभ आध्यात्मिक ही नहीं, कारोबार को भी कर रहा मजबूत; फ्लाइट बुकिंग में 162% का उछाल, होटल कारोबार 3 गुना बढ़ा: 4 लाख रूपए करोड़ के बिजनेस का अनुमान

                                              प्रयागराज महाकुंभ (साभार: Leonardo AI)
प्रयागराज महाकुंभ 2025 को लेकर मुस्लिम कट्टरपंथियों के आगे अपनी दुकान चलाने की खातिर माथा टेक चुकी पार्टियों की चीखा-चिल्ली स्वाभाविक है। ऑप इंडिया की निम्न रपट इन सभी पर बहुत जबरदस्त प्रहार है। सरकार और दूसरे व्यवसायिक संस्थानों की आय में हो रहे उछाल ने इन सभी सनातन विरोधियों की नींद और रोटी-पानी तक हराम हो चुकी है। इस कटु सच्चाई सनातन विरोधियों की गुलाम मीडिया भी सच्चाई बताने की हिम्मत नहीं कर पा रही। हिन्दुओं को नहीं भूलना चाहिए कि अयोध्या में राममन्दिर का कितने सालों तक विरोध हुआ। लेकिन राममन्दिर बनने के बाद जितनी जनता पुरुषोत्तम श्रीराम के दर्शन करने जाती है, ताज महल घूमने जाने वालों की संख्या में बहुत गिरावट आ चुकी है। काशी विश्वनाथ और उज्जैन में महाकाल धामों के विकास होने से श्रद्धालुओं की जो वृद्धि हुई है उससे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों की आमदनी में भी इजाफा हुआ है। और यह इजाफा राज्य सरकारों का ही नहीं होटल और अन्य व्यवसायिक में भी हुआ है। इन सभी को देखते हुए इन मुस्लिम तुष्टिकरण करने वालों का चीखना-चिल्लाने से परेशान नहीं होना चाहिए। जितना ज्यादा ये सनातन विरोधी चीखे-चिल्लाने से हिन्दू एकजुट होकर अपनी वोट से इन्हे धूल चटा रहा है। 

इन मुस्लिम तुष्टिकरण करने वालों को नहीं भूलना चाहिए कि समय कालचक्र घूम रहा है। अब जितना ज्यादा सनातन विरोध होगा उतना ही इन सनातन विरोधियों को नुकसान हो रहा है। याद रखिए वह दिन भी ज्यादा दूर नहीं जब इन सनातन विरोधियों को इनका परिवार ही अलग-थलग कर देखा, क्योकि हिन्दुओं में एक बात अच्छी तरह घर करने लगी है कि जब मुस्लिम सनातन को पराजित करने एकजुट हो सकता है तो सनातन को बचाने हिन्दू क्यों नहीं। उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोई गलत नहीं कहा कि "बटोगे तो कटोगे" देखिए ऑप इंडिया की रपट:- 

प्रयागराज महाकुंभ 2025 में प्रशंसा हर तरफ हो रही है। कुंभ ना सिर्फ सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह अर्थव्यवस्था को भी निखारने का काम कर रहा है। महाकुंभ के आयोजन के दौरान भारत के कई व्यवसायिक क्षेत्रों में भारी उछाल देखने को मिला है। इनमें सबसे अधिक उछाल होटल इंडस्ट्री में देखने को मिल रहा है। इससे प्रयागराज के व्यवसायी काफी खुश हैं।

महाकुंभ मेले के कारण प्रयागराज के कारोबार में दो से तीन गुना तक की बढ़ोतरी हो गई है। होटलों में अगले कई दिनों तक कमरे खाली नहीं हैं। होटल के साथ-साथ खान-पान के सामान, स्थानीय उत्पाद, कंबल, ऊनी कपड़ों और इलेक्ट्रॉनिक सामानों की बिक्री में वृद्धि देखी जा रही है। प्रयागराज में फ्लाइट्स की बुकिंग में 162 प्रतिशत का उछाल देखने को मिल रहा है।

फ्लाइट्स के अलावा रेलवे, बसों, टैक्सियों आदि की कमाई में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। ट्रेनों से लेकर बसों एवं टैक्सियों तक में लोग खचाखच भर करके कुंभ नहाने के लिए प्रयागराज पहुँच रहे हैं। छोटे-छोटे व्यवसाय करने वाले लोगों से लेकर होटल-रेस्टोरेंट और ऑनलाइन बुकिंग का काम करने वाली कंपनियाँ भी इस बूम से काफी खुश हैं। कुंभ खत्म होने तक यानी 45 दिनों में उन्हें भारी मुनाफा होने की उम्मीद है।

