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इस्लामी दुनिया के खलीफा बन रहे तुर्की को कड़ा संदेश: भारत ही नहीं, दुनिया के लिए क्यों खास है ये दौरा, दुश्मन को चारों तरफ से घेरने की तैयारी‘ : यह 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान’: PM मोदी को साइप्रस सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा, 11 साल में भारतीय प्रधानमंत्री को 20+ देश कर चुके हैं सम्मानित


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साइप्रस पहुँचे हैं। ये 20 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का साइप्रस दौरा है। इससे पहले 1983 में इंदिरा गाँधी और 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी वहाँ गए थे। साइप्रस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोरदार स्वागत हुआ। वहाँ उन्होंने भारतीय मूल के लोगों से भी मुलाकात की। यहाँ पीएम मोदी की राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइड्स से भी मुलाकात होगी।

वैश्विक नेता के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता निरंतर बढ़ती जा रही है। पीएम मोदी को विभिन्न देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों  से ना सिर्फ सम्मानित किया गया है, बल्कि अपने देश के सर्वोच्च सम्मान से भी नवाजा गया है। अब उन्हें साइप्रस के सबसे बड़े सम्मान ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III से सम्मानित किया गया है। ऑर्डर ऑफ मकारियोस तृतीय साइप्रस की ओर से प्रदान किया जाने वाला नाइटहुड सम्मान है, जिसका नाम साइप्रस के प्रथम राष्ट्रपति आर्कबिशप मकारियोस तृतीय के नाम पर रखा गया। प्रधानमंत्री मोदी को मिला यह 23वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मान है। साइप्रस का सर्वोच्च सम्मान पाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में हमारी सक्रिय भागीदारी नई ऊंचाइयों को छुएगी। साथ मिलकर हम न केवल अपने दोनों देशों की प्रगति को मजबूत करेंगे, बल्कि एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित वैश्विक वातावरण के निर्माण में भी योगदान देंगे।’

16.06.2025
साइप्रस का सम्मान मैत्रीपूर्ण संबंधों, साझा मूल्यों और आपसी समझ को समर्पित

प्रधानमंत्री मोदी को साइप्रस के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया है। साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने प्रधानमंत्री मोदी को साइप्रस का सर्वोच्च सम्मान दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘राष्ट्रपति जी, ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III सम्मान के लिए मैं आपका, साइप्रस सरकार का और साइप्रस के लोगों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। यह सिर्फ नरेंन्द्र मोदी का ही नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान है। यह उनकी क्षमताओं और आकांक्षाओं का सम्मान है। यह हमारी संस्कृति, भाईचारे और वसुधैव कुटुम्बकम की विचारधारा का सम्मान है। मैं इसे भारत और साइप्रस के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों, हमारे साझा मूल्यों और आपसी समझ को समर्पित करता हूं। मैं सभी भारतीयों की ओर से इस सम्मान को बड़ी विनम्रता और कृतज्ञता के साथ स्वीकार करता हूं। यह पुरस्कार शांति, सुरक्षा, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और हमारे लोगों के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है।’ 

तुर्की को हैरान करने वाला है पीएम मोदी का दौरा

मोदी का साइप्रस दौरा सिर्फ दो देशों के बीच दोस्ती बढ़ाने के लिए नहीं है, बल्कि तुर्की को एक सख्त संदेश भी देता है। दरअसल, तुर्की पिछले कुछ समय से भारत के खिलाफ खुलकर बोल रहा है, खासकर कश्मीर के मुद्दे पर और पाकिस्तान को सैन्य और कूटनीतिक समर्थन दे रहा है।

भारत इसका जवाब तुर्की के विरोधी देशों – जैसे ग्रीस, आर्मेनिया, मिस्र और अब साइप्रस के साथ अपनी दोस्ती मजबूत करके दे रहा है। भारत इन देशों के साथ न सिर्फ व्यापारिक बल्कि सामरिक संबंध भी मजबूत कर रहा है। ये एक तरह से तुर्की को चारों तरफ से घेरने की रणनीति है। साइप्रस के बाद मोदी जी7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जाएँगे, जिससे भारत की वैश्विक ताकत और बढ़ेगी।

