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ताइवान में अजीबोगरीब डिनर पार्टी, लड़की को नंगा करके बॉडी की पेंट, फिर नग्न पीठ पर खाना रखकर परोसा: एक व्यक्ति की एंट्री 2.5 लाख रूपए में


ताइवान के प्राइवेट क्लब में खाना परोसने का अजीबोगरीब तरीका सामने आया है। पता चला है कि तायचुंग के एक प्राइवेट क्लब में नंगी महिला को सुशी बोट बनाकर लोगों को डिनर सर्व किया गया है। इस रात्रिभोज को उन्होंने ‘न्योताइमोरी डिनर’ का नाम दिया। इस दौरान नग्न युवती के ऊपर ‘साशिमी’ परोसी गई। उससे पहले उसके शरीर पर बॉडी पेंट आदि किया गया था ताकि वो दिखने में अट्रैक्टिव लगे। रिपोर्ट्स के अनुसार इस कार्यक्रम के लिए महिला ने करीबन दो घंटे काम किया।

ऑनलाइन सामने आई तस्वीरों में एक युवती के शरीर पर फूलों की सजावट देखी जा सकती है। साथ ही देख सकते हैं कि खाना परोसते टाइम युवती को टेबल पर लिटा दिया गया। फिर उसे उलटा करके खाने की वस्तु रखी गई। खबरों के मुताबिक ये खाना सिर्फ विवादस्पद नहीं बल्कि महंगा भी था। इस कार्यक्रम में जाने की कीमत करीबन 3100 डॉलर (2,58,734.06) थी। वहीं इसमें आने वाले मेहमानों की संख्या 20 थी।

कार्यक्रम में जुड़ने वाले एक अज्ञात व्यक्ति ने इस संबंध में स्थानीय मीडिया से बात करते हुए बताया कि उन्होंने पहली बार महिला के शरीर के ऊपर इतनी हाई क्वालिटी साशिमी देखी, बस उन्हें ये याद नहीं है उन्होंने वास्तव में कार्यक्रम में खाया क्या था।

प्राइवेट क्लब द्वारा आयोजित ऐसी खबर के बारे में जानने के बाद स्थानीय अधिकारियों ने इसकी जाँच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि इस तरह नग्नता का सार्वजनिक प्रदर्शन कानून का उल्लंघन है। वे मामले की जाँच कर रहे हैं। वहीं ताइचुंग सिटी हेल्थ ब्यूरो ने कहा कि उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली है, लेकिन यदि कोई समस्या हुई तो वो त्वरित कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं।

बता दें कि ताइवना इस तरह के डिनर कार्यक्रम आयोजित करना कोई नया नहीं। साल 2022 में ऐसा एक कार्यक्रम आयोजित कराने की घटना सामने आई थी जिसके बाद उसकी काफी आलोचना भी हुई थी। वहीं इस दृश्य को देखने वाले एक व्यक्ति ने कहा, “यह देखना बहुत भयानक है। इसे इंसान को खाने से अलग नहीं देख सकते। सिर्फ खाने वालों को लुभाने के लिए एक युवा महिला के शरीर का उपयोग करना बहुत गलत लगा। इससे साबित होता है कि लोग अगर अमीर हो जाएँ तो वो अपनी इंसानियत खो देते हैं।”

ताइवान : ‘चीन से संघर्ष के लिए तैयार हों’: जिसे उपद्रवी बताता था वही बना ताइवान का राष्ट्रपति, लाई चिंग-ते की जीत से शी जिनपिंग को बड़ा झटका

                                   ताइवान में लाई चेंग-ते की जीत से चीन और शी जिनपिंग को झटका
ताइवान में चीन को बड़ा झटका लगा है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के कट्टर विरोधी लाई चिंग-ते ने राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनावों में जीत हासिल की है। शनिवार (13 जनवरी, 2024) को ताइवान में राष्ट्रपति चुनाव की मतगणना की गई, जिसमें उन्होंने जीत दर्ज की। अभी तक वोटिंग पूरी नहीं हुई है, लेकिन लाई को विजेता घोषित कर दिया गया है। वो मौजूदा समय में ताईवान के उप-राष्ट्रपति हैं और अब 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे।

