लोकसभा में TMC सांसद द्वारा E-Ciggrette पीने पर हुआ बवाल: भारत समेत 37 देशों में है बैन, फूँकने से सिर्फ फेफड़े नहीं दिमाग भी होता है खराब

प्रतिकात्मक तस्वीर ( साभार- chatgpt )
ई सिगरेट पर प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन सदन में टीएमसी के सांसद पर इसे पीने का आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि टीएमसी के 3 सांसद हैं, जो सदन में ई सिगरेट पी रहे थे। हालाँकि इनका नाम उजागर नहीं किया गया है। बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में स्पीकर के सामने ये मुद्दा उठाया है। हालाँकि इस दौरान उन्होंने टीएमसी सांसद के ई सिगरेट पीने की बात कही। किसी का नाम नहीं लिया। स्पीकर ने लिखित शिकायत देने के बाद कार्रवाई का भरोसा दिया है।

लोकसभा में गूँजा ई-सिगरेट पीने का मामला

टीएमसी के सांसद पर संसद परिसर में ई सिगरेट पीने का सांसद अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया। लोकसभा में ई-सिगरेट पीने का मुद्दा उठाते हुए सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि “देशभर में ई सिगरेट बैन है, क्या संसद में सिगरेट पीना अलाउ कर दिया गया है।” इस पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने ‘ना’ कहा। तब अनुराग ठाकुर ने कहा कि टीएमसी के सांसद कई दिनों से बैठकर पी रहे हैं। सदन में ई-सिगरेट पी जा रही है। इसकी जाँच करवाएँ।’ उन्होंने कहा कि लाखों लोग संसद की सीधी कार्रवाई देखते हैं, ये संसद की गरिमा के खिलाफ है।

पूरे मामले पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि ‘हमें संसदीय परंपराओं और संसदीय नियमों का अनुपालन करना चाहिए। ऐसा कोई विषय मेरे पास आएगा तो कार्रवाई करेंगे।’

न्यूज 18 के मुताबिक, पिछले कई दिनों में सांसदों के बीच ये मुद्दा गरम है। बीजेपी का कहना है कि टीएमसी के 3 सांसद संसद भवन के भीतर ई-सिगरेट का सेवन कर रहे थे। सांसद अनुराग ठाकुर ने सांसद शब्द का जिक्र किया, उनकी संख्या नहीं बताई और न ही नाम उजागर किया।

क्या होता है ई सिगरेट

ई-सिगरेट यानी वेप पेन या वेप्स, बैटरी से चलने वाला डिवाइस है जो एक लिक्विड को गर्म करके भाप बनाता है। इसे इस्तेमाल करने वाला यूजर साँस के जरिए शरीर के अंदर लेता है। इस लिक्विड में आमतौर पर निकोटीन, फ्लेवरिंग और दूसरे केमिकल होते हैं।

शुरुआत में इन्हें आमतौर पर सिगरेट पीने वाले लोग ‘सुरक्षित’ विकल्प के तौर पर देख रहे थे। इसके बनाने की प्रक्रिया में निकोटीन, फ्लेवरिंग, प्रोपलीन ग्लाइकॉल और दूसरे पदार्थ डाले जाते हैं और गर्म करने पर ये एरोसोल में बदल जाता है। इससे साँस लेने में समस्या पैदा होती है।

फेफड़ों समेत शरीर के दूसरे अंगों को नुकसान पहुँचता है। ये सिगरेट पीने जैसा ही है। बस तम्बाकु को जलाने के बजाए यहाँ लिक्विड को गर्म किया जाता है और उसके भाप का सेवन किया जाता है।

दुनियाभर में इससे होने वाले नुकसान को देखते हुए जागरुकता फैलाया जा रहा है। लोगों से इसे नहीं पीने की अपील की जा रही है। दुनिया के 37 देशों ने इस पर प्रतिबंध लगा रखा है, उनमें भारत भी एक है।

भारत सरकार ने 2019 में ई-सिगरेट की बिक्री, इसे बनाने, बाँटने या आयात करने पर रोक लगा दी थी। सरकार को चिंता थी कि ये युवा पीढ़ी को नुकसान पहुँचा रही हैं और नशे का आदी बना रही है।

