राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ : 100 वर्षों की यात्रा


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जिसका विपक्ष तुष्टिकरण के चलते मुसलमानों को खुश करने विरोध करती है, उसका कारण है, जिसे हर शांतिप्रिय को समझना होगा। भारत के बंटवारे के बाद 'मुस्लिम लीग ने कहा था कि अगर आरएसएस 10 साल पहले बन गया होता पाकिस्तान नहीं बनता।' तभी से छद्दम धर्म-निरपेक्ष संघ को बदनाम करने कमर कसे हुए हैं। अगर संघ में देश भावना नहीं होती 1963 के गणतंत्र दिवस परेड में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू सेना की भांति संघ की परेड नहीं निकलवाते। 

भारत की स्वतंत्रता और उसके बाद के राष्ट्र निर्माण में कई संगठनों ने अपनी भूमिका निभाई, लेकिन जो संगठन निरंतरता और समर्पण के साथ पिछले सौ वर्षों से राष्ट्र की सेवा कर रहा है, वह है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)। संघ की यात्रा केवल संगठनात्मक नहीं है, बल्कि यह एक विचारधारा की यात्रा है, जो समाज के हर वर्ग को एकजुट कर भारत को सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से एक सशक्त राष्ट्र बनाने की दिशा में कार्यरत है।

RSS की स्थापना: राष्ट्र की सेवा का एक महान विचार

सन 1925 का वर्ष भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने उस समय देश के सामने आ रही चुनौतियों को समझते हुए आरएसएस की स्थापना की। हेडगेवार का यह स्पष्ट विचार था कि केवल राजनीतिक स्वतंत्रता ही भारत को पूर्णरूपेण स्वतंत्र नहीं बना सकती, जब तक कि समाज का संगठनात्मक, सांस्कृतिक और नैतिक पुनरुत्थान न हो।
सन 1925 में विजयदशमी के दिन शुरू हुआ आरएसएस इस विजयदशमी पर अपने 99 वर्ष पूरे करके 100वे वर्ष में प्रवेश कर गया है। डॉक्टर हेडगेवार के अनुसार, समाज को संगठित और सशक्त करने के लिए एक दीर्घकालिक और अनुशासित आंदोलन की आवश्यकता थी, जिसे आरएसएस के माध्यम से साकार किया गया। भारतीय समाज में कई ऐसे तत्व थे, जो इसे भीतर से कमजोर कर रहे थे।
उनका मानना था कि जातिवाद, सांप्रदायिकता और बाहरी सांस्कृतिक प्रभावों ने भारत के सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर दिया था। इनका समाधान केवल संगठित और अनुशासित समाज से ही संभव था, जो देश के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों पर आधारित हो। इसी विचार को ध्यान में रखते हुए RSS ने एक सशक्त, संगठित और अनुशासित समाज की नींव रखी, जो राष्ट्र के पुनर्निर्माण में सहायक हो।

संघ का प्रारंभिक स्वरूप और विचारधारा

आरएसएस की शुरुआत बहुत ही छोटे स्तर पर हुई थी। हेडगेवार ने कुछ युवा लोगों को संगठित किया और उन्हें राष्ट्र सेवा, अनुशासन और संगठन के सिद्धांतों से प्रेरित किया। प्रारंभिक शाखाओं में शारीरिक प्रशिक्षण, बौद्धिक चर्चाएँ और राष्ट्रभक्ति की शिक्षा दी जाती थी। संघ की शाखाएँ एक प्रकार से प्रशिक्षण केंद्र थीं, जहाँ हर स्वयंसेवक को राष्ट्रहित में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया जाता था।

डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का जीवन और नेतृत्व

डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म 1889 में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा के दौरान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया था। कांग्रेस से जुड़े होने के बावजूद, उन्होंने महसूस किया कि राजनीतिक आजादी से अधिक महत्वपूर्ण सामाजिक संगठन और सांस्कृतिक पुनरुत्थान है। यही विचार उनके जीवन के केंद्र में रहा और आरएसएस की स्थापना में भी इसे ही प्राथमिकता दी गई।
डॉक्टर हेडगेवार ने एक ऐसे संगठन का सपना देखा जो समाज को एकजुट कर सके और हर व्यक्ति को राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित कर सके। आखिरकार डॉक्टर हेडगेवार के नेतृत्व में आरएसएस का प्राथमिक लक्ष्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना था, जो अपने अंदर किसी भी प्रकार की विभाजनकारी मानसिकता को जगह न दे।
उनके विचारों में स्पष्ट था कि भारत को एक सशक्त राष्ट्र बनने के लिए समाज के सभी वर्गों के बीच समरसता और एकता की आवश्यकता है। इसी विचार के तहत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कार्य करना शुरू किया और धीरे-धीरे यह संगठन पूरे भारत में अपनी शाखाओं के माध्यम से फैलने लगा।

RSS का विस्तार और विकास: गुरुजी का नेतृत्व (1940-1973)

माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर, जिन्हें गुरुजी के नाम से जाना जाता है, सन 1940 में डॉक्टर हेडगेवार के निधन के बाद संघ के दूसरे सरसंघचालक बने। गुरुजी का कार्यकाल संघ के लिए विस्तार और विचारधारा के सुदृढ़ बनाने का समय था। डॉक्टर हेडगेवार ने जिस नींव पर संघ की स्थापना की थी, गोलवलकर उर्फ गुरुजी ने उसे एक व्यापक रूप दिया।
उन्होंने संघ को न केवल संगठनात्मक रूप से बल्कि वैचारिक रूप से भी सशक्त बनाया। गुरुजी का मानना था कि भारत केवल एक भौगोलिक इकाई नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक राष्ट्र है, जिसकी जड़ें उसकी प्राचीन सभ्यता और मूल्यों में हैं। उन्होंने भारत की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने और उसे आधुनिक भारत की पहचान बनाने की दिशा में कार्य किया।
उनके नेतृत्व में संघ ने समाज के हर वर्ग तक पहुँचने और उन्हें राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित किया। गुरुजी ने स्वयंसेवकों को यह सिखाया कि राष्ट्र सेवा का अर्थ केवल राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना नहीं है, बल्कि समाज के हर क्षेत्र में अपना योगदान देना है। चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, ग्रामीण विकास हो या सामाजिक सुधार – स्वयंसेवक हर क्षेत्र में पुनर्निर्माण के लिए कार्य करना है।

संघ पर पहला प्रतिबंध: गाँधी जी की हत्या और संघ का संघर्ष

सन 1948 में महात्मा गाँधी की हत्या के बाद संघ को पहली बार प्रतिबंध का सामना करना पड़ा। महात्मा गाँधी की हत्या के बाद तत्कालीन पंडित नेहरू की अगुवाई वाली सरकार ने आरोप लगाया कि इस घटना के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हाथ है। इस आरोप के आधार पर आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया और संघ के कई प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। 
हालाँकि, संघ का इस हत्या से कोई सीधा संबंध नहीं था, लेकिन उस समय की राजनीतिक परिस्थितियों में यह प्रतिबंध लगाया गया। संघ ने इस आरोप को न केवल नकारा, बल्कि अपनी निर्दोषता को साबित करने के लिए कानूनी लड़ाई भी लड़ी। जाँच आयोग की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि संघ का महात्मा गाँधी की हत्या में कोई हाथ नहीं था और इस आधार पर प्रतिबंध हटा लिया गया।

संघ का समाजिक सेवा कार्य और विस्तार

माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उर्फ गुरुजी के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी शाखाओं का विस्तार किया और पूरे भारत में अपने कार्यों को फैलाया। संघ के स्वयंसेवक देश के कोने-कोने में समाज सेवा के विभिन्न कार्यों में जुट गए। संघ के सेवा कार्य केवल आपातकालीन परिस्थितियों तक सीमित नहीं थे। संघ ने शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और समाज कल्याण जैसे क्षेत्रों में भी अहम योगदान दिया।
संघ के स्वयंसेवकों ने आपदा प्रबंधन में भी अग्रणी भूमिका निभाई। विद्या भारती जैसी संस्थाओं के माध्यम से संघ ने शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान दिया। विद्या भारती के तहत संचालित स्कूलों में न केवल शिक्षा दी जाती है, बल्कि भारतीय संस्कार और सांस्कृतिक मूल्यों का भी प्रचार-प्रसार किया जाता है। इसी प्रकार, सेवा भारती जैसे संगठनों के माध्यम से संघ ने ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में सेवा कार्यों को बढ़ावा दिया।

बाला साहेब देवरस: सामाजिक सुधार और दलित उत्थान (1973-1994)

गुरुजी के बाद बाला साहेब देवरस ने सन 1973 में संघ का नेतृत्व सँभाला। उनके कार्यकाल में संघ ने सामाजिक सुधारों की दिशा में बड़े कदम उठाए। बाला साहेब का मानना था कि समाज में जातिवाद और भेदभाव को समाप्त किए बिना सच्चे राष्ट्र निर्माण का सपना साकार नहीं हो सकता। उन्होंने समाज के पिछड़े और दलित वर्गों के उत्थान के लिए कई कार्यक्रम चलाए।
बाला साहेब के नेतृत्व में संघ ने समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाने की दिशा में प्रयास किए। उन्होंने समाज के हर व्यक्ति को समान अधिकार और सम्मान दिलाने के लिए संघ के कार्यों को गति दी। उनके नेतृत्व में संघ ने एक ऐसा समाज बनाने की दिशा में काम किया, जहाँ हर व्यक्ति को उसकी जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति के आधार पर नहीं बल्कि उसके गुणों और कार्यों के आधार पर सम्मान मिले।

आपातकाल और दूसरा प्रतिबंध: लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघ का संघर्ष (1975)

