
बेंगलुरु में फेसबुक पर पैगेम्बर के लिए हुई टिप्पणी पर हुए दंगे से भारत में सेकुलरिज्म का ढोल पीटने वाले समस्त नेताओं को तुष्टिकरण, सेकुलरिज्म और गंगा-जमुना तहजीब का ढोल पीटना बंद कर देना चाहिए। अब सेकुलरिज्म के नाम पर वोट देने वाले समस्त मतदाताओं--चाहे वह किसी भी जाति अथवा मजहब से हो--को भी आंखें खोलकर अपने मत का अधिकार करना चाहिए। दिल्ली में कट्टरपंथी बक रहे हैं, "राम नहीं अल्लाह बोलो ...."(नीचे लिंक देखें) वास्तव में इन कट्टरपंथियों की नींद अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय वाले दिन से हराम हुई है, जो इस बात को भी प्रमाणित करती है कि इनकी सोंच सेकुलरिज्म की नहीं बल्कि मुगलों वाली है।
दंगे में क्या मुसलमान नहीं मरा, लेकिन इनको उकसाने वाला नहीं, मरा बेगुनाह मुसलमान। ये कट्टरपंथी मजहब के नाम पर अपने तिजोरियां भरते हैं और फिर दंगों में मरे बेगुनाहों की लाशों पर बैठ मालपुए खाते हैं। दूसरे, यह दंगा चाहे दिल्ली में हो या बेंगलुरु एकदम धारदार हथियार, पेट्रोल बम और रॉड कहाँ से आ जाती है, कर्नाटक सरकार को इन दंगाइयों के घरों की सघन तलाशी लेकर, जिन घरों से भी इस तरह के हथियार बरामद हो, पत्थर बरामद हो या जमा पत्थरों के निशान भी मिलने पर तुरंत कोर्ट में पेशकर जेलों में डालें।
दूसरे, सभी को एकजुट होकर सरकार और कोर्ट पर दबाव बनाएं कि "जो भी हिन्दुओं के देवी-देवताओं पर भद्र टिप्पणी करे, उसे तुरंत सलाखों के पीछे डाल दिया जाए। ऐसी बोलने की आज़ादी पर प्रतिबन्ध का सख्ती से पालन करना होगा।"
सेक्युलरिज्म के खोखले नारों के द्वारा... विचारों, संस्कृति और व्यवहार में हमारी चार पीढ़ियों को बेवकूफ बना कर.. और हमारे देश के पचास साल बर्बाद करने के बाद, अब अचानक इन पाखंडी धूर्तों को 'ज्ञान' प्राप्त हो गया है ।
यह ज्ञान भी इनकी इस वास्तविक मजबूरी का परिणाम है कि देश के हिन्दू समाज ने आश्चर्य जनक एकजुटता दिखा कर इन धूर्तों को इनकी औकात दिखा दी है।
'सेक्यूलर' के नाम पर चलाई जा रही, हिंदुओं से घृणा की इनकी फैक्ट्रियों द्वारा, समाज और देश में फैलाए जा रहे 'सांस्कृतिक-प्रदूषण' को अब सब समझदार लोग पहचान चुके हैं ।
बेंगलुरु में कट्टरपंथी मुस्लिम भीड़ द्वारा किए गए दंगों के दौरान उग्र कट्टरपंथियों की भीड़ डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन के बेसमेंट में घुस गई और कथित तौर पर 200-250 वाहनों में आग लगा दी। खबरों के मुताबिक, कांग्रेस विधायक के आवास पर तोड़फोड़ करने वाली कट्टरपंथियों की भीड़ ने मंगलवार (अगस्त 11, 2020) को पुलिस थाने में यह मानकर तोड़फोड़ और वाहनों को क्षतिग्रस्त किया कि पुलिस ने आरोपितों को हिरासत में रखा है।
जिन पुलिसकर्मियों ने दंगाइयों को रोकने की कोशिश की, उन पर भी मुस्लिम भीड़ ने हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप 60 से अधिक पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। मंगलवार रात पूर्वी बेंगलुरु में भड़की इस हिंसा में 3 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
