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चीन के काल्पनिक नक़्शे पर भड़के कई देश: भारत के बाद ताइवान, वियतनाम, फिलीपींस और मलेशिया ने भी किया खारिज, दक्षिण चीन सागर पर दावे को भी नकारा

चीन के काल्पनिक नक़्शे पर भारत के विरोध  के तीन दिन बाद  चार अन्य  देशों ने भी उनके क्षेत्रों को अपना बताने वाले चीन के मानचित्र जारी करने पर आलोचना की है। वहीं भारत के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार शाम (29 अगस्त, 2023 ) को ही चीन द्वारा काल्पनिक क्षेत्रीय मानचित्र का 2023 का संस्करण जारी करने पर पलटवार किया। चीन के विचित्र दावों पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर चीन के तथाकथित 2023 “मानक मानचित्र” को खारिज कर दिया।
                                                         चीन का विकृत मानचित्र (स्रोत X)

वहीं अब, फिलीपींस, ताइवान, मलेशिया और वियतनाम ने भी चीन द्वारा जारी “मानक मानचित्र” को अस्वीकार कर भारत की श्रेणी में शामिल हो गए हैं। बता दें कि चीन के काल्पनिक मानचित्र में इन चार देशों के क्षेत्रों को भी चीन ने अपना बताया है। वियतनाम ने बयान दिया है कि यह नक्शा स्प्रैटली और पारासेल द्वीपों पर उसकी संप्रभुता और उसके जल क्षेत्र पर अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करता है।

वियतनाम के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, फाम थू हैंग (Pham Thu Hang) ने सरकार की वेबसाइट पर एक बयान में कहा, “वियतनाम डॉटेड लाइन के आधार पर दक्षिण चीन सागर में चीन के सभी दावों का दृढ़ता से विरोध करता है।” फिलीपींस ने भी इस मुद्दे पर कड़ा बयान जारी किया है। 

फिलीपींस सरकार ने भी एक बयान जारी कर विरोध जताया है,  फिलीपींस ने बयान में कहा, “फिलीपींस के समुद्री क्षेत्रों पर चीन की कथित संप्रभुता और अधिकार क्षेत्र को वैध बनाने के इस नवीनतम प्रयास का अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से समुद्र के कानून पर 1982 के संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीएलओएस) के तहत कोई आधार नहीं है।”

चीन ने अपने काल्पनिक क्षेत्रीय मानचित्र का नवीनतम संस्करण जारी किया है जिसमें उसने अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख (अक्साई चिन क्षेत्र) जैसे भारतीय क्षेत्रों को अपना बताया। भारतीय क्षेत्रों के अलावा, चीन के नक़्शे में ताइवान और दक्षिण चीन सागर में विवादास्पद 9-डैश लाइन भी शामिल थी, लेकिन इस बार उसने दक्षिण चीन सागर में अपना दावा बढ़ाते हुए इसे 10-डैश लाइन तक बढ़ा दिया; जबकि इस क्षेत्र का अधिकांश भाग पश्चिमी फिलीपींस सागर में शामिल है।

आधिकारिक फिलीपींस समाचार एजेंसी ने विदेश मामलों के प्रवक्ता मा टेरेसिटा डाज़ा ( Ma. Teresita Daza) ने कहा, “(2016 Arbitral Award) ने स्पष्ट रूप से कहा कि ‘नाइन-डैश लाइन’ के प्रासंगिक हिस्से से घिरे दक्षिण चीन सागर के समुद्री क्षेत्र कन्वेंशन के विपरीत हैं और यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।”

चीन द्वारा हाल ही में जारी किए गए विकृत मानचित्र में, उसने दक्षिण चीन सागर के 10-डैश लाइन तक दावा थोक दिया है।  (स्रोत: एएनसी डिजिटल/यूट्यूब)

मलेशिया और ताइवान भी चीन के आक्रामक विस्तारवादी रवैये की आलोचना करते हुए विरोध में आगे आए। मलेशिया ने कथित तौर पर कहा कि वह चीन को प्रोटेस्ट नोट भेजेगा। बर्नामा समाचार एजेंसी ने विदेश मंत्री डॉ. जाम्ब्री अब्दुल (Dr Zambry Abdul Kadir) के हवाले से कहा, “यह हमारी प्रथा रही है (इस तरह के मुद्दों से निपटने के दौरान)…और विस्मा पुत्रा (विदेश मंत्रालय) द्वारा कल जारी किए गए बयान के आधार पर, अगले कदम में एक विरोध नोट भेजना शामिल है।” 

ताइवान ने कहा कि उस पर कभी भी पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना द्वारा शासन नहीं किया गया है। “ताइवान, चीन गणराज्य, एक संप्रभु और स्वतंत्र देश है जो पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के अधीन नहीं है। पीआरसी ने कभी भी ताइवान पर शासन नहीं किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेफ लियू ने ताइवान न्यूज को बताया, ये सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त तथ्य और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मौजूद है।