सन 1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार ने आपातकाल की घोषणा की। इसमें संविधान के कई प्रावधानों को निलंबित कर दिया गया और विपक्षी दलों, संगठनों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इस समय राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए गुप्त रूप से आंदोलन चलाया। 
संघ के स्वयंसेवकों ने आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की बहाली के लिए कठिन संघर्ष किया। इस समय संघ के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया, लेकिन उन्होंने अपने संघर्ष को जारी रखा। सन 1977 में जब आपातकाल समाप्त हुआ और लोकतंत्र की बहाली हुई, तब संघ की भूमिका को व्यापक स्तर पर सराहा गया। 

प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह उर्फ रज्जू भैया का नेतृत्व (1994-2000)

प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह को रज्जू भैया के नाम से जाना जाता था। रज्जू भैया संघ के चौथे सरसंघचालक बने। रज्जू भैया एक महान शिक्षाविद् और विद्वान थे, जिन्होंने संघ के कार्यों को शिक्षा और बौद्धिक क्षेत्रों में विस्तार दिया। उनके नेतृत्व में संघ ने शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रयास किए और युवाओं को संघ के विचारों से जोड़ने का कार्य किया।
रज्जू भैया का मानना था कि राष्ट्र का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी में निहित होता है। उन्होंने संघ के कार्यों को युवाओं तक पहुँचाने और उन्हें राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित करने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए। उनके नेतृत्व में संघ ने शैक्षिक सुधार, नैतिक शिक्षा और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।

बाबरी मस्जिद विध्वंस और तीसरा प्रतिबंध (1992)

सन 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना के बाद संघ पर तीसरी बार प्रतिबंध लगाया गया। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था और संघ पर इस घटना के पीछे होने का आरोप लगा था। इस समय भी संघ ने संयमित रुख अपनाया और कानूनी प्रक्रिया के तहत अपनी निर्दोषता साबित की।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हमेशा यह स्पष्ट किया कि उसका उद्देश्य समाज में शांति, समरसता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना है। इस घटना के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने समाज को जोड़ने और सांप्रदायिक सद्भावना को पुनः स्थापित करने के लिए कई कदम उठाए।

सुदर्शन जी का नेतृत्व (2000-2009): स्वदेशी और आत्मनिर्भरता की दिशा में

कुप्प. सी. सुदर्शन, जिन्हें सुदर्शन जी के नाम से जाना जाता है, ने सन 2000 से सन 2009 तक संघ का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व में संघ ने स्वदेशी, आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उनका मानना था कि भारत को सशक्त बनने के लिए स्थानीय संसाधनों और परंपराओं का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने स्वदेशी एवं आत्मनिर्भरता के लिए कई कार्यक्रम चलाए।
सुदर्शन जी के कार्यकाल में संघ ने पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती और स्वदेशी उत्पादों के उपयोग की दिशा में जागरूकता फैलाने के लिए कई अभियान चलाए। उनका नेतृत्व संघ के लिए आधुनिकता और परंपरा के बीच संतुलन बनाने का समय था। उन्होंने भारतीय ज्ञान, विज्ञान, और परंपराओं को आधुनिक संदर्भ में पुनः स्थापित करने की दिशा में काम किया।

मोहन भागवत: वर्तमान में संघ का नेतृत्व (2009-वर्तमान)

वर्तमान में संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत हैं, जिन्होंने साल 2009 में यह पदभार सँभाला। उनके नेतृत्व में संघ ने समाज के हर वर्ग तक पहुँचने के लिए कई नई पहल की। मोहन भागवत का मानना है कि समाज में समरसता, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उनके नेतृत्व में संघ ने समाज के हर वर्ग को एक साथ लाने का प्रयास किया।
उनके नेतृत्व में संघ ने समाज में व्याप्त जातिवाद एवं भेदभाव को समाप्त करने के लिए कई कार्यक्रम चलाए। इस वर्तमान दौर में महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता प्रमुख मुद्दे हैं, जिन पर संघ विशेष ध्यान दे रहा है। मोहन भागवत के नेतृत्व में संघ का यह प्रयास है कि भारत एक ऐसे राष्ट्र के रूप में उभरे, जहाँ हर व्यक्ति को समान अवसर और सम्मान मिले।

संघ का सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक योगदान

आरएसएस ने अपने सेवा कार्यों के माध्यम से समाज के हर वर्ग तक पहुँचने का प्रयास किया है। संघ के सेवा कार्य केवल किसी आपदा या संकट के समय तक सीमित नहीं रहे, बल्कि यह समाज के हर क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्यरत है। संघ ने शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और सामाजिक सुधारों के क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान दिया है।
विद्या भारती जैसे संगठन के माध्यम से संघ ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति की है। विद्या भारती के तहत संचालित विद्यालयों में लाखों छात्रों को न केवल शिक्षित किया जाता है, बल्कि उन्हें नैतिक शिक्षा और भारतीय संस्कृति से भी जोड़ा जाता है। इसी प्रकार, सेवा भारती के माध्यम से संघ ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
संघ ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण के लिए भी अद्वितीय कार्य किए हैं। संघ ने योग, आयुर्वेद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय ज्ञान और विज्ञान की प्राचीन विधाओं को पुनर्जीवित किया है। संघ के विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भारतीय संगीत, नृत्य, और कला के माध्यम से भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया जाता है। 
संघ एक गैर-राजनीतिक संगठन है, लेकिन इसका प्रभाव भारतीय राजनीति पर दिखता है। संघ ने राजनीति में नैतिकता, सेवा, और राष्ट्रप्रेम के मूल्यों को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। संघ से जुड़े कई राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता भारतीय राजनीति में सक्रिय हैं और राष्ट्र हित में कार्य कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जैसी राजनीतिक पार्टियों के निर्माण और विकास में संघ का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

संघ की वैश्विक पहचान और राष्ट्र निर्माण में बढ़ते कदम

आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसकी पहचान विश्व स्तर पर स्थापित हो चुकी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रेरित होकर कई संगठन विदेशों में भी भारतीय संस्कृति, योग और सामाजिक सेवाओं का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। 
संघ 100 वर्षों की यात्रा पूरी करने के बाद भी अपने लक्ष्य और उद्देश्यों के प्रति उतना ही समर्पित है, जितना कि अपने प्रारंभिक दिनों में था। संघ का उद्देश्य समाज के हर व्यक्ति को राष्ट्र सेवा की दिशा में प्रेरित करना और भारत को एक सशक्त, संगठित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाना है।

‘BJP आतंकियों की पार्टी… जनजातियों के सिर पर पेशाब करती है’: कांग्रेस प्रमुख खड़गे के विवादित बोल, RSS पर भी निकाली कुंठा; लेकिन टुकड़े-टुकड़े गैंग और भारत विरोधी विदेशियों से हाथ मिलाने वाली कांग्रेस कब से देशभक्त हो गयी?

हरियाणा हारने के बाद से कांग्रेस की बौखलाहट या सत्ता से दूर रहने की मंशा से कांग्रेस क्या बोल रही है उसे ही नहीं पता। इस समय कांग्रेस देखा जाए तो अपना सुधबुध खो चुकी है। 

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा को आतंकवादियों की पार्टी कहा है। उन्होंने शनिवार (12 अक्टूबर 2024) को कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की आदत है कि वो कांग्रेस को हमेशा अर्बन नक्सल पार्टी बताते हैं, लेकिन उनकी पार्टी क्या है? उन्होंने कहा कि भाजपा आतंकवादियों की पार्टी है, जो लिंचिंग में शामिल रहती है। इसलिए मोदी को ऐसे आरोप लगाने का हक नहीं है।

राहुल द्वारा जातिगत जनगणना करवाए जाने का कांग्रेस समर्थन करती है, लेकिन मुस्लिम और ईसाईयों की जातिगत जनगणना पर क्यों खामोश रहती है? क्या यह हिन्दुओं को बाँटने का षड़यंत्र नहीं?    
दलित समाज से आने वाले खड़गे ने ANI से बातचीत में कहा, “जहाँ भी भाजपा की सरकारें हैं, वहाँ शेड्यूल कास्ट खासकर आदिवासियों पर अत्याचार किया जा रहा है। शेड्यूल कास्ट के लोगों पर पेशाब करती है। आदिवासियों का रेप करती है। ऐसा करने वालों का सपोर्ट भी करती है। वो दूसरों पर आरोप लगाते हैं। उनको ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है।”

दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने 5 अक्टूबर 2024 को महाराष्ट्र का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने ठाणे में कहा कांग्रेस और उसकी नीतियों को लेकर जमकर हमला बोला था। प्रधानमंत्री मोदी ने उस समय कहा था, “कांग्रेस और उनके सहयोगियों का एक ही मिशन है- बाँटो और सत्ता में रहो। कांग्रेस को अर्बन नक्सल गैंग चला रहे हैं। वह देश विरोधियों के साथ खड़ी है।”

वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर भी उन्होंने पलटवार किया। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “जिस पार्टी का मकसद देश को बाँटना है, उन्हें सपोर्ट करने वाले देश में ही हैं। वह संघ प्रमुख भागवत हैं। संविधान बदलना हो, रिजर्वेशन हो, हिंदू-मुसलमानों को अलग करने की बात करने वाले ये लोग हैं और बुद्धि दूसरे लोगों को बाँट रहे हैं।”

दरअसल, शनिवार (12 अक्टूबर 2024) को महाराष्ट्र के नागपुर में विजयदशमी के कार्यक्रम में RSS के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने भी कुछ ऐसा ही कहा था। उन्होंने किसी का लिए बिना देश को बाँटने की साजिश रचने का आरोप लगाया। इसी बयान को लेकर खड़गे ने यह बात कही है।

"लड़की को 20 मिनट देखकर वासना महसूस नहीं करते, तो आप स्वस्थ नहीं हैं": ज़ाकिर नाइक ; जिसे दिग्विजय सिंह ने कहा ‘शांति का मसीहा’, उसे ‘घटिया-घिनौना-बीमार’ कह रहीं सुप्रिया श्रीनेत


