"आज़ादी तो तेरा बाप भी देगा, आज़ादी तेरी माँ भी देगी"

शाहीनबाग़
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
जामिया, JNU से चले आजादी के नारे शाहीनबाग़ तक आते-आते इस्लामिक नारों, हिन्दू विरोधी नारों और गृह युद्ध की धमकियों में तब्दील हो गए और तुरंत इस पूरे अभियान की पोल खुल गई। यही वजह है कि NRC और CAA के विरोध में बताए जा रहे इस पूरे विरोध और हंगामे को अब किसी ने भी गंभीरता से लेना छोड़ दिया है। लेकिन इस विरोध प्रदर्शन का तरीका और इसकी रणनीतियाँ बिलकुल भी नजरअंदाज कर देने लायक नहीं लगती हैं।
ये वामपंथी, कांग्रेस और इनके समर्थक पार्टियां विरोध को इस्लामिक उन्माद का रंग देने पर समझ बैठे थे, कि इस्लामिक रंग देखकर सरकार और हिन्दू डर जाएंगे। इन उन्मादियों और इनके समर्थक नेताओं को नहीं मालूम कि दूसरे लोगों ने चूड़ियां नहीं पहन रखी हैं। आ रहे हैं वो भी इन्हे जिन्ना वाली आज़ादी देने सड़क पर आने प्रारम्भ हो चुके हैं। और जिस दिन नागरिकता कानून के विरोधियों की भांति बदजुबान होगी, देखना "गंगा-यमुना की तहजीब", #metoo, #moblynching, #award vapsi, #intolerance, #not in my name आदि जितने भी गैंगस्टर हैं, सब अपने बिलों से निकल इधर-उधर भागते नज़र आएंगे। इनको जवाब में अभी केवल दो ही वीडियो नीचे प्रस्तुत हैं। लाल कुआँ दिल्ली में किए उन्माद से शायद किसी ने सबक नहीं लिया? 
जहाँ तक शाहीन बाग़ में जमा उन्मादियों की बात है, इस बिकाऊ जमाओरों की सच्चाई मोदी विरोधी मीडिया ने भी उजागर करना शुरू कर दिया। आखिरकार, सच्चाई को लम्बे समय तक छुपाकर नहीं रखा जा सकता। दूसरे, यह उन्माद केवल मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में ही है।     
लिबरल होने का अभिनय करते आ रही यह भीड़ अब बच्चों के जरिए अपने वामपंथ के जहर और अपने प्रोपेगेंडा को हवा दे रहा है। सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो शेयर किए जा रहे हैं जो शाहीन बाग़ में चल रहे कथित CAA-NRC विरोध प्रदर्शन के दौरान बनाए गए हैं। कथित इसलिए क्योंकि CAA-NRC का विरोध तो बस बहाना है।
इन वीडियो में ‘लिबरल्स’ की भीड़ बच्चों को कन्धों पर बिठाकर और उनके पास माइक देकर जो नारे लगवा रही है, वो स्पष्ट करता है कि इस सारे हंगामे का कारण कोई कानून नहीं बल्कि कुछ ऐसे लोगों का सत्ता में होना है जिनके हाथ में देश की कमान देखकर बुर्जुआ कॉमरेड को आपत्ति है। वीडियो में बच्चा नारे लगाते हुए कहता है- ‘हम ले के रहेंगे आज़ादी, तेरा बाप भी देगा आज़ादी, तेरी माँ भी देगी आज़ादी।’ जो विचारधारा इस देश में कॉन्ग्रेस का नमक खाकर तंदुरुस्त हुई है वो उसकी भक्तिधारा में चंद नारे तो लगा ही सकती है।
वहीं, एक दूसरे वीडियो में हरे लिबास में एक मौलवी किसी सार्वजानिक सभा को भाषण देते हुए गृह मंत्री अमित शाह को आटे का थैला बताते हुए धमकी दे रहा है। इस वीडियो में मौलवी ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ ही उनके समर्थकों को डंडे से पीटने की बात कही है जिस पर एक उन्मादी भीड़ भी खूब तालियाँ बजा रही है और वाह-वाही दे रही है।



मौलवी का कहना है कि अगर मुसलमान को भगाने की बात कही तो तिरंगे के डंडे से वो यहाँ मौजूद लोगों को पीटेंगे। वीडियो में हरे लिबास पहने मौलवी ने यह भी स्पष्ट किया है कि हिन्दुओं से वो मुसलमान भी नहीं डरता है जिसका कि अभी तक ख़तना भी नहीं हुआ है।
CAA-NRC के विरोध के नाम पर हिन्दुओं की महिलाओं को बुर्का पहनाए जाने से लेकर स्वस्तिक के चिन्हों को कुचलने और फ़क़ हिंदुत्व जैसे सन्देश सार्वजानिक रूप से दिए जा रहे हैं। मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही अक्सर मीडिया और कुछ उदारवादी विचारकों ने स्टूडियो में बैठकर ‘डर का माहौल’ जैसे नारे दिए। इन्हीं का एक बड़ा समर्थक वर्ग है जो इस नारे पर यकीन करता हुआ इसे आगे बढ़ाता रहा।  
अब इनको जवाब देने वाली वीडियो का भी आनंद लें:-