साइप्रस और भारत की दोस्ती बेहद खास

भारत और साइप्रस की दोस्ती पुरानी और गहरी है। साइप्रस ने हमेशा भारत का साथ दिया है। 1998 में भारत के परमाणु परीक्षण के समय, 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते में और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए साइप्रस ने खुलकर समर्थन किया। आतंकवाद और कश्मीर जैसे मुद्दों पर साइप्रस ने कभी पाकिस्तान या तुर्की का साथ नहीं दिया।

दूसरी तरफ भारत भी साइप्रस की एकता और अखंडता का समर्थन करता है। भारत चाहता है कि साइप्रस का मसला संयुक्त राष्ट्र के नियमों और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत हल हो। पीएम मोदी का ये दौरा इस दोस्ती को और मजबूत करेगा। दोनों देशों के बीच व्यापार, संस्कृति, और शायद रक्षा सहयोग को भी बढ़ावा मिलेगा।

साइप्रस-तुर्की विवाद क्या है?

साइप्रस और तुर्की का झगड़ा 1974 से चला आ रहा है। उस साल ग्रीस के समर्थन से साइप्रस में तख्तापलट हुआ, जिसका मकसद साइप्रस को ग्रीस के साथ मिलाना था। जवाब में तुर्की ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर हमला कर उसे अपने कब्जे में ले लिया। तब से साइप्रस दो हिस्सों में बँटा हुआ है।

  1. दक्षिणी हिस्सा: ये ग्रीक साइप्रियट्स है। इसे पूरी दुनिया मान्यता देती है। इसे ही रिपब्लिक ऑफ साइप्रस कहते हैं।
  2. उत्तरी हिस्सा: ये तुर्की साइप्रियट्स है। इसे तुर्की ने तुर्की रिपब्लिक ऑफ नॉर्दर्न साइप्रस घोषित किया, लेकिन इसे सिर्फ तुर्की ही मान्यता देता है। इसे अंतर्राष्ट्रीय मान्यता नहीं है।
तुर्की ने उत्तरी साइप्रस में अपनी सेना तैनात कर रखी है और वहाँ की समुद्री सीमाओं पर भी विवाद करता रहता है। साइप्रस के पास समुद्र में प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार हैं, जिन्हें तुर्की अपने नियंत्रण में लेना चाहता है।
तुर्की का कहना है कि साइप्रस जैसे छोटे द्वीप को इतना बड़ा समुद्री क्षेत्र (EEZ) नहीं मिलना चाहिए, जबकि अंतरराष्ट्रीय कानून इसके खिलाफ है। तुर्की ने साइप्रस के समुद्री क्षेत्र में अपने जहाज भेजकर गैस खोजने की कोशिश की, जिससे साइप्रस, ग्रीस और यूरोपीय संघ के साथ उसका तनाव बढ़ गया। भारत का साइप्रस के साथ खड़ा होना तुर्की के लिए साफ संदेश है कि भारत उसके खिलाफ उन देशों का समर्थन करेगा, जो तुर्की की आक्रामकता से परेशान हैं।