शनिवार (12 अक्टूबर) को कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इस्लामिक कट्टरपंथी और नफरत फैलाने वाले उपदेशक ज़ाकिर नाइक की महिलाओं पर की गई यौन उत्पीड़न संबंधी टिप्पणी को लेकर कड़ी आलोचना की।

सुप्रिया ने ट्वीट किया, “इतनी घटिया घिनौनी सोच, बीमार असल में यह खुद हैं।” उन्होंने ज़ाकिर नाइक की उस ताजा टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें नाइक ने महिलाओं, खासकर एंकरों को लेकर अपमानजनक बातें कही थीं।

यह जानना जरूरी है कि कांग्रेस में शामिल होने से पहले सुप्रिया श्रीनेत ने 17 साल तक बतौर पत्रकार काम किया था, और उन्होंने ईटी नाउ पर न्यूज एंकर के तौर पर भी सेवाएँ दी थीं।

                                 सुप्रिया श्रीनेत के ट्वीट का स्क्रीनशॉट

हाल ही में पाकिस्तान में एक इंटरव्यू के दौरान ज़ाकिर नाइक ने महिलाओं को उन प्रोफेशन्स से दूर रहने की सलाह दी थी, जहां उन्हें कैमरे के सामने आना पड़ता है। नाइक का कहना था कि ऐसा करने से महिलाएँ पुरुषों की वासना का शिकार बनती हैं। इस्लामिक प्रचारक ने कहा, “अगर कोई मर्द महिला एंकर को देख कर वासना महसूस नहीं करता, तो वह मेडिकल रूप से ठीक नहीं है।”

नाइक जो बोल रहा है वही अनवर शेख अपनी एक पुस्तक "Islam Sex And Violence" में लिखा है, लेकिन उनका सन्दर्भ इस्लाम फ़ैलाने से है। दूसरे, अली सीना की किताब "Understanding Mohammad And Muslim" में पढ़ने को मिलता है।     

ज़ाकिर नाइक ने यह भी कहा, “अगर आप 20 मिनट तक किसी लड़की को देखकर वासना महसूस नहीं करते, तो आप स्वस्थ नहीं हैं,” और इस दौरान उन्होंने क़ुरान की आयतों का हवाला दिया।

हाल ही में ज़ाकिर नाइक को पाकिस्तान में तीखी आलोचना झेलनी पड़ी थी, जब उसने स्वतंत्र और अविवाहित महिलाओं को ‘बाज़ारू औरत’ कहा था।

सुप्रिया श्रीनेत की ज़ाकिर नाइक पर की गई आलोचना को कांग्रेस की आधिकारिक राय के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, भले ही वह पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। यह ज्यादा से ज्यादा उनकी व्यक्तिगत राय है, क्योंकि नाइक ने उनके पुराने प्रोफेशन (धंधे) को खास तौर पर निशाना बनाया था।

किसी भी अन्य कांग्रेस नेता ने ज़ाकिर नाइक के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है, भले ही उसकी यौन उत्पीड़न संबंधी टिप्पणियाँ जगजाहिर हों। असल में, पार्टी ने कभी औपचारिक रूप से इस नफरत फैलाने वाले इस्लामी कट्टरपंथी की आलोचना नहीं की।

इसके उलट, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने ज़ाकिर नाइक को ‘शांति का मसीहा’ कहकर उसकी तारीफ की थी।

उन्होंने कहा था, “अस्सलाम वालेकुम। मैंने डॉ. ज़ाकिर नाइक के बारे में बहुत सुना था। अंततः मुझे उनसे मिलने का मौका मिला। मैं खुश हूँ कि वह दुनिया भर में शांति का संदेश फैला रहे हैं।”

दिग्विजय सिंह ने 2012 में अपने भाषण में कहा था, “डॉ. ज़ाकिर नाइक ने सभी धर्मों की किताबें पढ़ी हैं। अब यह जरूरी है कि आपका शांति का संदेश भारत के हर कोने में पहुँचे।”

कांग्रेस, ज़ाकिर नाइक और एक छिपा हुआ रिश्ता

हालाँकि उस समय ज़ाकिर नाइक को भगोड़ा घोषित नहीं किया गया था, लेकिन उसके हिंदू धर्म पर हमला करने वाले और कट्टर इस्लामिक भाषण ऑनलाइन उपलब्ध थे।
इसके बावजूद, मुस्लिम तुष्टिकरण के लंबे इतिहास वाली कांग्रेस पार्टी के नेता दिग्विजय सिंह को ज़ाकिर नाइक की तारीफ करने से कोई हिचक नहीं हुई।
यह जानकर कई लोग चौंक सकते हैं कि ज़ाकिर नाइक की इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) और राजीव गाँधी चैरिटेबल ट्रस्ट (RGCT) के बीच गहरे संबंध हैं। IRF ने दो बार RGCT को 50 लाख और 25 लाख रुपये का दान दिया है। और RGCT के ट्रस्टी कोई और नहीं बल्कि सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी हैं।

हरियाणा : मनोहर लाल खट्टर साहब नुहुं में रोहिग्यों ने मदरसा कैसे बना लिया? मुख्यमंत्री रहते तुम और तुम्हारा प्रशासन क्या कर रहा था? जवाब दो ! घुसपैठ कर हरियाणा में बसे ही नहीं हैं रोहिंग्या मुस्लिम, चला रहे मदरसे भी: मौलवी बोले- हम ब्लैक में म्यांमार से आए

रोहिंग्या और नूहं का मदरसा (साभार: ऑर्गेनाइजर वीडियो)
हरियाणा के मुस्लिम बहुत मेवात क्षेत्र के नूहं में बाहर से आए हुए रोहिंग्या मुस्लिमों की एक बड़ी आबादी अवैध रूप से रह रही है। ये सभी म्यामांर से अवैध रूप से भारत में आए और यहाँ से नूहं में स्थापित हो गए। इन अवैध घुसपैठियों के रहने वाले अस्थायी आवास बनाया गया है। ये सभी साल 2016 में ही भारत आ गए थे और तभी से यहाँ रह रहे हैं। इनमें रहने के साथ-साथ मदरसा भी संचालित किया जा रहा है।

दरअसल, ऑर्गनाइजर ने हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान इन अवैध घुसपैठियों से बात की थी। इसका वीडियो अब जारी किया गया है। ऑर्गेनाइजर की ओर से पत्रकार शुभी विश्वकर्मा ने यहाँ मदरसे में पढ़ाने वाले मौलाना और यहाँ पढ़ने वाले बच्चों से बात की। यहाँ पढ़ाने वाले यूनुस ने कहा कि यहाँ 400 रोहिंग्या रहते हैं। हालाँकि, उनकी जुबानी ये संख्या है, लेकिन वास्तविक संख्या कितनी है, ये किसी को नहीं पता।

ये वही क्षेत्र है, जहाँ से हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरन कॉन्ग्रेस नेता मामन खान से रिकॉर्ड जीत हासिल की है। मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र में उन्हें एकतरफा मत मिले। चुनाव प्रचार के दौरान मामन यहाँ के हिंदुओं को धमकाते हुए कहा था कि जिन लोगों ने मुस्लिमों के खिलाफ अन्याय किया है, उन्हें कॉन्ग्रेस की सरकार बनते ही मेवात छोड़ना पड़ेगा। मामन का नाम 2023 के मेवात दंगों में आया था।

नूहं के नांगली गाँव में पत्रकार पहुँचे। यहाँ बाँस आदि से छप्पर के रूप में एक अस्थायी ढाँचा बनाया गया है, जिस पर लिखा है ‘मदरसा इस्लामिया दारूल उलूम इल्यासिया’। ये ढाँचा एक बड़े भूभाग पर बनाया गया है। इसमें नमाजी टोपी पहने हुए बहुत सारे बच्चे और किशोर दिखाई देते हैं। इसमें जियाउर रहमान नाम के एक व्यक्ति है, जो खुद को मौलवी बताता है।

रहमान कहता है कि वह नहूँ में रहता है कि मदरसे में बच्चों को पढ़ाने के लिए वह गाँव में आता है। रहमान खुद भी म्यामांर (बर्मा) का रहने वाला है। रहमान ने बताया कि साल 2016 से यह मदरसा चल रहा है। यहाँ पढ़ने वाले सारे बच्चे म्यामांर के ही है। मदरसे में ही बच्चों को खाना भी मिलता है। रात में रहते भी हैं। उसने बताया कि यहाँ कभी रेड नहीं पड़ी और ना ही किसी ने पूछा कि वे कहाँ के रहने वाले हैं।

 रहमान ने बताया कि उसे भारत में किसी तरह का खतरा नहीं है, क्योंकि वह यहाँ मेहमान के हिसाब से रह रहा है। बर्मा से आया और व्यक्ति मोहम्मद यूनुस नाम का मिला। उसने बताया कि वह बच्चों को अरबी और अंग्रेजी पढ़ाता है। यूनुस ने बताया कि यहाँ रहने वाले रोहिंग्या मुस्लिमों की आबादी लगभग 400 है। यूनुस ने बताया कि भारत में आने के लिए उन सबों के पास कुछ भी नहीं है।

यूनुस ने कहा, “ना हमारे पास पासपोर्ट है, ना वीजा है। हम कैसे-कैसे करके यहाँ आ गए, यह बहुत मुश्किल काम है। हम ब्लैक में आ गए।” ब्लैक से संभवत: यहाँ पैसे देकर अवैध तरीके से घुसपैठ करने से संबंधित है। यूनुस ने बताया कि वह बांग्लादेश बॉर्डर के जरिए भारत में घुसा। उन्होंने कहा कि वहाँ कुछ लोग उसे मिले, जिन्होंने उसे बॉर्डर पार कराया और वहाँ से वह बंगाल में रहने लगा।

