आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
देश की राजधानी दिल्ली में निजामुद्दीन कोरोना वायरस का एक खतरनाक हॉटस्पॉट बनकर सामने आया है। दिल्ली में धारा 144 लागू होने के बावजूद निजामुद्दीन इलाके में एक धार्मिक जलसा हुआ, जिसमें करीब 2000 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। लेकिन इस जलसे में शामिल होने वाले 10 लोगों की मौत और 24 लोगों के कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के बाद हड़कंप मच गया और फिर इन्हें अस्पतालों में भेजने का सिलसिला शुरू हुआ। इस जलसे के आयोजन से संबंधित जांच में हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं। सामने आए तथ्यों से स्पष्ट हुआ है कि तबलीगी जमात द्वारा सारे नियम-कायदों और सरकारी दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाकर मस्जिद में मजहबी कार्यक्रम आयोजित किए गए। वहीं इस घटना की निंदा करने की जगह इसके बचाव में लिबरल गैंग सक्रिय हो गया है।
पुलिस ने मौलानाओं को थमाया था नोटिस
दिल्ली पुलिस ने 23 मार्च को ही तबलीगी जमात के मौलानाओं को थाने बुलाकर समझाया था, कि मरकज में हमेशा डेढ़-दो हजार लोग जुटते हैं, इसे रोकना चाहिए।सीसीटीवी के सामने पुलिस ने बता दिया था कि सारे धार्मिक स्थान बंद हैं और 5 लोगों से ज्यादा की जुटान पर रोक है। पुलिस ने ये भी बताया था कि हम लोग आपलोगों की सुरक्षा के लिए हैं। मौलानाओं को बताया गया था कि सोशल डिस्टेंसिंग का जितना पालन किया जाएगा, उतना अच्छा रहेगा क्योंकि ये कोरोना वायरस कोई धर्म या मजहब देख कर आक्रमण नहीं करता है। पुलिस ने मौलानाओं को नोटिस थमाते हुए कहा था कि सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए। उस समय भी मरकज के लोगों ने स्वीकार किया था कि उनकी इमारत में 1500 लोग मौजूद हैं और 1000 लोगों को वापस भेजा जा चुका है। पुलिस ने इन्हें सख्त शब्दों में चेतावनी दी थी, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। इन पत्रकारों ने यह नहीं बताया कि मंदिरों में हुए जुटान से कितने लोगों को अबतक कोरोना का संक्रमण हुआ है। कितने लोगों की मौत हुई है। जब तबलीगी जमात के कार्यक्रम में जुटे लोगों में कोरोना संक्रमण पाया गया है। कई लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। तबलीगी जमात के लोगों के दिल्ली के साथ ही कई राज्यों में फैलने से पूरे देश को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति उन लोगों का खुलेआम बचाव कैसे कर सकता है, जो सार्वजनिक रूप से सरकारी दिशा-निर्देशों और मेडिकल सलाहों को धता बताया हों?
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को किया था आगाह
केंद्रीय गृहमंत्रालय का कहना है कि लॉक़डाउन से पहले ही 21 मार्च को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को पत्र लिखकर आगाह किया गया था। इसमें दिल्ली पुलिस के आयुक्त भी शामिल थे। तेलंगाना में जमात के कुछ लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि होते ही गृहमंत्रालय ने इसका उल्लेख करते हुए सभी राज्यों का कहा था कि इसमें शामिल सभी देशी-विदेशी लोगों की पहचान करने और उसके बाद उनकी कोरोना की जांच सुनिश्चित करने को कहा था।
आइबी ने भी राज्यों को दी थी खतरे की चेतावनी
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार खुफिया ब्यूरो (आइबी) ने भी 28 और 29 मार्च को सभी राज्यों के डीजीपी को पत्र लिखकर जमात से जुड़े लोगों से कोरोना के फैलने के खतरे के प्रति आगाह किया था। खुफिया ब्यूरो ने बताया था कि निजामुद्दीन के मरकज में भाग लेकर लौटने वाले तबलीगी कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं, इसलिए राज्यों को उनके संपर्क में आने वाले सभी लोगों की पहचान कर उन्हें आइसोलेशन में रखने का प्रबंध करना चाहिए। आइबी ने राज्यों को इस दिशा में तत्काल कदम उठाने को कहा था।