सत्तारूढ़ ‘डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी’ (DPP) के लाई चिंग-ते, जिन्हें विलियम लाई नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने 41.6% वोटों के साथ जीत हासिल की। उनके प्रतिद्वंद्वी, कुओमिन्तांग (KMT) के होऊ यू-इह ने 33.4% वोट हासिल किए। लाई चिंग-ते एक स्वतंत्रतावादी नेता हैं जिन्हें चीन द्वारा एक ‘उपद्रवी‘ के रूप में देखा जाता है। उनकी जीत से चीन-ताइवान संबंधों में तनाव बढ़ने की संभावना है।

लाई चिंग-ते ने अपने चुनावी अभियान के दौरान एक अधिक स्वतंत्रतावादी रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि वह ताइवान की संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और चीन के साथ एकीकरण के किसी भी प्रयास का विरोध करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वह ताइवान को एक अधिक लोकतांत्रिक और समृद्ध समाज बनाने के लिए काम करेंगे।

लाई चिंग-ते की जीत से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को झटका लगा है। शी जिनपिंग ताइवान को चीन का एक प्रांत मानते हैं और उन्होंने ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने के लिए सैन्य कार्रवाई करने की धमकी दी है। लाई चिंग-ते की जीत के बाद, ताइवान में चीन-विरोधी भावना बढ़ने की संभावना है। लाई चिंग-ते ने ताइवान के लोगों से चीन के साथ संघर्ष के लिए तैयार रहने का आह्वान किया है।

अमेरिका से नजदीकी की वजह से खार खाता है जिनपिंग

लाई चिंग-ते की जीत से अमेरिकी खेमे में भी खुशी की लहर है। ताइवान को भले ही अमेरिका आधिकारिक रूप से अलग देश नहीं मानता, लेकिन ताइवान की संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं, चीन ताइवान को अपना एक प्रांत मानता है और वह ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने के लिए सैन्य कार्रवाई करने की धमकी देता है। लाई चिंग-ते की जीत से चीन की चिंता बढ़ने की संभावना है क्योंकि वह ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने के प्रयासों को और अधिक कठिन बना सकती है।

लाई चिंग-ते की जीत से चीन-ताइवान संबंधों में तनाव बढ़ने की संभावना है। लाई चिंग-ते एक स्वतंत्रतावादी नेता हैं जिन्हें चीन द्वारा एक “उपद्रवी” के रूप में देखा जाता है। उनकी जीत से चीन की चिंता बढ़ने की संभावना है क्योंकि वह ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने के प्रयासों को और अधिक कठिन बना सकती है।

चीन के काल्पनिक नक़्शे पर भड़के कई देश: भारत के बाद ताइवान, वियतनाम, फिलीपींस और मलेशिया ने भी किया खारिज, दक्षिण चीन सागर पर दावे को भी नकारा

चीन के काल्पनिक नक़्शे पर भारत के विरोध  के तीन दिन बाद  चार अन्य  देशों ने भी उनके क्षेत्रों को अपना बताने वाले चीन के मानचित्र जारी करने पर आलोचना की है। वहीं भारत के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार शाम (29 अगस्त, 2023 ) को ही चीन द्वारा काल्पनिक क्षेत्रीय मानचित्र का 2023 का संस्करण जारी करने पर पलटवार किया। चीन के विचित्र दावों पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर चीन के तथाकथित 2023 “मानक मानचित्र” को खारिज कर दिया।
                                                         चीन का विकृत मानचित्र (स्रोत X)

वहीं अब, फिलीपींस, ताइवान, मलेशिया और वियतनाम ने भी चीन द्वारा जारी “मानक मानचित्र” को अस्वीकार कर भारत की श्रेणी में शामिल हो गए हैं। बता दें कि चीन के काल्पनिक मानचित्र में इन चार देशों के क्षेत्रों को भी चीन ने अपना बताया है। वियतनाम ने बयान दिया है कि यह नक्शा स्प्रैटली और पारासेल द्वीपों पर उसकी संप्रभुता और उसके जल क्षेत्र पर अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करता है।

वियतनाम के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, फाम थू हैंग (Pham Thu Hang) ने सरकार की वेबसाइट पर एक बयान में कहा, “वियतनाम डॉटेड लाइन के आधार पर दक्षिण चीन सागर में चीन के सभी दावों का दृढ़ता से विरोध करता है।” फिलीपींस ने भी इस मुद्दे पर कड़ा बयान जारी किया है। 