प्रयागराज होटल एंड रेस्टोरेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह ने अमर उजाला को बताया कि श्रद्धालु और पर्यटकों द्वारा बुकिंग कराने के कारण होटल इंडस्ट्री को 30 से 40 फीसदी तक का मुनाफा हो रहा है। उनका मानना है कि आने वाले दिनों में यह मुनाफा बढ़कर 50 प्रतिशत तक पहुँचने की उम्मीद है। थोक और खुदरा व्यापारी भी कुछ ऐसी ही उम्मीद कर रहे हैं।

कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल का मानना है कि महाकुंभ के अवसर पर सिर्फ होटल और टेंट सिटी का कारोबार 2,500 से लेकर 3,000 करोड़ रुपए तक का हो सकता है। केंद्रीय व्यापार मंडल के महामंत्री शिवशंकर सिंह का मानना है कि एफएमसीजी उत्पाद, ऑटोमोबाइल, सीसीटीवी कैमरा, केबल और खाने-पीने के सामान की बिक्री में भारी वृद्धि हुई है।

शिवशंकर सिंह का कहना है कि मकर संक्रांति के स्नान तक खुदरा व्यापार में भी 20 से 25 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली है। व्यापारियों को उम्मीद है कि कुंभ स्नान में विशेष स्थान रखने वाले मौनी अमावस्या पर यह बिक्री और भी अधिक बढ़ने की उम्मीद है। हस्तशिल्पी इस बार 35 करोड़ रुपए तक का कारोबार कर सकते हैं। व्यापार मंडल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मोहम्मद कादिर का भी ऐसा ही मानना है।

मोहम्मद कादिर का कहना है कि महाकुंभ मेले के कारण प्रयागराज में खाद्य सामग्री, अनाज, पूजा सामग्री, कपड़े, कंबल, गद्दे, इलेक्ट्रॉनिक सामान, टेंट के कपड़े आदि के व्यापार में दोगुना की बढ़ोतरी हुई है। मोहम्मद कादिर का कहना है कि मेले में जैसे श्रद्धालुओं और पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी वैसे-वैसे वृद्धि में और भी अधिक वृद्धि होगी और व्यापारियों को फायदा होगा।

कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अनुमान के मुताबिक, सिर्फ होटलों, धर्मशालाओं और टेंट से ही 40,000 करोड़ रुपए के व्यापार की संभावना है। पैक खाद्य सामग्री, पानी, बिस्किट, जूस, और भोजन से जुड़ा 20,000 करोड़ रुपया का कारोबार होगा। वहीं तेल, दीपक, गंगाजल, मूर्तियाँ, अगरबत्ती, धार्मिक पुस्तकों आदि की बिक्री से 20,000 करोड़ रुपए का व्यापार होगा।

इसी तरह परिवहन यानी रेलवे-टैक्सी आदि से 10,000 करोड़ रुपए का व्यवसाय होने का अनुमान है। टूर गाइड, ट्रैवल पैकेज और पर्यटक सेवाओं से 10,000 करोड़ रुपए का व्यापार अनुमानित है। वहीं, विज्ञापन और प्रचार गतिविधियों से 10,000 करोड़ रुपए के व्यापार का अनुमान है। स्थानीय उत्पादों, कपड़ों, गहनों और स्मृति चिन्हों से 5,000 करोड़ रुपए का व्यापार हो सकता है।

CAIT ने अनुमान लगाया है कि अस्थायी मेडिकल कैंप, आयुर्वेदिक उत्पाद और दवाइयों से 3,000 करोड़ रुपए का व्यापार होगा। इसी तरह डिजिटल भुगतान सेवा, वाई-फाई सेवा और ऑनलाइन टिकटिंग बुकिंग यानी ई-टिकटिंग से 1,000 करोड़ का व्यापार होने का अनुमान लगाया गया है। बता दें कि इस महाकुंभ में डाबर, मदर डेयरी और आईटीसी जैसे बड़े ब्रांडों ने 3,000 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।

इस तरह 26 फरवरी तक चलने वाले 45 दिनों के इस महाकुंभ मेले में 2 लाख करोड़ रुपए का बिजनेस होने का अनुमान लगाया गया है। हालाँकि, इंडस्ट्री के जानकार इस व्यापार को 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा बता रहे हैं। वहीं, सरकार का अनुमान है कि मेले से उसे 25,000 करोड़ रुपए का राजस्व मिल सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने कुंभ मेले में करीब 6,900 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। 

दरअसल, कुंभ मेले में दुनिया भर से 40 करोड़ श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आने का अनुमान है। अगर हर पर्यटक औसतन 5000 रुपए खर्च करता है तो महाकुंभ से 2 लाख करोड़ रुपए का व्यापार हो सकता है। वहीं, इंडस्ट्री का अनुमान है कि मेले में औसतन प्रति व्यक्ति खर्च 10,000 रुपए हो तो यह आँकड़ा 4 लाख करोड़ रुपए को पार सकता है। इससे देश की जीडीपी एक फीसदी से भी अधिक बढ़ सकती है।