13 मार्च को 200 से ज्यादा लोगों के जुटने पर लगी रोक
इससे पहले दिल्ली सरकार ने 13 मार्च को ही आदेश जारी कर 200 लोगों के जुटाने पर रोक लगा दी थी। उस समस्य इस आदेश की समयावधि 31 मार्च तक रखी गई थी। बावजूद इसके मरकज में कार्यक्रम आयोजित किए गए। 16 मार्च को ख़ुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया कि दिल्ली में कहीं भी 50 लोगों से ज्यादा की भीड़ नहीं जुटेगी। फिर 21 मार्च को 5 से ज्यादा लोगों के जुटान पर रोक लगा दी गई।
जान-बूझकर संक्रमण के ख़तरे को किया नजरअंदाज़
22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया गया। इसके एक दिन बाद भी वहां 2500 लोग मौजूद थे, जिनमें से 1500 के चले जाने का दावा मौलाना ने किया है। 25 मार्च को लॉकडाउन के दौरान भी 1000 मुसलमान वहां मौजूद थे। 28 मार्च को एसीपी ने दिल्ली मरकज को नोटिस भेजी लेकिन उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अपील की थी कि जो जहाँ है वहीं रहे, इसीलिए वहां लोग रुके हुए हैं। साथ ही दावा किया गया कि इतने लोग काफ़ी पहले से यहां पर मौजूद हैं। उपर्युक्त सभी बातों से स्पष्ट पता चलता है कि तबलीगी जमात ने हर एक सरकारी आदेश की धज्जियां उड़ाई और जान-बूझकर इस संक्रमण के खतरे को नजरअंदाज़ कर पूरे देश को ख़तरे में डाल दिया।
मेडिकल सलाहों की उड़ाईं धज्जियां
अब हम आपको बताते हैं कि मरकज में कैसे जनता कर्फ्यू और उसके बाद हुए लॉकडाउन के दौरान भी धड़ल्ले से कार्यक्रम चल रहे थे और मौलाना-मौलवी कोरोना वायरस की बात करते हुए न सिर्फ़ तमाम मेडिकल सलाहों की धज्जियाँ उड़ा रहे थे, बल्कि अंधविश्वास भी फैला रहे थे। 24 मार्च को यूट्यूब पर ‘असबाब का इस्तेमाल ईमान के ख़िलाफ़ नहीं- हजरत अली मौलाना साद’ नाम से ‘दिल्ली मरकज’ यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो अपलोड किया गया। इसमें मौलाना ने लोगों को एक-दूसरे के साथ एक थाली में खाने और डॉक्टरों की बात मानने की बजाए अल्लाह से दुआ करने की सलाह दी।
बचाव में उतरे एजेंडा पत्रकार और लिबरल गैंग
जब तबलीगी जमात पर प्रशासन और कानून का शिकंजा कसने लगा, तो एजेंडा पत्रकार और लिबरल गैंग उनके बचाव में सामने आ गए। राणा अयूब ने तबलीगी जमात को क्लीन-चिट देने की कोशिश करते हुए एक खबर की लिंक साझा की है। साथ ही दावा किया है कि जब 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘जनता कर्फ्यू’ का ऐलान किया, तभी मरकज में सारे कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया गया। इसके बाद अयूब ने वहाँ इतनी संख्या में लोगों के छिपे होने के पीछे रेलवे का दोष गिना दिया है, क्योंकि देश भर में रेल सेवा बंद हो गई।
वहीं न्यूज-24 के एंकर संदीप चौधरी तबलीगी जमात के बचाव में स्वास्थ्य मंत्रालय और अन्य मंदिरों के बंद होने की क्रोनोलॉजी समझाने लगे। संदीप चौधरी का समर्थन करते हुए ओम थानवी के साथ ही कई अन्य पत्रकारों ने भी ट्वीट किया।
अवलोकन करें:-
इन पत्रकारों ने यह नहीं बताया कि मंदिरों में हुए जुटान से कितने लोगों को अबतक कोरोना का संक्रमण हुआ है। कितने लोगों की मौत हुई है। जब तबलीगी जमात के कार्यक्रम में जुटे लोगों में कोरोना संक्रमण पाया गया है। कई लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। तबलीगी जमात के लोगों के दिल्ली के साथ ही कई राज्यों में फैलने से पूरे देश को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति उन लोगों का खुलेआम बचाव कैसे कर सकता है, जो सार्वजनिक रूप से सरकारी दिशा-निर्देशों और मेडिकल सलाहों को धता बताया हों?
