कॉन्ग्रेस हिट जॉब को अंजाम देने वाला CSDS फिर से बेनकाब (फोटो साभार: AI Dall-E)
सोनिया गाँधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से एक बात कही जा रही है कि ये गलत सलाहकारों के चुंगल में फंस कांग्रेस को संकट में डाल रही हैं, जो आज तक चल रही है। इन्ही गलत सलाहकारों के कारण कांग्रेस बदहाली की ओर जा रही है। महाराष्ट्र चुनाव में वोट चोरी को लेकर सड़क से लेकर संसद तक हंगामा कर देश को भ्रमित किया। 17 अगस्त को चुनाव आयोग के प्रहार का असर दिखना शुरू हो गया। संसद बाधित करने में जो देश का करोड़ों रूपए बर्बाद हुए हैं क्या कांग्रेस और INDI गठबंधन इस नुकसान की भरपाई करेंगे? सीएसडीएस के संजय कुमार ने महाराष्ट्र चुनाव को लेकर शेयर किए फर्जी डाटा को डिलीट कर माफी माँगी है। इसी फर्जी डाटा के दम पर राहुल गाँधी के ‘वोट चोरी’ के कैंपेन को कांग्रेस आगे बढ़ा रही थी। संजय कुमार ने पहले कहा था कि चुनाव आयोग को राहुल गाँधी के आरोपों का जवाब देना चाहिए। बाद में जब मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सभी आरोपों के सिलसिलेवार जवाब दिए तो संजय कुमार ने एक लेख में लिखा – चुनाव आयोग ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है।
संजय कुमार के फर्जी डाटा के आधार पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने 18 अगस्त 2025 को X पर एक ग्राफिक शेयर कर चुनाव आयोग पर सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि 2024 के लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच छह महीनों में रामटेक और देओलाली जैसे क्षेत्रों से करीब 40% वोटर हटा दिए गए। वहीं, नासिक वेस्ट और हिंगना में करीब 45% वोटर बढ़ गए। चुनाव आयोग पर तंज कसते हुए उन्होंने लिखा, “अब ये कहेंगे कि 2 और 2 जोड़ने से 420 होता है।” इस डेटा का स्रोत लोकनीति-CSDS था।
पवन खेड़ा का ट्वीटआज हम एक ऐसे घिनौने खेल की हर परत को उधेड़कर सामने लाने जा रहे हैं, जिसने भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गहरा आघात किया है। सीएसडीएस (सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज) के संजय कुमार ने अपनी चालाकी, फर्जी डेटा और साजिशों के जरिए न सिर्फ चुनाव आयोग को बदनाम करने की कोशिश की, बल्कि कॉन्ग्रेस के लिए एक सुनियोजित हिट जॉब भी अंजाम दिया।
संजय कुमार नाम का यह शख्स खुद को प्रोफेसर और रिसर्चर कहता है, असल में वो एक प्यादे की तरह काम कर रहा है, जो विदेशी फंडिंग और राजनीतिक एजेंडा के पीछे छिपा हुआ है। दरअसल, उसने फर्जी डाटा शेयर कर न सिर्फ आम लोगों में भ्रम फैलाया, बल्कि लगातार भारत की सर्वोच्च चुनावी संस्था चुनाव आयोग को भी निशाना बनाया और जब उसका खेल पकड़ में आ गया, तो चुपचाप अपने फर्जी डाटा को डिलीट कर माफी माँग ली। आइए, समझते हैं ये पूरा खेल…
संजय कुमार के फर्जीवाड़े का खेल
इस साजिश की शुरुआत 11 अगस्त 2025 को हुई, जब संजय कुमार ने ट्विटर पर एक भड़काऊ बयान फेंका। उसने दावा किया कि महाराष्ट्र चुनावों को लेकर चुनाव आयोग को सफाई देनी चाहिए, बिना किसी ठोस सबूत के सिर्फ आरोपों की बौछार कर दी। यह बस शुरुआत थी। इसके बाद उसने सीएनबीसी आवाज जैसे बड़े चैनल पर जाकर अपनी बात को और हवा दी। उसने कहा, “जो कुछ भी हो रहा है, वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है… चुनाव आयोग और विपक्ष के बीच बातचीत की कड़ी भी टूट गई है… चुनाव आयोग को आगे आकर सफाई देने की कोशिश करनी चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा और माहौल बिगड़ता जा रहा है।”