यह विवाद तब सामने आया जब चीनी सरकार के मुखपत्र द ग्लोबल टाइम्स ने एक पोस्ट किया। पोस्ट में कहा गया कि प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय ने 28 अगस्त को अपनी वेबसाइट पर चीन का नवीनतम ‘मानक मानचित्र’ लॉन्च किया। इस चीन के ‘मानक मानचित्र’ के नवीनतम संस्करण के रूप में बताया गया।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अभी हाल ही में जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी से मुलाकात की थी और इस बात पर जोर दिया था कि दोनों देशों को सीमा पर तनाव कम करने के लिए व्यापक बातचीत करनी चाहिए। उस चर्चा की पृष्ठभूमि में, और जी-20 शिखर सम्मेलन से कुछ ही दिन पहले ही भारतीय क्षेत्रों पर अपना दावा करने में चीन का आक्रामक व्यवहार एलएसी पर तनाव को हल करने के लिए उसकी ओर से ईमानदारी की कमी को दर्शाता है।

नेपाल : सेक्स टेप की चर्चा के बीच जा सकती है प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी

केपी ओली, होऊ यांगी
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के भविष्य का फैसला आज हो सकता है। सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति की होने वाली बैठक में इस संबंध में फैसला होने की उम्मीद है।
भारत विरोधी रुख और चीन के बढ़ते दखल को लेकर ओली के खिलाफ पार्टी के भीतर काफी नाराजगी है। पिछले हफ्ते नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की स्टैंडिंग कमिटी की बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री और पार्टी के सह अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने साफ शब्दों में ओली से प्रधानमंत्री पद या पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को कहा था।
इसके बाद ओली ने डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की थी, लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाए। ऐसे में उनके इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए बीते गुरुवार(2जुलाई 2020)  को पार्टी की शीर्ष ईकाई स्थायी समिति की बैठक होनी थी, जिसे बाद में शनिवार (4 जुलाई 2020) तक के लिए टाल दिया गया था।
पार्टी के भीतर अपने इस्तीफे की मॉंग उठने के बाद ओली ने इसका ठीकरा भारत पर फोड़ने की कोशिश की थी। लेकिन प्रचंड ने उनकी इस टिप्पणी को अनुचित करार दिया था।
हाल में नेपाल ने एक नया नक्शा पास किया है। इसमें भारत के कुछ इलाकों को शामिल कर लिया गया है। दूसरी ओर, नेपाल के कुछ इलाकों पर चीन द्वारा अतिक्रमण करने की भी खबरें आई है।
कोने-कोने में होऊ यांगी की घुसपैठ
नेपाल के भारत विरोधी एजेंडे के लिए होऊ यांगी जिम्मेदार बताई जा रही हैं। होऊ यांगी नेपाल में चीन की राजदूत हैं। पहले नेपाल के नए नक्शे के पीछे उनका ही हाथ बताया गया था। अब कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि होऊ यांगी की दखल नेपाल के आर्मी हेडक्वार्टर से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक है।
नेपाली सेना के प्रमुख जनरल पूर्णचंद्र थापा का दफ्तर हो या पीएम ओली का कार्यालय, बताया जाता है कि चीनी राजदूत नेपाल के किसी भी क्षेत्र में बेरोकटोक आ-जा सकती हैं।
मॉडल की तरह दिखने वाली होऊ यांगी के रसूख का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी उनके लिए विशेष भोज की मेजबानी करती हैं। ओली कैबिनेट के सदस्य उनके साथ तस्वीरें खिंचवाकर खुद को धन्य समझते हैं। होऊ यांगी भी नेपाल के वरिष्ठ नेताओं के साथ अपनी तस्वीरें आए दिन सोशल मीडिया में शेयर करती रहती हैं।
यहॉं तक कि ओली और प्रचंड के बीच तनाव की खबरें सामने आने के बाद उन्होंने भी सुलह की कोशिशें की थी। इस क्रम में उन्होंने प्रचंड से भेंट कर उन्हें आपस में नहीं लड़ने की सलाह दी थी। कुर्सी बचाने की कोशिशों के बीच प्रचंड और ओली ने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से भी मुलाकात की है।
बताया जाता है कि चीन के साथ-साथ पाकिस्तान भी ओली की कुर्सी बचाने के लिए सक्रिय है। इकोनॉमिक्स टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस क्रम में ओली मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कॉन्ग्रेस के संपर्क में भी हैं। दिलचस्प यह है कि नेपाल में तैनाती से पहले होऊ यांगी तीन साल पाकिस्तान में भी काम कर चुकी हैं।

हालॉंकि जानकारों का मानना है कि शायद ही ओली कुर्सी बचाने में कामयाब रहें। बताया जाता है कि 44 सदस्यीय स्थायी समिति में केवल 13 सदस्य ही ओली के पक्ष में हैं। पिछले सप्ताह हुई बैठक में प्रचंड ने ओली पर निशाना साधते हुए कहा था कि वे नेपाल को पाकिस्तान नहीं बनने देंगे।
उन्होंने कहा था, “हमने सुना है कि सत्ता में बने रहने के लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश मॉडल पर काम चल रहा है। लेकिन इस तरह के प्रयास सफल नहीं होंगे। भ्रष्टाचार के नाम पर कोई हमें जेल में नहीं डाल सकता है। देश को सेना की मदद से चलाना आसान नहीं है और ना ही पार्टी को तोड़कर विपक्ष के साथ सरकार चलाना संभव है।”
तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच ओली को चीन द्वारा हनी ट्रै​पिंग में फॅंसाने की अफवाहें भी पिछले कई दिनों से चल रही है। मेजर गौरव आर्या ने भी पिछले दिनों इस संबंध में ट्वीट किया था। हालॉंकि ओली के सेक्स टेप को लेकर सोशल मीडिया में अब तक किए गए दावे निराधार ही साबित हुए हैं।