देश की राजधानी दिल्ली में निजामुद्दीन कोरोना वायरस का एक खतरनाक हॉटस्पॉट बनकर सामने आया है। दिल्ली में धारा 144 लागू होने के बावजूद निजामुद्दीन इलाके में एक धार्मिक जलसा हुआ, जिसमें करीब 2000 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। लेकिन इस जलसे में शामिल होने वाले 10 लोगों की मौत और 24 लोगों के कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के बाद हड़कंप मच गया और फिर इन्हें अस्पतालों में भेजने का सिलसिला शुरू हुआ। इस जलसे के आयोजन से संबंधित जांच में हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं। सामने आए तथ्यों से स्पष्ट हुआ है कि तबलीगी जमात द्वारा सारे नियम-कायदों और सरकारी दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाकर मस्जिद में मजहबी कार्यक्रम आयोजित किए गए। वहीं इस घटना की निंदा करने की जगह इसके बचाव में लिबरल गैंग सक्रिय हो गया है।
पुलिस ने मौलानाओं को थमाया था नोटिस
#WATCH Delhi Police release a video of its warning to senior members of Markaz, Nizamuddin to vacate Markaz & follow lockdown guidelines, on 23rd March 2020. #COVID19 pic.twitter.com/2evZR6OcmB— ANI (@ANI) March 31, 2020
दिल्ली पुलिस ने 23 मार्च को ही तबलीगी जमात के मौलानाओं को थाने बुलाकर समझाया था, कि मरकज में हमेशा डेढ़-दो हजार लोग जुटते हैं, इसे रोकना चाहिए।सीसीटीवी के सामने पुलिस ने बता दिया था कि सारे धार्मिक स्थान बंद हैं और 5 लोगों से ज्यादा की जुटान पर रोक है। पुलिस ने ये भी बताया था कि हम लोग आपलोगों की सुरक्षा के लिए हैं। मौलानाओं को बताया गया था कि सोशल डिस्टेंसिंग का जितना पालन किया जाएगा, उतना अच्छा रहेगा क्योंकि ये कोरोना वायरस कोई धर्म या मजहब देख कर आक्रमण नहीं करता है। पुलिस ने मौलानाओं को नोटिस थमाते हुए कहा था कि सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए। उस समय भी मरकज के लोगों ने स्वीकार किया था कि उनकी इमारत में 1500 लोग मौजूद हैं और 1000 लोगों को वापस भेजा जा चुका है। पुलिस ने इन्हें सख्त शब्दों में चेतावनी दी थी, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। इन पत्रकारों ने यह नहीं बताया कि मंदिरों में हुए जुटान से कितने लोगों को अबतक कोरोना का संक्रमण हुआ है। कितने लोगों की मौत हुई है। जब तबलीगी जमात के कार्यक्रम में जुटे लोगों में कोरोना संक्रमण पाया गया है। कई लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। तबलीगी जमात के लोगों के दिल्ली के साथ ही कई राज्यों में फैलने से पूरे देश को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति उन लोगों का खुलेआम बचाव कैसे कर सकता है, जो सार्वजनिक रूप से सरकारी दिशा-निर्देशों और मेडिकल सलाहों को धता बताया हों?
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को किया था आगाह
केंद्रीय गृहमंत्रालय का कहना है कि लॉक़डाउन से पहले ही 21 मार्च को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को पत्र लिखकर आगाह किया गया था। इसमें दिल्ली पुलिस के आयुक्त भी शामिल थे। तेलंगाना में जमात के कुछ लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि होते ही गृहमंत्रालय ने इसका उल्लेख करते हुए सभी राज्यों का कहा था कि इसमें शामिल सभी देशी-विदेशी लोगों की पहचान करने और उसके बाद उनकी कोरोना की जांच सुनिश्चित करने को कहा था।
आइबी ने भी राज्यों को दी थी खतरे की चेतावनी
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार खुफिया ब्यूरो (आइबी) ने भी 28 और 29 मार्च को सभी राज्यों के डीजीपी को पत्र लिखकर जमात से जुड़े लोगों से कोरोना के फैलने के खतरे के प्रति आगाह किया था। खुफिया ब्यूरो ने बताया था कि निजामुद्दीन के मरकज में भाग लेकर लौटने वाले तबलीगी कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं, इसलिए राज्यों को उनके संपर्क में आने वाले सभी लोगों की पहचान कर उन्हें आइसोलेशन में रखने का प्रबंध करना चाहिए। आइबी ने राज्यों को इस दिशा में तत्काल कदम उठाने को कहा था।
13 मार्च को 200 से ज्यादा लोगों के जुटने पर लगी रोक
इससे पहले दिल्ली सरकार ने 13 मार्च को ही आदेश जारी कर 200 लोगों के जुटाने पर रोक लगा दी थी। उस समस्य इस आदेश की समयावधि 31 मार्च तक रखी गई थी। बावजूद इसके मरकज में कार्यक्रम आयोजित किए गए। 16 मार्च को ख़ुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया कि दिल्ली में कहीं भी 50 लोगों से ज्यादा की भीड़ नहीं जुटेगी। फिर 21 मार्च को 5 से ज्यादा लोगों के जुटान पर रोक लगा दी गई।