यूनुस ने बताया कि बॉर्डर पार कराने वालों ने कुछ लोगों से पैसा भी लिया और कुछ लोगों को बिना पैसे का ही बॉर्डर पार करा दिया। यूनुस ने बताया कि वह उसके साथ अधिकांश लोग म्यामांर में लड़ाई शुरू होने के बाद 2016 में भारत में आए। उसका कहना है कि कुछ लोग तो भारत में साल 2012 में ही आ गए थे और तभी वे यहाँ रह रहे हैं। यूनुस का दावा है कि उसके पास UN का रिफ्यूजी कार्ड है।

हालाँकि, जब पत्रकारों ने उससे रिफ्यूजी कार्ड दिखाने के लिए कहा तो वह बोला कि वह घर पर है और घर कहीं और है। यूनुस ने बताया कि इलाके में कुछ भी होता है तो उसे खबर कर दिया जाता है कि घर से बाहर नहीं निकलना है। यूनुस ने बताया कि म्यामांर से भागे हुए रोहिंग्या हैदाराबाद, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा में रह रहे हैं।

इस मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों से जब पूछा गया कि वे पढ़ाई करके क्या करेंगे तो 99 प्रतिशत ने कहा कि वे हाफिज बनेंगे और अल्लाह की सेवा करेंगे। इन बच्चों को जाकिर नाईक के बारे में अच्छे से पता है। लगभग 12 साल के एक बच्चे ने कहा कि जाकिर नाईक इसलिए अच्छा लगता है, क्योंकि वह लोगों को दीन (इस्लाम) के रास्ते पर लाता है। यानी लोगों का इस्लाम में धर्मांतरण कराता है।

किशोर ने कहा कि जो अल्लाह को नहीं मानता है कि वह दोजख की आग में जलेगा। एक छोटे से बच्चे ने कलमा पढ़ कर सुनाया और कहा कि इसका मतलब है कि अल्लाह के सिवा और कोई भगवान नहीं है। यही बात एक किशोर ने भी कहा है। हालाँकि, बच्चे हर शब्द बोलने से पहले अपने मौलवी या हाफिज की तरफ देख रहे थे। जाहिर है कि वो काफी सोचकर बोल रहे थे।

दरअसल, इस मदरसे में पढ़ाने वाले यूनुस ने दावा किया कि रोहिंग्या मुस्लिम UN के रिफ्यूजी कार्ड पर भारत में आकर रह रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ वह कह रहा है कि बांग्लादेश सीमा के जरिए पैसे देकर कुछ लोगों की सहायता से भारत में घुसा था। इस तरह की विरोधाभासी बातें संदेह पैदा करती है। अगर यूनुस स्वयं स्वीकार करता है कि यहाँ 400 रोहिंग्या रहते हैं तो वास्तविक संख्या कितनी होगी, इसकी सही जानकारी शायद ही किसी को होगी।


मुस्लिमों को भी हिंदू देवी देवताओं का अपमान बंद करना होगा ; हिन्दुओं के बर्दाश्त करने की अग्नि-परीक्षा मत लो

सुभाष चन्द्र 

कल के लेख में मैंने लिखा था कि यति नरसिंहानंद सरस्वती के पैग़म्बर मुहम्मद के लिए बोले हुए कथित शब्दों से मुस्लिम समाज आंदोलित है तो दूसरी तरफ मुस्लिम भी हिंदू देवताओं के अपमान करने में पीछे नहीं रहते लेकिन वे उस पर रोक नहीं लगाना चाहते। क्यों? आखिर मुस्लिम कट्टरपंथी हिन्दुओं को उकसाने का दुस्साहस किसके इशारे और किसके दिए चंद चांदी के टुकड़ों के लिए कर रहे हैं? आम शांतिप्रिय मुसलमान को इस मुद्दे पर खुलकर सामने आना होगा, अन्यथा उन्हें हिन्दू विरोधी इन उत्तेजित बयानों का गुप्त समर्थन देकर देश को गुमराह कर रहे हैं, पागल बना रहे हैं।      

याद होगा पेंटर MF Hussain हिंदू देवियों माँ दुर्गा आदि की नग्न पेंटिंग बनाता था, क्या कभी किसी मुस्लिम ने उसे ऐसा करने से रोका, कभी नहीं बल्कि वो और सेकुलर ब्रिगेड उसकी कला को Freedom of Expression कहा करते थे वो देश छोड़ कर चला गया और लंदन में मौत हुई लेकिन उसने कभी अपनी हरकतों के लिए माफ़ी नहीं मांगी ये थी हिंदू विरोध की कट्टरता की पराकाष्ठा

मुस्लिम हिंदू देवी देवताओं के नाम पर ढाबे, रेस्टोरेंट और होटल खोल कर थूक और पेशाब मिला खाना खिलाते हैं हिंदुओं को, वह क्या हिंदू देवी देवताओं का अपमान नहीं है, उन्हें क्या कभी किसी ने रोकने की कोशिश की है और कहा है कि ये सब ढाबे इत्यादि अपने या इस्लामिक नाम से और पैगम्बर साहब के नाम से खोले

आज कोई हिंदू त्यौहार ऐसा नहीं है जिस पर मुस्लिम हमले न करते हों, हनुमान जयंती शोभा यात्रा, रामनवमी शोभा यात्रा और अब कल तक चली दुर्गा पूजा पंडालों में पत्थरबाज़ी, मूर्तियों को तोड़ना जैसे आम बात हो गई मुस्लिमों के लिए बांग्लादेश में क्या किया दुर्गा पूजा में और ममता सरकार ने भी दुर्गा पूजा पर कई रोक लगाई, क्या किसी ने ऐसा करने से किसी को भी रोका है? सोंचों जिस दिन हिन्दुओं ने मुस्लिम त्योहारों पर हमला करना शुरू किया, उस स्थिति में कोई हिन्दुओं को दोषी कहने से पहले अपने गिरिवान में झांक कर देखना होगा। पहल किसकी तरफ हो रही थी? आखिर हिन्दू कब तक बर्दाश्त करता रहेगा? आखिर बर्दाश्त की भी एक सीमा होती है। आम मुसलमान से लेकर न्यायालय तक को इस कड़वी सच्चाई पर विचार करना होगा।    

लेखक 
चर्चित YouTuber 
क्या किसी मुस्लिम ने बार बार अमरनाथ यात्रा पर हमले होने की कभी निंदा की है, जबकि भारत सरकार की तरफ से हज पर जाने वालों को पूरी सुविधा मिलती है आज सभी मुस्लिम संगठन वक़्फ़ बिल पर शोर मचा रहे हैं लेकिन क्या किसी ने वक्फ बोर्ड को हिंदुओं की संपत्तियों को वक्फ की बता कर जबरन कब्ज़ा करने से रोका?

मैं पहले ही कह चुका हूं कि यति ने गलत बोला और मेरे जैसे अनेक लोग होंगे जो उसकी बात की निंदा करेंगे लेकिन इक़रा हसन जैसी मुस्लिम लीडर या किसी भी मुस्लिम ने जाकिर नाइक के खिलाफ एक शब्द भी बोला उसके दो दिन पहले जो मुस्लिम महिलाओं के लिए जहर उगलने  और उन्हें “बाज़ारू” और “पब्लिक प्रॉपर्टी” कहने के लिए? यह बात उसने दुनिया भर की मुस्लिम औरतों के लिए कही जिनमे भारत की इकरा हसन भी शामिल हैं हिंदू धर्म इस तरह अपनी महिलाओं को जलील नहीं करता

मुस्लिम महिलाओं को "बाजारू" और "पब्लिक प्रॉपर्टी" कहकर अपमानित करने पर ज़ाकिर के खिलाफ जेहादी पत्रकार, औरतों के रहनुमा और 'सिर तन से जुदा' गैंग को क्या सांप सूंघ गया है? अगर यही बात किसी हिन्दू ने कह दी होती ये सब चील-कौओं की चिल्ला रहे होते। ये है इनका दोगलापन।      

  

छोटी छोटी हिंदू बच्चियों का बलात्कार करना और लव जिहाद में फंसाकर मुस्लिम बनाना एक आम बात हो गई, कोई उसके खिलाफ नहीं बोलता और सुप्रीम कोर्ट भी ऐसे अपराधियों के लिए नरमी दिखा देता है यह कह कर कि every sinner has a future लेकिन वो खुद अपने को Sinner मानते हैं क्या?

बहुत बातें हैं जिन पर मुस्लिमों को स्वतः विचार करना चाहिए अंत में अकबरुद्दीन ओवैसी की बातें बताता हूं जो उसने अपने लोगों का मजमा लगा कर कहीं और सब तालियां पीट रहे थे किसी मुस्लिम ने उसे नहीं रोका उसने कहा -

“वो क्या क्या पूजा करते हैं,

कितने राम लक्ष्मण दुर्गा लक्ष्मी क्या क्या हैं रे, कित्ते भई,

हर आठ दिन में एक पैदा हो जाता है, 

अब तो नए आ गए, गणेश, ये थे वो थे, 

अब हनुमान जयंती आ गई, रामनवमी आ गई,

लक्ष्मी मालूम थी, 

ये भाग्यलक्ष्मी आज तक नहीं सुने, 

ये कौन सी है भाई, दुर्गा सुने, ये सुने 

ये क्या क्या बोलूं कैसे कैसे नामा हैं, 

ये मुबारक महफ़िल में वो मनहूस नामों के लेके ख़राब नहीं करना चाहता”

यति ने तो माना गलत बोला लेकिन कोई अकबरुद्दीन ओवैसी के लिए कहेगा कि उसने हिंदू देवी देवताओं का अपमान करके गलती की है? 