इस बीच, बेंगलुरु अर्बन के उपायुक्त जीएन शिवमूर्ति ने डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन का दौरा किया और पुष्टि की कि हिंसा में बहुत सारी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचा है। डीसीपी शिवमूर्ति ने कहा, “बीती रात हुई घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। सार्वजनिक संपत्ति को बहुत नुकसान हुआ है। मैं शहर के सभी लोगों से अपील करता हूँ कि इस घटना से उत्तेजित या परेशान न हों।”
डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन के बाहर मौजूद कुछ पुलिसकर्मियों का सशस्त्र दंगाई मुस्लिम भीड़ ने पीछा किया और उन्हें आस-पास के इलाकों में शरण लेनी पड़ी, यहाँ तक कि उन्हें सुरक्षाबल के आने का इंतजार करना पड़ा।
इन दंगों में कई मीडियाकर्मी भी घायल हुए, कुछ को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। जबकि, कुछ लोगों को मुस्लिम भीड़ के रोष का सामना करना पड़ा, जबकि कुछ को दंगों की स्थिति को कवर करने के दौरान दंगाइयों की हिंसा का शिकार होना पड़ा।
इसके अलावा, पत्थरबाजी के दौरान लगभग 70 पुलिसकर्मियों को चोटें आईं। भीड़ ने उन पर धारदार हथियार भी फेंके। इनमें, 40 घायल पुलिस डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन के थे, 10 केजी हल्ली स्टेशन के थे जबकि, शेष 20 अधिकारी आसपास के थानों से थे।
उपद्रवियों ने दंगा प्रभावित क्षेत्रों में स्ट्रीटलाइट्स और सीसीटीवी कैमरों को भी नुकसान पहुँचाया, ताकि वो निश्चिन्त रहें कि पुलिस बाद में उनकी पहचान करने और उन्हें ट्रैक करने में कामयाब नहीं हो पाएगी।
डीसीपी गेल्ड के वाहन चालक वेलयुधा पर भीड़ ने हथियारों से हमला किया, जिस कारण उनके हाथ में फ्रैक्चर हो गया। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पुलिस कमिश्नर कमल पंत द्वारा किए गए फोन के बाद भीड़ ने पुलिस अधिकारियों को निशाना बनाया। भीड़ ने उनके वाहनों को निशाना बनाते हुए उन पर हमला कर दिया और उन्हें प्रतिक्रिया करने तक का समय नहीं दिया।
देवराजीवनहल्ली पुलिस स्टेशन और कडुगोंडानहल्ली पुलिस स्टेशन पर भीड़ ने हमला किया। यह सब तब शुरू हुआ, जब पुलिस अधिकारी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया (SDPI) के एक कार्यकर्ता मुज़म्मिल पाशा की शिकायत पर बातचीत कर रहे थे।
मुजम्मिल पाशा ने कांग्रेस विधायक अखण्ड श्रीनिवास मूर्ति के रिश्तेदार नवीन पी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा था। मुजम्मिल का आरोप था कि नवीन ने पैगंबर मोहम्मद के बारे में अपमानजनक पोस्ट किया था।
मुस्लिम दंगाइयों की भीड़ इस बात से आक्रोशित थी कि पुलिस ने नवीन को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया और देखते ही देखते डीजे हॉल पुलिस स्टेशन में हिंसा भड़क उठी। कुछ ही देर बाद जब पुलिस की एक टीम नवीन के घर से वापस आ गई तो मुस्लिम भीड़ ये देखकर नाराज हो गई कि पुलिस वैन में उनके साथ नहीं था।
कर्नाटक सरकार के रेवेन्यू मिनिस्टर आर अशोक ने विधानसभा में कांग्रेस नेता श्रीमूर्ति से मुलाकात की और कहा कि हमलावर चाहे जो हों, चाहे जहाँ छिपे हों, हम उन्हें खोज निकालेंगे। अशोक का आरोप है कि मुस्लिम दंगाई कॉन्ग्रेस विधायक की हत्या करना चाहते थे।
पूर्व नियोजित थी दंगे की साज़िश
रेवेन्यू मिनिस्टर अशोक ने कहा कि इस मामले से बहुत सख्ती से निपटा जाएगा ताकि आगे इस तरह की घटनाएँ न हों। उन्होंने कहा कि जिस तरह से दंगा भड़का, उससे स्पष्ट होता है कि इसके लिए गहरी साजिश रची गई थी।