IMEC को लेकर साइप्रस का महत्वपूर्ण स्थान

साइप्रस की भौगोलिक स्थिति इसे बहुत खास बनाती है। ये भूमध्य सागर में तुर्की के दक्षिण में, लेवांत (सीरिया-लेबनान-फिलिस्तीन-इजरायल) के पश्चिम में और स्वेज नहर के पास है। यानी ये यूरोप, एशिया और अफ्रीका के बीच एक अहम पड़ाव है।
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) में साइप्रस की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है। IMEC एक ऐसा व्यापारिक रास्ता है, जो भारत को मध्य पूर्व के रास्ते यूरोप से जोड़ेगा। साइप्रस इस कॉरिडोर का एक अहम हिस्सा बन सकता है, क्योंकि ये व्यापार, ऊर्जा और रणनीतिक प्रभाव के लिए एक शानदार जगह है।
साइप्रस के पास 12-15 ट्रिलियन क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस के भंडार हैं। ये भंडार भले ही वैश्विक स्तर पर बहुत बड़े न हों, लेकिन साइप्रस जैसे छोटे देश के लिए बहुत मायने रखते हैं। यूरोप रूस से गैस कम लेना चाहता है और साइप्रस इसमें मदद कर सकता है। लेकिन तुर्की की दखलंदाजी की वजह से साइप्रस को अपनी गैस निर्यात करने में दिक्कत होती है।
साइप्रस अब ग्रीस या मिस्र के रास्ते गैस निर्यात करने की योजना बना रहा है, ताकि तुर्की को बाइपास किया जा सके। भारत अगर साइप्रस के साथ ऊर्जा, व्यापार या बुनियादी ढाँचे के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाता है, तो ये तुर्की के लिए बड़ा झटका होगा।

तुर्की को घेरना अब भारत की रणनीति

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोआन ने कई बार कश्मीर जैसे मुद्दों पर भारत के खिलाफ बयान दिए हैं। वो खुद को इस्लामिक दुनिया का नेता दिखाने की कोशिश करते हैं और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर भारत की आलोचना करते हैं।
तुर्की ने पाकिस्तान के साथ अपनी सैन्य और कूटनीतिक साझेदारी भी बढ़ाई है। भारत इसका जवाब तुर्की के विरोधी देशों के साथ दोस्ती बढ़ाकर दे रहा है। साइप्रस के अलावा, भारत ग्रीस, आर्मेनिया और मिस्र के साथ अपने रिश्ते मजबूत कर रहा है। ये सभी देश तुर्की के साथ किसी न किसी तरह के विवाद में हैं।
मोदी का साइप्रस दौरा तुर्की को साफ बताता है कि भारत उसकी हरकतों का जवाब देना जानता है। साइप्रस यूरोपीय संघ का सदस्य है और भारत का पुराना दोस्त है। इस दौरे से दोनों देशों के बीच व्यापार, संस्कृति और रक्षा सहयोग को नया बढ़ावा मिलेगा। साथ ही साइप्रस IMEC में भारत के लिए एक अहम साझेदार बन सकता है।

साइप्रस के बाद जी7 शिखर सम्मेलन के लिए जाएँगे पीएम मोदी

साइप्रस के बाद मोदी जी7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जाएँगे। ये भारत के लिए अपनी वैश्विक ताकत दिखाने का एक और मौका होगा। साइप्रस दौरा और जी7 में हिस्सा लेना दोनों ही भारत की उस रणनीति का हिस्सा हैं, जिसमें वो वैश्विक मंचों पर अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। तुर्की जैसे देशों को घेरने के साथ-साथ भारत उन देशों के साथ दोस्ती बढ़ा रहा है, जो उसके हितों का समर्थन करते हैं। साइप्रस के साथ भारत का ये रिश्ता न सिर्फ तुर्की को जवाब है, बल्कि भारत की बढ़ती वैश्विक ताकत का भी प्रतीक है।