सच तो यह है कि यह हिंदुओं की सहिष्णुता है जिसकी वजह से देश में शांति रहती है अन्यथा तो बलवा होने में देर न लगे

हरियाणा : जिस ‘किसान नेता’ गुरनाम सिंह चढूनी को मिले 1170 वोट, उसने भूपेंद्र हुड्डा को कहा ‘बुद्धिहीन-गद्दार’; हुड्डा ने एक सीट देने का वायदा कर गद्दारी की; यानि क्या तथाकथित किसान आंदोलन कांग्रेस प्रायोजित था?

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने हरियाणा कांग्रेस के नेता भूपेंद्र हुड्डा पर निशाना साधा है। गुरनाम सिंह ने कहा कि भूपेंद्र हुड्डा नासमझ हैं। हरियाणा में कांग्रेस के पक्ष में जो माहौल बना था, वह हमने ही बनाया था। यानि तथाकथित किसान आंदोलन कांग्रेस प्रायोजित था। कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण यह है कि उन्होंने कोई समझौता नहीं किया और कांग्रेस ने सब कुछ उनके भरोसे छोड़ दिया।

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने रविवार (13 अक्टूबर 2024) को कहा कि कॉन्ग्रेस नेता भूपेंद्र हुड्डा बुद्धिहीन व्यक्ति हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस के पक्ष में माहौल किसानों ने बनाया था, लेकिन कांग्रेस इसका फायदा उठाने में नाकाम रही। इस हार के लिए उन्होंने भूपेद्र सिंह हुड्डा को जिम्मेदार ठहराया।

 चढ़ूनी ने आगे कहा, “कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण यह है कि उन्होंने कोई समझौता नहीं किया और पार्टी ने सब कुछ उनके (भूपेंद्र हुड्डा) भरोसे छोड़ दिया। चुनाव से पहले ही मैंने चेतावनी दी थी कि भूपेंद्र हुड्डा कांग्रेस का नाश करेंगे और अब यह सच साबित हो गया है। अब भी मैं कांग्रेस आलाकमान तक यह बात पहुँचाना चाहता हूँ कि वे भूपेंद्र हुड्डा को विपक्ष का नेता न बनाएँ।”

चढूनी ने कहा, “हमें लोकसभा चुनाव में एक टिकट देने का वादा किया गया था, लेकिन बाद में भूपेंद्र हुड्डा मुकर गए। अगर वह अभय चौटाला के साथ समझौता करते और एक टिकट देते तो उनकी पार्टी को हरियाणा में 9 सीटें मिल सकती थीं। भूपेंद्र सिंह ने मेरे साथ गद्दारी की। लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने मुझे फोन किया और कहा कि मुझे रोहतक सीट पर समर्थन कर दो।”

चढ़ूनी ने कहा कि हुड्डा को पूरे हरियाणा के लिए बात करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने सिर्फ अपनी बात की। किसान नेता ने आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव में हुड्डा ने कई बड़े नेताओं को दरकिनार किया और किसान नेताओं से भी पल्ला झाड़ लिया था। उन्होंने कहा कि पिछले 10 सालों में भूपेंद्र हुड्डा ने विपक्ष की भूमिका नहीं निभाई। यह भूमिका किसान यूनियन ने निभाई है।

चढूनी ने किसान आंदोलन का किया था नेतृत्व

हरियाणा विधानसभा चुनावों में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी बुरी तरह से चुनाव हार गए हैं। उन्होंने पिहोवा सीट से चुनाव लड़ा था। चढूनी को सिर्फ 1170 वोट ही मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई। गुरनाम सिंह चढूनी पाँचवें नंबर पर रहे। 

दिल्ली : चल रही थी रामलीला, सीने में उठा दर्द तो मंच पर बैठ गए ‘कुंभकर्ण’ और शाहदरा में लाइव परफॉर्मेंस के दौरान ही ‘राम’ की भी हार्ट अटैक से हुई मौत

   मंच पर राम (बाएँ) का किरदार निभाते हुई थी मौत, अब कुंभकर्ण (दाएँ) की मौत (फोटो साभार: वायरल वीडियो/पंजाब      केसरी)
अनेक बार जीवन में ऐसे घटनाक्रम सामने आते है, वर्षों पूर्व घटित घटनाएं भी मुखरित हो जाती है। घटना उस समय की जब प्राइमरी में पढ़ते थे, जब रामलीला मैदान में दिल्ली की बहुचर्चित रामलीला में दशहरा के पावन दिवस पर राम-रावण युद्ध के दौरान जब राम ने रावण को अमृतकुंड पर तीर मारा, रावण को स्वाभाविक है मरने का ड्रामा करना ही था, लेकिन वह मरने का ड्रामा नहीं, वास्तव में रावण का अभिनव करने वाले ने अपने जीवन की अंतिम साँस ले ली। मुझसे बड़े बताते थे कि रावण की शव-यात्रा में लीला में निकलने वाले सारे बैंड सम्मिलित हुए थे। 
रामायण केवल एक धार्मिक ग्रन्थ नहीं, बल्कि मानव को जीवन का मार्ग दर्शन करवाने वाला ग्रन्थ है। लेकिन किया जाता है केवल राम का गुणगान और रावण को एक अपवाद। जबकि रावण जैसा महान पंडित, ज्ञानी, तपस्वी और पराक्रमी न कोई इस धरती पर आया और शायद नहीं आएगा। जिस पर प्रकाश डाला रामानंद सागर के सीरियल रामायण में। जब कुंभकर्ण को जगाया जाता है और अपने बड़े भाई के पास जाने पर पीढ़ियों पूर्व ब्रह्मा, विष्णु और महेश(शिव) एवं ऋषियों की भविष्यवाणियों का स्मरण करवाया। रावण कितना महान था कि अपना वचन पूरा करने विष्णु को राम रूप में धरती पर आना पड़ा, क्योकि रावण का अंत विष्णु के हाथों ही होना था। खर और दूशण की मृत्यु का समाचार मिलते ही रावण को अपनी जीवनलीला के अंत होने का आभास हो गया था। क्योकि इनका अंत भी विष्णु के हाथों होना निश्चित था। कहते है कि रावण पुराण में लिखा है कि रावण ने सीता माता का अपहरण करते समय सीता माता को 'माता' कहा था कि ''माता' क्या अपने इस पुत्र को मोक्ष नहीं दिलवाएगी?' लेकिन हिन्दू ग्रंथों में दिए संदेशों को मनोरंजन बनाकर रख दिया, जिसमे इन ग्रंथों में दिए जीवन सन्देश और धार्मिक वास्तविक उपदेश लुप्त हो गए। यही कारण है कि सनातन विरोधी रामायण पर कीजड़ फेंकने का दुस्साहस कर रहे है और हिन्दू मूर्कदर्शक बना हुआ है। खैर।             
दिल्ली के चिराग इलाके में चल रही रामलीला के दौरान एक दुखद घटना घटी, जब कुंभकर्ण का किरदार निभा रहे अभिनेता की मंच पर ही मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ जब पश्चिम विहार के रहने वाले विक्रम तनेजा, जो मालवीय नगर में रामलीला के मंच पर कुंभकर्ण की भूमिका निभा रहे थे। उन्हें अचानक सीने में तेज दर्द महसूस हुआ, और वह मंच पर ही बैठ गए। घटना के तुरंत बाद उन्हें आकाश अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें पीएसआरआई अस्पताल रेफर कर दिया गया।

पुलिस के अनुसार, इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। डॉक्टरों का अनुमान है कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। पुलिस ने तनेजा के परिवार वालों के बयान दर्ज कर लिए हैं और मौत की वजह की जाँच जारी है। यह घटना शारदीय नवरात्रि के दौरान दूसरी बार हुई है, जब रामलीला में भूमिका निभाते समय किसी कलाकार की जान चली गई। विक्रम तनेजा की मौत से रामलीला समिति और उनके परिवार में शोक का माहौल है।

भगवान राम का किरदार निभाते हुए शाहदरा में हुई थी कलाकार की मौत

इससे पहले, नवरात्रि के दौरान दिल्ली के शाहदरा स्थित विश्वकर्मा नगर में जय श्री रामलीला समिति द्वारा आयोजित रामलीला के दौरान भगवान राम की भूमिका निभाते समय एक अन्य दुखद हादसा हुआ था। शाहदरा में भगवान राम का किरदार निभाने वाले सुनील कौशिक (59 वर्ष), जो पेशे से प्रॉपर्टी डीलर थे और रामलीला समिति के संस्थापक सदस्यों में से एक थे, मंच पर दिल का दौरा पड़ने से गिर पड़े।
यह घटना तब हुई जब सुनील रामलीला के सीता स्वयंवर के दृश्य में धनुष तोड़ने का प्रदर्शन कर रहे थे। गाना गाते समय अचानक उन्हें सीने में दर्द हुआ, और वह मंच के पीछे चले गए। वहां उपस्थित उनके परिवार के सदस्यों ने तुरंत उन्हें पास के अस्पताल पहुँचाया, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा। हालाँकि, एक घंटे बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सुनील के भतीजे राहुल कौशिक के अनुसार, सुनील 1987 से राम की भूमिका निभा रहे थे और उनका यह अंतिम प्रदर्शन था।

बिहार : रावण फूँकने जा रहे थे पप्पू यादव, खुद के पेट में लगी रॉकेट; Video


बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव दशहरा के दिन रावण दहन के दौरान दुर्घटना से बाल-बाल बच गए। दरअसल, रावण दहन के लिए पप्पू यादव ने जैसे ही पटाखे में आग लगाई, उसमें लगा रॉकेट ने बैकफायर करते हुए उनके ही पेट में घुस गया। इससे पप्पू यादव की शर्ट में आग लग गई। हालाँकि, वे बाल-बाल बच गए। इसका वीडियो भी सामने आया है।