क्या उस वर्ग को ये वीडियो और सार्वजानिक सभाएँ शांति का संदेश नजर आती होंगी? या सिर्फ वो इसलिए इस पर चुप रह जाते हैं क्योंकि वो जानते हैं कि वास्तव में डर किन लोगों से होना चाहिए?
अपने विरोध प्रदर्शन में बच्चों का इस्तेमाल मजहबी और अश्लील नारे लगाने तक के लिए यह शाहीन बाग़ की भीड़ तैयार हो चुकी है। नैतिकता के मामले में तो वामपंथ से कभी कोई उम्मीद थी भी नहीं लेकिन अब वो अपने ही उस आवरण से बाहर आ चुके हैं जिस ‘उदारवादी’ नक़ाब के पीछे वो खुद को वर्षों तक छुपाते आए थे। इस विरोध प्रदर्शन के पूरे किस्से ने बता दिया है कि वामपंथ और कट्टरपंथियों की इस मिलीभगत का वास्तविक मर्म जनता नहीं बल्कि इस विचारधारा की लाश कंधे पर ढो रहे कुछ चुनिंदा लोग ही हैं।
लेकिन अब हम देख सकते हैं कि कि एक भीड़ ऐसी भी है, जिसका मकसद सिर्फ और सिर्फ हंगामा खड़ा करना ही हो सकता है। क्योंकि यही तो उनके अस्तित्व का कारण भी है।
‘मस्जिदों से ऐलान हुआ, पहले से पता था कि क्या करना है’ – दिल्ली में उपद्रव और दंगों के पीछे मुल्ला-मौलवी?
भाजपा के आईटी सेल के अध्यक्ष अमित मालवीय ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने एक वीडियो शेयर कर बताया है कि किस तरह संशोधित नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के नाम पर मजहबी उन्माद फैलाने की साज़िश रची जा रही है। यहाँ तक कि मस्जिदों से घोषणा की गई ताकि उपद्रवी सड़क पर उतर कर हिंसा करें। मालवीय ने दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर मस्जिदों से हुई भड़काऊ घोषणाओं को जिम्मेदार ठहराया है।
अमित मालवीय ने कहा कि इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में वहाँ के अल्पसंख्यकों का क्या होता होगा। बता दें कि सीएए भी उन्हीं अल्पसंख्यकों के लिए है, जिन्हें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में प्रताड़ित किया गया और उस प्रताड़ना से तंग आकर वो पिछले 5 वर्षों या इससे अधिक समय से भारत में शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं। मालवीय ने मस्जिदों से भड़काऊ घोषणाओं का जिक्र करते हुए कहा कि ये सारी घटनाएँ बताती हैं कि सीएए ज़रूरी है।
अवलोकन करें:-
इसी तरह जब जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में देश-विरोधी नारे लगते हैं, विपक्ष उनके साथ खड़ा हो जाता है, क्यों? ऐसे नेता एवं उनकी पार्टी क्या कभी देशहित कर सकती हैं? आखिर कौन-सी आज़ादी की मंशा है? क्या इस तरह के नारे लगाने वाले और उनको समर्थन देने वाली पार्टियां किसी गुलाम देश में रह रहे हैं? जब प्रदर्शनकारियों द्वारा "हिन्दू से चाहिए आज़ादी", "हिन्दुत्व की कब्र खुदेगी", "मोदी-योगी की कब्र खुदेगी" आदि आदि उत्तेजक नारे लग रहे हैं, 'गंगा-यमुना तहजीब' की बात करने वाले किस बिल में घुसकर बैठे हैं? क्यों नहीं इन हिन्दू भावनाओं को भड़काने वाले नारों का विरोध करते? ये सब तभी बाहर निकलेंगे, जब दूसरी तरफ से पलटवार होगा। अभी सब कुम्भकरण की नींद में सोये हुए हैं।

अमित मालवीय ने ‘इंडिया टुडे’ के एक वीडियो को शेयर किया, जिसमें लोग बता रहे हैं कि वो क्यों सड़कों पर उतरे। नीचे संलग्न किए गए ट्वीट में आप मालवीय का बयान और उनके द्वारा शेयर किए गए वीडियो को देख सकते हैं:

दिल्ली में हिंसा के दौरान दंगाइयों ने पुलिस पर पत्थरबाजी भी की, जैसा जम्मू कश्मीर में वर्षों से होता आ रहा है। जम्मू कश्मीर में भी कश्मीरी पंडितों को निकाले जाने के बाद से लेकर अब तक, कई बार विभिन्न मस्जिदों से भड़काऊ ऐलान होने की ख़बरें आती रहती हैं। ‘इंडिया टुडे’ से बातचीत में दिल्ली एक एक उपद्रवी ने कहा:
“हमारे क्षेत्र में कई दिनों से अनाउंसमेंट हो रही थी कि कि मंगलवार को इतने बजे एनआरसी और सीएए के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन होगा। कई लोगों को पहले से ही पता था और जिन्हें नहीं पता था, उन्होंने मस्जिदों से अनाउंस कर के कहा गया कि आप सड़क पर उतरो।”
उक्त उपद्रवी की बातों से साफ़ हो जाता है कि मस्जिदों से ऐलान कर लोगों को सड़क पर उतरने को कहा गया। इसके बाद हिंसा भड़की और पुलिस व दंगाइयों के बीच झड़प हुई। पत्थरबाजी में कई पुलिसकर्मी घायल भी हुए।

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