अशोक ने कहा- “दंगाई शहर के दूसरे हिस्सों में आग फैलाना चाहते थे। जिस तरह से मूर्ति के घर तोड़फोड़ और लूटपाट हुई, उससे साफ हो जाता है कि हमलावर मूर्ति को मारने के इरादे से आए थे। हम ये पता लगा रहे हैं कि साजिश रचने वाले लोग राज्य के हैं या बाहर के। लेकिन, वे चाहे जहाँ छिपे हों, हम उन्हें खोज निकालेंगे। उन्हें ऐसा सबक सिखाया जाएगा कि भविष्य में लोग कानून को हाथ में लेने की हिम्मत नहीं करेंगे। हमें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि हिंसा में PFI का हाथ है या SDPI का! जो गुनाहगार है, बो बख्शा नहीं जाएगा।”
जब पुलिस वालों ने रोते हुए सीनियर ऑफिसर से माँगी गोली चलाने की इजाजत
इस घटना का एक नया वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है। इस वीडियो में डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन के कर्मचारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों से आत्मरक्षा के लिए गोली चलाने की इजाज़त माँग रहे हैं। वीडियो में साफ़ सुना जा सकता है कि इस्लामी भीड़ पुलिस वालों पर टूट पड़ी है। हालात इतने भयावह हो जाने के बाद पुलिस कर्मियों ने वरिष्ठ अधिकारियों से आत्मरक्षा में गोली चलाने की अनुमति माँगी।
जिस पर अधिकारियों ने साफ़ तौर पर कहा कि वह भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जो ज़रूरी समझें, वह करें। वीडियो में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा, “आपको जो सही लगे वह करिए! इस समय आपको कोई और नहीं बचा सकता है। आपको अपनी सुरक्षा खुद से ही करनी होगी।” टीवी 9 कर्नाटक द्वारा प्रसारित इस वीडियो में साफ़ तौर पर देखा जा सकता है कि कैसे उग्र मुसलमानों की भीड़ ने पूरे बेंगलुरु शहर को आग में झोंक दिया।
Police inside station: We are stuck, no one is there to protect us, we will have to fire— Wali (@netaji3210) August 12, 2020
Senior police officer : Do it. pic.twitter.com/tuOkpb9kHJ
Imagine the situation in our country when police force need a special permission from higher authorities to fire on the ri0ters to save themselves or stop them.— Southern Sanghi 🚩 (@southern_sanghi) August 12, 2020
If this decision had been taken in Delhi, we could have saved way too many lives... But wait, when whole system is involved in riot u can't help it...— Anand (@workholic26) August 12, 2020
Indian govt should give Ak-47 to the police personell's to fight against fanatic zombies.— Amit Dubey (@DubejiLive) August 13, 2020
Right of self defense should be the priority in maintaining law and order.
पूरे बेंगलुरु में हुई तोड़-फोड़ और आगजनी की घटनाओं में कई पुलिस वाले घायल तक हुए और उनकी गाड़ियों में तोड़-फोड़ भी हुई। घटना नियंत्रित करने के लिए कुछ समय बाद KSRP प्लाटून्स को मौके पर बुलाया गया था। उनके द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़ दंगाइयों ने उन पर छतों से पत्थर फेंके। कई मौक़ों पर पुलिस वालों को हालात नियंत्रित करने के लिए आँसू गैस के गोले तक चलाने पड़े।
अवलोकन करें:-
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