रावण दहन का यह कार्यक्रम पूर्णिया शहर के मरंगा स्थित दुर्गा मंदिर प्रांगण में हो रहा था। सामने आए वीडियो में दिख रहा है कि पप्पू यादव के हाथ में पटाखा जल रहा है। उनके साथ खड़े पुलिस अधिकारी भी हाथ में पटाखा पकड़े हुए हैं। अचानक वो रॉकेट बैकफायर करता है और पप्पू यादव के पेट पर जाकर लगता है और उनकी शर्ट में आग लग जाती है।

इस दौरान आसपास के लोग पप्पू यादव को बचाने की कोशिश करते हैं। उनकी आँखों को हाथों से ढँकते हैं। हालाँकि, पप्पू यादव उस पटाखे को छोड़ते नहीं हैं। इस कार्यक्रम में सांसद पप्पू यादव को मुख्य अतिथि की हैसियत से बुलाया गया था।

भगवान विष्णु जी और माता लक्ष्मी जी का पृथ्वीलोक भ्रमण


एक बार भगवान विष्णु जी शेषनाग पर बेठे बेठे बोर होगये, ओर उन्होने धरती पर घुमने का विचार मन मै किया, वेसे भी कई साल बीत गये थे धरती पर आये, ओर वह अपनी यात्रा की तेयारी मे लग गये, स्वामी को तेयार होता देख कर लक्ष्मी मां ने पुछा !!आज सुबह सुबह कहा जाने कि तेयारी हो रही है?? विष्णु जी ने कहा हे लक्ष्मी मै धरती लोक पर घुमने जा रहा हुं, तो कुछ सोच कर लक्ष्मी मां ने कहा ! हे देव क्या मै भी आप के साथ चल सकती हुं???? भगवान विष्णु ने दो पल सोचा फ़िर कहा एक शर्त पर, तुम मेरे साथ चल सकती हो तुम धरती पर पहुच कर उत्तर दिशा की ओर बिलकुल मत देखना, इस के साथ ही माता लक्ष्मी ने हां कह के अपनी मनवाली।

ओर सुबह सुबह मां लक्ष्मी ओर भगवान विष्णु धरती पर पहुच गये, अभी सुर्य देवता निकल रहे थे, रात बरसात हो कर हटी थी, चारो ओर हरियाली ही हरियाली थी, उस समय चारो ओर बहुत शान्ति थी, ओर धरती बहुत ही सुन्दर दिख रही थी, ओर मां लक्ष्मी मन्त्र मुग्ध हो कर धरती को देख रही थी, ओर भुल गई कि पति को क्या वचन दे कर आई है?ओर चारो ओर देखती हुयी कब उत्तर दिशा की ओर देखने लगी पता ही नही चला।
उत्तर दिशा मै मां लक्ष्मी को एक बहुत ही सुन्दर बगीचा नजर आया, ओर उस तरफ़ से भीनी भीनी खुशबु आ रही थी,ओर बहुत ही सुन्दर सुन्दर फ़ुल खिले थे,यह एक फ़ुलो का खेत था, ओर मां लक्ष्मी बिना सोचे समझे उस खेत मे गई ओर एक सुंदर सा फ़ुल तोड लाई, लेकिन यह क्या जब मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के पास वापिस आई तो भगवान विष्णु की आंखो मै आंसु थे, ओर भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को कहा कि कभी भी किसी से बिना पुछे उस का कुछ भी नही लेना चाहिये, ओर साथ ही अपना वचन भी याद दिलाया।
मां लक्ष्मी को अपनी भुल का पता चला तो उन्होने भगवान विष्णु से इस भुल की माफ़ी मागी, तो भगवान विष्णु ने कहा कि जो तुम ने जो भुल की है उस की सजा तो तुम्हे जरुर मिलेगी?? जिस माली के खेत से तुम नए बिना पुछे फ़ुल तोडा है, यह एक प्रकार की चोरी है, इस लिये अब तुम तीन साल तक माली के घर नोकर बन कर रहॊ, उस के बाद मै तुम्हे बैकुण्ठ मे वपिस बुलाऊंगा, मां लक्ष्मी ने चुपचाप सर झुका कर हां कर दी( आज कल की लक्ष्मी थोडे थी?
ओर मां लक्ष्मी एक गरीब ओरत का रुप धारण करके , उस खेत के मालिक के घर गई, घर क्या एक झोपडा था, ओर मालिक का नाम माधव था, माधब की बीबी, दो बेटे ओर तीन बेटिया थी , सभी उस छोटे से खेत मै काम करके किसी तरह से गुजारा करते थे,
मां लक्ष्मी जब एक साधारण ओर गरीब ओरत बन कर जब माधव के झोपडे पर गई तो माधव ने पुछा बहिन तुम कोन हो?ओर इस समय तुम्हे क्या चाहिये? तब मां लक्ष्मी ने कहा ,मै एक गरीब ओरत हू मेरी देख भाल करने वाला कोई नही, मेने कई दिनो से खाना भी नही खाया मुझे कोई भी काम देदॊ, साथ मै मै तुम्हरे घर का काम भी कर दिया करुगी, बस मुझे अपने घर मै एक कोने मै आसरा देदो? माधाव बहुत ही अच्छे दिल का मालिक था, उसे दया आ गई, लेकिन उस ने कहा, बहिन मै तो बहुत ही गरीब हुं, मेरी कमाई से मेरे घर का खर्च मुस्किल से चलता है, लेकिन अगर मेरी तीन की जगह चार बेटिया होती तो भी मेने गुजारा करना था, अगर तुम मेरी बेटी बन कर जेसा रुखा सुखा हम खाते है उस मै खुश रह सकती हो तो बेटी अन्दर आ जाओ।
माधव ने मां लक्ष्मी को अपने झोपड़े मे शरण देदी, ओर मां लक्ष्मी तीन साल उस माधव के घर पर नोकरानी बन कर रही;
जिस दिन मां लक्ष्मी माधव के घर आई थी उस से दुसरे दिन ही माधाव को इतनी आमदनी हुयी फ़ुलो से की शाम को एक गाय खरीद ली,फ़िर धीरे धीरे माधव ने काफ़ी जमीन खरीद ली, ओर सब ने अच्छे अच्छे कपडे भी बनवा लिये, ओर फ़िर एक बडा पक्का घर भी बनवा लिया, बेटियो ओर बीबी ने गहने भी बनबा लिये, ओर अब मकान भी बहुत बड़ा बनवा लिया था।
माधव हमेशा सोचता था कि मुझे यह सब इस महिला के आने के बाद मिला है, इस बेटी के रुप मे मेरी किस्मत आ गई है मेरी, ओर अब २-५ साल बीत गये थे, लेकिन मां लक्ष्मी अब भी घर मै ओर खेत मै काम करती थी, एक दिन माधव जब अपने खेतो से काम खत्म करके घर आया तो उस ने अपने घर के सामने दुवार पर एक देवी स्वरुप गहनो से लदी एक ओरात को देखा, ध्यान से देख कर पहचान गया अरे यह तो मेरी मुहं बोली चोथी बेटी यानि वही ओरत है, ओर पहचान गया कि यह तो मां लक्ष्मी है.
अब तक माधव का पुरा परिवार बाहर आ गया था, ओर सब हेरान हो कर मां लक्ष्मी को देख रहै थे,माधव बोला है मां हमे माफ़ कर हम ने तेरे से अंजाने मै ही घर ओर खेत मे काम करवाया, है मां यह केसा अपराध होगया, है मां हम सब को माफ़ कर दे
अब मां लक्ष्मी मुस्कुराई ओर बोली है माधव तुम बहुत ही अच्छे ओर दयालु व्यक्त्ति हो, तुम ने मुझे अपनी बेटी की तरह से रखा, अपने परिवार के सदस्या की तरह से, इस के बदले मै तुम्हे वरदान देती हुं कि तुम्हारे पास कभी भी खुशियो की ओर धन की कमी नही रहै गी, तुम्हे सारे सुख मिलेगे जिस के तुम हक दार हो, ओर फ़िर मां अपने स्वामी के दुबारा भेजे रथ मे बेठ कर बेकुण्ठ चली गई।

पाकिस्तान की महिलाओं ने कैसे बर्दाश्त किया जाकिर नाइक को? महिलाओं को “बाज़ारू” और “पब्लिक प्रॉपर्टी” कहने पर तो स्टेज से उठाकर पटक कर फ़ेंक देना चाहिए था

सुभाष चन्द्र

जाकिर नाइक को पाकिस्तान ने केवल इसलिए आमंत्रित किया क्योंकि वह भारत के खिलाफ जहर उगलता है, भारत का भगोड़ा है, भारत आने से डरता है कि मोदी ऐसे जकड़ लेगा कि फिर छूटेगा नहीं। लेकिन बहुत चाहने वाले हैं जाकिर के भारत में जिनमें शामिल है कांग्रेस पार्टी भी और दिग्विजय सिंह जैसे लोग

महिलाओं को पाकिस्तान में खुलेआम जाकिर नाइक ने कहा लड़कियों को शादी ऐसे आदमी से करनी चाहिए जिसकी पहले से बीवी हो वरना उसे बाज़ारू हो जाना चाहिए, वो पब्लिक प्रॉपर्टी होती है उसका मतलब साफ़ था कि लड़की को शादी करना जरूरी है और नहीं करती तो “वेश्या” है, जिसे वो “बाज़ारू” और Public Property मानता है

भारत में टीवी के लाइव शो में महिलाओं के लिए गलत लब्ज़ बोलने पर कई बार मुस्लिम महिलाएं मौलानाओं की चप्पल से पिटाई करते देखी गयी है, हैरानी है पाकिस्तानी महिलाओं ने इतना बड़ी बेइज्जती कैसे बर्दाश्त कर ली? देखिए वीडियो  

 

