योगी का डंडा पड़ते ही शाहीन बाग की ‘शेरनी’ बनी ‘भीगी बिल्ली’

सहारनपुर टीचर, शाहीन बाग, वीडियो वायरल
महिला टीचर के बयानों में विरोधाभास दिखाती वीडियो वायरल
(फोटो साभार: मनीष ठाकुर का ट्विटर अकॉउंट)
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से शाहीन बाग जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और हिन्दुओं के ख़िलाफ़ जहर उगलने वाली  अध्यापिका नाहिदा जैदी की दो विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। एक विडियो उस समय की है, जब शाहीन बाग प्रोटेस्ट में शामिल होकर उन्होंने मोदी-शाह समेत अपने हिन्दू सहकर्मियों के लिए कुँठा निकाली थी और दूसरी तब की है जब प्रशासन ने उनके ख़िलाफ़ एक्शन लेते हुए सस्पेंड किया। सस्पेंशन के बाद वाले विडियो में तो उन्होंने माफी माँगते हुए अपनी बातें और अपने सारे सुर बदल लिए।
यह केवल इस शिक्षिका का ही रवैया नहीं, वारिस पठान स्टेज से जब उनके भाषण पर मीडिया ने प्रतिक्रिया जानना चाहने पर दोष मीडिया पर ही डाल दिया कि उनकी बात तोड़-मरोड़ कर दिखाया जा रहा है। ये अराजक चोरी के साथ-साथ सीनाजोरी करने में निपूर्ण हैं।  
पहली विडियो में सुना जा सकता है कि कैसे महिला शिक्षिका शाहीन बाग से हुंकार भरती हैं। वो विडियो में सवाल करती हैं कि जब यहाँ की जमीन उनकी है, हवा उनकी है, पानी उनका है, तो आखिर कैसे उन्हें यहाँ से हटाने की बात की जा सकती है। कैसे कहा जा सकता है कि मुसलमान यहाँ का नहीं है और कैसे एनआरसी लगाई जा सकती है। वे कहती हैं कि वे पढ़ी-लिखी हैं और सालों से बच्चों को राजनीतिक शास्त्र पढ़ा भी रही हैं। वो अच्छे से जानती हैं कि भारत को आजादी कैसे मिली? उनके अनुसार आरएसएस तो बिका हुआ था। आखिर आरएसएस ने किया ही क्या? आजादी के लिए तो उन्होंने पैसे दिए, जानें दीं, खून बहाया। लेकिन आज आजादी का फायदा मोदी-शाह उठा रहे हैं।
ऐसे में प्रश्न यह पूछा जाना चाहिए कि जो लोग आजादी में सक्रीय होने की बात करते हैं, ऐसे कितने परिवार हैं। एक बात और, जिनके परिवार का कोई भी क्रांतिकारी जिसने आज़ादी की लड़ाई में भाग लिया, कोई उसका मुआफज़ा नहीं मांगता। मुआफज़ा वही लोग मांगते या मांगते रहे हैं जो महात्मा गाँधी के साथ जुड़े हुए थे, कोई क्रांतिकारी या उसका परिवार किसी भीख(सरकारी मदद) पर निर्भर नहीं रहता। मेरे ताऊजी प्रो नन्द किशोर निगम(First Council General of India, in Kuwait & Trade Commissioner of India in Pakistan), पंडित चंद्रशेखर आज़ाद के साथ थे, आज़ादी की लड़ाई की खातिर हिन्दू कॉलेज(इतिहास के प्रोफेसर और हॉस्टल इंचार्ज) को ठोकर मार दी थी।  
आज़ादी आज़ादी का रोना सब रोते हैं, लेकिन क्रांतिकारियों के परिवार की किसी भी पार्टी और नेता को चिन्ता नहीं। वास्तव में जिन परिवारों के सदस्यों ने आज़ादी के लिए यातनाएं सहीं, सभी अपने परिश्रम से खा-कमा रहे हैं। उद्यम सिंह का पोता वजन ढोकर अपना जीवन-निर्वाह कर रहा है। 