फिलीपींस सरकार ने भी एक बयान जारी कर विरोध जताया है,  फिलीपींस ने बयान में कहा, “फिलीपींस के समुद्री क्षेत्रों पर चीन की कथित संप्रभुता और अधिकार क्षेत्र को वैध बनाने के इस नवीनतम प्रयास का अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से समुद्र के कानून पर 1982 के संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीएलओएस) के तहत कोई आधार नहीं है।”

चीन ने अपने काल्पनिक क्षेत्रीय मानचित्र का नवीनतम संस्करण जारी किया है जिसमें उसने अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख (अक्साई चिन क्षेत्र) जैसे भारतीय क्षेत्रों को अपना बताया। भारतीय क्षेत्रों के अलावा, चीन के नक़्शे में ताइवान और दक्षिण चीन सागर में विवादास्पद 9-डैश लाइन भी शामिल थी, लेकिन इस बार उसने दक्षिण चीन सागर में अपना दावा बढ़ाते हुए इसे 10-डैश लाइन तक बढ़ा दिया; जबकि इस क्षेत्र का अधिकांश भाग पश्चिमी फिलीपींस सागर में शामिल है।

आधिकारिक फिलीपींस समाचार एजेंसी ने विदेश मामलों के प्रवक्ता मा टेरेसिटा डाज़ा ( Ma. Teresita Daza) ने कहा, “(2016 Arbitral Award) ने स्पष्ट रूप से कहा कि ‘नाइन-डैश लाइन’ के प्रासंगिक हिस्से से घिरे दक्षिण चीन सागर के समुद्री क्षेत्र कन्वेंशन के विपरीत हैं और यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।”

चीन द्वारा हाल ही में जारी किए गए विकृत मानचित्र में, उसने दक्षिण चीन सागर के 10-डैश लाइन तक दावा थोक दिया है।  (स्रोत: एएनसी डिजिटल/यूट्यूब)

मलेशिया और ताइवान भी चीन के आक्रामक विस्तारवादी रवैये की आलोचना करते हुए विरोध में आगे आए। मलेशिया ने कथित तौर पर कहा कि वह चीन को प्रोटेस्ट नोट भेजेगा। बर्नामा समाचार एजेंसी ने विदेश मंत्री डॉ. जाम्ब्री अब्दुल (Dr Zambry Abdul Kadir) के हवाले से कहा, “यह हमारी प्रथा रही है (इस तरह के मुद्दों से निपटने के दौरान)…और विस्मा पुत्रा (विदेश मंत्रालय) द्वारा कल जारी किए गए बयान के आधार पर, अगले कदम में एक विरोध नोट भेजना शामिल है।” 

ताइवान ने कहा कि उस पर कभी भी पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना द्वारा शासन नहीं किया गया है। “ताइवान, चीन गणराज्य, एक संप्रभु और स्वतंत्र देश है जो पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के अधीन नहीं है। पीआरसी ने कभी भी ताइवान पर शासन नहीं किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेफ लियू ने ताइवान न्यूज को बताया, ये सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त तथ्य और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मौजूद है।

यह विवाद तब सामने आया जब चीनी सरकार के मुखपत्र द ग्लोबल टाइम्स ने एक पोस्ट किया। पोस्ट में कहा गया कि प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय ने 28 अगस्त को अपनी वेबसाइट पर चीन का नवीनतम ‘मानक मानचित्र’ लॉन्च किया। इस चीन के ‘मानक मानचित्र’ के नवीनतम संस्करण के रूप में बताया गया।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अभी हाल ही में जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी से मुलाकात की थी और इस बात पर जोर दिया था कि दोनों देशों को सीमा पर तनाव कम करने के लिए व्यापक बातचीत करनी चाहिए। उस चर्चा की पृष्ठभूमि में, और जी-20 शिखर सम्मेलन से कुछ ही दिन पहले ही भारतीय क्षेत्रों पर अपना दावा करने में चीन का आक्रामक व्यवहार एलएसी पर तनाव को हल करने के लिए उसकी ओर से ईमानदारी की कमी को दर्शाता है।

चीन 2026 में ताइवान पर हमला कर हो सकता है तबाह, 1962 युद्ध में अपनी खोई हुई जमीन लेकर भारत करेगा नए युग का निर्माण! : अमेरिकी थिंक टैंक CSIS की रिपोर्ट

अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज(CSIS) ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया है कि चीन में तानाशाही शासन कर रही चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की स्थापना को वर्ष 2027 में 100 साल पूरे हो जाएंगे। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी पार्टी के शताब्दी वर्ष से पहले एक बड़ा काम करके इतिहास में अपना नाम लिखवाना चाहते हैं। वे वर्ष 2027 से पहले ताइवान पर हमला कर उसे चीन में मिलाना चाहते हैं। अगर उन्होंने इस सपने को पूरा करने के लिए ताइवान पर हमला कर दिया तो उसका अंजाम क्या होगा। 

चीन अगर ताइवान पर हमला करता है तो जापान इस युद्ध में कूद पड़ेगा और ताइवान का साथ देगा। इसके साथ ही अमेरिका भी ताइवान की तरफ होगा। इस युद्ध से जहां चीन काफी कमजोर होकर तबाही के कगार पर पहुंच जाएगा वहीं अमेरिका भी उतना मजबूत नहीं रह जाएगा। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि क्या भारत 1962 की युद्ध में अपनी खोई हुई जमीन को दोबारा चीन से छुड़ाकर वापस पा सकता है? भविष्य की राहें इस ओर भी इशारा कर रही है कि वह भारत का स्वर्णिम युग होगा जब वह पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान भी वापस हासिल कर लेगा। अब देखना है कि वक्त किस कदर करवट लेता है।

शी जिनपिंग ताइवान पर हमला उसे चीन में मिलाना चाहते हैं

अमेरिकी थिंक टैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी पार्टी के शताब्दी वर्ष से पहले एक बड़ा काम करके ‘इतिहास’ में अपना नाम लिखवाना चाहते हैं ओर वे वर्ष 2027 से पहले ‘ताइवान’ पर हमला कर उसे चीन में मिलाना चाहते हैं। अगर उन्होंने इस ख्वाब को पूरा करने के लिए ताइवान पर हमला किया तो, उसका अंजाम बहुत बुरा होगा। युद्ध के बाद चीन की क्या स्थिति होगी। इसे पढ़कर आप भविष्य में होने वाले हालात का अंदाजा लगा पाएंगे।

चीन अगर ताइवान पर हमला करता है तो युद्ध दो देशों तक सीमित नहीं रहेगा

अमेरिका के एक थिंक टैंक सेंटर फॉर स्‍ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्‍टडीज (CSIS) ने “The First Battle of Next War” के नाम से इस रिपोर्ट को तैयार किया है। इस रिपोर्ट में ताइवान के मुद्दे पर, China Taiwan War पर एक वॉर गेम जैसी स्थिति को दर्शाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो यह युद्ध केवल दो देशों तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि इसमें अमेरिका और उसके सहयोगी, जापान भी खुलकर शामिल होंगे।

अमेरिका की ताकत काफी हद तक कम हो जाएगी

इस युद्ध में भाग लेने की वजह से अमेरिका की ताकत काफी हद तक कम हो जाएगी और वह दुनिया की ‘एकमात्र’ महाशक्ति का दर्जा कई सालों तक के लिए गंवा बैठेगा, वहीं जापान और ताइवान लगभग पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे। तीन सप्ताह तक चलने वाले इस युद्ध में अमेरिका के 3200 जवान मारे जाएंगे जो कि पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान और इराक में मारे गए अमेरिकी जवानों की संख्या का आधा है।

चीन काफी कमजोर हो जाएगा, कई शहर तबाह हो जाएंगे 

चीन की हालत भी बहुत अच्छी नहीं होगी। जिस नेवी पर वह बहुत घमंड करता है, वह पूरी तरह बर्बाद हो चुकी होगी। उसके कई शहर तबाह हो चुके होंगे। उसकी अर्थव्यवस्था और बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठान तबाह हो चुके होंगे। जंग में उसके 138 युद्धपोत और 155 फाइटर एयरक्राफ्ट पूरी तरह तबाह हो जाएंगे। इस युद्ध में चीन के करीब 10 हजार से ज्यादा सैनिक मारे जाएंगे और लगभग इतने ही युद्ध बंदी बना लिए जाएंगे।