मोदी को 20 से ज्यादा देश कर चुके हैं सम्मानित

इतिहास में सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित भारतीय नेता पीएम मोदी हैं जिन्हें 21 देशों ने सम्मानित किया है।
  • सऊदी अरब ने 2016 में ‘ऑर्डर ऑफ किंग अब्दुलअजीज’ से सम्मानित किया।
  • अफगानिस्तान ने 2016 में ‘स्टेट आर्डर ऑफ़ ग़ाज़ी आमिर अमानुल्लाह खान’ से सम्मानित किया।
  • फिलिस्तीन ने 2018 में ‘ग्रैंड कॉलर’ से सम्मानित किया।
  • मालदीव ने 2019 में ‘निशान इज्जुद्दीन’ से नवाजा।
  • संयुक्त अरब अमीरात ने 2019 में ‘ऑर्डर ऑफ जायद’ से सम्मानित किया।
  • बहरीन ने 2019 में ‘किंग हमाद ऑर्डर ऑफ द रेनेसां’ से नवाजा।
  • अमेरिका ने 2020 में ‘लीजन ऑफ मेरिट’ की सर्वोच्च डिग्री से सम्मानित किया।
  • फिजी ने 2023 में सर्वोच्च सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ फिजी’ से सम्मानित किया।
  • पापुआ न्यू गिनी ने 2023 में ‘ऑर्डर ऑफ लोगोहू ‘ से नवाजा।
  • मिस्र ने 2023 में ‘ऑर्डर ऑफ द नाइल’ से सम्मानित किया।
  • फ्रांस ने 2023 में ‘लीजन ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया ।
  • ग्रीस ने 2023 में ‘ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो’ से नवाजा गया।
  • भूटान ने 2024 में ‘ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो’ से सम्मानित किया।
  • रूस ने 2024 में ‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द ए पोस्टल’ से नवाजा।
  • नाइजीरिया ने 2024 में ‘ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द नाइजर’ से सम्मानित किया।
  • डोमिनिका ने 2024 में ‘ डोमिनिका अवार्ड ऑफ ऑनर ‘ से सम्मानित किया।
  • गुयाना ने 2024 में ‘ऑर्डर ऑफ एक्सीलेंस’ से सम्मानित किया।
  • कुवैत ने 2024 में ‘ऑर्डर ऑफ मुबारक अल-कबीर’ से नवाजा।
  • रूस ने 2024 में ‘ग्रैंड क्रॉस विद कॉलर’ से सम्मानित किया।
  • बारबाडोस ने 2025 में ‘ऑर्डर ऑफ एक्सीलेंस’ से नवाजा।
  • मॉरीशस ने 2025 में ‘ऑर्डर ऑफ द स्टार और की ऑफ द इंडियन ओशन’ से नवाजा।
  • श्रीलंका ने 2025 में ‘मित्र विभूषण’ अवॉर्ड से नवाजा।
  • साइप्रस ने 2025 में ‘क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस 3’ से नवाजा।

सबरीमाला मंदिर जाएँगी द्रौपदी मुर्मू, भगवान अयप्पा का दर्शन करने वाली पहली राष्ट्रपति होंगी: सवा चार किमी की करेंगी पैदल चढ़ाई


देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 19 मई 2025 को केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला श्री अयप्पा मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगी। इसी के साथ वे मंदिर के दर्शन करने वाली पहली राष्ट्रपति बन जाएँगी। त्रावणकोर देवस्वम् बोर्ड (TDB) ने राष्ट्रपति के दौरे की पुष्टि की। राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंधन प्रारंभ हो चुके हैं, जिसमें एसपीजी और मंदिर प्रबंधन सक्रिय रूप से शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 18 मई 2025 से दो दिन के केरल दौरे पर रहेंगी। इस दौरान राष्ट्रपति कोट्टायम में एक निजी कार्यक्रम में हिस्सा लेंगी। 19 मई 2025 को सबरीमाला मंदिर के दर्शन करेंगी। राष्ट्रपति नीलक्कल हेलीपैड पर उतरेंगी औऱ वहाँ मंदिर के लिए प्रस्थान करते हुए पम्पा बेस कैंप पहुँचेंगी।

यहाँ बेस कैंप से राष्ट्रपति आम तीर्थ यात्रियों की तरह 4.25 किलोमीटर ट्रैक करके जाएँगी। हालाँकि सुरक्षा कारणों के चलते माना जा रहा है कि राष्ट्रपति गाड़ी से भी जा सकती हैं। हालाँकि इस पर अंतिम फैसला स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) का ही होगा। टीडीबी अध्यक्ष पीएस प्रशांत ने बताया कि राष्ट्रपति के पहाड़ी चढ़ाई करने का निर्णय एसपीजी के विवेक पर निर्भर है। मंदिर परिसर और आसपास की सड़कों की मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है। आधिकारिक कार्यक्रम प्राप्त होने पर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन समीक्षा बैठक आयोजित करेंगे।