जान-बूझकर संक्रमण के ख़तरे को किया नजरअंदाज़
22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया गया। इसके एक दिन बाद भी वहां 2500 लोग मौजूद थे, जिनमें से 1500 के चले जाने का दावा मौलाना ने किया है। 25 मार्च को लॉकडाउन के दौरान भी 1000 मुसलमान वहां मौजूद थे। 28 मार्च को एसीपी ने दिल्ली मरकज को नोटिस भेजी लेकिन उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अपील की थी कि जो जहाँ है वहीं रहे, इसीलिए वहां लोग रुके हुए हैं। साथ ही दावा किया गया कि इतने लोग काफ़ी पहले से यहां पर मौजूद हैं। उपर्युक्त सभी बातों से स्पष्ट पता चलता है कि तबलीगी जमात ने हर एक सरकारी आदेश की धज्जियां उड़ाई और जान-बूझकर इस संक्रमण के खतरे को नजरअंदाज़ कर पूरे देश को ख़तरे में डाल दिया।
मेडिकल सलाहों की उड़ाईं धज्जियां
अब हम आपको बताते हैं कि मरकज में कैसे जनता कर्फ्यू और उसके बाद हुए लॉकडाउन के दौरान भी धड़ल्ले से कार्यक्रम चल रहे थे और मौलाना-मौलवी कोरोना वायरस की बात करते हुए न सिर्फ़ तमाम मेडिकल सलाहों की धज्जियाँ उड़ा रहे थे, बल्कि अंधविश्वास भी फैला रहे थे। 24 मार्च को यूट्यूब पर ‘असबाब का इस्तेमाल ईमान के ख़िलाफ़ नहीं- हजरत अली मौलाना साद’ नाम से ‘दिल्ली मरकज’ यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो अपलोड किया गया। इसमें मौलाना ने लोगों को एक-दूसरे के साथ एक थाली में खाने और डॉक्टरों की बात मानने की बजाए अल्लाह से दुआ करने की सलाह दी।
बचाव में उतरे एजेंडा पत्रकार और लिबरल गैंग
जब तबलीगी जमात पर प्रशासन और कानून का शिकंजा कसने लगा, तो एजेंडा पत्रकार और लिबरल गैंग उनके बचाव में सामने आ गए। राणा अयूब ने तबलीगी जमात को क्लीन-चिट देने की कोशिश करते हुए एक खबर की लिंक साझा की है। साथ ही दावा किया है कि जब 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘जनता कर्फ्यू’ का ऐलान किया, तभी मरकज में सारे कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया गया। इसके बाद अयूब ने वहाँ इतनी संख्या में लोगों के छिपे होने के पीछे रेलवे का दोष गिना दिया है, क्योंकि देश भर में रेल सेवा बंद हो गई।
When Modi announced Janata curfew for March 22, the ongoing programme in the Markaz was discontinued immediately. However, due to sudden cancellation of rail services across the country on March 21, a large group of visitors got stuck in Markaz premises. https://t.co/67gSCCY7AQ— Rana Ayyub (@RanaAyyub) March 31, 2020
Media (hello, @TimesNow): stop whipping up communal hatred over the spread of #COVID.— Nilanjana Roy (@nilanjanaroy) March 31, 2020
It has a real impact on the ground. #Nizamuddin is safe, @DelhiPolice have patrolled, secured the area, but you're making residents a target for hate with your broadcasts.+#DelhiCoronaScare
Media (hello, @TimesNow): stop whipping up communal hatred over the spread of #COVID.— Nilanjana Roy (@nilanjanaroy) March 31, 2020
It has a real impact on the ground. #Nizamuddin is safe, @DelhiPolice have patrolled, secured the area, but you're making residents a target for hate with your broadcasts.+#DelhiCoronaScare
वहीं न्यूज-24 के एंकर संदीप चौधरी तबलीगी जमात के बचाव में स्वास्थ्य मंत्रालय और अन्य मंदिरों के बंद होने की क्रोनोलॉजी समझाने लगे। संदीप चौधरी का समर्थन करते हुए ओम थानवी के साथ ही कई अन्य पत्रकारों ने भी ट्वीट किया।
अवलोकन करें:-
इन पत्रकारों ने यह नहीं बताया कि मंदिरों में हुए जुटान से कितने लोगों को अबतक कोरोना का संक्रमण हुआ है। कितने लोगों की मौत हुई है। जब तबलीगी जमात के कार्यक्रम में जुटे लोगों में कोरोना संक्रमण पाया गया है। कई लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। तबलीगी जमात के लोगों के दिल्ली के साथ ही कई राज्यों में फैलने से पूरे देश को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति उन लोगों का खुलेआम बचाव कैसे कर सकता है, जो सार्वजनिक रूप से सरकारी दिशा-निर्देशों और मेडिकल सलाहों को धता बताया हों?
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