कश्मीर की मस्जिद में आतंकियों ने तंज़ीम के नाम पर धन जमा किया

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
कश्मीर में मस्जिदों का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए होना नई बात नहीं है लेकिन अब यहां खुले तौर पर आतंकवादी मस्जिद में भारत के खिलाफ जहरीले भाषण देकर युवाओं को चरमपंथ एवं हिंसा के लिए उकसा रहे हैं। यह स्थिति उस समय है, जब आर्मी ने वहां आतंकवादियों के विरुद्ध "all out operation" चलाया हुआ है। 
कुलगाम की एक मस्जिद का एक ऐसा ही वीडियो सामने आया है जिसमें लश्कर ए-तैयबा के दो आतंकवादी मस्जिद में दाखिल होकर वहां लोगों को भारत के खिलाफ उकसाते हैं। इनमें से एक आतंकवादी को खुले में पिस्टल लहराते और भारत विरोधी बातें करते हुए देखा जा सकता है। यह वीडियो ईद के दिन का बताया जा रहा है। 
मस्जिद में दाखिल हुए दोनों आतंकवादी पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाते और युवकों को आतंकवाद के रास्ते पर चलने के लिए उकसाते नजर आए हैं। दोनों आतंकियों ने तंजीम के नाम पर वहां मौजूद लोगों से दान करने के लिए भी कहा। आतंकियों ने कहा कि वे कश्मीर की आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने धर्म को जिहाद और राजनीति से जोड़कर वहां मौजूद लोगों का ब्रेन वाश किया।  
यह वीडियो चिंतित करने वाला है क्योंकि इस तरह का चलन पाकिस्तान में देखा जाता है जहां आतंकवादी खुले तौर पर जिहाद के लिए फंड इकट्ठा करते हैं। घाटी में घृणा फैलाने वाले लोग अब तक अपनी चरमपंथी विचारों के लिए मस्जिदों का इस्तेमाल करते आ रहे थे लेकिन अब आतंकवादी मस्जिदों में बेरोक-टोक दाखिल हो रहे हैं और तंजीम के नाम पर फंड इकट्ठा करने लगे हैं। यह बेहद चिंता की बात है।

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Jammu and Kashmir: Stones pelted at security forces near Jamia Masjid in Srinagar; and posters supporting terrorist Zakir Musa and UN designated terrorist Masood Azhar seen in the area.
11:37 AM - Jun 5, 2019 
सेना के ऑपरेशन 'ऑल आउट' में बड़ी संख्या में आतंकवाद मारे गए हैं। आतंकियों की कमर टूट चुकी है। हाल ही में सुरक्षाबलों ने लश्कर के आतंकी जाकिर मूसा को भी ढेर कर दिया। अपने कमांडरों के मारे जाने के बाद आतंकी हताश हो गए हैं। घाटी में पत्थरबाजी और भारत विरोधी गतिविधियों के लिए युवाओं को उकसाने वाले ज्यादातर अलगाववादी या तो नजरबंद हैं या हिरासत में हैं। आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति जारी रखते हुए सेना ने साफ कर दिया है कि जो भी आतंक के रास्ते पर चलेगा उसे बख्शा नहीं जाएगा। 
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आसिया अंद्राबी | तस्वीर साभार: BCCL भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के केन्द्रीय गृह मंत्री बनने के बाद से कश्मीर ...

ईद के पावन अवसर पर नमाज़ के बाद पत्थरबाज़ी करना इस बात को सिद्ध करता है कि कश्मीर में अभी भी आतंकवादियों का जमावड़ा है। देखना यह भी है कि इनमें पाकिस्तानी कितने हैं और पाकिस्तान समर्थक कश्मीरी कितने, आखिरकार, आतंकवादी आतंकवादी ही होता है। नमाज़ के बाद हुई पत्थरबाज़ी पर न किसी मानवाधिकार ने आलोचना कर, ऐसे तत्वों पर सख्त कार्यवाही की माँग की, और न ही कोई #not in my name, #moblynching, #intolerance, #award vapsi, #metoo आदि गैंग ने। किसी भी छद्दम धर्म-निरपेक्ष नेता ने भर्त्सना तक नहीं की। इन सबका चुप्पी साधना प्रमाणित करता है कि ये सब देश के टुकड़े-टुकड़े करने वालों के संरक्षक हैं। आज तक किसी ने यह तक प्रश्न नहीं किया कि "कश्मीर की आज़ादी माँगने वाले आखिर अपना मुँह ढक कर क्यों पत्थरबाज़ी करते हैं? ये पत्थरबाज कोई और नहीं आतंकवाद ही है, इन पत्थरबाजों पर पत्थरबाज़ी करने पर उसी भाँति कार्यवाही होनी चाहिए जिस तरह प्रमाणित आतंकवादियों पर की जाती है। और जब इन पत्थरबाजों पर कोई कठोर कार्यवाही होने की स्थिति में इनके माँ-बाप सरकार से रहम की भीख माँगते नज़र आएंगे। इनके संरक्षक आधी रात को सुप्रीम कोर्ट खुलवाएँगे।      

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