ये शब्द सुनकर ऐसा लगता है जैसे वो कोई निष्पक्ष विश्लेषक हो, लेकिन असलियत में वो कांग्रेस के एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम कर रहा था। उसकी ये बातें सुनियोजित थीं, ताकि जनता के मन में शक पैदा हो और चुनाव आयोग की साख पर बट्टा लगे। उसने इस दौरान कई टीवी डिबेट्स में भी हिस्सा लिया, जहां उसने बार-बार यही रट लगाई कि चुनाव आयोग पारदर्शिता नहीं बरत रहा, लेकिन उसने कभी भी अपने दावों के पीछे पुख्ता सबूत नहीं दिए।
महाराष्ट्र चुनाव को लेकर जारी किया फर्जी डाटा
17 अगस्त 2025 को संजय कुमार ने ट्विटर पर एक नया हमला बोला। उसने एक स्क्रीनशॉट शेयर किया, जिसमें महाराष्ट्र के चुनावी डेटा का दावा पेश किया गया। इस डेटा में कहा गया कि नासिक वेस्ट में 2024 के लोकसभा चुनाव से विधानसभा चुनाव तक वोटरों की संख्या 47.38% बढ़ी, जबकि हिंगना में 43.08% की वृद्धि हुई।
संजय कुमार का ट्वीट, और विस्फोटक खुलासा करते कॉन्ग्रेसी इकोसिस्टम से जुड़े एक्स हैंडलये आँकड़े देखने में तो चौंकाने वाले थे, लेकिन इनकी सच्चाई कहीं और थी। इस फर्जी डेटा को शेयर करते ही सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया। विपक्ष खासकर कांग्रेस ने इस मौके को दोनों हाथों से लपक लिया। कांग्रेस नेताओं ने इसे ‘एटम बम’ तक कह डाला, मानो ये कोई बड़ा खुलासा हो। उसने दावा किया कि ये डेटा साबित करता है कि चुनावों में धाँधली हुई और बीजेपी ने सत्ता हथियाई।
लेकिन सच्चाई यह थी कि ये सारा डेटा झूठ का पुलिंदा था, जिसे संजय कुमार ने जानबूझकर गढ़ा था। बाद में पता चला कि उसकी टीम ने 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के डेटा को गलत तरीके से पढ़ा और तुलना की, जिससे ये भ्रामक आँकड़े सामने आए।
ओपिनियन आर्टिकल लिखकर किया चुनाव आयोग पर हमला
संजय कुमार ने अपनी साजिश को और मजबूत करने के लिए नवभारत टाइम्स में एक ओपिनियन आर्टिकल लिखा, जो 18 अगस्त 2025 को प्रकाशित हुआ। लेख का शीर्षक था, “वोट चोरी पर जवाब… चुनाव आयोग खुद ही अपने पैर पर मार रहा कुल्हाड़ी”। इस लेख में उसने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद उठे विवाद को फिर से हवा दी। उसने राहुल गाँधी के उस दावे को दोहराया, जिसमें कहा गया था कि प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में फर्जी वोटर जोड़े गए और वोट प्रतिशत बढ़ाकर धांधली की गई। विपक्ष का तर्क था कि मुख्यमंत्री के अपने क्षेत्र में पाँच महीनों में मतदाता सूची में 8% की वृद्धि हुई, और कुछ बूथों पर 20-50% तक की बढ़ोतरी देखी गई। संजय ने इसको आधार बनाकर चुनाव आयोग पर ऊँगली उठाई और उसे ‘असफल’ ठहराने की कोशिश की।
संजय ने लिखा कि चुनाव आयोग को दोनों चुनावों की मतदाता सूचियाँ सार्वजनिक करनी चाहिए थीं, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, जो उसकी नाकामी को दर्शाता है। लेकिन सच्चाई यह है कि चुनाव आयोग ने 24 दिसंबर 2024 को कॉन्ग्रेस को लिखित जवाब दे दिया था, जिसमें इन आरोपों को ‘निराधार’ और ‘बेतुका’ करार दिया गया था। आयोग ने अपनी वेबसाइट पर भी ये जवाब रखा, लेकिन संजय कुमार ने इसे नजरअंदाज कर दिया और अपना एजेंडा चलाया।
