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रोज हैंडग्रेनेड लेकर महाकुंभ में हमला करने निकलता था खालिस्तानी आतंकी, UP पुलिस को देख दुबक जाता था: मिट्टी के टीले में गुफा बनाकर रहता था


प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान बड़े आतंकी हमले की साजिश नाकाम हो गई। बब्बर खालसा का आतंकी लाजर मसीह एंट्री पॉइंट से 1 किमी दूर मिट्टी के टीले में गुफा बनाकर छिपा था। 6 मार्च को सुबह 3:30 बजे यूपी STF और पंजाब पुलिस ने कौशांबी के कोखराज से उसे गिरफ्तार किया। लाजर अमृतसर के कुरलियान गाँव का रहने वाला है और ISI से जुड़ा था। वह BKI के जर्मन मॉड्यूल हेड स्वर्ण सिंह उर्फ जीवन फौजी का खास था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस को गुफा से 3 ग्रेनेड, 2 डेटोनेटर, पिस्टल और बिस्तर मिले। लाजर रोज ढाबे पर खाना खाता और मोबाइल चार्ज करता था। हर दिन हैंडग्रेनेड लेकर निकलता, पर हाई सिक्योरिटी की वजह से ब्लास्ट नहीं कर सका।

पूछताछ में उसने बताया कि वह 14 फरवरी के अमृत स्नान से पहले कौशांबी आया था। NH-2 से 1 किमी दूर गुफा में रहकर हमले की प्लानिंग कर रहा था। महाकुंभ में पुलिस की चक्रव्यूह सुरक्षा ने उसे रोक दिया। अब लाजर को कौशांबी जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया है। जेल अधीक्षक अजितेश मिश्रा के मुताबिक, वह खामोश रहता है और CCTV से निगरानी हो रही है।

प्रयागराज महाकुंभ से अर्थव्यवस्था भी बम-बम : खर्च- 7500 करोड़ रूपए, फायदा- 3 लाख करोड़ रूपए : वह नाविक जिन्होंने 45 दिन में कमाए 30 करोड़ रूपए


उत्तर प्रदेश में महाकुंभ आयोजन के चलते आर्थिक फ्रंट पर काफी फायदा हुआ है। इससे अर्थव्यवस्था में 3 लाख करोड़ रूपए जुड़ने की संभावना है। होटल से लेकर ट्रांसपोर्ट और फ़ूड क्षेत्र में काफी कमाई हुई है। इस दौरान प्रयागराज में छोटे-मोटे धंधे करने वाले लोगों को भी बड़ा फायदा हुआ है। इसी तरह का एक उदाहरण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिया है।

एक नाविक ने कमा लिए 30 करोड़ रूपए 

उत्तर प्रदेश विधानसभा में बजट पर बोलते हुए मंगलवार (4 मार्च, 2025) को योगी एक नाविक परिवार के विषय में बताया। उन्होंने कहा, “एक ऐसा नाविक परिवार, जिनके पास 130 नौकाएँ थीं। इन लोगों ने 45 दिनों के महाकुंभ में ₹30 करोड़ की बचत की है। यानी एक नाव ने 23 लाख रूपए 45 दिनों में कमाए हैं।”
मुख्यमंत्री योगी ने बताया कि इसी हिसाब से एक दिन में एक नाव ने 50 हजार से लेकर 52 हजार रूपए तक की कमाई की है। सीएम योगी ने महाकुंभ आयोजन को लेकर किए गए खर्च और इससे अर्थव्यवस्था में हुई बढ़ोतरी को लेकर भी बात की।

उत्तर प्रदेश को 3.5 लाख करोड़ रूपए के फायदे का अनुमान

योगी ने बताया कि राज्य में महाकुंभ के आयोजन से राज्य को 3.5 लाख करोड़ रूपए का लाभ होने का अनुमान है। उन्होंने CAIT के आँकड़े भी दिए, जिसने बताया था कि महाकुंभ में लोगों ने 3 लाख करोड़ रूपए का खर्च किया जो अर्थव्यवस्था में जुड़े।
महाकुंभ के चलते ट्रांसपोर्ट, होटल, पूजा सामग्री और बाकी क्षेत्रों में हजारों करोड़ का खर्च हुआ। सीएम योगी ने बताया कि महाकुंभ के दौरान होटल उद्योग में 40 हजार करोड़ रूपए, खाने-पीने और FMCG में 33 हजार करोड़ रूपए, परिवहन क्षेत्र में 1.5 लाख करोड़ रूपए और पूजा सामग्री के चलते 20 हजार करोड़ रूपए का फायदा हुआ है।
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के चलते अयोध्या और वाराणसी में भी भक्तों के बड़े जत्थे पहुँचे, जिससे यहाँ भी आर्थिक लाभ हुआ है। देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने बताया है कि महाकुंभ में हुए बड़े खर्च के चलते देश को 6.5% की GDP बढ़ोतरी की रफ़्तार बनाए रखने में मदद मिलेगी।
महाकुंभ में 60 करोड़ से अधिक लोग शामिल हुए थे। उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था के अलावा मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा अदि को भी इससे बड़ा फायदा हुआ है। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या इन राज्यों से भी थी।

7500 करोड़ हुए थे व्यवस्था पर खर्च

महाकुंभ से 3 लाख करोड़ रूपए का फायदा तब हुआ है जब उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके मुकाबले 7500 करोड़ रूपए का खर्च किया था। उत्तर प्रदेश सरकार में योगी सरकार ने महाकुंभ के लिए प्रयागराज शहर में काफी विकास किया। बड़ा खर्च इन्फ्रा सुधारने पर हुआ था।
योगी सरकार ने प्रयागराज के भीतर 200 से अधिक सड़कों का चौड़ीकरण किया था। योगी सरकार ने प्रयागराज में 14 नए फ्लाईओवर और 9 अंडरपास भी बनाए थे। नदी के तट को लेकर भी योगी सरकार ने काम किया था। मेला क्षेत्र में योगी सरकार ने 30 पीपा पुल बनाए थे। इसका लाभ अब योगी सरकार को मिला है।

महाकुंभ के कारण 33 करोड़+ युवाओं का धर्म में बढ़ा विश्वास, 300% उछली वेद-पुराण की सर्चिंग

                                             साभार: Sonamkitty_2 & sarita_hodophile/IG
प्रयागराज में आयोजित हुए 2025 के महाकुंभ ने देश के युवा को धर्म की तरफ मोड़ा है। वह सोशल मीडिया पर गाने-फिल्म की जगह अब वेद-पुराण ढूंढ रहे हैं। सनातन की महिमा के बारे में इन्टरनेट से जानकारी जुटा रहे हैं। महाकुंभ में आने वाले अधिकांश लोग युवा ही थे। महाकुंभ ने तकनीक और धर्म का अद्भुत मिश्रण दिखाया है।

गूगल ट्रेंड्स के अनुसार, दिसम्बर 2024 के बाद से ‘महाकुंभ’ तक लगातार दुनिया में बहुत ज्यादा सर्च किया वाला शब्द रहा है। जनवरी, 2025 आते-आते इन सर्च की संख्या करोड़ों में पहुँच गई। सर्च सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि नेपाल, पाकिस्तान और यहाँ तक कि अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया में भी किए गए।

अमर उजाला की एक रिपोर्ट बताती है कि महाकुंभ के दौरान देश में वेद और पुराणों के विषय में किए जाने वाले सर्च में 300 गुना की बढ़ोतरी हुई। यहाँ तक कि महाकुंभ की आधिकारिक वेबसाइट भी इस दौरान विजिटर्स से गुलजार रही है। महाकुंभ की वेबसाइट पर 33 लाख से ज्यादा लोगों ने 4 जनवरी, 2025 तक ही आ गए थे। इसके बाद और भी बढ़ोतरी हुई।

आँकड़े यह भी बताते हैं कि महाकुंभ में आने वाले 66 करोड़ श्रद्धालुओं में से लगभग 50% लोग युवा ही थे। यानी यह लोग 25-50 वर्ष के आयुवर्ग में थे। इन युवाओं में वह लोग भी शामिल थे जो अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते हैं। यानी महाकुंभ 2025 में डॉक्टर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर समेत तमाम प्रोफेशन के लोग शामिल हुए।

इससे वामपंथियों का वह नैरेटिव भी ध्वस्त हुआ, जिसमें धर्म को कम-पढ़े लोगों का विषय बताया जाता है। सोशल मीडिया भी लगातार महाकुंभ पोस्ट से गुलजार रहा। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, इन्टरनेट पर महाकुंभ से जुड़े हुए 33 करोड़ से अधिक फोटो-वीडियो अपलोड किए गए।

महाकुंभ में युवाओं के बड़ी संख्या में आने के पीछे एक कारण इसका इन्टरनेट पर प्रसार और इसके विषय में जानकारियाँ सुलभ होना भी रहा है। युवाओं ने महाकुंभ के लिए इन्टरनेट का इस्तेमाल महाकुंभ में हर चरण में किया। महाकुंभ पहुँचने के लिए बस-ट्रेन बुक करने से लेकर रास्ते ढूँढने तक उनकी मदद इन्टरनेट ने की।

धर्म के साथ तकनीक का यह मिश्रण पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में देश में दिखा है। महाकुंभ के दौरान तिलक, त्रिपुंड और पारंपरिक कपड़े जैसे प्रतीक भी खूब पॉपुलर रहे। इन सबमें बड़ा रोल योगी सरकार के इंतजाम का रहा है।

योगी सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि महाकुंभ 2025 को वह ‘डिजिटल महाकुंभ‘ के तौर पर आयोजित करेंगे। योगी सरकार ने महाकुंभ 2025 के लिए अलग से सोशल मीडिया हैंडल बनाए थे। वेबसाइट से सारी जानकारी मिल रही थी। इसके अलावा कई बड़े इन्फ़्लुएन्सर ने भी इस काम में मदद की।

नहाती हुई महिला, कपड़े बदलती हुई महिला… महाकुंभ की फोटो-वीडियो बता बेच रहे थे डार्क बेव पर: UP पुलिस हुई सख्त तो कई अकाउंट हुए बंद, ‘पत्रकार’ कामरान पहुँचा हवालात

महाकुंभ को बदनाम करने के क्रम में सोशल मीडिया पर हिंदू लड़कियों की इज्जत उछालने का मामला प्रकाश में आया है। पता चला है कि सोशल मीडिया पर कुछ अकॉउंटों से लड़कियों की नदियों में नहाते हुए फोटो-वीडियो साझा की जा रही है। इसके अलावा ये भी जानकारी सामने आई कि लड़कियों के नहाने की वीडियो को डार्क वेब पर बेचा जा रहा है। उन्हें टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर कुछ हजार रुपयों में वायरल करने का काम हो रहा है।

पुलिस ने अब इन शिकायतों की जाँच करनी शुरू कर दी है। वीडियोज डार्क वेब पर बेची गईं या नहीं, इसकी जाँच के लिए पुलिस ने इंस्टाग्राम के हेडऑफिस कैलिफोर्निया को एक ईमेल भेजकर अकाउंट की डिटेल्स माँगी है। साथ ही जिन अकॉउंट ने लड़कियों के नहाने की फोटो साझा करते हुए महाकुंभ को बदनाम करने की कोशिश की है उनके ऊपर भी पुलिस ने एक्शन लेना शुरू कर दिया है।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने कामरान अलवी नाम के कथित पत्रकार को गिरफ्तार किया है। उसने महिलाओं की नदी में नहाने की एक वीडियो को शेयर किया हुआ था और लिखा था- संगम घाट का भव्य नजारा। पुलिस ने इस वीडियो को देखने के बाद कामरान अलवी को अरेस्ट कर लिया है।

वहीं अन्य लोगों की भी छानबीन कर रही है जिन्होंने महिलाओं की ऐसी वीडियो प्रसारित करने का काम किया। जानकारी के मुताबिक इस मामले में कुंभ मेला प्रयागराज के साइबर थाने में सब इंस्पेक्टर पूजा रायकवार ने एक इंस्टाग्राम अकाउंट के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा–79, 353, IT एक्ट की धारा–67 में 17 फरवरी को FIR कराई है। एफआईआर में बताया गया है कि आईडी में महिलाओं के नहाने के वीडियो डाले गए हैं। अब पुलिस इस केस की जाँच कर रही है।

ये भी कहा जा रहा है कि इन वीडियोज को बनाने के बाद टेलीग्राम ग्रुप पर 1900 से 4000 रुपए तक में बेचा जा रहा है। इसकी सच्चाई क्या है पुलिस लगातार इसे जानने का प्रयास कर रही है। वहीं जो कोई भी महाकुंभ पर झूठ फैलाने का या महिलाओं की इज्जत से छेड़छाड़ करने का काम कर रहा है उनपर कार्रवाई हो रही है। जानकारी के मुताबिक कुंभ में अब तक सोशल मीडिया से जुड़ी 12 एफआईआर दर्ज हो चुकी है। एक टेलीग्राम चैनल ‘सीसीटीवी चैनल 11’ पर भी कार्रवाई हुई है।

प्रयागराज महाकुंभ : सृजित हुआ 3 लाख करोड़ रूपए का कारोबार, 56.25 करोड़ श्रद्धालु लगा चुके हैं डुबकी: व्यापार और आस्था-संस्कृति का नया बेंचमार्क स्थापित

                                                            प्रयागराज महाकुंभ
महाकुम्भ को लेकर सनातन विरोधी खुलकर सामने आ गए हैं। अभिनेता से लेकर नेता तक सब बेनकाब हो गए हैं। महाकुम्भ को आरोपित करने हिन्दू नहीं बल्कि कालनेमि राक्षस जाति के हैं। राक्षसों का काम उपद्रव करना, ऋषि-मुनियों के यज्ञ में विध्न डालना होता था, वही काम कलयुगी कालनेमि कर रहे हैं। हिन्दू तीर्थों को विवादित बना साम्प्रदायिकता फ़ैलाने वाले ये ही लोग हैं। 

इतिहास साक्षी है कि सनातन विरोधी धीरे-धीरे पतन की ओर जा चुके हैं। 'हवा में उड़ गए जय श्रीराम' कहने वाली मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी ही हवा हो गयी और उसी राह पर समाजवादी पार्टी जा रही है और कांग्रेस भी पीछे नहीं। कांग्रेस पुरानी पार्टी होने की वजह से अपनी कुछ पहचान रखे हुए हैं।        

प्रयागराज महाकुंभ अपने अवसान पर है। दुनिया का सबसे बड़ा समागम कुंभ सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि आर्थिक केंद्र बनकर भी उभरा है। कुंभ के लगभग 40 दिनों में लगभग 3 लाख करोड़ रुपए (360 अरब अमेरिकी डॉलर) का कारोबार होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसकी जानकारी अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (CAIT) ने दी है।

CAIT के महासचिव और चाँदनी चौक के सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि कुंभ ने आस्था और अर्थव्यवस्था के बीच संबंध स्थापित कर दिया है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ के कारण स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिल रहा है, क्योंकि महाकुंभ थीम पर आधारित उत्पादों जैसे डायरी, कैलेंडर, जूट बैग और स्टेशनरी की माँग में भारी वृद्धि हुई है। सावधानीपूर्वक ब्रांडिंग के कारण बिक्री में वृद्धि हुई है।

खंडेलवाल ने कहा कि महाकुंभ के शुरुआत होने से पहले प्रारंभिक अनुमानों में 40 करोड़ लोगों के आने और लगभग 2 लाख करोड़ रुपए का कारोबार होने का अनुमान लगाया गया था। हालाँकि, 40 दिनों में महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 18 फरवरी तक 56 करोड़ पहुँच चुकी है। महाकुंभ 26 फवरी तक है। ऐसे में यह आँकड़ा कम से कम 60 करोड़ पहुँचने का अनुमान है।

श्रद्धालुओं की इस आँकड़े के साथ ही कारोबार भी 3 से अधिक होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसके कारण उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में जबरदस्त वृद्धि हुई है और रोजगार के नए साधन भी पैदा हुए हैं। खंडेलवाल ने कहा कि महाकुंभ के कारण कई व्यावसायिक क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर आर्थिक गतिविधियाँ देखी गई हैं, जिनमें आतिथ्य और आवास, खाद्य और पेय क्षेत्र, परिवहन और रसद प्रमुख हैं।

इसके अलावा, धार्मिक पोशाक, पूजा सामग्री, हस्तशिल्प, वस्त्र, अन्य उपभोक्ता सामान, स्वास्थ्य देखभाल एवं कल्याण सेवाएँ, मीडिया, विज्ञापन एवं मनोरंजन, नागरिक सेवाएँ, दूरसंचार, मोबाइल, एआई-आधारित तकनीक, सीसीटीवी कैमरे और अन्य उपकरण आदि से संबंधित व्यवसायिक क्षेत्रों के कारोबार में भारी उछाल देखने को मिला है।

खंडेलवाल ने कहा कि महाकुंभ से संबंधित आर्थिक फायदा सिर्फ प्रयागराज तक ही सीमित नहीं है। इसका असर प्रयागराज के 150 किलोमीटर क्षेत्र की परिधि में देखने को मिला है। इसके अलावा, अयोध्या, काशी, मथुरा, विंध्याचल में श्रद्धालुओं के जाने के कारण इन शहरों एवं उसके आसपास के इलाकों में भी भारी आर्थिक गतिविधियाँ हुई हैं, जिसका फायदा लोगों और सरकार को हुआ है।

खंडेलवाल के अनुसार, महाकुंभ ने भारत में व्यापार, वाणिज्य, कारोबार, सांस्कृतिक क्षेत्र में एक नया बेंचमार्क स्थापित किया है। बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ को लेकर प्रयागराज में फ्लाईओवर, सड़कों और अंडरपास के सुधार के लिए 7500 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इनमें से 1,500 करोड़ रुपए महाकुंभ व्यवस्था के लिए निर्धारित किए गए थे।

महाकुंभ को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 19 फरवरी को 2 बजे तक 56.25 करोड़ लोग आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। उन्होंने कहा, “जब हम सनातन धर्म, मां गंगा, भारत या महाकुंभ के खिलाफ कोई निराधार आरोप या फर्जी वीडियो बनाते हैं तो यह इन 56 करोड़ लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ है।”

सीएम योगी ने कहा, “यह आयोजन किसी पार्टी या संगठन विशेष का नहीं, यह आयोजन समाज का है। सरकार अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए सेवक के रूप में है। यह हमारा सौभाग्य है कि हमारी सरकार को इस सदी के महाकुंभ से जुड़ने का अवसर मिला। देश और दुनिया ने इस आयोजन में भाग लिया है और तमाम झूठे अभियानों को दरकिनार करते हुए इसे सफलता की नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है।”

भगदड़ में हुई मौत को लेकर सीएम योगी ने कहा, “महाकुंभ के सात दिन बचे हैं। हमारी संवेदनाएँ उन सभी लोगों के साथ हैं, जो 29 जनवरी को भगदड़ के शिकार हुए। हम उन लोगों के साथ हैं, जिन्होंने कुंभ के लिए यात्रा करते समय सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गँवाई। हमारी संवेदनाएँ परिजनों के साथ हैं। सरकार उनके साथ खड़ी है और उन्हें हरसंभव मदद करेगी। इस पर राजनीति करना उचित नहीं है।”

प्रयागराज महाकुंभ पर एक-एक कर सनातन विरोधी नेताओं की सामने आ रही ‘घृणा’, अब ममता बनर्जी ने बताया ‘मृत्यु कुंभ’: जया बच्चन से लेकर लालू यादव तक उगल चुके हैं जहर

प्रयागराज महाकुंभ में दिन-प्रतिदिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है सनातन विरोधियों की नींद, रोटी और पानी हराम हो रही है। आज(फरवरी 18) news18 पर गूंज के लाइव शो में आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग ढांडा ने तो मर्यादा की सारी हदें पार कर दी। अनुराग ने शो में कहा कि शौच में लोगों को डुबकी लगवाई जा रही है। क्या अरविन्द केजरीवाल अनुराग पर इस आपत्तिजनक बयान देने पर कार्यवाही करेंगे या उसकी पीठ थप थपाएंगे। बेशर्मी की भी एक सीमा होती है। आखिर मुस्लिम तुष्टिकरण में कब तक विरोधी सनातन का विरोध करते रहेंगे?       
प्रयागराज महाकुंभ को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘मृत्युकुंभ’ करार दिया है। प्रयागराज महाकुंभ में मची भगदड़ पर तंज कसते हुए ममता बनर्जी ने महाकुंभ को मृत्यु कुंभ करार देते हुए कहा कि महाकुंभ में VIPs को खास सुविधाएँ दी जा रही हैं, लेकिन गरीबों को इससे वंचित रखा जा रहा है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘महाकुंभ अब मृत्यु कुंभ में बदल चुका है। यहाँ वीआईपी लोगों को ही खास सुविधाएँ मिल रही हैं।

महाकुंभ को लेकर योगी सरकार पर हमला बोलते हुए ममता बनर्जी ने आगे कहा, आपको इस तरह के बड़े आयोजन की योजना बनानी चाहिए थी। भगदड़ की घटना के बाद कितने आयोग कुंभ भेजे गए। बिना पोस्टमार्टम के ही शवों को बंगाल भेज दिया गया। ममता बनर्जी ने आगे कहा, आप देश को बाँटने के लिए धर्म बेचते हैं। हमने यहाँ पोस्टमॉर्टम किया क्योंकि आपने बिना डेथ सर्टिफिकेट के शव भेज दिए। इन लोगों को मुआवजा कैसे मिलेगा?

ममता बनर्जी पहली विपक्षी नेता नहीं हैं, जिन्होंने ऐसी बात बोली हो। इससे पहले, अफजाल अंसारी, लालू यादव, जया बच्चन और कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे नेता भी ऐसी टिप्पणियाँ कर चुके हैं।

गाजीपुर से सपा सांसद अफजाल अंसारी ने कहा था- ‘महाकुंभ में नहाने से पाप धुलता तो नरक में कोई रहेगा ही नहीं’। उनके इस बयान के बाद काफी बवाल हुआ था, जिसके बाद उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज भी कराई गई थी।

यही नहीं, सपा की राज्यसभा सांसद जया बच्चन भी महाकुंभ और प्रयागराज को लेकर आग उगल चुकी हैं। उन्होंने कहा था कि संगम सबसे अधिक गंदा है। उन्होंने दावा किया था कि भगदड़ में मारे गए लोगों के शवों को उठाकर पानी (नदी) में डाल दिया गया। यही नहीं, उन्होंने प्रयागराज पहुँचे श्रद्धालुओं की संख्या पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि सरकार और लोग झूठ बोल रहे हैं कि प्रयागराज में इतने लोग आए। इतने लोग तो आ ही नहीं सकते।

वहीं, कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने महाकुंभ और प्रयागराज पर सवाल उठाते हुए उसे लोगों की गरीबी से जोड़ दिया था। उन्होंने मंच से पूछा था ‘गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर होगी क्या?’ बीजेपी ने उनके भाषण को हिंदू विरोधी करार दिया था।

इन सबके बीच, आरजेडी के अध्यक्ष और सजायाफ्ता नेता लालू यादव ने भी कुंभ को लेकर अनर्गल टिप्पणी की थी। लालू यादव ने कहा था, ‘कुंभ का कोई मतलब नहीं, फालतू का कुंभ’। लालू यादव ने मौनी अमावस्या के मौके पर हुए भगदड़ को लेकर अपनी हिंदुओं से घृणा का सार्वजनिक प्रदर्शन किया था।

महाकुंभ में फिर लगी आग, कई टेंट जलकर खाक, कोई हताहत नहीं: रिपोर्ट्स में दावा- AC का गैस सिलेंडर फटने के कारण हुआ हादसा


प्रयागराज के महाकुंभ मेला क्षेत्र में एक बार फिर आग लगने की घटना सामने आई है। यह आग 7 फरवरी 2025 को शंकराचार्य मार्ग पर स्थित सेक्टर-18 में लगी। दमकल विभाग की गाड़ियाँ तुरंत मौके पर पहुँची और आग पर काबू पाने के प्रयास शुरू किए। आग लगने की वजह एसी का गैस सिलेंडर फटना बताया जा रहा है।

इससे पहले 30 जनवरी को सेक्टर-22 में कई पंडालों में आग लग गई थी, जिसमें 15 टेंट जलकर खाक हो गए थे। इसके अलावा, 19 जनवरी को सेक्टर-19 में एक शिविर में घास-फूस में आग लगने से करीब 18 शिविर जल गए थे।

मौनी अमावस्या पर 10 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज में जुटे, स्नान के लिए संगम घाट जाने की होड़ से मची अफरातफरी: बोले CM योगी- नियंत्रण में हैं हालात, अफवाहों पर न दें ध्यान


प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में बुधवार (29 जनवरी 2025) को अफरा-तफरी में कुछ लोगों के मौत की बात कही जा रही है। हालाँकि, आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है। वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर दुख जताया है और घायल हुए लोगों को जल्द स्वस्थ होने की कामना की है। उन्होंने बताया इनमें से कुछ लोग गंभीर रूप से घायल हैं, जिनका इलाज कराया जा रहा है।

योगी ने कहा, “प्रयागराज महाकुंभ में श्रद्धालुजनों की भारी भीड़ है। लगभग 8-10 करोड़ श्रद्धालु इस समय प्रयागराज में मौजूद हैं। कल भी 5.5 करोड़ श्रद्धालुजनों ने महाकुंभ का स्नान किया था। ये भारी दबाव श्रद्धालुजनों और उनके संगम नोज पर जाने के कारण बना हुआ है, लेकिन पूरा प्रशासन वहाँ मौके पर पूरी मुस्तैदी के साथ मौजूद है।”

घटना को लेकर उन्होंने बताया, “रात्रि को 1 बजे से 2 बजे के बीच में अखाड़ा मार्ग पर अमृत स्नान के लिए बैरिकेड लगाए गए थे। वहाँ बैरिकेड्स को फाँदकर आने में कुछ श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हुए हैं। उन्हें तत्काल हॉस्पिटल में पहुँचाकर उनके उपचार आदि की व्यवस्था की गई है। प्रशासन मौनी अमावस्या के मुहूर्त प्रारंभ होने के बाद से ही श्रद्धालुओं को कुशल स्नान कराने में लगा हुआ है।”

सीएम योगी ने बताया, “श्रद्धालुओं के कुशलक्षेम के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री मोदी जी सुबह से चार बार फोन किया है। माननीय गृहमंत्री श्री अमित शाह जी, माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा श्री जेपी नड्डा जी और प्रदेश की माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी ने भी फोन करके सबकी कुशलक्षेम और सबके सकुशल स्नान कराने के बारे में जानकारी ली। यहाँ प्रमुख सचिव और डीजीपी के साथ-साथ वरिष्ठ अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठक हो रही है।”

हालात को सामान्य बताते हुए CM ने कहा, “प्रयागराज में हालात नियंत्रण में हैं, लेकिन भीड़ का दबाव बहुत बना हुआ है। अखाड़ा परिषद से जुड़े हुए पदाधिकारियों के साथ मैंने स्वयं भी बातचीत की है। आचार्य महामंडलेश्वरों और संतों से भी मेरी बातचीत हुई है। संतों ने बहुत विनम्रता के साथ कहा है कि पहले श्रद्धालु जन स्नान करेंगे और उनका दबाव जब कम होगा और वे वहाँ से निकल जाएँगे, तब हम लोग संगम की तरफ स्नान करने के लिए जाएँगे।”

उन्होंने देश के कोने-कोने से आए लोगों और संतों से किसी अफवाह पर ध्यान नहीं देने की अपील है। सीएम योगी ने कहा, “संयम से काम लें। यह आयोजन लोगों का है। प्रशासन उनकी सेवा के लिए पूरी तत्परता के साथ लगा हुआ है। प्रदेश और केंद्र सरकार वहाँ पर हर तरह का सहयोग करने के लिए वहाँ पर तत्पर है। जो व्यक्ति अफवाह फैलाने की कोशिश करेगा, उससे नुकसान हो सकता है।”

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उत्तर प्रदेश : बीती रात महाकुंभ प्रयाग में हुई दुर्घटना पर मोदी ने जताया दुःख ; प्रयागराज से चल र
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उन्होंने कहा, “लगभग 15 से 20 किलोमीटर के दायरे में अस्थायी घाट बनाए गए हैं। जो जहाँ पर है, वो कहीं भी स्नान कर सकता है। आवश्यक नहीं है कि संगम नोज की तरफ ही आएँ। सब गंगाजी के ही घाट हैं। वहाँ भी उन्हें वही पुण्य प्राप्त होगा। स्नान का महत्व है। सभी लोगों को प्रशासन के निर्देश का पालन करना चाहिए। इससे सभी लोग सकुशल स्नान कर सकेंगे। मेरी सबसे अपील है कि शासन और प्रशासन को इसमें मदद करें।”

कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने दिखाई हिंदू घृणा, कहा: महाकुंभ में बहुत गंदगी होती है, इससे बीमारियाँ फैलेंगी; लेकिन हज में मौतें कैसे हुई यह भी बता दो सनातन विरोधियों; एक्स मुस्लिम की संख्या क्यों बढ़ रही है? देखिए वीडियो


कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले को ‘गंदा’ बताया है। उन्होंने कहा कि 12 साल में एक बार आयोजित होने वाला यह महाकुंभ बीमारियाँ बढ़ाता है।

हुसैन दलवई ने कहा, “महाकुंभ में बहुत से लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं। मेरे ख्याल से वहाँ बहुत गंदगी होती होगी। वहाँ जिस तरह से लोग रह रहे हैं ऐसे तो बीमारियाँ फैल जाएँगी।”

आगे वह बोले- “हज के लिए मैं दो बार गया था। जैसा वहाँ इंतजाम होता है वैसा यहाँ भी होना चाहिए। वहाँ पूरी दुनिया से लोग आते हैं। लाखों लोग आते हैं। जरा भी गड़बड़ी नहीं होती। कुंभ मेला करना है तो वैसे करो न।”

लेकिन यह बताना भूल गए कि पिछले साल हुए हज में कितने हाजियों की मौत हुई थी? किस वजह से हुई थी मौतें? सनातन पर कीजड़ उछालने से पहले अपने गिरहवाँ में झांकना सीखो। दूसरे, सनातन के खिलाफ जहर उगलने से पहले अनवर शेख की किताबें या अली सीना की Understand Mohammad And Muslims भी पढ़ लिया करो। 

अली सीना का दावा है कि इस किताब को पढ़ने के बाद मुस्लिम इस्लाम छोड़ रहे हैं। लेकिन लगता है लेखक अनवर शेख की बहुत ज्यादा प्रभावित होकर किताब लिखी है। अनवर शेख की किताबों का ही इस किताब में झलक मिलती है। रुश्दी के खिलाफ फतवा देने वाले खोमैनी के ही जीवन में अनवर शेख किताबें लिख रहे थे। सलमान रुश्दी और तस्लीमा के खिलाफ फतवा देने वाले अनवर शेख(स्व) और अली सीना पर चुप्पी साधे हुए हैं, क्यों?   

दूसरे, इस वीडियो पर भी कुछ बोलोगे? 

       

वह कहते हैं, “मैं उमराह पर गया था, हज को गया था। वैसा इंतजाम करिए। यहाँ अलग-अलग बीमारी के लोग होते हैं, उनकी जाँच करिए। वो तंदरुस्त लोगों के साथ स्नान करते हैं तो उनको भी दिक्कत होगी न। इतने बड़े पैमाने पर लोग नहाएँगे तो कैसा चलेगा।”

पीलीभीत में ढेर हुए थे जिस खालिस्तानी संगठन के आतंकी, उसने ही ली महाकुंभ में आग की जिम्मेदारी: ATS-NIA की रडार पर 1000 संदिग्ध, NSUI नेता शाहिद से पूछताछ

                                  इस अग्निकांड में जान का नुकसान नहीं हुआ था (फोटो साभार: Jansatta)
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में हाल ही में लगी आग की जिम्मेदारी खालिस्तान जिंदाबाद फ़ोर्स (KZF) ने ली है। इस संगठन के ही तीन आतंकी हाल में पीलीभीत में पुलिस ने मार गिराए थे। KZF ने अग्निकांड को एनकाउंटर का बदला करार दिया है। इस अग्निकांड की जाँच अब NIA और यूपी ATS कर रही हैं। कई संदिग्धों को इस मामले में पकड़ा भी गया है।

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, 19 जनवरी, 2025 को प्रयागराज महाकुंभ के कुछ टेंटों में लगी आग में खालिस्तानी एंगल सामने आया है। लंदन और ग्रीस से चलने वाले KZF आतंकी समूह ने इस आग का कारण ब्लास्ट बताया था और दावा किया था कि उसने ही यह काम किया है।

KZF ने दावा किया है कि वह किसी को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहते थे और केवल यह दिखाना चाहते थे कि क्या करने की क्षमता रखते हैं। यह पूरी बात उन्होंने मीडिया संस्थानों को भेजे गए एक ईमेल में लिखी है। उन्होंने इसे एक शुरुआत बताया है और पीलीभीत एनकाउंटर को फर्जी करार दिया है। पुलिस अभी इस खालिस्तानी एंगल को नकार रही है।

हालाँकि, NIA और ATS ने आग लगने के दौरान आसपास मौजूद 1000 लोगों पर जाँच चालू की है। यह भी बताया गया है कि इन 1000 में से लगभग 900 हिन्दू नहीं हैं। ऐसे में शक और भी गहरा हो गया है। इनसे पूछताछ के लिए नोटिस भेजे जा रहे हैं।

दावा है कि ATS वाराणसी से 10 लोगों को हिरासत में ले चुकी है। इनसे पूछताछ चल रही है। संदिग्धों से पूछताछ के लिए सवालों की एक लिस्ट तैयार की गई है। इसमें उनकी महाकुंभ में आस्था से लेकर घटनास्थल के वीडियो फोटो से जुड़े सवाल तक हैं।

वाराणसी में NSUI नेता शाहिद से भी पूछताछ हुई है। उन्हीं लोगों से मुख्य तौर पर पूछताछ हो रही है जिन्होंने घटना के दिन महाकुंभ को सोशल मीडिया पर दिखाया था और लोकेशन भी साझा की थी। इनमें से शक उन पर अधिक है जिन्होंने बाद में फोटो वीडियो डिलीट किए।

मामले में दूसरे प्रदेशों की पुलिस को भी अलर्ट भेज दिया गया है। जिनसे पूछताछ हुई है, उन्हें शहर ना छोड़ने को कहा गया है। धमकी में फ़तेह सिंह बागी का नाम भी लिखा है। सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि यह वही बागी है जिसका हाल ही में गुरदासपुर हमले में नाम आया था। वह ब्रिटिश आर्मी का एक सैनिक रहा है और आतंकियों का हैंडलर है।

महाकुंभ शुरू होने से पहले खालिस्तानी आतंकी पन्नू ने भी हमला करने की बात कही थी। उसने भी पीलीभीत एनकाउंटर को फेक बताया था और बदला लेने की बात कही थी। इसको लेकर उसने वीडियो जारी किए थे।

पन्नू ने मंगलवार (24 दिसम्बर, 2024) को एक वीडियो जारी किया। 3 मिनट के इस वीडियो में उसने कहा है कि यह एनकाउंटर फर्जी था और मारे गए तीनों आतंकी असल में शहीद हैं। उसने परिवार को मदद देने का भी ऐलान किया है। उसने कहा है कि SFJ उन तीनों परिवारों को ₹5 लाख देगा।

उसने साथ ही में प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को लेकर भी अपशब्द कहे। पन्नू ने कहा है पीलीभीत में ही 1991 में एक फर्जी एनकाउंटर हुआ था जिसमें 11 सिखों को मार दिया गया था। उसने कहा है कि हालिया एनकाउंटर का बदला वह प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में लेगा।

पन्नू ने कहा है कि 14 जनवरी, 29 जनवरी और 3 फरवरी, 2025 को प्रयागराज महाकुंभ में हमला किया जाएगा। उसने हिंदुत्व को आतंकवाद करार दिया है। उसने पंजाब की आजादी और खालिस्तान को लेकर भी अपना प्रलाप दोहराया है। पन्नू की धमकी को पीलीभीत पुलिस ने संज्ञान में लिया है।

पीलीभीत पुलिस ने साइबर थाने में इस संबंध में एक FIR दर्ज कर ली है। पुलिस ने बताया है कि वह इस वीडियो को लेकर जाँच कर रहे हैं। कई जगह दावा किया गया है कि पीलीभीत पुलिस को भी इस घटना के बाद धमकियाँ दी गई हैं।

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19 जनवरी, 2025 को प्रयागराज महाकुंभ में आग लगी थी। यह आग सेक्टर 19 में लगी थी। इसमें कई टेंट जल गए थे। आग पर कुछ ही मिनटों के भीतर काबू पा लिया गया था। इसका कारण एक खाना बनाने वाले सिलेंडर का फटना बताया गया था। आग में किसी की जान नहीं गई थी।

सनातन विरोधियों गुजरात मत दोहराओ : क्यों ताप्ती गंगा एक्सप्रेस ट्रेन से महाकुंभ जा रहे थे 36 श्रद्धालु, उस पर जलगाँव में बरसाए गए पत्थर?: खिड़की चकनाचूर, यात्री दहशत में आए

                           पथराव से ताप्ती गंगा एक्सप्रेस ट्रेन के सीसे टूटे (फोटो साभार: ETVBharat)
सूरत से बलिया जा रही ताप्ती गंगा एक्सप्रेस ट्रेन पर महाराष्ट्र के जलगाँव के पास पथराव की खबर है। इस ट्रेन में महाकुंभ मेले के लिए प्रयागराज जा रहे यात्री सवार थे। यह घटना रविवार (12 जनवरी 2024) को 15.17 बजे हुई, जब ट्रेन जलगाँव स्टेशन से आगे बढ़ी ही थी। अज्ञात लोगों द्वारा किए गए इस पथराव से बी-6 कोच की खिड़की का शीशा टूट गया। इस घटना से यात्रियों में डर का माहौल बन गया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ताप्ती-गंगा एक्सप्रेस ट्रेन के बी-6 कोच में सूरत के उधना से 36 श्रद्धालु सवार हुए थे, जिनमें 5 बच्चे, 6 बुजुर्ग, 13 महिलाएँ और 12 पुरुष शामिल थे। सभी श्रद्धालु महाकुंभ मेले के पहले शाही स्नान में हिस्सा लेने जा रहे थे। पथराव की सूचना तुरंत रेलवे पुलिस को दी गई, जिसके बाद मामले की जाँच शुरू कर दी गई है।

पत्थरबाज चाहे जिस बिल में घुसकर बैठ जाएं, मोदी सरकार पत्थरबाजों को उसी तरह सात तालों से निकाल लाएगी जिस तरह साबरमती ट्रेन में आग लगाकर गुजरात को दंगा की आग में झोंककर छुप गए थे, लेकिन खोज निकाला उसी तरह तुम्हें खोज निकालेगी। कोई तुम्हारा आका बचाने नहीं आएगा। गुजरात दंगों की तरह चीखते रहना कोई victim card काम नहीं आएगा। निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक इस मुद्दे पर संज्ञान लें। जब तक इन पत्थरबाजों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं को नहीं छिनेगी, ये दंगाई ऐसे ही हिन्दू उत्सवों में उपद्रव करते रहेंगे। इनके समर्थन में बोलने वालों के विरुद्ध भी कार्यवाही बहुत जरुरी है। 

घटना के बाद बी-6 कोच के यात्रियों ने बताया कि अचानक तेज आवाज आई और खिड़की का काँच टूट गया। कुछ यात्रियों ने बताया कि पथराव के दौरान कई पत्थरों की आवाजें सुनी गईं, जिससे पूरे कोच में दहशत फैल गई। इस बीच, यात्रियों की तरफ से वीडियो रिलीज किया गया है, जिसमें कम से कम 2 खिड़कियों के सीसों को नुकसान पहुँचा है।

आरपीएफ इंस्पेक्टर ज्ञानेश्वर पाटिल ने कहा कि दोपहर बाद 15.17 मिनट पर ट्रेन प्लेटफॉर्म से बामुश्किल 16-17 कोच की दूरी तक ही आगे बढ़ी थी कि बाईं तरफ से पत्थर ट्रेन पर आया। भुसावल में ट्रेन की जाँच की गई, इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ। हालाँकि पत्थरबाज का अब तक पता नहीं चल पाया है।

मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी स्वप्निल नीला ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की चार सदस्यीय टीम ट्रेन में तैनात कर दी गई। रेलवे पुलिस ने अज्ञात आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और सीसीटीवी फुटेज की जाँच की जा रही है।

अधिकारियों का मानना है कि यह हमला संभवतः असामाजिक तत्वों द्वारा किया गया हो सकता है। घटना के बाद से यात्रियों को अतिरिक्त सुरक्षा का भरोसा दिया गया है।

योगी ने लगा दी सनातन विरोधियों की लंका में आग : दुबई के ‘खबरबाज’ ने हिन्दुओं के महासंगम पर फैलाई फर्जी जानकारी, महाकुंभ को कहा- ‘BJP का कार्यक्रम’: भारत विरोधी ‘रायटर्स’ के चलते बना मूर्ख

                                                                   मारियो नॉफल
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर हर खबर सनसनी के रूप में प्रस्तुत करने के चक्कर में दुबई के एक खबरबाज ने महाकुंभ को लेकर झूठ फैलाया। दुबई से बैठ कर दुनिया-जहान की खबरें चलाने वाले एक ऐसे ही खबरबाज मारियो नॉफल ने प्रयागराज में आयोजित हो रहे हिन्दुओं के समागम महाकुंभ को भाजपा समर्थित आयोजन बता डाला। उसने महाकुंभ से जुड़े भारी-भरकम आँकड़े देते-देते दावा किया कि हजारों करोड़ से आयोजित होने वाला यह मेला राजनीति से जुड़ा है।

मारियो ने एक्स पर महाकुंभ के विषय में किए गए ट्वीट में बताया कि कैसी व्यवस्थाएँ इस आयोजन के लिए की गई हैं। उसने बताया कि महाकुंभ में 40 करोड़ से अधिक लोग आएँगे, इसके लिए 4000 हेक्टेयर का शहर बसाया गया है। इसके बाद मारियो ने बताया कि 98 विशेष ट्रेनें और 40000 पुलिसकर्मियों का इंतजाम किया गया है। हालाँकि, इसके बाद उसने गलत जानकारी दी। मारियो ने लिखा, “इस आयोजन की लागत 765 मिलियन डॉलर (लगभग ₹6300 करोड़) है और इसे भाजपा समर्थित हिंदू विरासत के आयोजन के रूप में देखा जा रहा है।”

हिन्दुओं के इस महाआयोजन को लेकर मारियो की गड़बड़ समझ के पीछे भारत और हिन्दू विरोधी संस्थान रायटर्स है। उसकी ही रिपोर्ट में असल में यह दावा किया कि यह आयोजन भाजपा का है। रायटर्स ने एक रिपोर्ट में लिखा, “एक सफल महाकुंभ से भाजपा का अपने हिंदू वोटर के लिए भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों को वापस लेने और महिमामंडित करने का रिकॉर्ड चमकेगा, इसका वादा पीएम मोदी और CM आदित्यनाथ ने तब से किया है जबसे उनकी हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी 2014 में राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता में आई है।”

यानी रायटर्स के अनुसार भाजपा महाकुंभ को अपने लिए इस्तेमाल कर रही है और मात्र हिन्दुओं में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए यह आयोजन करती आ रही है। जबकि असल बात यह है कि महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्ष में 4 शहरों- हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज में होता है। यहाँ करोड़ों लोग इकट्ठा होते हैं, ऐसे में उनकी सुरक्षा और मेले का प्रबंधन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है। इसके लिए उस राज्य सरकार को केंद्र सरकार भी सहायता देती है। भाजपा के अलावा जो भी पार्टी सत्ता में होगी, उसे यह आयोजन करवाना होगा।

ऐसे में रायटर्स का यह दावा करना कि भाजपा इसका इस्तेमाल कर रही है और यह आयोजन उसके द्वारा करवाया जा रहा है, पूरी तौर से गलत है। यह रायटर्स जैसे बाकी मीडिया संस्थानों की भारत और हिन्दू विरोधी छवि को और पक्का करता है। कुंभ का आयोजन किसी पार्टी से जुड़ा ना होकर हिन्दू विश्वास और पुराणों में लिखी कथाओं पर आधारित है। यह उन्हीं चार जगह पर हो होता है, जहाँ समुद्र मंथन के बाद अमृत की बूँदे गिरी थीं। इसके पीछे कथाएँ भी हैं। जब राजनीति और राजनीतिक दलों का जन्म भी नहीं हुआ था, तब से कुंभ चला आ रहा है।

पुराणों में भी हिंदू आस्था का महाकुंभ : 1400 साल पहले ह्वेनसांग ने लिखा संगम में स्नान से धुल जाते हैं पाप; अकबर 1567 में प्रयाग आया, आक्रांता तैमूर ने अर्धकुंभ मेले में किया था नरसंहार


नागों के राजा भगवान वासुकी की मदद से समुद्र मंथन के समय निकले ‘अमृत कुंभ’ का महापर्व इस बार प्रयागराज इसी महीने से शुरू होने जा रहा है। प्रयागराज में वैसे तो हर वर्ष एक महीने का माघमेला होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु और साधु-संत आते हैं। पर हर छठे वर्ष अर्धकुंभ और बारहवें वर्ष पर कुंभ में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी की छटा अद्वितीय होती है। प्रयागराज उन चार शहरों में है, जहां हर 12 साल पर कुंभ होता है। कुंभ का संदर्भ वेद-पुराणों में मिलता है। कुंभ का इतिहास सदियों पुराना है। 

चीनी यात्री फाहियान (399 से ई.) वाराणसी आया और गंगा से जुड़े किस्से लिखे। एक अन्य यात्री दुनिया चीनी ह्वेनसांग ने संस्मरण के जरिए को कुंभ से जोड़ा। सम्राट हर्षवर्धन के समय आए ह्वेनसांग ने 16 वर्षों तक देश के विभिन्न हिस्सों में अध्ययन किया। करीब 1400 साल पहले (644 ईस्वी) में वह सम्राट हर्षवर्धन के साथ प्रयाग कुंभ का साक्षी बना। ह्वेनसांग ने अपनी किताब ‘सी-यू-की’ में लिखा- ‘देशभर के शासक धार्मिक पर्व में दान देने प्रयाग आते थे। संगम किनारे स्थित पातालपुरी मंदिर में एक सिक्का दान करना हजार सिक्कों के दान के बराबर पुण्य वाला माना जाता है। प्रयाग में स्नान करने मात्र से ही सारे पाप धुल जाते हैं। 

यूनानी यात्री मेगस्थनीज की ‘इंडिका’ में संगम कुंभ मेले का वर्णन
प्रयागराज में हर वर्ष लगने वाला माघ मेला हो, 6 वर्ष पर अर्धकुंभ या 12 वर्ष पर कुंभ… यहां आने वाले महापर्व की अलौकिकता से अभिभूत हो जाते हैं। आदि गुरु शंकराचार्य ने छठी शताब्दी ईसा पूर्व जब कुंभ को लोकप्रिय बनाना शुरू किया, तब कोई नहीं समझ सका था कि अनवरत चलने वाली ऐसी सनातन यात्रा प्रारंभ हो रही है, जो काल खंड में बांधी न जा सकेगी। इसके बाद सदियां बीतती गई और कुंभ का वैभव बढ़ता गया। भारतीय अध्यात्म परंपरा ही नहीं, सदियों पहले से यहां आने वाले विदेशी यात्रियों ने भी अपने संस्मरण में कुंभ को दर्ज किया। सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के समय (302 ईसा पूर्व) यूनानी यात्री मेगस्थनीज भारत आया। उसने अपनी किताब ‘इंडिका’ में गंगा किनारे लगने वाले मेले का वर्णन किया है।

अकबर 1567 में प्रयाग आया, तैमूर ने अर्धकुंभ मेले में किया नरसंहार
मुगल बादशाह अकबर 1567 में पहली बार प्रयाग पहुंचा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वह कुंभ और नागा साधुओं से भी परिचित था। अबुल फजल ने ‘अकबरनामा’ में लिखा, ‘यह स्थान प्राचीन काल से पयाग (प्रयाग) कहलाता था। बादशाह के मन में विचार था कि जहां गंगा-यमुना मिलती हैं और भारत के श्रेष्ठ लोग जिसे बहुत पवित्र समझते हैं, वहां दुर्ग बनाया जाए।’ विदेश आक्रांताः इससे पहले सन् 1398 में समरकंद से आए आक्रांता शुजा-उद-दीन तैमूर लंग ने हरिद्वार अर्धकुंभ मेले पर हमला किया। इस दौरान उसने लूटपाट और नरसंहार किया। तैमूर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-तैमूरी’ में इसका जिक्र किया है।

सदियों पहले भी लाखों लोग कुंभ में डुबकी लगाते थे
1400 साल पहले ह्वेनसांग ने प्रयागराज को मूर्तिपूजकों का महान शहर बताया और लिखा कि इस उत्सव में 5 लाख से अधिक लोग शामिल होते हैं।’ दूसरी ओर, महमूद गजनवी के शासनकाल में 1030 ईस्वी के आस-पास अबू रेहान मुहम्मद इब्न अहमद अल- बिरूनी ने ‘किताब-उल-हिन्द’ लिखी। इसमें उसने वाराहमिहिर के साहित्य के आधार पर समुद्र मंथन और अमृत कुंभ को लेकर हुए देव-दानव संघर्ष का वर्णन किया है।

इसीलिए चार नदी तटों पर हर 12 साल पर होता है कुम्भ
कुंभ का संदर्भ पुराणों में मिलता है। कहते हैं, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कुंभ लेकर प्रकट हुए, तो देव और दानव खुशी से झूम उठे। होड़ मच गई कि कौन पहले अमृत प्राप्त करेगा। भगवान विष्णु ने अमृत को दानवों से बचाने के लिए देवराज इंद्र के पुत्र जयंत को संकेत दिया कि वह कुम्भ लेकर चले जाएं। सबकी नजर बचाकर जयंत अमृत कुंभ लेकर देवलोक की ओर उड़ चले, लेकिन दानवों के गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें देख लिया। देखते ही देखते देव-दानवों में युद्ध शुरू हो गया। अंत में देवता अमृत कुंभ बचाए रखने में तो सफल रहे, लेकिन इस आकाशीय संघर्ष के दौरान देवलोक में 8 और पृथ्वी लोक में 4 स्थानों पर अमृत की बूंदें छलक पड़ीं। पृथ्वी पर अमृत की ये बूंदें प्रयाग और हरिद्वार में प्रवाहमान गंगा नदी, उज्जैन की क्षिप्रा और नासिक की गोदावरी नदी में गिरीं… बस तभी से चारों स्थानों में अमृत कुंभ जागृत करने की परंपरा शुरू हो गई। यह देव-दानव संघर्ष 12 ‘मानवीय वर्ष’ तक चलता रहा। कहते हैं इसीलिए इन नदी तटों पर हर 12 साल पर कुंभ होता है।

महाकुंभ की अनंत-अशेष महिमा अपरंपार

  • 14वीं शताब्दी के प्रमुख संत नृसिंह सरस्वती (1378-1459) ने मराठी में रचित अपनी पुस्तक ‘गुरुचरित्र’ में नासिक में होने वाले कुंभ मेले का विस्तार से वर्णन किया है।
  • त्रिस्थली में प्रयाग प्रकरणमः 16वीं सदी के मध्य में समाज गायन के प्रवर्तक नारायण भट्ट द्वारा रचित ‘त्रिस्थली सेतुः’ में वर्णित ‘अथ प्रयाग प्रकरणम’ में भी कुंभ का विस्तृत वर्णन है।
  • कुंभ का एक लिखित प्रमाण मुगलकालीन गजट खुलासत-उत-तवारीख’ में भी मिलता है। इसे औरंगजेब के शासनकाल (1695) में सुजान राय खत्री ने लिखा था। उन्होंने लिखा कुंभ मेला हजारों वर्षों से हो रहा है।
कुंभ मेले में 50 दिन में 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आएंगे
प्रयागराज का कुंभ मेला धर्म, आस्था और आध्यात्मिकता की त्रिवेणी के साथ-साथ संस्कृतियों, परंपराओं और भाषाओं का एक जीवंत मिश्रण है। यह एक “लघु भारत” को प्रदर्शित करता है, जहां पर करोड़ों धर्मावलंबी बिना किसी औपचारिक निमंत्रण के एक साथ आते हैं। आस्था-विश्वास का महापर्व महाकुम्भ इस साल 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू हो रहा है। 50 दिन से ज्यादा चलने वाले इस पर्व में देश-दुनिया से करोड़ों लोग स्नान करने आएंगे। मान्यता है कि गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं! महाकुम्भ मेला प्रशासन जिस प्रकार से 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं को समायोजित करेगा, उसे जीवंत देखना, जानना और समझना अपने आप में मैनेजमेंट की पूरी किताब है। कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसमें करोड़ों तीर्थयात्री पवित्र नदियों के संगम तट पर स्नान करते हैं। यह स्नान आध्यात्मिक शुद्धि और नवीनीकरण का प्रतीक है। यह हर 12 साल में चार बार क्रमिक रूप से गंगा पर हरिद्वार में, शिप्रा पर उज्जैन में, गोदावरी पर नासिक और प्रयागराज में, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है।
महाकुंभ मेला 2025: आध्यात्मिकता और नवीनता का एक नया युग
2025 का महाकुंभ मेला प्रयागराज में आध्यात्मिकता, संस्कृति और इतिहास का एक अनूठा मिश्रण होगा। 13 जनवरी से 26 फरवरी तक, तीर्थयात्री न केवल आध्यात्मिक अनुष्ठानों की एक श्रृंखला में शामिल होंगे, बल्कि एक ऐसे सफ़र पर भी निकलेंगे जो भौतिक, सांस्कृतिक और यहाँ तक कि आध्यात्मिक सीमाओं से परे है। शहर की जीवंत सड़कें, चहल-पहल भरे बाज़ार और स्थानीय व्यंजन इस अनुभव में एक समृद्ध सांस्कृतिक परत जोड़ते हैं। अखाड़ा शिविर एक अतिरिक्त आध्यात्मिक आयाम प्रदान करते हैं, जहां पर साधु और तपस्वी चर्चा, ध्यान और ज्ञान साझा करने के लिए एक साथ आते हैं। ये महाकुंभ मेला 2025 को आस्था, संस्कृति और इतिहास का एक असाधारण उत्सव बनाते हैं, जो सभी उपस्थित लोगों को एक समृद्ध अनुभव प्रदान करता है।
2017 में यूनेस्को ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी
यह आयोजन विभिन्न पृष्ठभूमियों से तपस्वियों, साधुओं, कल्पवासियों और साधकों को एक साथ एक स्थान पर लाता है, जो भक्ति, तप और एकता का प्रतीक है। 2017 में यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्राप्त, कुंभ मेला बहुत अधिक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। 2025 में प्रयागराज अनुष्ठानों, संस्कृति और खगोल विज्ञान के मेल इस भव्य आयोजन की 13 जनवरी से 26 फरवरी तक फिर से मेजबानी करेगा। इसके महामैनेजमेंट का हर किसी की जीवन में एक बार व्यक्तिगत अनुभव करना चाहिए।
नावों के ट्रैफिक जाम से बचने के लिए यह एक अनोखा प्रयोग
महाकुम्भ में प्रबंधन का इनोवेशन जो सबका ध्यान खींचता है वह है यमुना के पानी पर डिवाइडर ! नावों के ट्रैफिक जाम से बचने के लिए यह एक अनोखा प्रयोग है। संगम पर यह डिवाइडर तैरते हुए क्यूब से बना है, जो बिल्कुल रामायण में सुग्रीव की सेना द्वारा ‘रामसेतु’ बनाते समय जमा पत्थरों की तरह दिखता है। जो तैरते हुए चिपके रहते हैं। भीड़ बढ़ती है तो डिवाइडर लचीला होने से कितना भी खिंच सकता है। यानी डिवाइडर की लंबाई बढ़ने के बाद कोई नाव यमुना के एक बिंदु से निकलती है, तो लंबे चक्कर के बाद वहीं आ जाएगी। इससे नाव मिलने वाले घाटों पर भीड़ का दबाव कम होगा। इस आयोजन में संख्या प्रबंधन महत्वपूर्ण है।
आठ हजार से ज्यादा नाविकों को संकट प्रबंधन की ट्रेनिंग
प्रयागराज महाकुंभ के लिए आठ हजार से ज्यादा नाविकों को संकट प्रबंधन की ट्रेनिंग दी गई है। उनकी नावों को सुरक्षा जांच के बाद खूबसूरती देने के लिए रंग-रोगन किया गया है। मेला प्रशासन ने प्रोफेशनल्स के साथ मिलकर नाविकों को प्रशिक्षित किया कि कैसे शांत मन से और प्रसन्नचित्त के साथ तीर्थयात्रियों से बात करेंगे। इसका उद्देश्य यह है कि देश-दुनिया से यहां आने वाले श्रद्धालु परेशान न हों। दरअसल, बॉडी लैंग्वेज के जरिए मेहमाननवाजी के बिजनेस में मानवीय जुड़ाव की जरूरत बताई। नाविकों को प्रयागराज का ब्रांड एंबेसडर बनने के लिए प्रेरित किया गया, ताकि अगले 12 वर्ष उन्हें इसके लिए याद किया जाए। यह व्यवस्था की गई है कि हर नाव में 10 यात्री सुरक्षा जैकेट पहने होंगे। दोनों सिरों पर 1-1 नाविक होंगे।
इस साल महाकुंभ के लिए मिशन ‘जीरो फायर कॉल’
इस साल महाकुंभ के लिए मिशन ‘जीरो फायर कॉल’ है। इस दौरान प्रयागराज में लोग टेंट, बांस, तिरपाल आदि के शिविरों में रहेंगे। इसलिए फायर ब्रिगेड प्रबंधन भी अहम है। इनके पेशेवर ‘कुम्भ क्षेत्र’ में चौबीसों घंटे काम करते हैं। यह एकमात्र ऐसी जगह है जहां बिना कॉल किए 120 से अधिक वाहनों के साथ 50 फायर बिग्रेड सदस्यों को चलते हुए देख सकते हैं। फायर ब्रिगेड स्टेशन को आधुनिक बनाने वाले सभी उपकरण यहां हैं। इनमें उन्नत बचाव टेंडर, फायर ब्रिगेड बोट, कहीं भी पहुंचने वाले वाहन हैं। वॉटर जेट कंबल, फायर बाइक, जो भारी भीड़ से आगे जाकर आग में पहला रक्षा कवच बनती हैं। दिलचस्प यह कि सभी पेशेवर कोड वर्ड में बात करेंगे, ताकि भीड़ में दहशत न फैले। उदाहरण के लिए, आग लगने पर, वे किसी भी कीमत पर ‘आग’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करेंगे।
महज 4 महीने में बेहतरीन सुविधाओं वाला शहर बसा दिया
महाकुंभ के विशाल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पूरी तरह मुस्तैद है। सीएम योगी तो कुंभ की सारी व्यवस्थाओं पर फोकस कर ही रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी पिछले माह प्रयागराज जाकर आए हैं। ताकि कुंभ के इंतजाम पूरी तरह चाक-चौबंद हो जाएं। उत्तर प्रदेश सरकार ने सारी चुनौतियों से पार पाकर महज 4 महीने में बेहतरीन सुविधाओं वाला शहर बसा दिया है। इन चार महीने में 300 किमी लंबाई वाली सड़क बनाई गई हैं। एक किमी लंबाई के 30 फ्लोटिंग पुल भी बांध दिए हैं। समय सीमा को देखते हुए सभी लोग 15-15 घंटे तक काम कर रहे हैं। छुट्टी, ओवरटाइम, टीए-डीए की उन्हें चिंता नहीं है। उन्हें लगता है कि सेवा करके उन्हें और उनके परिवारों को ‘असीमित पुण्य’ मिलेगा।
आंखों का अस्पताल, मोतियाबिंद के पांच लाख ऑपरेशन होंगे
महाकुंभनगर में आंखों का अस्पताल भी बनाया गया है। मेले के दौरान तीन लाख चश्मे देने की तैयारी है। मेला प्रशासन का दावा है कि यह दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा अस्थायी अस्पताल है, जहां 45 दिनों में 5 लाख मोतियाबिंद के ऑपरेशन होंगे। 3 लाख गरीबों को चश्मे देने की भी तैयारी है। यहां पर लगे कर्मचारियों को अपने काम पर गर्व हो रहा है। इसके अलावा शहर को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने वाले लाखों कर्मचारियों में गर्व की भावना रहे। इसका भी पूरा ध्यान रखा गया है। कुम्भ क्षेत्र के हजारों सफाई कर्मचारियों, नाविकों से लेकर सिविल इंजीनियरों तक में गर्व की यह भावना दिख रही है।
संगम तट पर अस्थायी शहर बनाम ‘महाकुंभ यूनिवर्सिटी’
प्रयागराज में संगम तट पर बने इस अस्थायी शहर को ‘महाकुंभ यूनिवर्सिटी’ कह सकते हैं। क्योंकि इसमें हर उस कमी का समाधान है, जिसके लिए शहर जूझते रहते हैं। इस प्रभावी प्रबंधन व कर्मचारियों के शांत व्यवहार को समझने के लिए उज्जैन के एडीजी उमेश जोगा भी पहुंचे हैं। क्योंकि अगला कुम्भ उन्हीं के शहर में होना है। सैकड़ों ट्रेनों, हजारों बसों और कारों से लाखों लोग आएंगे। कोई अव्यवस्था न फैले इसके लिए अधिकारी एक साथ कई मॉडल्स पर काम कर रहे हैं, जैसे-भीड़ को अलग-अलग जगहों पर बांटना, घाटों की संख्या बढ़ाना आदि। इस पूरी व्यवस्था पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नजरें बनाए हुए हैं।
महाकुंभ के 50 दिनों में 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आएंगे
प्रयागराज महाकुंभ के 50 दिनों के इस आयोजन में करीब 40 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। इसे देखते हुए यहां पीने के पानी व सीवेज जैसी पर्याप्त सुविधाएं जुटाई गई हैं। यहां पर समृद्धों के लिए फाइव स्टार डोम हैं, तो जरूरतमंदों के लिए डॉरमेट्री भी बना दी है। रोजाना फीडबैक, तुरंत समस्या का समाधान, अफसर रात तक डटे रहते हैं। इस महाआयोजन में आधुनिक प्रबंधन से सीख ली गई है। सबसे बड़ा सबक यह है कि काम वक्त पर शुरू करें, अगर बाधा आए तो ‘बुलडोजर’ सी ताकत का इस्तेमाल करें। जैसा कि सड़कों के चौड़ीकरण के लिए हुआ। हर वर्टिकल से रोजाना फीडबैक लेने के साथ रिव्यू किया जा रहा है ताकि समस्या पता लगे। फोकस इस बात पर नहीं है कि काम कैसे पूरा होगा, बल्कि काम कौन बेहतर तरीके से करेगा। यानी गुणवत्ता से समझौता न हो।