लेखक 
चर्चित YouTuber 

ऐसा जाकिर ने केवल पाकिस्तान की महिलाओं के लिए ही नहीं कहा बल्कि किसी भी मुस्लिम लड़की के लिए ऐसा सर्टिफिकेट दे दिया जो शादी नहीं करती उसका मतलब है लड़की को “single” रहने का कोई अधिकार नहीं है ऐसी बकवास जाकिर नाइक ने एक पश्तून  लड़की के सवाल पूछने पर कही थी 

उस लड़की ने पूछा था According to your wisdom, what can be the reason for increased drug addictions, adultery, and paedophilia is rampant and why is the society collapsing there and why do Ulemas not call out these people, especially the paedophiles?” (बाल यौन शोषण

जाकिर नाइक पहले तो उस लड़की के पीछे पड़ गया कि तुमने सवाल गलत पूछा है, माफ़ी मांगों या सवाल वापस लो लेकिन लड़की ने जब सवाल वापस नहीं लिया तो अपना “इस्लाम” का ज्ञान पेल दिया और कहा जो लड़की किसी सिंगल मर्द से शादी नहीं कर पाती तो उसके पास दो विकल्प हैं, या तो शादीशुदा आदमी से शादी करे या “बाज़ारू” हो जाए, Public Property बन जाए

इसलिए अब गूगल पर सर्च किया तो पाया कि जाकिर नाइक की दो बेटियां हैं, जिकरा नाइक, 25 साल की और दूसरी रुश्दा नाइक, 22 साल की और शायद दोनों की शादी नहीं हुई है सभी लड़कियों के लिए इस्लामिक कानून बताने के बाद उस कानून को अपनी बेटियों पर भी लागू करेगा जाकिर नाइक, क्या उसकी बेटियों को भी वैसा ही कहा जा सकता है जो जाकिर नाइक ने कहा

कुछ महिलाओं ने आवाज़ उठाते हुए पूछा है कि इसे किसने बुलाया और क्यों बुलाया, ऐसे अनपढ़ लोगों को आगे से नहीं बुलाना चाहिए लेकिन स्टेडियम में बैठी महिलाओं को चाहिए था कि जाकिर की स्टेज पर चढ़ कर ही ठुकाई कर देती

अभी कुछ दिन पहले एक समारोह में, कुछ “अनाथ” लड़कियों ने जाकिर के सम्मान में उसे  फूलों का गुलदस्ता देने की कोशिश की लेकिन इसने लेने से मना कर दिया और स्टेज छोड़ कर चला गया क्योंकि अनाथालय वालों ने उन लड़कियों का परिचय “बेटियां” कह कर दिया था

लेकिन ये “इस्लाम” का विद्वान कहता है “आप उन्हें छु नहीं सकते या बेटी नहीं कह सकते क्योंकि वे “गैर महराम” है जिसका मतलब होता है वो महिलाएं/पुरुष जिनसे आप शादी कर सकते - ये लड़किया शादी लायक हैं और इसलिए इन्हे बेटी नहीं कह सकते” और इतना कह कर स्टेज से भाग खड़ा हुआ -

मुस्लिमों की समस्या इसी वजह से है, पहले तो मदरसों में केवल इस्लामिक तालीम मिलती है, वो भी सब मौलवी अपने अपने तरीके से देते हैं और फिर जाकिर नाइक जैसे जहर उगलने वाले कौम के लोगों को “अपने ही इस्लाम”  के पाठ पढ़ाते रहते है 

ऐसे ही घटिया प्रवचन देता रहेगा तो मुस्लिमों में ये जाकिर नाइक इस्लाम के लिए नफरत पैदा कर देगा मुस्लिम सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि ये लड़कियों को बाज़ारू और Public Property कह कर उन्हें वेश्या बनाना चाहता है जबकि सनातन धर्म महिलाओं को देवी के रूप में आदर देता है 

‘2047 तक भारत के कई टुकड़े’: खालिस्तानी आतंकी पन्नू की नई धमकी, चीन को अरुणाचल पर हमले के लिए उकसाया; मुस्लिम कट्टरपंथी और आतंकवादियों के मंसूबे भी यही है

                                                  खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू
खालिस्तानी आतंकी और प्रतिबंधित संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (SFJ) के मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक बार फिर भारत की अखंडता के खिलाफ़ गंभीर धमकी दी है। अमेरिका में बसे पन्नू ने एक वीडियो जारी कर भारत के कई राज्यों में अलगाववादी ताकतों को खड़ा करने की बात कही है। उसने 2047 तक भारत को कई टुकड़ों में बाँटने का हमेशा की तरह मुंगेरीलाल का सपना फिर से देखा है, जिसमें पन्नू ने दावा किया कि 2047 तक भारत का कोई अस्तित्व नहीं रहेगा और इसका पूरा भूगोल बदल दिया जाएगा।

पन्नू की धमकी में और मुस्लिम कट्टरपंथी और आतंकवादियों की धमकी में कोई फर्क नहीं। देशप्रेमी विशेषकर हिन्दुओं को अपने दिमाग का सही इस्तेमाल करना होगा। याद करना होगा कि CAA विरोध के दिनों में हिन्दुओं की गैर-हाज़िरी में कहा जाता था कि 'जब तक हिन्दुस्तान गजवा-ए-हिन्द नहीं बन जाता तिरंगा संभालना है और भारत माता की जय बोलना है।' सोशल मीडिया पर यह बात खूब वायरल होने के साथ-साथ इस ब्लॉग पर भी लिखा था, लेकिन लालची और बेअक्ल इन देश विरोधी ताकतों के तलवे चाट रहे हैं।   

कनाडा के मंत्री के बयान पर भड़का पन्नू

यह वीडियो कनाडा के उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन के एक बयान के बाद जारी किया गया। मॉरिसन ने हाल ही में एक सार्वजनिक सुनवाई के दौरान कहा था कि कनाडा की नीति स्पष्ट है – भारत की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत एक एकीकृत राष्ट्र है और इसकी संप्रभुता को कोई खतरा नहीं होना चाहिए। इस बयान से पन्नू भड़क उठा और भारत के खिलाफ जमकर आग उगला।
पन्नू ने अपने वीडियो में मुंगेरीलाल के सपने की तरह SFJ का मिशन बताया है। पन्नू ने कहा, “SFJ का मिशन 2024 से 2047 तक भारत को खत्म करना है।” उसने यह भी कहा कि पंजाब के अलावा अब जम्मू-कश्मीर, असम, मणिपुर और नागालैंड में भी स्वतंत्रता आंदोलनों को भड़काने की योजना बनाई जा रही है। इन राज्यों में भी आंदोलन शुरू कर ‘भारत संघ को खंडित’ करने की धमकी दी गई है।

चीन को अरुणाचल पर हमले के लिए उकसाया

वीडियो में पन्नू ने केवल भारत के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करने की धमकी ही नहीं दी, बल्कि उसने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी समर्थन की अपील की। उसने चीनी सेना से कहा कि अरुणाचल प्रदेश को चीन का क्षेत्र मानते हुए इसे वापस लेने का समय आ गया है। पन्नू ने दावा किया कि चीन को भारत के खिलाफ अपने हितों की रक्षा के लिए कदम उठाना चाहिए।
पन्नू ने यह भी कहा कि वह और उसका संगठन SFJ भारत के खिलाफ अपने खतरनाक एजेंडे को आगे बढ़ाते रहेंगे। वह अमेरिका और कनाडा के कानूनी सुरक्षा और संरक्षण में रहकर भारत को कमजोर करने की योजना बना रहा है। उसने वीडियो में एक पोस्टर के सामने बैठकर कहा, जिस पर लिखा था “2047: नॉन इंडिया”, जिसका मतलब है कि 2047 तक भारत का कोई अस्तित्व नहीं रहेगा।

खालिस्तान के नाम जनमत संग्रह

SFJ लंबे समय से पंजाब को भारत से अलग कर खालिस्तान नाम का एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की माँग कर रहा है। इसके लिए SFJ ने एक अनौपचारिक वैश्विक जनमत संग्रह की पहल भी शुरू की है, जिसमें वह पंजाब को एक अलग देश बनाने के लिए समर्थन माँग रहा है। हालाँकि, इस जनमत संग्रह को पंजाब के अंदर कोई समर्थन नहीं मिला। साफ है कि पंजाब के लोग खालिस्तान के विचार को खारिज कर चुके हैं, लेकिन पन्नू और उसके समर्थक इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उछालने की कोशिश कर रहे हैं।

भारत-कनाडा के तनाव का फायदा उठाने की कोशिश

भारत और कनाडा के बीच पिछले कुछ समय से रिश्तों में तनाव बना हुआ है, जिसका कारण कनाडा की धरती पर खालिस्तान समर्थक गतिविधियों का बढ़ना है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के समय-समय पर खालिस्तानियों के प्रति नरम रुख अपनाने से भारत सरकार ने भी नाराज़गी जताई थी। हालाँकि, डेविड मॉरिसन के हालिया बयान से ऐसा लगता है कि कनाडा ने भारत की अखंडता का समर्थन किया है, जिससे खालिस्तान समर्थक गुटों में हलचल मच गई है।
गुरपतवंत सिंह पन्नू की धमकियों के बावजूद एक बात तो साफ है कि वो लगातार सिर्फ चर्चा में बने रहने के लिए बड़ी-बड़ी बातें करता रहा है। उसकी तरफ से इस तरह की धमकियाँ पहले भी आती रही हैं। हालाँकि दिल्ली में वो पोस्टरबाजी करवाने जैसी हरकतों को अंजाम दे चुका है। बहरहाल, भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही पन्नू और उसके संगठन की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं, और उसकी धमकियों को गंभीरता से लिया जा रहा है।

दिल्ली : निगम पार्षद उमंग बजाज को बाबा बड़ा वीर मन्दिर का द्वार खुलवाने के लिए ज्ञापन


बाबा बड़ा वीर मंदिर गांव खामपुर राया,खसरा नं 1075/803/50 (न्यू.पटेल नगर),नई दिल्ली-110008
 

आज 11 अक्टूबर,2024 को 1100 वर्षों पुराना प्राचीन बाबा बड़ा वीर मन्दिर,गांव खामपुर राया(न्यू पटेल नगर) का द्वार खुलवाने के लिए आदरणीय उमंग बजाज  जी, लोकप्रिय निगम पार्षद, नारायणा को हस्ताक्षर अभियान का ज्ञापन दिया गया। लोकप्रिय निगम पार्षद ने शीध्र मन्दिर का द्वार खुल जाने का आश्वासन दिया। प्राचीन बाबा बड़ा वीर मन्दिर के मुख्य  सेवादार यशवन्त सिंह चौहान के नेतृत्व में सेवादार विक्रम चौहान जी,नरेन्द्र चौहान जी,राजेश चौहान जी, धर्मपाल जी बाल्मिकी मन्दिर एवं समाज के प्रधान जी, प्रसिद्ध समाजसेवी दारा सिंह जी इत्यादि गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामय उपस्थिति रही।

प्राचीन बाबा बड़ा वीर मंदिर  1100 वर्षों पुराना बना मन्दिर हैं रहेजा बिल्डर्स ने बाबा बड़ा वीर मन्दिर (धाम/थान) का रास्ता बंद कर दिया हैं जिससे मन्दिर में गांव खामपुर राया,गांव शादीपुर,गांव दसघरा,गांव टोडापुर, नारायणा,गांव बसई दारा पुर,न्यू पटेल नगर,पाडंव नगर, रणजीत नगर,पटेल नगर,बलजीत नगर इत्यादि स्थानीय लोगों और दूर-दराज आने वाले लोगों की पूजा बंद हो गई हैं।

ज्ञापन में लोकप्रिय निगम पार्षद से निवेदन किया गया हैं कि सर्व समाज के लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए मन्दिर का द्वार खुलने की कृपया करें।

*लोकप्रिय निगम पार्षद ने शीध्र मन्दिर का द्वार खुल जाने का आश्वासन दिया। 

प्राचीन बाबा बड़ा वीर का संक्षिप्त इतिहास

डा. रामसिंह रावत की पुस्तक :रवा राजपूतों का इतिहास द्वितीय खड में लिखित वर्णन अनुसार-पटेल नगर थाने के सामने नरायणा-बांध के उत्तरी छोर पर "बाबा बड़े वीर" का मन्दिर (धाम/थान) हैं। जनश्रुति है कि चौहान कुलोत्पन्न वीरवर गूगा जी के सामन्त एवं सहयोगी चौहान राजपूत मुगलों से युद्ध करते समय खेत रहे थे(बलिदान हुआ)।राष्ट्ररक्षा में बलिदान होने वाले उक्त वीर को "बड़ा वीर" कहा जाता था।उसी की स्मृति में यह स्थान बाबा बड़ा

वीर मन्दिर(धाम/थान) के नाम से जाना जाता हैं।यह वीर बाबा गोरखनाथ जी का शिष्य था।अतःपूरे समाज में तथा नाथपंथियों में बाबा बड़ा वीर का बड़ा सम्मान हैं।गांव खामपुर राया-शादीपुर इत्यादि के लोग बड़े वीर की मनौती मनाते हैं और मनौती-पूर्ण होने पर चादर चढ़ाते हैं।राजपूत भी लोक देवी-देवताओं में पूर्ण विश्वास रखते हैं।

सेवादार

यशवन्त सिंह चौहान

कर्नाटक : इस्लामी कट्टरपंथियों की जिस हिंसा में घायल हुए 12 पुलिसकर्मी, अस्पताल और मंदिर पर किया था हमला उस केस को वापस क्यों वापस ले रही कांग्रेस सरकार? क्या कांग्रेस वास्तव में हिन्दू विरोधी है?


कर्नाटक में 2022 में हुए हुबली हिंसा के मामले को कांग्रेस सरकार ने वापस लेने का निर्णय लिया है। इस मामले में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लीमीन के नेता समेत कई लोग आरोपित बनाए गए थे। उनके ऊपर इस्लामी कट्टरपंथियों की भीड़ इकट्ठा करके हुबली पुलिस थाने पर धावा बोलने और पुलिसकर्मियों पर हमला करने का आरोप था। उस हिंसा के दौरान न केवल पुलिस स्टेशन और पुलिस वाहनों पर पथराव किया गया था, बल्कि पास के एक हनुमान मंदिर और अस्पताल को भी निशाना बनाया गया था, जिससे काफी नुकसान हुआ था। इसके अलावा इस हिंसा में 12 पुलिसकर्मी घायल हुए थे।

घटना 16 अप्रैल 2022 को हुई थी। भीड़ काबू होने के बाद पुलिस ने इस केस को दर्ज किया था। हालाँकि बाद में राज्य में कांग्रेस सरकार आई और इस केस को वापस लेने के लिए डिप्टी चीफ मिनिस्टर डीके शिवकुमार ने एक पत्र लिखा। ये पत्र अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को 4 अक्टूबर 2023 को लिखा गया था। इसमें उप मुख्यमंत्री ने आग्रह किया था कि केस वापस ले लिया जाए रिपोर्ट्स बताती हैं कि उसी अनुरोध के बाद राज्य के गृह विभाग को वो पत्र भेजा गया और निर्णय को मंजूरी दी गई।

कर्नाटक में साल 2022 में हनुमान जयंती के बाद हुबली में एक सोशल मीडिया पर बवाल हुआ था। इस्लामी कट्टरपंथियों की भीड़ ने सड़कों पर उतरकर पुलिस को निशाना बनाया था और सड़कों पर उपद्रव किया था। बाद में इस मामले में पुलिस ने 100+ से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया था। जाँच में सामने आया था कि भीड़ को उकसाने में एआईएमआईएम नेता मौलाना वसीम शामिल था। उसी ने दरगाह पर उन्मादी भाषण दिया था और पुलिस स्टेशन के बाहर भी भीड़ के साथ वही था। उसके अलावा इस केस में हुबली-धारवाड़ नगर निगम पार्षद नजीर अहमद को कर्नाटक पुलिस ने पकड़ा था। वह भी AIMIM पार्टी नेता था जिसके तार 16 अप्रैल 2022 को पुलिस थाने पर हुई पत्थरबाजी से जुड़े मिले थे।

केरल : ‘अच्छे कपड़े पहनने वाले झूठे, लिपस्टिक वाली से सावधान’ : विजय राघवन, CPM नेता

                                      सीपीएम नेता विजय राघवन (फोटो साभार: ऑन मनोरमा)
सीपीएम के पोलित ब्यूरो के सदस्य और पूर्व सांसद ए विजयराघवन अपने सेक्सिस्ट (लिंगभेदी) बयान पर अड़े हुए हैं, जिसमें उन्होंने पत्रकारों के पहनावे और लिपस्टिक लगाने को लेकर टिप्पणी की थी। यह घटना केरल के त्रिशूर में गुरुवार (10 अक्टूबर 2024) को हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सामने आई।

ऑन मनोरमा की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व सांसद विजयराघवन ने हाल ही में नीलांबूर में आयोजित एक सीपीएम सार्वजनिक बैठक में कहा था, “जो पत्रकार अच्छे कपड़े पहनते हैं, वे झूठ बोलते हैं। अच्छे शर्ट और पैंट पहनने वालों और लिपस्टिक लगाने वालों से सावधान रहना चाहिए।” यानि क्या पार्टी में लिपिस्टिक लगाने वाली महिलाओं से सावधान रहना चाहिए? 

जब एक महिला पत्रकार ने उनके इस विवादित बयान पर सवाल किया, तो विजयराघवन ने उसे प्यार भरी टिप्पणी बताते हुए कहा, “यह तो पत्रकारों के प्रति प्रेम से की गई टिप्पणी थी।” हालाँकि, सवाल पर जोर देने के बाद उन्होंने इस मामले को डायवर्ट करने की कोशिश और पूछा, “आपको लिपस्टिक से इतनी परेशानी क्यों है? क्या लिपस्टिक कोई गलत शब्द है?”

पत्रकारों ने जब उन्हें घेरा, तो उनका लहजा बदल गया और उन्होंने कहा, “आमतौर पर आप लोग हमारे बारे में काफी कुछ कहते हैं, तो बदले में आपको भी कुछ सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए। मीडिया भी झूठ बोलकर लोगों को गुमराह कर सकता है, और ऐसे मामलों में उनके पहनावे और शब्दों का असर होता है।”

इस बयान के बाद से विजयराघवन की आलोचना हो रही है, खासकर उनके महिलाओं के पहनावे पर की गई टिप्पणी को लेकर, जिसे लिंगभेदी और अपमानजनक माना जा रहा है। बता दें कि विजयराघवन लोकसभा और राज्यसभा के भी सदस्य रह चुके हैं। वो सीपीएम के पोलित ब्यूरो के सदस्य भी हैं।

नवरात्र के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने लाओस में देखा 'लाओ रामायण' का मंचन


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज, 10 अक्टूबर को आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए लाओस पहुंचे। लाओस में उनका जोरदार स्वागत किया गया। इस अवसर पर उन्होंने लाओस में लाओ रामायण का मंचन भी देखा। लुआंग प्राबांग के रॉयल थिएटर द्वारा पेश लाओ रामायण को यहां ‘फलक फलम’ या ‘फ्रा लक फ्रा राम’ कहा जाता है। लाओस में रामायण के प्रति आज भी लोगों में काफी उत्साह है। यह दोनों देशों के बीच साझा विरासत और सदियों पुरानी सभ्यता के संबंध को दर्शाता है। दोनों देश अपनी साझा विरासत को संवारने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण लाओस में वाट फू मंदिर और संबंधित स्मारकों के जीर्णोद्धार में शामिल है। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां के मंत्रियों के साथ लाओ रामायण की एक श्रृंखला (एपिसोड) देखी।