माफी का नाटक यानी सच्चाई छिपाने की कोशिश
जब इस फर्जी डेटा की पोल खुलने लगी, तो संजय कुमार को मजबूरी में पीछे हटना पड़ा। उसने अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया और 18 अगस्त 2025 की रात एक माफी ट्वीट जारी किया। उसने लिखा, “मैं महाराष्ट्र चुनावों को लेकर किए गए ट्वीट्स के लिए दिल से माफी माँगता हूँ। 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के डेटा की तुलना में गलती हो गई। हमारी डेटा टीम ने इसे गलत पढ़ लिया। ट्वीट हटा दिया गया है और मेरा इरादा किसी तरह की गलत जानकारी फैलाने का नहीं था।”
लेकिन क्या ये माफी सचमुच दिल से आई? बिल्कुल नहीं! ये तो बस कानूनी कार्रवाई से बचने का एक सस्ता नाटक था। सोशल मीडिया यूजर्स ने तुरंत इसकी आलोचना की और कहा कि ये माफी मजबूरी में दी गई है। कई लोगों का मानना है कि संजय ने जानबूझकर गलत डेटा फैलाया, ताकि कांग्रेस को फायदा हो और जब पकड़ा गया, तो उसने पीछे हटने का ढोंग किया।
बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने संजय कुमार की इस करतूत पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने 19 अगस्त 2025 की सुबह ट्वीट करके लिखा, “माफी माँग ली और संजय कुमार बाहर हो गया। योगेंद्र यादव का यह चेला आखिरी बार कब सही साबित हुआ? हर चुनाव से पहले वो भविष्यवाणी करता है कि बीजेपी हार रही है, लेकिन जब उलटा होता है, तो टीवी पर आकर जस्टिफाई करता है कि बीजेपी कैसे जीती। शर्मनाक!”
उन्होंने आगे लिखा, “इस बार भी ये कोई ईमानदार गलती नहीं थी। कांग्रेस के फर्जी नैरेटिव को हवा देने के चक्कर में सीएसडीएस ने बिना जाँच के डेटा डाल दिया। ये विश्लेषण नहीं, बल्कि कन्फर्मेशन बायस है। अब वक्त आ गया है कि संजय कुमार और योगेंद्र यादव जैसे लोगों की पवित्र-सी बातों को नमक के एक थैले के साथ लिया जाए।” मालवीय का ये बयान साफ करता है कि संजय कुमार का ट्रैक रिकॉर्ड पहले से ही संदिग्ध रहा है, और ये घटना उसकी पुरानी आदतों का हिस्सा है।
राहुल गाँधी का फ्लॉप शो और विदेशी हैंडलर्स
राहुल गाँधी ने संजय कुमार के फर्जी डेटा पर आँख मूँदकर भरोसा किया और अपनी सारी प्रतिष्ठा दाँव पर लगा दी। वैसे, राहुल की कितनी प्रतिष्ठा बची है, अब इसका अंदाजा भी कोई नहीं लगा पा रहा।
खैर, राहुल ने दावा किया कि ये डेटा साबित करता है कि चुनावों में धाँधली हुई और बीजेपी ने सत्ता हथियाई। लेकिन जब सीएसडीएस ने अपनी गलती मानी, तो राहुल और उसके विदेशी हैंडलर्स का सपना धराशायी हो गया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये सारी साजिश कांग्रेस के विदेशी समर्थकों के इशारे पर रची गई थी, ताकि भारत की चुनावी प्रणाली को बदनाम किया जा सके। राहुल का ये कदम न सिर्फ उसकी अज्ञानता को दिखाता है, बल्कि उसकी टीम की लापरवाही और जल्दबाजी को भी उजागर करता है।
सीएसडीएस का गंदा खेल, विदेशी फंडिंग का एजेंडा
सीएसडीएस कोई साधारण शोध संस्थान नहीं है। यह एक ऐसी मशीन है, जो विदेशी फंडिंग और राजनीतिक एजेंडा के बल पर देश को अंदर से कमजोर करने का काम कर रही है। फोर्ड फाउंडेशन, गेट्स फाउंडेशन, आईडीआरसी (कनाडा), डीएफआईडी (यूके), नॉराड (नॉर्वे), ह्यूलेट फाउंडेशन और डच एजेंसियों जैसे संगठनों से मिलने वाला पैसा सीएसडीएस को हिंदू समाज को जाति के आधार पर बाँटने और गलत नैरेटिव बनाने में मदद करता है।
इसके लोकनीति प्रोग्राम के तहत हिंदुओं को ओबीसी, ईबीसी, दलित, और सवर्ण में बाँटकर वोटिंग पैटर्न पर डेटा जारी किया जाता है, जो द हिन्दू और इंडियन एक्सप्रेस जैसे अखबारों में बड़े-बड़े शीर्षकों के साथ छपता है। लेकिन मुसलमानों की अंदरूनी जातीय दरारों (जैसे दलित मुसलमान, अशरफ, अज्लाफ, अरज़ल) पर चुप्पी साध ली जाती है।
ये साफ है कि सीएसडीएस का मकसद हिंदू समाज को तोड़ना और कॉन्ग्रेस को फायदा पहुँचाना है। योगेंद्र यादव से लेकर संजय कुमार तक, ये लोग लगातार इस एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। ये कोई भूल नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश है, जिसका मकसद भारत की एकता को कमजोर करना है।
संजय कुमार की कायरता और कॉन्ग्रेस का पुराना ट्रिक
संजय कुमार ने जो किया, वो कॉन्ग्रेस के पुराने ट्रिक का हिस्सा है। पहले किसी बड़े संस्थान या अखबार से फर्जी खबर चलवाओ, फिर उसे वायरल करो, और जब पकड़े जाओ तो चुपके से माफी माँग लो। संजय ने पहले चुनाव आयोग को बदनाम करने की कोशिश की, फिर जनता को गुमराह किया, और आखिर में माफी मांगकर पल्ला झाड़ लिया। ये शख्स न सिर्फ लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ किया, बल्कि देश की जनता के भरोसे को भी ठेस पहुँचाई।
कॉन्ग्रेस का ये पैटर्न पहले भी कई बार देखा गया है – चाहे वो 2019 के चुनावों में फर्जी सर्वे हों या 2024 में गलत दावे, हर बार ये लोग उसी रास्ते पर चलते हैं। संजय कुमार ने बिल्कुल वही कारनामा दोहराया, जो कॉन्ग्रेस के तमाम प्यादों ने पहले किया है।
चुनाव आयोग को उठाने होंगे गंभीर कदम
चुनाव आयोग ने अब तक इस मामले पर कोई सख्त कदम नहीं उठाया, जो हैरानी की बात है। अगर आयोग सचमुच फर्जी खबरों और गलत जानकारी से निपटने के लिए गंभीर है, तो उसे तुरंत संजय कुमार और सीएसडीएस के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। ये लोग लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और अगर इन्हें बक्शा गया, तो भविष्य में और भी बड़े घोटाले सामने आएँगे।
चुनाव आयोग को चाहिए कि वो इस मामले की गहन जाँच करे, सीएसडीएस के फंडिंग स्रोतों की पड़ताल करे और संजय कुमार पर कानूनी कार्रवाई शुरू करे। अगर आयोग चुप रहा, तो ये माना जाएगा कि वो इस तरह की साजिशों को बढ़ावा दे रहा है। जनता अब आयोग से जवाब माँग रही है – क्या वो सिर्फ कागजों पर ही मजबूत है, या असल में भी कार्रवाई कर सकता है?
बहरहाल, संजय कुमार जैसे लोगों की करतूतें अब छिपी नहीं रह सकतीं। उसने फर्जी डेटा फैलाकर, कॉन्ग्रेस के लिए हिट जॉब करके और चुनाव आयोग को बदनाम करने की कोशिश करके देश की जनता के साथ धोखा किया है। सीएसडीएस का विदेशी फंडिंग वाला एजेंडा और संजय की कायरता साफ दिख रही है। ऐसे में संजय कुमार और सीएसडीएस पर कड़ी कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की साजिश न कर सके। वरना, लोकतंत्र का मजाक और बनेगा… और फिर देश की जनता का भरोसा टूटेगा।