TDB के अध्यक्ष पी.एस. प्रसांथ ने कहा कि यह पहली बार है देश के जब राष्ट्रपति सबरीमाला मंदिर आएँगे। यह हमारे लिए गर्व की बात है। राष्ट्रपति के दौरे को लेकर बीते कुछ हफ्तों से तैयारियाँ चल रही हैं। सड़कों की मरम्मत और निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया है। 

18 और 19 मई को मंदिर में सामान्य दर्शनार्थियों के लिए दर्शन बंद रहेंगे और क्यूआर टिकट सेवाएं भी निलंबित रहेंगी। केरल के पथानामथिट्टा जिले में 3,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सबरीमाला मंदिर दक्षिण भारत का प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहां पहुंचने के लिए 41 दिनों की तपस्या और पंपा नदी से नंगे पैर चढ़ाई आवश्यक है। यह यात्रा राष्ट्रपति मुर्मू के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक अध्याय जोड़ेगी।

‘मुस्लिम बन गए इसका मतलब ये नहीं हमारे मामले में बोलो’ : स्मृति ईरानी के मदीना जाने पर गाली बक रहे कट्टरपंथियों को सऊदी वालों ने दिखा दी औकात

मदीना में स्मृति ईरानी (तस्वीर साभार: India Today)
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी मदीना गईं थीं। उनके साथ गैर-मुस्लिमों का प्रतिनिधिमंडल था जिसमें कश्मीरी हिंदू IRS अधिकारी निरुपमा कोतरू भी शामिल थे। इस प्रतिनिधिमंडल ने वहाँ हज तैयारियों का जायजा लिया। सऊदी के नेताओं से बात की। जेद्दाह में उमराह कॉन्फ्रेंस को अटेंड किया।

इस दौरान उनकी एक फोटो वायरल हुई जिसमें वह अल-मस्जिद अल-नबावी के सामने सामान्य परिधान साड़ी में खड़ीं थीं। उनकी फोटोज देख पाकिस्तान, बांग्लादेश, और भारत के इस्लामी कट्टरपंथी बिगड़ गए और अपशब्द कहने लगे। लेकिन, उन्हें सऊदी वालों से ही करारा जवाब मिल गया।

पाकिस्तानी मीडिया चिढ़ा

भारतीय प्रतिनिधिमंडल की फोटो देख पाकिस्तानी न्यूज पोर्टल ‘द न्यूज’ ने तो इसे हिंदू प्रतिनिधिमंडल बताया। वह लोग इस बात से भी नाराज दिखे कि आखिर भारतीय मंत्री मुरलीधरण ने मस्जिद के सामने धोती और भगवा कुर्ता क्यों पहना था और ईरानी ने अपना सिर क्यों नहीं ढका था।
कुछ लोगों ने स्मृति ईरानी को ‘काफिर खातून और काफिर औरत’ कहा। इसी क्रम में उजैर नाम के इस्लामी कट्टरपंथी ने सऊदी वालों को बेवकूफ बताया और कहा कि आखिर किस बिनाह पर मदीना में गैर मुस्लिमों को एंट्री दी गई।
यूजर ने कहा स्मृति ईरानी मदीना में इसलिए आईं ताकि वो और महिलाओं के सिर से स्कॉर्फ को हटवा सकें। यूजर ने एक पोस्ट में ये भी बद्दुआ की थी कि जो बुद्धिजीवी सऊदी के इस निर्णय का समर्थन कर रहे हैं उन पर भी अल्लाह का कहर बरसे।
इस पर इससे पहले कोई भारतीय जवाब देता, सऊदी यूजर ने उन्हें लताड़ दिया। देख सकते हैं पोस्ट में लिखा है- “हमारी जमीन हमारी मर्जी। सिर्फ इसलिए कि तुम्हारे पूर्वज इस्लाम में परिवर्तित हो गए थे और तुम्हें अरबी नाम मिल गया इसका मतलब ये नहीं कि तुम इसमें अपनी ज्ञान दो। तुम अप्रांसगिक हो और हम लोग एक जैसे नहीं हैं।”
दिलचस्प बात ये है कि सिर्फ सऊदी के मुसलमान ही इन कट्टरपंथियों को नहीं गाली देते, हाल में ईरानी मुस्लिम भी इनपर पारसी धर्म का मखौल उड़ाने के लिए बरसे थे। एक यूजर ने पाकिस्तान में डॉल्फिन की रेप वाली खबर दिखाकर उन्हें कहा गया था- “तुम चुप रहो, तुम पाकिस्तानी हो। तुम्हारी राय अप्रासंगिक है।”