क्यों लगा है बैन

ई-सिगरेट से तंबाकू नहीं जलता, लेकिन फिर भी इसके इस्तेमाल से गंभीर खतरे हैं। ज्यादातर वेपिंग लिक्विड में निकोटीन होता है, जो बहुत ज़्यादा एडिक्टिव होता है और टीनएजर्स और युवा पीढ़ी के ब्रेन डेवलपमेंट पर असर डालता है। वेपर में ऐसे केमिकल भी होते हैं, जो फेफड़ों में जलन पैदा कर सकते हैं। सांस लेने में दिक्कत पैदा कर सकते हैं और शायद लंबे समय तक सांस की समस्या का कारण बन सकते हैं।

कई स्टडीज़ से पता चला है कि वेपिंग से दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, नसों को नुकसान पहुँचता है और फेफड़े सिकुड़ने लगते हैं। विदेशों में, ई-सिगरेट के इस्तेमाल से फेफड़ों को नुकसान पहुँचने के कई मामले सामने आए हैं, यानी वेपिंग से खतरा है इस पर पूरी दुनिया सहमत है।

ई सिगरेट के प्रकार

ई सिगरेट कई तरह की होती है। वेप्स, वेप पेन या स्टिक, हुक्का, ई-हुक्का, मॉड्स, पर्सनल वेपोराइजर यानी पीवी। पूरे को मिलाकर इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम यानी ईएनडी कहते हैं।

किसी भी ई सिगरेट में एक टैंक या पॉड होता है, जिसमें लिक्विड भरा जाता है।

लिक्विड को गरम करने के लिए उपकरण लगा होता है। उसे चलाने के लिए बैटरी लगी होती है। साथ में एक कंट्रोल बटन होता है।

इसमें इस्तेमाल होने वाले लिक्विड को ई जूस या वेप जूस भी कहते हैं। लेकिन ये कोई ‘जूस’ नहीं होता। इसमें पानी भी नहीं होता है। भाप पैदान करने के लिए प्रोपिलीन ग्लाइकॉल और ग्लिसरीन का इस्तेमाल किया जाता है। फ्लेवरिंग के लिए अलग अलग सामग्री इस्तेमाल की जाती है।

ई सिगरेट से होने वाली बीमारियाँ

इससे सांस की तकलीफें, अस्थमा, फेफड़े में सूजन, जकड़न और सिकुड़न हो सकता है। फेफड़े में हमेशा के लिए निशान पड़ सकता है या छोटे कण गहराई से घुस सकते हैं, जिससे कैंसर हो सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ़ नॉर्थ कैरोलिना की एक स्टडी के अनुसार ई-सिगरेट में पाए जाने वाले दो मुख्य इंग्रीडिएंट्स- प्रोपलीन ग्लाइकॉल और वेजिटेबल ग्लिसरीन शरीर के लिए घातक होते हैं।
इनका सबसे बुरा प्रभाव कोशिकाओं पर पड़ता है। ब्रेन के विकास पर असर डालता है। इसलिए टीनएजर्स और जेनजी के लिए खास तौर पर खतरनाक है। ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है। भारी धातु जैसे निकेल, लेड कैडमियन खून में घुलकर नसों को नुकसान पहुँचा सकता है।
इतने नुकसान और प्रतिबंध के बावजूद लोकतंत्र के मंदिर संसद में सांसदों द्वारा ई सिगरेट का सेवन करना काफी आश्चर्यजनक है। टीएमसी के सांसदों के खिलाफ लिखित शिकायत के बाद कार्रवाई का आश्वासन लोकसभा स्पीकर ने दिया है। लेकिन ये सिर्फ अनुशासनहीनता का मामला नही है। जनता के प्रतिनिधि का आचरण अनुसरणीय होनी चाहिए। जनता संसद की सीधी कार्रवाई देखती है। ऐसे में ये सांसद जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं।
सांसदों पर संसदीय मर्यादा को भंग करने का आरोप भी है। संसद तो इसके लिए कार्रवाई करेगी ही। अच्छा होता, अगर टीएमसी भी अपने सांसदों की जाँच के बाद आरोप साबित होने पर कार्रवाई करती। ये दूसरे सांसदों के लिए सीख होती और पार्टियों के लिए अनुकरणीय होता। आखिर जनता का नुमाइंदा इस तरह से सार्वजनिक तौर पर अनुशासनहीनता और अमर्यादित काम करे, तो जनता को ये क्या शिक्षा देंगे।

No comments: