अंग्रेजी समाचार TV चैनल India Today से पत्रकार राजदीप सरदेसाई को निकाले जाने की खबरें सोशल मीडिया पर लगातार तैर रही हैं। सोशल मीडिया पर लोग एक कड़ी से दूसरी कड़ी जोड़ कर राजदीप की विदाई को लेकर चर्चाएँ कर रहे हैं।
अपने दर्शकों को गुमराह कर TRP बढ़ाने में India Today का इतिहास पुराना है। याद हो अरविन्द केजरीवाल के इंटरव्यू को आजतक पर प्रसून वाजपेयी का वीडियो बहुत वायरल हुआ था
राजदीप सरदेसाई को लेकर इन चर्चाओं को और भी बल तब मिला जब ABP न्यूज की पत्रकार मेघा प्रसाद ने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, “मीडिया के एक बड़े और ताकतवर व्यक्ति को बाहर निकाल दिया गया… आपके कर्म लौट कर आपको वापस मिलते हैं।”
So a high and mighty in the media just got booted out....so unceremoniously...so sad. But karma comes back to bite, right ? That's what we have been taught 😊
इस ट्वीट में मेघा ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन लोग तुरंत ही कयास लगाने लगे। कई लोगों ने दावा किया कि यह इशारा इंडिया टुडे के एंकर राजदीप सरदेसाई की तरफ है, जिन्होंने हाल ही में PoK पर एक विवादित टिप्पणी की थी।
इस आग में घी डालने का काम एक्स पर की गई कई और पोस्टों ने किया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि सरदेसाई को उनके विवादास्पद रवैये और हितों के टकराव के कारण चैनल से बिना कोई सम्मानजनक विदाई दिए हटा दिया गया है।
It is none other than Rajdeep Sardesai who made a statement about giving PoK to Pakistan; here is the video where he spoke about it. pic.twitter.com/RDp0pOv0Ok
इंडिया टुडे के डिबेट शो में उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पाकिस्तान को सौंप देना चाहिए और नियंत्रण रेखा (एलओसी) को अंतरराष्ट्रीय सीमा मान लेना चाहिए। सरदेसाई ने इसे कश्मीर समस्या का ‘स्थायी समाधान’ बताया था।
राजदीप ने कहा कि आतंकवाद और जम्मू-कश्मीर के आंतरिक मुद्दों पर चर्चा जरूरी है, लेकिन पीओके वापस लेना संभव नहीं। इसको लेकर राजदीप को काफी विरोध झेलना पडा था और उनकी सोशल मीडिया पर आलोचना हुई थी।
पहले भी फैला चुके झूठ
यह पहली बार नहीं है जब राजदीप सरदेसाई से जुड़ा कोई विवाद सामने आया हो। इससे पहले जनवरी 2021 में, किसान प्रदर्शन के दौरान गलत सूचना फैलाने के कारण उन्हें इंडिया टुडे ने दो सप्ताह के लिए ऑफ एयर कर दिया था और एक महीने का वेतन काट लिया था।
सरदेसाई ने ट्वीट किया था कि गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली के दौरान मरने वाले एक प्रदर्शनकारी की मौत पुलिस की गोलीबारी में हुई थी। बाद में पुष्टि हुई थी कि उसकी मौत ट्रैक्टर के पलटने से हुई थी। इसके बाद इंडिया टुडे को उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
अब सरदेसाई के साथ क्या होगा?
अगर सरदेसाई को बाहर निकाले जाने की बात आगर सच साबित होती है तो वह ऐसे ही लोगों की एक लम्बी लाइन में शामिल हो जाएँगे। इससे पहले कई को हस्तियों पत्रकारिता की आड़ में दुष्प्रचार करने के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
इसके बाद वह रवीश कुमार, अभिसार शर्मा, अजीत अंजुम की तरह पीड़ित होने का नाटक कर सकते हैं और दावा कर सकते हैं कि उन्हें ‘असहज सवाल’ पूछने के लिए बर्खास्त कर दिया गया था और बस यूट्यूब पर चले जाएँ। यहाँ वह अपना प्रोपेगेंडा खुल कर चला सकते हैं।
भारत में पाकिस्तानी गद्दारों के साथ-साथ गद्दार पत्रकारों की भी कमी नहीं। India Today पहले भी कई बार विवादों में घिर चुका है। लेकिन अब तो सीधे-सीधे पाकिस्तान के लिए बैटिंग करते दिख रहा है और पाकिस्तान अपने डोसियर में इसी बात लेकर अपना पक्ष रखेगा। आखिर राजदीप सरदेसाई क्यों पाकिस्तान के लिए बैटिंग कर रहा है? क्या सरदेसाई अपने मकान या बंगले के किसी हिस्से पर कोई कब्ज़ा कर ले तो क्या छोड़ देंगे? अगर नहीं फिर क्यों भारत PoK से अपना हक़ छोड़े? जब तक देश में गद्दारों के साथ सरदेसाई जैसे पत्रकारों पर कार्यवाही नहीं होगी संकट के बादल मंडराते रहेंगे। विवादित पत्रकार राजदीप सरदेसाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वे भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर विवादित सुझाव देते दिख रहे हैं। इंडिया टुडे के डिबेट शो में उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पाकिस्तान को सौंप देना चाहिए और नियंत्रण रेखा (एलओसी) को अंतरराष्ट्रीय सीमा मान लेना चाहिए। सरदेसाई ने इसे कश्मीर समस्या का ‘स्थायी समाधान’ बताया।
राजदीप ने कहा कि आतंकवाद और जम्मू-कश्मीर के आंतरिक मुद्दों पर चर्चा जरूरी है, लेकिन पीओके वापस लेना संभव नहीं।
राजदीप के इस बयान ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएँ बटोरीं, जहाँ लोग इसे भारत की संप्रभुता के खिलाफ मान रहे हैं। कई लोगों ने इसे ‘राष्ट्र-विरोधी’ करार दिया। यह वीडियो इंडिया टुडे के ऑफिसियल यूट्यूब चैनल पर 22 मई 2025 को पोस्ट हुआ था।
सिंध, बलूचिस्तान और गिलगित, यह सभी राज्य पाकिस्तान से आजादी चाहते हैं "Operation Sindoor" से बहुत पहले से NSA प्रमुख डोभाल और अन्य कहते रहे हैं कि PoK अपने आप भारत में आएगा। दूसरे, पाकिस्तान के और भी टुकड़े होंगे। लेकिन "Operation Sindoor" के चलते उम्मीद की जा रही थी कि PoK पर भारत अपना कब्ज़ा कर लेगा। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कूटनीति के चलते ऐसा नहीं किया। अगर मोदी ने ऐसा कर लिया होता आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई दूसरा मोड़ लेकर आतंकवाद के मुद्दे को हवा-हवाई कर देता। और विपक्ष ही नहीं सारा देश मोदी से यही पूछता कि "धर्म पूछकर उनकी पैंट खोलकर धर्म देखकर सुहागनों के उजाड़ने वालों से बदला क्यों नहीं लिया।" परन्तु जानकारों के साथ राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है कि मोदी ने एक तीर से कई निशाने साध दिए हैं।
राहुल गाँधी और इसके पिछलग्गू पार्टियां उल्टे-पुल्टे बयान देकर पाकिस्तान के लाडले बने हुए हैं। किसी में राहुल या कांग्रेस से यह पूछने की हिम्मत नहीं कि चीन के साथ क्या MoU हुआ है, दूसरे सोनिया गाँधी कश्मीर विरोधी कमेटी की co-chairman क्यों हैं? आखिर मोदी का विरोध करने के चक्कर में देश का क्यों विरोध किया जा रहा है? मोदी सरकार ने अपने विरोधियों को दूसरे देशों में "Operation Sindoor" के बारे में भेज जो खेल खेला है उसे भी राहुल और इसके समर्थक बिलकुल भी नहीं समझ पा रहे। जो इन सबकी मंदबुद्धि का जीता-जागता सबूत है। मोदी द्वारा भेजे इस delegation के बहुत दूरगामी परिणाम होने वाले हैं। जिसे मोदी विरोधी तो क्या गोदी-मीडिया कहलाए जाने वाला मीडिया भी खामोश है। जिस तरह पाकिस्तान सेना ने मन्दिरों और गुरुद्वारों पर बमबारी की है अगर वही बमबारी मस्जिदों और दरगाहों पर हुई होती सारे चैनल अपनी TRP बढ़ाने खूब चर्चाएं कर रहे होते।
खैर, भारत में आतंकी भेजने और पहलगाम में निर्दोषों की हत्या के लिए खाद पानी देने वाला पाकिस्तान खुद विभाजन की तरफ बढ़ रहा है। भारत से युद्ध की गीदड़भभकी देने वाले पाकिस्तान में लगातार कई समूह आजादी की लड़ाई तेज कर रहे हैं। खराब आर्थिक हालातों से जूझता पाकिस्तान इन आवाजों को दबाने में भी विफल है।
पाकिस्तान में सिंधी, बलूच और पश्तून समुदाय लंबे समय से आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं। वह अपना अलग देश बनाना चाहते हैं। इन समुदायों का पाकिस्तान और उसकी फ़ौज लगातार शोषण करती आई है। इनसे लगातार भेदभाव किया जाता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सैन्य तनाव के बीच, बलोच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तान से आजादी के लिए अपने आंदोलन को दोबारा चालू कर दिया है। उन्होंने अपनी आजादी की घोषणा भी कर दी है। बलूचों के अलावा अब पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भी आजादी की माँग उठी है।
सिंध प्रांत को पाकिस्तान से आजाद करके सिंधु देश के अलग देश के निर्माण की माँग करने वाले संगठन ‘जय सिंधु स्वतंत्रता आंदोलन’ (JSFM) ने भी पाकिस्तान सरकार के खिलाफ अपने आजादी के अभियान को तेज कर दिया है।
इसके अलावा पश्तूनिस्तान नामक अलग देश की माँग करने वाली आवाजें भी उठी हैं। पश्तूनिश्तान की माँग करने वाले खैबर पख्तूनख्वा और उत्तरी बलूचिस्तान के हिस्सों को पाकिस्तान से अलग करके अपना देश बनाना चाहते हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव के दौरान BLA ने पाकिस्तान से आजादी की घोषणा की और संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान के लोकतांत्रिक गणराज्य को मान्यता देने का आग्रह किया। काफी कम आबादी वाले और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर बलूचिस्तान लम्बे समय से उग्रवाद से जूझ रहा है।
ऐतिहासिक रूप से, बलूचिस्तान ‘खान ऑफ कलात’ के अधीन एक स्वतंत्र देश था। हालाँकि, भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद यह मार्च 1948 में यह पाकिस्तान में शामिल हो गया। खान ऑफ कलात ने दबाव में आकर अपनी और बलूच समुदाय की इच्छा के विरुद्ध विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिए थे।
इससे पहले 11 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों की निगरानी में कलात और पाकिस्तान के बीच एक स्टैंडस्टिल समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते में कलात को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी गई थी। कलात को ही अब बलूचिस्तान के नाम से जाना जाता है।
1948 में समझौते के बावजूद पाकिस्तान ने खान ऑफ कलात को बलूचिस्तान को पाकिस्तान में विलय करने के लिए मजबूर किया। पाकिस्तान चाहता था कि बलूचिस्तान उसमे शामिल हो जाए। इस विलय के बाद से बलूचिस्तान में पाँच बार विद्रोह हो चुके हैं।
यह विद्रोह 1948, 1958, 1962, 1973-77 में हुए हैं। इसके बाद 2000 से चालू हुई लड़ाई आज तक जारी है। बलूच खुद को राजनीतिक हाशिए पर धकेले जाने, हिंसक और यातनापूर्ण दमन और संसाधनों के दोहन के चलते हथियार उठाने पर मजबूर हैं।
बलूचिस्तान की आजादी की लड़ाई का नेतृत्व अब BLA कर रही है। हाँलाकि, पाकिस्तान की 2009 में शुरू की गई नीति ‘मारो और फेंको’ के चलते इसके सदस्य लगातार मारे जा रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग गायब भी किए गए हैं। हजारों की संख्या में लोगों को पाकिस्तान की फ़ौज ने उठाया और वह फिर कभी वापस नहीं लौटे।
सिंध भी चाहता है स्वतंत्रता
पाकिस्तान के सिंध प्रांत की आजादी की माँग ‘जय सिंधु स्वतंत्रता आंदोलन’ (JSFM) द्वारा की जा रही है। जो सिंधु देश के एक अलग देश के गठन की वकालत करता रहा है। सिंध के लोगों की लंबे समय से माँग रही है कि सिंध का एक अलग स्वतंत्र देश हो।
अल्पसंख्यक सिंधी समुदाय ने इस्लामी मुल्क पाकिस्तान पर उर्दू थोपने और जमीन हड़पने के आरोप लगाए हैं। सिंधियों का कहना है कि पाकिस्तान उनकी स्थानीय संस्कृति को मिटा रहा है। पिछले कुछ सालों में पाकिस्तानी फ़ौज द्वारा कई स्वतंत्रता समर्थक कार्यकर्ताओं को न सिर्फ मारा और प्रताड़ित किया गया है बल्कि जबरन गायब भी कर दिया गया है।
पश्तूनिश्तान की लड़ाई भी हुई तेज
पंजाबियों के बाद पश्तून पाकिस्तान में दूसरा सबसे बड़ा जातीय समूह है। ये पाकिस्तान की कुल आबादी का 15% हिस्सा हैं। यह समुदाय भी भेदभाव और उत्पीड़न के कारण एक स्वतंत्र देश की माँग कर रहा है।
पश्तूनों की बड़ी आबादी पाकिस्तान के पश्चिमी इलाके में रहती है। यह इलाका पश्तूनिस्तान अख्लाता है। इसका कुछ हिस्सा पाकिस्तान और कुछ हिस्सा अफगानिस्तान में आता है। पाकिस्तान और अफगान पश्तूनों ने 1893 में बनाई गई डूरंड लाइन के सीमांकन को खारिज किया है। यह सीमा अब अफगानिस्तान और पाकिस्तान को विभाजित करती है।
पश्तूनों का कहना है दोनों तरफ उनके लोग रहते हैं, ऐसे में वह इस सीमा को नहीं मान सकते। हाल के दिनों में पश्तून समुदाय के स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व पश्तून तहफुज मूवमेंट (PTM) ने किया है। इसके मुखिया मंजूर पश्तीन हैं। मंजूर पश्तीन की आवाज भी लगातार पाकिस्तान दबाता रहा है।
लोगों की माँगों को उठाने के लिए बनाया गया PTM एक सामाजिक आंदोलन है। यह पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तानी फ़ौज की मनमानी और हर तरह के अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाता है। इसके भी कई कार्यकर्ताओं को पाकिस्तान की फ़ौज ने यातनाएँ दी हैं।
गिलगित और बाल्टिस्तान में भी उठी आवाज
पाकिस्तानी फौज को गिलगित-बाल्टिस्तान में रहने वाले लोगों से भी प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। गिलगित-बाल्टिस्तान उस पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का हिस्सा है, जिसे पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा रखा है।
प्राकृतिक और भौगोलिक रुप से सुंदर इस क्षेत्र को पाकिस्तानी सरकार द्वारा नजरअंदाज किया गया है। गिलगित-बाल्टिस्तान रणनीतिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र है, क्योंकि यह उत्तर में अफगानिस्तान के वाखान कॉरिडोर, उत्तर-पश्चिम में चीन के शिनजियांग प्रांत, पूर्व में लद्दाख और दक्षिण में कश्मीर से घिरा हुआ है।
पाकिस्तानी सरकार की लापरवाही के कारण इस क्षेत्र में रहने वाले लोग मुश्किलों से भरी जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं। इस क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ विकास का भी अभाव है। यहाँ के स्थानीय लोगों ने पाकिस्तानी फ़ौज पर उनकी जमीनों पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगाया है।
धार्मिक आधार पर भारत को विभाजित करके बनाए गए इस्लामी देश पाकिस्तान में कई अलगाव की आवाजें उठती आई हैं। इसका कारण पाकिस्तान की अपनी कोई पहचान नहीं होना है। पाकिस्तान के चार प्रदेशों में रहने वाले लोगों को लगातार प्रताड़ित किया जाता है।
इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है कि पाकिस्तान को उसकी जनता द्वारा चुनी गई सरकार नहीं बल्कि फ़ौज चलाती है। यह फ़ौज इस्लाम के आधार पर चलती है। पाकिस्तानी फ़ौज के हाथों मारे जाने के डर के चलते सिंधी हो या बलूच, सभी आजादी चाहते हैं।
आजादी की यह चिंगारी उत्तर में गिलगित बाल्टिस्तान से लेकर अफगान सीमा पर FATA और सिंध तथा बलूचिस्तान तक लग चुकी है। यह कोई पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान की फ़ौज किसी जातीय समूह पर अपनी इस्लामी थोप रही हो।
इससे पहले पूर्वी पाकिस्तान में रहने वाले बंगाली लोगों के खिलाफ पाकिस्तानी फ़ौज द्वारा इसी तरह की दमनकारी नीतियाँ लागू की गई थी। इसकी वजह से 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम हुआ और बांग्लादेश के रूप में एक स्वतंत्र देश का गठन हुआ। इस बार लगी चिंगारी का अंत भी पाकिस्तान के नए विभाजनों के रूप में नजर आ रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद राष्ट्र के नाम संबोधन में पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया है। उन्होंने साफ कहा कि भारत का एक्शन अभी सिर्फ स्थगित हुआ है, खत्म नहीं। पाकिस्तान अगर आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा, तो भारत उसकी हर हरकत का हिसाब लेगा।
मोदी ने अपने सम्बोधन में विपक्ष और उसके टुकड़ों पर पल रहे मीडिया को भी समझा दिया कि भारत का एक्शन अभी सिर्फ स्थगित हुआ है, खत्म नहीं, जिसे देखो जनता को cease fire के नाम से गुमराह कर रहा है। Cease fire राष्ट्र प्रमुखों के एक टेबल पर बैठने पर होता है, DGMO के साथ नहीं। दूसरे, मोदी का यह सम्बोधन भारत राष्ट्र को नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से भारत विरोधी विदेशियों को भी था। जो भारत को अस्थिर कर विकास में बाधक बनने पाकिस्तान को उकसाते रहते हैं।
मोदी ने दोहराया कि टेरर और टॉक एक साथ नहीं चल सकते। अगर पाकिस्तान से कोई बात होगी, तो वो सिर्फ आतंकवाद और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर होगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि व्यापार और आतंक, पानी और खून भी एक साथ नहीं बह सकते।
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला दिया था। आतंकियों ने मासूम पर्यटकों को धर्म पूछकर बेरहमी से मार डाला। इस बर्बरता का जवाब देने के लिए भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ शुरू किया। 6 मई की रात और 7 मई की सुबह भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। इस कार्रवाई में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए। पीएम ने कहा कि ये आतंकी दशकों से पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे थे और भारत के खिलाफ साजिश रच रहे थे।
मोदी ने पाकिस्तान की बौखलाहट का भी जिक्र किया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने भारत के सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला करने की कोशिश की, लेकिन भारत ने इन हमलों को आसमान में ही नाकाम कर दिया। पीएम ने कहा कि इससे पाकिस्तान का असली चेहरा दुनिया के सामने बेनकाब हो गया। उन्होंने भारत की सेनाओं, खुफिया एजेंसियों और वैज्ञानिकों की तारीफ की, जिन्होंने इस ऑपरेशन को कामयाब बनाया।
जवाबी कार्रवाई सिर्फ स्थगित, उसका रवैया नहीं बदला तो…
पीएम मोदी ने कहा, “दुनिया ने देखा कि कैसे पाकिस्तान के ड्रोन्स और पाकिस्तान की मिसाइलें, भारत के सामने तिनके की तरह बिखर गईं। भारत के सशक्त एयर डिफेंस सिस्टम ने, उन्हें आसमान में ही नष्ट कर दिया। पाकिस्तान की तैयारी सीमा पर वार की थी, लेकिन भारत ने पाकिस्तान के सीने पर वार कर दिया। भारत के ड्रोन्स, भारत की मिसाइलों ने सटीकता के साथ हमला किया। पाकिस्तानी वायुसेना के उन एयरबेस को नुकसान पहुँचाया, जिस पर पाकिस्तान को बहुत घमंड था। भारत ने पहले तीन दिनों में ही पाकिस्तान को इतना तबाह कर दिया, जिसका उसे अंदाजा भी नहीं था। इसलिए भारत की आक्रामक कार्रवाई के बाद पाकिस्तान बचने के रास्ते खोजने लगा।
उन्होंने आगे कहा, “पाकिस्तान दुनिया भर में तनाव कम करने की गुहार लगा रहा था। और बुरी तरह पिटने के बाद इसी मजबूरी में 10 मई की दोपहर को पाकिस्तानी सेना ने हमारे DGMO को संपर्क किया। तब तक हम आतंकवाद के इंफ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर तबाह कर चुके थे, आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया था, पाकिस्तान के सीने में बसाए गए आतंक के अड्डों को हमने खंडहर बना दिया था।”
पीएम मोदी ने कहा, “भारत से पिटने के बाद पाकिस्तान की तरफ से गुहार लगाई गई। पाकिस्तान की तरफ से जब ये कहा गया, कि उसकी ओर से आगे कोई आतंकी गतिविधि और सैन्य दुस्साहस नहीं दिखाया जाएगा। तो भारत ने भी उस पर विचार किया। और मैं फिर दोहरा रहा हूँ, हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को अभी सिर्फ स्थगित किया है। आने वाले दिनों में हम पाकिस्तान के हर कदम को इस कसौटी पर मापेंगे, कि वो क्या रवैया अपनाता है।”
पीएम मोदी ने कहा, “पाकिस्तानी फौज, पाकिस्तान की सरकार, जिस तरह आतंकवाद को खाद-पानी दे रहे है, वो एक दिन पाकिस्तान को ही समाप्त कर देगा। पाकिस्तान को अगर बचना है तो उसे अपने टैरर इंफ्रास्ट्रक्चर का सफाया करना ही होगा। इसके अलावा शांति का कोई रास्ता नहीं है।”
उन्होंने कहा कि भारत का मत एकदम स्पष्ट है—
टैरर और टॉक, एक साथ नहीं हो सकते
टैरर और ट्रेड, एक साथ नहीं चल सकते।
और पानी और खून भी एक साथ नहीं बह सकता।
मैं आज विश्व समुदाय को भी कहूँगा, हमारी घोषित नीति रही है..
अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो टेरेरिज्म पर ही होगी।
अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर, PoK उस पर ही होगी।
भारत ने तय कर दिया है तीन पैमाना
पीएम मोदी ने कहा कि भारत की तीनों सेनाएँ, हमारी एयरफोर्स, हमारी आर्मी, और हमारी नेवी, हमारी बॉर्डर सेक्योरिटी फोर्स- BSF, भारत के अर्धसैनिक बल, लगातार अलर्ट पर हैं। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद, अब ऑपरेशन सिंदूर आतंक के खिलाफ भारत की नीति है। ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक नई लकीर खींच दी है, एक नया पैमाना, न्यू नॉर्मल तय कर दिया है।
भारत पर आतंकी हमला हुआ तो मुँहतोड़ जवाब दिया जाएगा। हम अपने तरीके से, अपनी शर्तों पर जवाब देकर रहेंगे। हर उस जगह जाकर कठोर कार्रवाई करेंगे, जहाँ से आतंक की जड़ें निकलती हैं।
कोई भी न्यूक्लियर ब्लैकमेल भारत नहीं सहेगा। न्यूक्लियर ब्लैकमेल की आड़ में पनप रहे आतंकी ठिकानों पर भारत सटीक और निर्णायक प्रहार करेगा।
हम आतंक की सरपरस्त सरकार और आतंक के आकाओं को अलग-अलग नहीं देखेंगे। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने पाकिस्तान का वो घिनौना सच फिर देखा है, जब मारे गए आतंकियों को विदाई देने, पाकिस्तानी सेना के बड़े-बड़े अफसर उमड़ पड़े। स्टेट स्पॉन्सरड टेरेरिज्म का ये बहुत बड़ा सबूत है। हम भारत और अपने नागरिकों को किसी भी खतरे से बचाने के लिए लगातार निर्णायक कदम उठाते रहेंगे।
ऑपरेशन सिंदूर न्याय की प्रतिज्ञा
पीएम ने ऑपरेशन सिंदूर को देश की हर बेटी, बहन और माँ को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि ये सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि न्याय की प्रतिज्ञा है। भारत अब किसी भी न्यूक्लियर ब्लैकमेल को नहीं सहेगा। मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत शांति चाहता है, लेकिन शांति के लिए शक्ति जरूरी है। उन्होंने भगवान बुद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि शांति का रास्ता शक्ति से होकर जाता है।
पीएम मोदी ने कहा, “आज बुद्ध पूर्णिया है। भगवान बुद्ध ने हमें शांति का मार्ग दिखाया है। शांति का मार्ग शक्ति से होकर जाता है। मानवता शांति और समृद्धि की तरफ बढ़े। हर भारतीय शांति के साथ जी सके। विकसित भारत के सपने को पूरा कर सके, इसके लिए भारत का शक्तिशाली होना बहुत जरूरी है। और आवश्यकता पड़ने पर इस शक्ति का इस्तेमाल भी जरूरी है। पिछले कुछ दिनों में भारत ने यही किया है।”
पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए पीएम ने कहा कि भारत की सेना पूरी तरह अलर्ट है। अगर पाकिस्तान ने फिर से कोई गलती की, तो भारत उसका मुँहतोड़ जवाब देगा। मोदी ने देशवासियों की एकजुटता की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि जब पूरा देश एक साथ खड़ा होता है, तो फौलादी फैसले लिए जाते हैं। ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कितना सख्त है।
पीएम ने साफ किया कि भारत का लक्ष्य आतंकवाद को जड़ से खत्म करना है। पाकिस्तान के वादों को अब भारत कसौटी पर कसेगा। अगर पाकिस्तान आतंकवाद को नहीं रोकता, तो भारत का अगला कदम और सख्त होगा।
राशिद अल्वी (फोटो साभार: X_ANI) कांग्रेस नेता रशीद अल्वी ने भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर सवाल उठाकर विवाद खड़ा कर दिया है। अल्वी ने पूछा कि क्या इस ऑपरेशन में हर एक आतंकवादी मारा गया और क्या अब पहलगाम जैसे हमले दोबारा नहीं होंगे।
राशिद अल्वी ने कहा, “हमारी सेना ने सरकार के आदेश का पालन किया, लेकिन ये न्यूनतम जवाब है। क्या सभी आतंकवादी खत्म हुए? पीएम मोदी ने कहा था कि आतंकवादियों का नामोनिशान मिटा देंगे, अगर ऐसा हुआ तो अच्छा है।” अल्वी का ये बयान कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के रुख से अलग है, जिसने ऑपरेशन की तारीफ की थी। यही नहीं, राशिद अल्वी सर्जिकल स्ट्राइक पर भी सबूत माँग चुके हैं।
#WATCH | Delhi: On #OperationSindoor, Congress leader Rashid Alvi says, "Much better reply needs to be given, this is bare minimum. Our forces did what govt of India told them to do, but the question again arises. Was every single terrorist killed? Will there won't be another… pic.twitter.com/Rtn2tXPVP8
ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने मिलकर पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया। इनमें बहावलपुर, मुरीदके और सियालकोट जैसे इलाके शामिल थे, जहाँ जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के बड़े आतंकी सरगनाओं को निशाना बनाया गया। सभी हमले सफल रहे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात भर इसकी निगरानी की। ये ऑपरेशन 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ऑपरेशन की सराहना करते हुए कहा, “हमारी सेना ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की। कांग्रेस हमेशा राष्ट्रीय एकता और सेना के साथ खड़ी है।”
खरगे ने यह भी कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के दिन से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस स्पष्ट रूप से सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ कोई भी निर्णायक कार्रवाई करने के लिए सशस्त्र बलों और सरकार के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय एकता और एकजुटता समय की माँग है और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस हमारे सशस्त्र बलों के साथ खड़ी है। हमारे नेताओं ने अतीत में रास्ता दिखाया है और राष्ट्रीय हित हमारे लिए सर्वोच्च है।”
लेकिन अल्वी के बयान ने पार्टी की एकजुटता पर सवाल उठाए हैं। उनके बयान को कुछ लोग सेना के मनोबल को कमजोर करने वाला मान रहे हैं। अल्वी का ये रवैया नया नहीं है; वे पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत माँग चुके हैं।
इस ऑपरेशन को देशभर में समर्थन मिल रहा है, लेकिन अल्वी जैसे नेताओं के बयान से कांग्रेस की मानसिकता पर सवाल उठ रहे हैं।
स्क्रीनशॉट X-ANI
कुछ लोगों ने तो सीधे कह दिया कि इसे (राशिद अल्वी को) तुरंत पाकिस्तान भेज देना चाहिए।
इजरायल में आतंकी हमला करने वाले हमास ने 5 फरवरी को कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे इस्लामी संगठनों से हाथ मिला लिया। रावलकोट के शहीद साबिर स्टेडियम में आयोजित ‘कश्मीर एकजुटता दिवस’ और ‘हमास ऑपरेशन अल अक्सा फ्लड कॉन्फ्रेंस’ नामक कार्यक्रम में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकी ने मंच से इसकी घोषणा की।
जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ने धमकी देते हुए कहा, “फिलिस्तीन के मुजाहिदीन और कश्मीर के मुजाहिदीन अब एक हो गए हैं। दिल्ली में खून-खराबा करने और कश्मीर को भारत से अलग करने का समय आ गया है।” इस कार्यक्रम में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के भाई तल्हा सैफ, जैश कमांडर असगर खान कश्मीरी और मसूद इलियास और लश्कर के शीर्ष नेता शामिल हुए थे।
ईरान में आतंकी संगठन हमास के प्रतिनिधि डॉक्टर खालिद अल-कदौमी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुआ था। यह हमास नेता की पहली कश्मीर यात्रा थी। इसके अलावा, इस कार्यक्रम में कई फिलिस्तीनी नेताओं ने भी भाग लिया। बता दें कि पाकिस्तान 5 फरवरी को ‘कश्मीर एकजुटता दिवस’ मनाता है। इसके साथ ही वह ऐसी गतिविधियाँ करता है, जो भारत विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाती हैं।
इस तरह के आयोजनों के जरिए इस्लामी आतंकी संगठन भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ाने की कोशिश करते हैं। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों ने भारत पर कई आतंकवादी हमले किए हैं। इनमें साल 2001 का संसद हमला, साल 2008 का मुंबई हमला और साल 2019 का पुलवामा बम धमाका प्रमुख है।
हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को इज़रायल के इतिहास का सबसे भयानक हमला किया था। फिलिस्तीनी आतंकियों ने गाजा पट्टी से इजरायल में सैकड़ों रॉकेट दागे थे। साथ ही हमास के सैकड़ों आतंकवादियों ने इज़रायली क्षेत्र में घुसपैठ की और अंधाधुन फायरिंग करके 1300 से अधिक लोगों की हत्या कर दी थी और 250 से अधिक महिला, बुजुर्ग एवं बच्चों को बंधक लिया था।
हमास (Hamas) का पूरा नाम ‘हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया’ है। इसका अर्थ है ‘इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन’। हमास की स्थापना मिस्र में रहने वाले फिलिस्तीनी मौलवी शेख अहमद यासीन ने 1987 में की थी। काहिरा में इस्लामी पढ़ाई करने के बाद वह आतंकी संगठन ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ की स्थानीय शाखाओं से जुड़ गया था। साल 1960 के दशक में यासीन ने वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में तकरीर दी।
इसके बाद दिसंबर 1987 में यासीन ने गाजा में मुस्लिम ब्रदरहुड की राजनीतिक शाखा के रूप में हमास की स्थापना की। यह पहले ‘इंतिफादा’ यानी वेस्ट बैंक, गाजा और पूर्वी यरुशलम में कथित अत्याचारों के लिए इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीनी हमले पर आधारित था। साल 1993 से हमास आत्मघाती हमले कर रहा है। सन 1997 में संयुक्त राष्ट्र ने हमास को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन घोषित कर दिया।
साल 2004 में एक हवाई हमले में इजरायल ने मौलवी शेख अहमद यासीन को मार गिराया। साल 2006 से हमास ने गाजा पट्टी पर कब्ज़ा कर रखा है। उस समय इसने अपने प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दल फतह को चुनावों में हराया था। बाद में हमास ने वहाँ कोई चुनाव नहीं कराया। आतंकी संगठन हमास के कई बड़े नेता तुर्की मे बैठकर गाजा पट्टी में आतंकी गतिविधियों को संचालित करते रहे हैं।
जवानों के बलिदान पर बेशर्मी के बयान देने के लिए विपक्षी नेता खासकर कांग्रेसी तैयार रहते हैं कि बस मौका मिले और मुंह फाड़ दें। पूंछ में वायुसेना के जवानो पर हुए आतंकी हमले को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने बीजेपी का ‘चुनावी स्टंट’ करार दे दिया। बता दें कि इस आतंकी हमले में एयरफोर्स के एक जवान को वीरगति प्राप्त हुई है।
उन्होंने कहा कि पहले से तैयारी करके हमले करवाए जाते हैं। यह भाजपा को चुनाव में जिताने का स्टंट होता है और इसमें कोई सच्चाई नहीं होती।
कितनी गंदगी भरी है इन लोगों के दिमाग में, पुलवामा हमले में इन लोगों ने सारी हदें पार कर दी जो बालाकोट एयर स्ट्राइक के सबूत मांगते फिर थे। इन लोगों के घरों में यदि कोई आतंकी हमले में मौत हो तो उसे यदि स्टंट कहा जाए तो उन्हें कैसा लगेगा।
दूसरी तरफ 87 वर्षीय फारूक अब्दुल्ला रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को चुनौती दे रहे हैं कि -
लेखक चर्चित यूटूबर
“दम है तो राजनाथ सिंह POK वापस लेकर दिखाएं; अगर रक्षा मंत्री कहते हैं कि POK को वापस लाएंगे, तो जाएं, उन्हें रोकने वाले हम कौन हैं, लेकिन याद रहे, पाकिस्तान ने भी चूड़ियां नहीं पहन रखी हैं, उनके पास परमाणु बम हैं और दुर्भाग्य से वो परमाणु बम हमारे ऊपर गिरेंगे”। दूसरे, फ़ारूक़ भूल रहे हैं कि भारत भी atomic देश है। कहते हैं, मोदी को प्रधानमंत्री बने लगभग डेढ़ वर्ष हुआ था, जब CIA ने Pentagon को दी अपनी रिपोर्ट में कहा था : 'नरेंद्र मोदी विश्व का सबसे खतरनाक प्रधानमंत्री है। अभी तक पाकिस्तान ही भारत पर हमले करता रहा है, अब हमला होगा तो भारत की तरफ से होगा और पाकिस्तान को nuclear इस्तेमाल करने का मौका भी नहीं देगा'।
फारूक को पता नहीं उनके इस atomic मुल्क की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज़ बलूच ने क्या कहा है -
“हम टेंशन में हैं क्योंकि भारत पाकिस्तान में घुस कर उसके नागरिकों को मार रहा है”। वो जिन नागरिको की बात कर रही है वो आतंकी है और पिछले साल ऐसे 30 से ज्यादा आतंकियों को “unknown” लोगो ने 72 हूरो के पास भेज दिया। आगे कहती हैं कि “भारत का जासूसी नेटवर्क इतना फ़ैल गया है कि वह कई द्वीपों तक फ़ैल गया है। भारत लगातार operation कर रहा है और दुनिया का कोई देश उसे बचाने नहीं आ रहा”।
फारूक मियां तुम्हारे एटमी मुल्क का ये डर है और ये डर अच्छा है। इसकी ही तुम राजनाथ को धमकी दे रहे हो। पगला गए हो क्या?
मुमताज़ के बयान के बाद UN में पाकिस्तान के स्थाई प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने भी कहा है :
“PM मोदी घर में घुस कर मारने की बात कर रहे हैं। अब आप ही बताएं कि हम क्या करें”? जो पाकिस्तान कश्मीर राग अलापे बिना नहीं रहता था UN में वो आज कह रहा है - हमें बचा लो।
फारूक को यह भी नहीं पता कि पाकिस्तान के रहनुमा चीन POK में चलने वाले 969 करोड़ के नीलम-झेलम hydro power प्रोजेक्ट को बंद कर दिया। भारत तो इसका विरोध कर ही रहा था, POK के लोग भी इसके खिलाफ खड़े हो गए हैं।
और फारूक मिया यह भी देखो पाकिस्तान के पिटे हुए नेता फवाद चौधरी राहुल गांधी का प्रचार करने आ गए।
जनाब फारूक अब्दुल्ला आपको पाकिस्तान की इतनी जी हुजूरी करनी है तो वहां चले क्यों नहीं जाते - 87 साल की उम्र में वही सब इच्छाएं पूरी कर लीजिए और याद रखिए कि आप जोर लगा कर चुनौती देते थे मोदी को कि- “किसी के बाप में दम नहीं है जो 370 को हटा दे”। मोदी ने हटा दी ।
अब चुनौती दे रहे हो POK ले कर दिखाओ। POK भी आएगा और बलूचिस्तान भी आएगा और वैसे ही भारत का हिस्सा बनेगा जैसे पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) पर हुकूमत करता था।
मजे की बात तो ये है कि एटम बम की धमकी देनी पाकिस्तान ने बंद कर दी मगर फारूक जैसे पाकिस्तान के जड़ खरीद गुलाम दे रहे है।
पाकिस्तान को पता चल गया कि हमारा बम तो भारत रास्ते में ही उड़ा देगा लेकिन भारत जो बम फेंकेगा वो पाकिस्तान को विश्व के नक़्शे से उड़ा देगा। ये बात फारूक को भी समझ आ जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को पंख लगे। पर्यटन बढ़ने से लोगों के लिए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बढ़े। इसके साथ ही प्रदेश में निवेश बढ़ा है और विकास के अनेक काम किए जा रहे हैं। इससे वहां के लोगों में समृद्धि आ रही है। वहीं पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानि POK और गिलगित-बाल्टिस्तान भी पाकिस्तान की तरह भीषण आर्थिक संकट से गुजर रहा है। POK और गिलगित-बाल्टिस्तान में एक तरफ जहां आटा और दाल के लिए मारामारी चल रही है, वहीं गिलगित बाल्टिस्तान में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं और भारत में मिलने की मांग कर रहे हैं। लिहाजा, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके), गिलगित-बाल्टिस्तान (जीबी) फिर से सुर्खियां बटोर रहा है और यहां के निवासी पाकिस्तान सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों के खिलाफ भारी प्रदर्शन कर रहे हैं। पाकिस्तान की सरकार ने इन क्षेत्रों के लोगों के साथ भारी भेदभाव और शोषण किया है, लिहाजा अब यहां के निवासियों के सब्र ने जवाब दे दिया है और आए दिन प्रदर्शन होते रहते हैं।
1947 में जम्मू-कश्मीर गिलगित-बाल्टिस्तान सहित भारत का अभिन्न अंग बना ब्रिटेन सरकार ने गिलगित के क्षेत्र को जम्मू-कश्मीर के राजा के पास से 60 सालों के लिए पट्टे पर ले लिया जो वर्ष 1995 में समाप्त होना था। इस सीमा क्षेत्र की देख-रेख के लिए ब्रिटेन ने गिलगित स्काऊट का निर्माण किया जिसमें केवल अंग्रेज अधिकारी ही थे तथा इसका प्रबंधकीय नियंत्रण कर्नल बिकन के सुपुर्द किया गया था। जुलाई 1947 में ब्रिटेन-भारत सरकार के समय से पहले अनुबंध को रद्द कर यह इलाका वापस जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के सुपुर्द कर दिया गया। एक अगस्त 1947 को डोगरा शासन की रियासत की सेना में ब्रिगेडियर घनसारा सिंह को गिलगित -बाल्टिस्तान में गवर्नर नियुक्त किया गया। बाकी की रियासतों के जैसे ही जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भी भारत में शामिल होने के लिए समझौता किया। जिसकी पुष्टि गवर्नर जनरल ऑफ इंडिया लार्ड माऊंटबैटन ने 27 अक्तूबर को की। इस तरह जम्मू-कश्मीर गिलगित-बाल्टिस्तान सहित भारत का अभिन्न अंग बन गया।
पाकिस्तान ने कैसे किया कब्जा? 26 अक्टूबर 1947 को जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने 1947 के जम्मू नरसंहार के साथ-साथ 1947 में कबीलों के भेष में घुसे पाकिस्तानी सैनिकों के आक्रमण के बाद भारत में शामिल होने के एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे। उस वक्त गिलगित, जो एक स्वतंत्र देश था, उसकी बड़ी आबादी, भारत में विलय के पक्ष में नहीं थी। जबकि क्षेत्र के निवासियों ने स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद पाकिस्तान में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की थी, वहीं पड़ोसी देश ने जम्मू और कश्मीर के साथ अपने क्षेत्रीय लिंक का हवाला देते हुए इस क्षेत्र में विलय नहीं किया। अब पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यहां के निवासी भारत के साथ पुनर्मिलन की मांग कर रहे हैं।
भारत के लिए क्यों अहम है गिलगित-बाल्टिस्तान भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल अक्टूबर में कहा था, “भारत की उत्तर दिशा में विकास की यात्रा गिलगित और बाल्टिस्तान पहुंचने के बाद पूरी होगी।” जब रक्षा मंत्री ने यह बयान दिया, तो वह 1994 के एक प्रस्ताव का जिक्र कर रहे थे, जो संसद में पारित किया गया था और जिसमें कहा गया था कि भारत इन क्षेत्रों को वापस हासिल करेगा। गिलगित बाल्टिस्तान को अक्सर जीबी के रूप में संदर्भित किया जाता है, जो अपने शानदार ग्लेशियरों के लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में ही इंडस नदी बहती है, जिससे पाकिस्तान को करीब 75 प्रतिशत जल की आपूर्ति होती है।
गिलगित-बाल्टिस्तान में रैली में फहराया तिरंगा
भारत में जम्मू-कश्मीर में समृद्धि और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में बदहाली को देखते हुए वहां के लोगों में गुस्सा चरम पर पहुंच गया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में इन दिनों घमासान मचा है। कट्टरपंथी सुन्नी संगठनों और पाकिस्तानी सेना के दमन के खिलाफ अल्पसंख्यक शियाओं ने विद्रोह कर दिया है। उनका कहना है कि वे अब पाकिस्तानी फौज की हुकूमत वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में नहीं रहना चाहते हैं, वे भारत में मिलना चाहते हैं। अब तो आलम यह है कि वहां रैलियों में तिरंगा भी फहराया जाने लगा है।
गिलगित-बाल्टिस्तान में अब शिया संगठन फौज के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। पाकिस्तान के खिलाफ वहां रैलियों अब तो ये नारे सुनाई देने लगे हैं- पाकिस्तान को कुत्ता कहना कुत्ते की तौहीन है। वह भी पुलिस की मौजूदगी में में हिरासत में लिए जाने के बाद भी लोग ये नारे लगा रहे हैं। भारत से लगभग 90 किलोमीटर दूर स्कर्दू में शिया समुदाय के लोग भारत की ओर जाने वाले कारगिल हाइवे को खोलने की मांग पर अड़ गए हैं। उनका कहना है कि वे अब पाकिस्तानी फौज की हुकूमत वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में नहीं रहना चाहते हैं, वे भारत में मिलना चाहते हैं। गिलगित-बाल्टिस्तान की लगभग बीस लाख की आबादी में से आठ लाख शियाओं के बगावती तेवरों को देखते हुए पाकिस्तानी फौज के 20 हजार अतिरिक्त जवानों को तैनात किया गया है।
The brave voices of Kashmiris in PoJK ring out loud and clear, rejecting the illegal Pakistani occupation. Their powerful slogans reflect years of frustration & a burning desire for freedom.
भारत में मिलने के लिए लगातार हो रहे प्रदर्शन, लग रहे नारे
गिलगित बाल्टिस्तान से जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, उन वीडियो में गिलगित बाल्टिस्तान के लोग लद्दाख में भारत के साथ पुनर्मिलन की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में यहां के निवासियों में भारी असंतोष और गुस्सा देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में गिलगित-बाल्टिस्तान में एक विशाल रैली दिखाई गई है, जिसमें कारगिल सड़क को फिर से खोलने और भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के कारगिल जिले में मिलने की मांग की जा रही है। लोगों का कहना है, कि वो भारत में मिलना चाहते हैं, क्योंकि पाकिस्तान में उनके साथ भीषण शोषण किया जा रहा है।
Large no of crowd thronged tk streets of #POK over rising inflation & lack of electricity & wheat..
आर्थिक संकट से जूझ रहे लोग कर रहे पाक विरोधी प्रदर्शन
पाकिस्तान एक बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है और देश भर के लोग गुज़ारे के लिए संघर्ष कर रहे हैं। देश में बुनियादी जरूरतों के लिए लोगों को परेशान होना पड़ता है और आटा खरीदना भी पाकिस्तान के लोगों के लिए एक विलासिता बन गई हैं, क्योंकि देश में आटा की कमी है इसके दाम इतने बढ़ गए हैं कि आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गए हैं। रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। लिहाजा, गिलगित बाल्टिस्तान के लोग हजारों-हजार की संख्या में सड़कों पर आ गए हैं और कश्मीर घाटी में जाने वाले एक पारंपरिक मार्ग को व्यापार के लिए खोलने की मांग कर रहे हैं।
पाकिस्तानी फौज को दहशतगर्द बताया पाकिस्तान की फौज के खिलाफ शियाओं मे नारा लगाया- ये जो दहशतगर्दी हैं, उसके पीछे ‘वर्दी’ है। गिलगित-बाल्टिस्तान में शियाओं का आरोप है कि पाक सेना 1947 के बाद से यहां से शियाओं को भगा रही है। सेना ने यहां सुन्नी आबादी को बसाया। कभी शिया बहुल रहे क्षेत्र में अब शिया अल्पसंख्यक हो गए हैं। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि सेना भी यहां शिया बहुल क्षेत्रों में जाने से कतरा रही है। धारा 144 लगाने के बावजूद स्कर्दू, हुंजा, दियामीर और चिलास में शिया संगठनों का प्रदर्शन जारी है। मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जनरल जिया उल हक से लेकर पाकिस्तान की सत्ता में बैठे हर एक नेता ने इस इलाके की डेमोग्राफी बदलने की कोशिश की है।
बेरोजगारी और महंगाई से तंग लोगों में बेचैनी पाकिस्तान सरकार की दमनकारी तथा भेदभावपूर्ण नीतियां, बेरोजगारी तथा महंगाई से तंग लोगों के अंदर बेचैनी तथा खौफ है। उल्लेखनीय है कि गिलगित-बाल्टिस्तान के स्थानीय लोगों ने उनकी जमीनों पर नाजायज कब्जों, खाद्य सामग्री पर सब्सिडी की बहाली, पावरकट तथा प्राकृतिक स्रोतों के शोषण तथा जन आंकड़ों में तब्दीली जैसे मुद्दों को लेकर कई दिनों से पाकिस्तान सरकार के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन जारी रखा हुआ है। इससे साफ है कि अब गिलगित-बाल्टिस्तान के नागरिक भारत के साथ मिलना चाहते हैं।
गिलगित-बाल्टिस्तान दिल्ली सल्तनत का हिस्सा था गिलगित-बाल्टिस्तान दिल्ली सल्तनत का हिस्सा था। सोलहवीं सदी में यह मुगल साम्राज्य में चला गया। वर्ष 1757 में एक इकरारनामे के तहत इस उत्तरी क्षेत्र का अधिकार पद मुगलों से अहमद शाह दुरानी ने ले लिया तथा यह अफगानिस्तान का हिस्सा बन गया। वर्ष 1819 में महाराजा रणजीत सिंह ने अफगानियों के ऊपर हमला कर इस क्षेत्र को अपने अधीन ले लिया। जब वर्ष 1935 में रूस ने कश्मीर से लगते क्षेत्र शिनजियांग के ऊपर जीत प्राप्त की तथा फिर यह इलाका ब्रिटेन के लिए विशेष महत्वपूर्ण हो गया। वास्तव में 1846 के आसपास इस हिस्से ने भी जम्मू-कश्मीर शहंशाही रियासत का दर्जा हासिल किया।
चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान से लगती है गिलगित बाल्टिस्तान की सीमा पाकिस्तान के उत्तर में पड़ते नाजायज कब्जे वाले 72,791 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के भीतर गिलगित एजेंसी, लद्दाख प्रशासन का जिला बाल्टिस्तान तथा पहाड़ी रियासतें हुंजा और नगर को मिलाकर इसका नाम गिलगित-बाल्टिस्तान रखा गया है। इसको 14 जिलों में बांटा हुआ है तथा इसकी कुल आबादी पिछली जनगणना के अनुसार 12.5 लाख के करीब है। उत्तर की ओर इसकी सीमा अफगानिस्तान तथा उत्तर-पूर्व की ओर इसकी सीमा चीन के मत के अनुसार स्वायत: राज्य शिनजियांग के साथ लगती है। पश्चिम की ओर पाकिस्तान का अशांत उत्तर-पश्चिमी फ्रंटियर क्षेत्र पड़ता है। इसके दक्षिण में पाक अधिकृत कश्मीर तथा दक्षिण पूर्व की ओर जम्मू-कश्मीर की सरहद लगती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की विदेश नीति को एक बड़ी सफलता मिली है। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने जिस तरह अपने पुराने दोस्त रूस का साथ दिया है, उससे प्रभावित होकर रूस ने भी दोस्ती की मिसाल पेश की है। इसकी झलक रूसी सरकार द्वारा जारी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के नक्शे में देखने को मिली है। पाकिस्तान और चीन भी एससीओ के सदस्य हैं, उनकी परवाह किए बिना रूस ने यह नक्शा जारी किया है। इससे पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत और रूस की दोस्ती कितनी मजबूत हुई है।
रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक द्वारा जारी एक नक्शे में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) और अक्साई चीन के साथ अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा बताया गया है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर और लद्धाख को भी भारत का अभिन्न हिस्सा दर्शाया गया है। रूस द्वारा जारी इस नक्शे से विश्व मंच व शंघाई सहयोग संगठन के बीच भारत की स्थिति और मजबूत हुई है। भारत के सरकारी सूत्रों ने कहा है कि एससीओ के संस्थापक सदस्यों में होने के नाते रूस ने नक्शे का सही ढंग से चित्रण कर रिकॉर्ड स्थापित किया है।
इस मानचित्र ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और एससीओ के भीतर जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर भारत पक्ष को और मजबूत किया है। अक्साई चीन और पीओके को एक साथ भारत के हिस्से के रूप में दिखाना राजनीतिक रूप से स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना बताया जा रहा है। पाकिस्तान आजादी के बाद से ही पीओके को हासिल करने के लिए प्रत्यक्ष और छद्म युद्ध से लेकर आतंकवाद तक तरह-तरह के हथकंडे अपना चुका है। लेकिन उसके नापाक कोशिशों को कामयाबी नहीं मिली है। रूस के इस फैसले से पाकिस्तान को जोरदार झटका लगा है।
अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लोम ने हाल ही में पीओके की यात्रा की थी। उन्होंने इस इलाके को ‘आजाद कश्मीर’ कहा था। इससे पहले अप्रैल में विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी प्रतिनिधि इल्हान उमर की पीओके यात्रा को संकीर्ण मानसिकता वाली राजनीति करार दिया था। हालांकि, बीते तीन साल में किसी अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की यह पहली यात्रा थी। उमर ने अपनी यात्रा के दौरान जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के मुद्दे के साथ-साथ अनुच्छेद 370 की समाप्ति को लेकर भी बयान दिया था।
चीन ने हाल ही में SCO के लिए जारी किए गए मैप में भारत के कुछ इलाकों को अपने इलाके के हिस्से के तौर पर दिखाकर अपनी विस्तारवाद की नीति को परिभाषित किया था। एक सरकारी सूत्र ने कहा कि एससीओ के संस्थापक सदस्यों में से एक रूस द्वारा भारत के नक्शे के सही चित्रण ने सीधे रिकॉर्ड स्थापित किया है। गौरतलब है कि सोवियत संघ और रूस ने 1947 से कश्मीर पर भारत का समर्थन किया है और भारत विरोधी प्रस्तावों को अवरुद्ध करने के लिए यूएनएससी में वीटो का इस्तेमाल किया है।