गाजा पट्टी पहुँचे इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू, ‘हमास का खात्मा हमारा लक्ष्य, कोई रोक नहीं सकता’: ‘युद्ध विराम’ बढ़ाने के लिए गिड़गिड़ाया इस्लामी आतंकी संगठन

गाजा पट्टी में घुसे इजरायली पीएम नेतन्याहू (तस्वीर साभार: CNN)
इजरायल और हमास के बीच तकरीबन डेढ़ महीने तक चले युद्ध पर 4 दिन का विराम था। इस बीच इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा पट्टी का दौरा किया। अपनी फौज से मिलकर उन्होंने यह साफ कर दिया कि भले ही अभी सीजफायर हो गया, लेकिन ये युद्ध आतंक के खात्मे तक जारी रहेगा।

इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम समझौते की शुरुआत शुक्रवार (24 नवंबर 2023) से हुई थी। पहले दिन हमास द्वारा 24 बंधकों को रिहा किया गया। जिनमें 13 इजरायली, थाईलैंड के 10 और फिलीपिंस का एक नागरिक शामिल था।

इसके बाद तीसरे दिन 17 लोग हमास आतंकियों की चंगुल से रिहा हुए। इनमें 14 इजरायली और 3 थाईलैंड के नागरिक थे। हमास ने गाजा के एक अस्पताल में इन बंधकों को रेड क्रॉस इंटरनेशनल सोसायटी के वॉलंटियर्स के हवाले किया, जिन्होंने बाद में सभी को बंदियों को इजरायली सुरक्षा बलों को सौंप दिया।

इनकी रिहाई देखकर हमास से बचाए गए सैंकड़ों लोग खुशी मनाते दिखे। उन्होंने एक हॉल में पूरी रिहाई की खबर देश जश्न मनाया, जिसकी वीडियो भी सामने आई है।

इजरायल और हमास के बीच हुए युद्धविराम में कतर ने बिचौलिए की भूमिका निभाई। फैसला हुआ कि हमास 50 बंधकों को रिहा करेगा और फिलीस्तीन के भी 150 कैदी छोड़े जाएँगे। इस डील के बाद भले ही कुछ लोग घर लौट आए हैं, लेकिन अब भी खबर है कि 183 लोग अभी भी हमास द्वारा बंदी बनाकर रखे गए हैं। इनमें 18 बच्चे जबकि 43 तो महिलाएँ ही हैं।

हमास ने रविवार (26 नवंबर 2023) को एक बयान में सीजफायर बढ़ाने की भी माँग की। हालाँकि इजरायल ने शर्त रखी कि अगर हमास रोज 10 बंधक छोड़ेगा तो वह इस बात को मान लेंगे। इसी बीच इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर ऐसे माहौल में गाजा पट्टी का दौरा किया। उन्होंने अपने सैनिकों से मुलाकात करने के बाद यह साफ कर दिया कि गाजा पट्टी पर अब इजरायल का कब्जा है। उन्होंने सैनिकों की हौसला अफजाही करते हुए यहाँ तक कहा कि जब तक आतंक का सफाया नहीं होगा तब तक युद्ध नहीं रुकेगा।

सैनिकों के साथ खड़े होकर उन्होंने कहा, “हम अपने बंदियों को वापस लाने के लिए हर प्रयास करेंगे और अंततः हम उन सभी को वापस लाएँगे। नेतन्याहू ने कहा, “इस युद्ध में हमारे तीन लक्ष्य हैं- सभी बंधकों की वापसी, हमास का खात्मा और यह सुनिश्चित करना कि गाजा फिर कभी इजरायल के लिए खतरा ना बने।” उन्होंने आगे कहा, “कोई भी हमें नहीं रोक सकता है। हमारे पास ताकत है और हम लक्ष्यों को पाकर रहेंगे।”