शी जिनपिंग 2026 में कर सकते हैं ताइवान पर हमला

अमेरिकी थिंक टैंक के मुताबिक चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग वर्ष 2026 में ताइवान पर हमले को अंजाम दे सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो यह युद्ध बेहद विनाशकारी होगा। ताइवान की रक्षा के लिए जापान की सेना आगे बढ़ेगी, जिससे चीन उस पर भी हमला कर देगा। इसके बाद जापान के साथ रक्षा संधि होने की वजह से अमेरिका भी युद्ध में कूद पड़ेगा। इसके चलते यह युद्ध हजारों सैनिकों और आम नागरिकों की मौत की वजह बन जाएगा। इस युद्ध में अमेरिका, जापान, ताइवान और चीन को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

केवल 3 हफ्ते में खत्म हो जाएगी जंग

थिंक टैंक के अनुसार इस युद्ध में चीन के मिसाइल अटैक के कारण कम से कम दो अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर प्रशांत महासागर में डूब जाएंगे। उसके करीब 3200 सैनिकों को युद्ध में जान गंवानी पड़ेगी और करीब इतने ही सैनिक युद्धबंदी बना लिए जाएंगे। अमेरिका और जापान के सैकड़ों युद्धपोत, फाइटर जेट और ड्रोन इस हमले में तबाह हो जाएंगे। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि यह युद्ध बहुत तेज और भीषण होगा। यह जंग केवल 3 हफ्ते चलेगी और उसमें अमेरिका महाशक्ति का दर्जा कई साल तक के लिए खो देगा।

चीन में मिट जाएगा CCP का शासन, लोकतंत्र आएगा 

चीन इतनी भारी कीमत चुकाने के बावजूद ताइवान पर कब्जा नहीं कर पाएगा। इस विफलता और देश में भारी तबाही की वजह से लोग चीनी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के खिलाफ सड़कों पर निकल आएंगे और शी जिनपिंग समेत CCP से जुड़े नेताओं के खिलाफ विद्रोह कर देंगे। बड़ी संख्या में सीसीपी नेता इस विद्रोह में मारे जाएंगे। अंतत: देश में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का शासन खत्म हो जाएगा और दुनिया में एक नए लोकतांत्रिक देश का उदय होगा।

भारत करेगा नए युग का निर्माण

इस रिपोर्ट में भारत की भूमिका के बारे में कुछ नहीं बताया गया है लेकिन माना जाता है कि भारत इस जंग में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेगा। युद्ध के बाद चीन और जापान खस्ताहाल हो जाएंगे, जबकि अमेरिका का महाशक्ति का दर्जा छिन जाएगा। ऐसे में वह समय भारत के लिए स्वर्ण युग हो सकता है। जिसमें भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपनी बुद्धिमता और समझदारी से दुनिया का नेतृत्व करते हुए एक नए युग का निर्माण करेगा।

भारत की 38,000 वर्ग किलोमीटर पर चीन का अवैध कब्जा

चीन अगर ताइवान पर हमले करता है युद्ध की स्थिति बनती है तो भारत के लिए यह उचित समय होगा जब वह चीन से अपनी जमीन वापस ले ले। चीन पिछले छह दशकों से लद्दाख में लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा किए हुए है। पाकिस्तान ने 1963 में शक्सगाम घाटी में 5,180 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र को अवैध रूप से अपने कब्जे से चीन को सौंप दिया था। 1963 में हस्ताक्षरित तथाकथित चीन-पाकिस्तान ‘सीमा समझौते’ के तहत पाकिस्तान ने लद्दाख में अवैध रूप से कब्जे वाले क्षेत्रों से शक्सगाम घाटी में 5,180 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र को चीन को सौंप दिया था। भारत सरकार ने 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान ‘सीमा समझौते’ को कभी मान्यता नहीं दी और लगातार इसे अवैध और अमान्य बताया है।

POK और गिलगित-बाल्टिस्तान भारत में मिल जाएगा

वैसे तो यह अनुमान जताया जाता रहा है कि भारत जल्द ही POK और गिलगित-बाल्टिस्तान को अपने कब्जे में ले लेगा लेकिन अगर यह काम 2026 तक नहीं हो पाता है तो चीन के ताइवान पर हमले के बाद यह माकूल समय होगा जब पाकिस्तान के कब्जे से अपनी भूमि वापस ले ले।