वे शाहीन बाग से कहती हैं कि अमित शाह अपनी बड़ी-बड़ी आँखे दिखाकर उन्हें डराना चाहते हैं और साथ ही हिन्दू लोग भी उनके ख़िलाफ़ हो गए हैं। वीडियो में उन्हें स्पष्ट कहते सुना जा सकता है कि जहाँ वो पढ़ाती हैं, वहाँ वो अकेली मुसलमान हैं। लेकिन वहाँ पर हिन्दू टीचर मुस्लिमों के बारे में बहुत गंदी बातें बोलते हैं, उन्हें आतंकी कहते हैं। इस पर उनका रोज झगड़ा होता है और जो वो शाहीन बाग पहुँची हैं, वो सिर्फ़ अपनी एकजुटता दिखाने आई हैं कि वो लोग हिन्दू के ख़िलाफ़ नहीं बल्कि हिन्दुत्व के ख़िलाफ़ हैं। बता दें कि अपनी इस बातचीत में नाहिदा जैदी ने अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी नाजायज बताया। साथ ही कश्मीर के मुद्दे को उठाते हुए कहती हैं कि उन लोगों ने बहुत जुल्म सह लिया। मगर अब नहीं। वहीं उनकी साथी ने कहा था वे लोग भिखारी नहीं हैं, जो पैसे लेकर यहाँ आएँगे।
हालाँकि, वीडियो में महिला शिक्षिका के शब्दों में, हाव-भाव में सरकार और हिन्दू धर्म के लिए उनकी घृणा साफ झलक रही है। मगर, मामला गर्माने के बाद, वीडियो वायरल होने के बाद, प्रशासन द्वारा सवाल-जवाब पूछे जाने के बाद नाहिदा ने फौरन इस मामले पर बीते दिनों माफी माँग लीं। और स्वीकारती हैं कि उनके मुँह से कुछ गलत अल्फाज निकल गए थे। उनके अनुसार, कुछ लोग उनके यहाँ से शाहीन बाग जा रहे थे। तो वो भी वहाँ चली गईं। वहाँ जब लोगों ने उनसे सवाल किया तो उन्होंने जवाब दिए। लेकिन लोगों ने अच्छी बातों को काट दिया और गलत बातों को वायरल कर दिया गया। उनका कहना है कि ये सब उनके ख़िलाफ़ साजिश है और वो अच्छे से जानती हैं कि ऐसा कौन कर रहा है। इसके बाद वो वीडियो में अपने कहे शब्दों के लिए माफी माँगती हैं और कहती हैं कि वो इस दुनिया में अकेली हैं, उनके माता-पिता कोई नहीं है। मगर फिर भी उन पर जुल्म ढहाया जा रहा है।
दो अलग-अलग जगहों और स्थितियों में इस तरह बयान बदलने को लेकर ही उनकी दोनों वीडियो को वायरल किया जा रहा है और पूछा जा रहा है कि 25 साल तक इन्होंने अपने छात्रों को कैसी शिक्षा दी होगी?
सहारनपुर में आशा मार्डन स्कूल की प्रिंसिपल ने भी इस मामले के संज्ञान में आने के बाद अपनी बात रखी थी। उन्होंने कहा कि उन्हें वीडियो वायरल के बारे में तो नहीं मालूम लेकिन टीचर ने जो कमेंट किए हैं, वो सरासर गलत हैं। प्रिंसिपल के अनुसार उनके स्कूल में नाहिदा अकेली मुस्लिम टीचर नहीं हैं। उनके अलावा और भी शिक्षक हैं, लेकिन उनकी ओर से शिकायतें नहीं आईं हैं।
वहीं, एसपी सिटी विनीत भटनागर ने भी आश्वासन दिया कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन के लोग जबरदस्ती किसी स्कूल में जाकर दबाव बनाने का काम करते हैं, तो उन पर भी कार्रवाई होगी।
अवलोकन करें:-
एक तरफ मुस्लिम हितों के लिए बनी पार्टियां सेकुलरिज्म की बात करती हैं, वहीं दूसरी तरफ, मुसलमानों से सेकुलरिज्म भूल जाने को कहते हैं। कुछ समय पूर्व लिखे शीर्षक "सेकुलरिज्म सिर्फ तब तक, जब तक भारत में इस्लाम की हकूमत नहीं ले आते : अरफ़ा खानुम", शत-प्रतिशत नागरिकता संशोधक कानून के विरोध की इनकी जहरीली मानसिकता सामने आ रही है।

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