ये चार दिन के युद्ध विराम के बाद और बेंजामिन नेतन्याहू की बातें सुनकर ऐसा लगता है जैसे बंधकों की अदला-बदली का काम पूरा होने के बाद हमास आतंकियों के खिलाफ इजरायल अपनी लड़ाई जारी रखेगा। उन्होंने पहले भी कहा था और अब भी इशारा किया है कि जब तक हमास है तब तक वो अपना युद्ध नहीं रोकेंगे।


अयोध्या के राम मंदिर में दर्शन करने आएँगे दानिश कनेरिया, कहा – हिंदू पैदा हुआ, हिंदू ही मरूँगा

भगवान श्री राम का बुलावा आएगा तो दानिश कनेरिया अयोध्या के राम मंदिर में प्रभु के दर्शन करने आएँगे… पूरे परिवार के साथ! पाकिस्तान में रह कर, इस्लाम कबूलने का प्रेशर झेल कर, क्रिकेटिंग करियर तबाह कर दिए जाने के बाद भी दानिश कनेरिया हिंदू बने रहे, तो उसके पीछे प्रभु श्री राम में उनकी अटूट आस्था ही है। टाइम्स नाउ को दिए इंटरव्यू में कनेरिया ने दिल खोल कर बातें कीं – क्रिकेट पर, हिंदू होने पर, पाकिस्तान में भेदभाव पर, भारत-पाकिस्तान रिश्ते पर।

टाइम्स नाउ को दिए इंटरव्यू में दानिश कनेरिया ने राम मंदिर को लेकर अपनी आस्था के बारे में बताया। उनके अनुसार वो बचपन से भगवान राम और बजरंगबली के भक्त रहे हैं। राम मंदिर निर्माण और 22 जनवरी 2024 को उसके प्रांगण में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भावुक होते हुए कनेरिया ने कहा कि अगर भगवान ने मौका दिया तो वो अपने पूरे परिवार के साथ दर्शन करने आएँगे।

हिंदू पैदा हुआ, हिंदू ही मरूँगा

इंटरव्यू में दानिश कनेरिया ने बताया कि उन्हें हिंदू होने पर गर्व है। वो पैदा हिंदू धर्म में हुए और मरेंगे भी हिंदू के ही रूप में। भगवान राम के जीवन से सीख लेते हुए कनेरिया ने कहा कि हर परिस्थिति में संघर्ष करना चाहिए, कभी हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने सीख दी है कि बुरी से बुरी परिस्थितियाँ भी बदल जाती हैं अगर आपका विश्वास पक्का है।
‘जय श्रीराम’ नारे को लेकर कट्टर मुस्लिम और वामपंथी-कॉन्ग्रेसी जैसा माहौल बना रहे हैं, उनको जवाब देते हुए कनेरिया ने कहा कि यह एक वेलकम या स्वागत करने जैसा है। इस पर जो बवाल कर रहे हैं, कनेरिया की नजर में वो दिमागी संतुलन खो बैठे हैं। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के स्टेडियमों के आप-पास बनी मस्जिदों और उसमें से आने वाली अजान/नमाज की आवाज पर कभी किसी ने आपत्ति नहीं जताई, पाकिस्तान गए सभी खिलाड़ियों ने इसको इज्जत दी। इस पर आगे उन्होंने कहा: “आप भारतभूमि में हैं… तो क्या होगा, जय श्रीराम ही होगा!”

आरफा को पाकिस्तान में बुलावा

पत्रकारिता के नाम पर प्रोपेगेंडा करने वाली आरफा खानम शेरवानी को दानिश कनेरिया ने पाकिस्तान आ जाने का बुलावा दिया था। इस पर टाइम्स नाउ के एंकर ने जब सवाल किया तो कनेरिया ने बहुत ही स्पष्ट जवाब दिया। कनेरिया के अनुसार किसी भारतीय को अगर भारत में रहने पर शर्म महसूस होती है तो फिर वहाँ रहना ही क्यों? छोड़ कर कहीं और रहने चले जाइए।
बीजेपी नेता गौरव भाटिया ने आरफा खानम शेरवानी के समर्थन में ट्वीट किया था। दानिश कनेरिया को आड़े हाथों लिया था। इस सवाल के जवाब में कनेरिया ने कहा कि वो हिंदू धर्म को लेकर बात कर रहे थे, सनातन पर हो रहे अटैक को लेकर प्रतिक्रिया दे रहे थे। ऐसे में गौरव भाटिया या किसी को भी सोच-समझ कर बोलना चाहिए, पूरी बात सुननी-पढ़नी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जनता सब कुछ जानती है, और उसी जनता ने गौरव भाटिया को जवाब भी दे दिया।

पाकिस्तान, जय श्रीराम, दर्शक और खिलाड़ी

भारत-पाकिस्तान के विश्व कप मुकाबले में अहमदाबाद के क्रिकेट स्टेडियम में ‘जय श्री राम’ का नारा लगा था। इसको लेकर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने आईसीसी में शिकायत दर्ज की। इस सवाल पर कनेरिया ने कहा कि यह नॉर्मल चीज है। उन्होंने कहा कि वो हिंदू हैं लेकिन खेलते पाकिस्तान की ओर से थे। ऐसे में बाउंड्री पर खड़ा दर्शक आपको कुछ-न-कुछ कहेगा ही, इसे प्रोफेशनल खिलाड़ी को नॉर्मल ढंग से लेना चाहिए न कि बात का बतंगड़ बनाना चाहिए।
‘जय श्री राम’ नारे पर भारत में रहने वाले भी वामपंथी भी पाकिस्तान प्रेम में रोने लगे थे। जिनके पिता खुद इंटरनेशनल क्रिकेटर रह चुके थे, उनके बेटे राजदीप सरदेसाई ने भी इस पर बवाल काटा था। लेकिन राजदीप को करारा जवाब मिला था एक पूर्व खिलाड़ी से ही। पूर्व भारतीय क्रिकेटर लक्ष्मण शिवरामकृष्णन ने कहा था कि यह सब नॉर्मल है क्योंकि उन्हें भी पाकिस्तान में गालियाँ मिलीं थी। उनके धर्म से लेकर देश और संस्कृति तक को गाली दी गई थी।

हिंदू होने की सजा मिली

दानिश कनेरिया ने बताया कि एक हिंदू होने के कारण पाकिस्तान में उनका करियर बर्बाद कर दिया गया। क्रिकेटिंग करियर के बाद भी उनको इतना परेशान किया गया कि एक जॉब तक उनको करने नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि इतनी विषम परिस्थिति में लेकिन वो भगवान श्री राम के सहारे रहे।
पाकिस्तान में हिंदू या अन्य अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव को लेकर उन्होंने कहा कि अगर वहाँ भेदभाव नहीं है तो कनेरिया के अवाले कोई अन्य खिलाड़ी (जो गैर-मुस्लिम हो) क्यों नहीं इंटरनेशनल स्टेज तक आ पाया?
शाहिद अफरीदी को लेकर  कनेरिया ने कहा था कि वो हमेशा इन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए कहता था
शाहिद अफरीदी को लेकर ‘आजतक’ के इंटरव्यू में कनेरिया ने कहा था कि वो हमेशा इन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए कहता था, सुबह की नमाज पढ़ने के लिए उठा देता था।
इससे पहले 24 अक्टूबर 2023 को दानिश कनेरिया ने एक ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने लिखा कि मंदिर (अयोध्या का राम मंदिर) बन जाए… फिर दर्शन करने आएँगे। यह ट्वीट एक सवाल के जवाब में लिखा गया था। इस ट्वीट के रिप्लाई में कनेरिया को कट्टर मुस्लिम और वामपंथी टाइप के लोग गालियाँ और धमकी तक दे रहे हैं।